Class 9 Mathematics वृत्त (प्रश्नावली 10.5)
हल : ∠AOC = ∠AOB + ∠BOC
⇒ ∠AOC = 60° + 30°
⇒ ∠AOC = 90°
अब, ∠AOC = 2∠ADC
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है]
या
⇒
⇒ ∠ADC = 45°
हल :
मान लीजिए AB एक लघु चाप है।
जीवा AB = त्रिज्या OA = त्रिज्या OB
∴ ∆AOB एक समबाहु त्रिभुज है।
∴ ∠AOB = 60° [∵ समबाहु त्रिभुज का प्रत्येक कोण 60° है]
अब mAB + mBA = 360°
⇒ ∠AOB + प्रतिवर्ती ∠BOA = 360°
⇒ 60° + प्रतिवर्ती ∠BOA = 360°
⇒ प्रतिवर्ती ∠BOA = 360° – 60°
⇒ ∠BOA = 300°
D लघु चाप पर एक बिंदु है।
∴ mBA = 2∠BDA
⇒ प्रतिवर्ती ∠BOA = 2∠BDA
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।]
या ∠BDA = ∠BOA
⇒ ∠BDA = x 300°
⇒ ∠BDA = 150°
अतः, लघु चाप BA द्वारा लघु चाप के किसी बिंदु D पर अंतरित कोण 150° है।
मान लीजिए दीर्घ चाप BA पर एक बिंदु E है।
∴ mAB = 2 ∠AEB
⇒ ∠AOB = 2∠AEB
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।]
या ∠AEB = ∠AOB
⇒ ∠AEB = x 60°
⇒ ∠AEB = 30°
अत: लघु चाप AB द्वारा दीर्घ चाप के किसी बिंदु E पर अंतरित कोण 30° है
हल :
आकृति ; Q लघु चाप PQR पर स्थित कोई बिंदु है।
∴ mRP = 2∠PQR
⇒ प्रतिवर्ती ∠ROP = 2∠POR
[∵ किसी चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण उसी चाप द्वारा वृत्त के शेष भाग पर अंतरित कोण का दुगुना होता है।]
∴ प्रतिवर्ती ∠ROP = 2 x 100°
⇒ प्रतिवर्ती ∠ROP = 200° अब
अब
mPR + mRP = 360°
⇒ ∠POR + प्रतिवर्ती ∠ROP = 360°
⇒ ∠POR + 200° = 360°
⇒ ∠POR = 360° – 200°
⇒ POR = 160° ….(i)
अब, ∆OPR एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
OP = OR [वृत्त की त्रिज्याएँ]∠OPR = ∠ORP [बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण] …(ii)
अब समद्विबाहु त्रिभुज OPR में,
∠OPR + ∠ORP + ∠POR = 180°
⇒ ∠OPR + ∠OPR + 160° = 180°
[(i) और (ii) का प्रयोग करने पर]⇒ 2∠OPR = 180° – 160°
⇒ 2∠OPR = 20°
⇒
⇒ ∠OPR = 10°
हल : ∆ABC में,
∠BAC + ∠ABC + ∠ACB = 180°
⇒ ∠BAC + 69° + 31° = 180°
⇒ ∠BAC = 180° – 69° – 31°
⇒ ∠BAC = 80°
बिंदु A और D वृत्त के एक ही वृत्तखंड में हैं।
इसलिए, ∠BDC = ∠BAC [∵ किसी चाप द्वारा एक ही वृत्तखंड में अंतरित कोण बराबर होते हैं।]⇒ ∠BDC = 80° [(i) का प्रयोग करने पर]
हल : आकृति के अनुसार
∠CED + ∠BEC = 180° (रैखिक युग्म)
⇒ ∠CED + 130° = 180°
⇒ ∠CED = 180° – 130°
⇒ ∠CED = 50° …..(i)
⇒ ∠AEB = ∠CED (शीर्षाभिमुख कोण)
⇒ ∠AEB = 50° [(i) का प्रयोग करने पर]
अब,
∠ABD = ∠ACD
[चाप AD द्वारा एक ही वृत्तखंड में अंतरित कोण बराबर होते हैं।] ⇒ ∠ABD = 20° [∵ ∠ACD = 20° (दिया है)]
अब, ∆AEB में,
∠BAE + ∠ABE + ∠AEB = 180° [त्रिभुज का कोण योग गुण]⇒ ∠BAE + 20° + 50° = 180°
⇒ ∠BAE = 180° – 20° – 50°
⇒ ∠BAE = 110°
या ∠BAE = 110°
हल :
∠BDC = ∠BAC [एक ही वृत्तखंड के कोण]⇒ ∠BDC = 30° (∵ ∠BAC = 30°)
∆BCD में,
∠BCD + ∠DBC + ∠BDC = 180°
⇒ ∠BCD + 70° + 30° = 180° [∵ ∠DBC = 70°]⇒ ∠BCD = 180° – 70° – 30°
⇒ ∠BCD = 80° … (i)
यदि AB = BC
तो ∆ABC में;
∠ACB = ∠BAC [त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।]⇒ ∠ACB = 30° … (ii)
अब, ∠BCD = ∠ACB + ∠ACD
⇒ 80° = 30° + ∠ACD [(i) और (ii) का प्रयोग करने पर]⇒ 80° – 30° = ∠ACD
⇒ 50° = ∠ACD
या, ∠ACD = 50°
या, ∠ECD = 50°
हल :
AC एक व्यास है।
∴ ∠B = ∠D = 90° …(1)
[अर्धवृत्त में कोण समकोण होता है।]
इसी प्रकार BD व्यास है।
∴ ∠A = ∠C = 90° … (2)
अब, व्यास
AC = BD
⇒ AC ≅ BD [बराबर जीवाओं की संगत चापें]⇒ AC – DC ≅ BD – DC
AD ≅ BC
AD = BC
[बराबर चापों की संगत जीवाएँ] … (3)
इसी प्रकार AB = DC
(1), (2), (3) और (4) में हम देखते हैं कि चतुर्भुज का प्रत्येक कोण 90° का है और सम्मुख भुजाएँ बराबर हैं।
अतः, ABCD एक आयत है।
हल : दिया है : एक समलंब ABCD जिसमें AB || CD और AD = BC है।
सिद्ध करना है : बिंदु A, B, C, D एक चक्रीय है। (अर्थात् ABCD चक्रीय समलंब है)
रचना : DE || CB खींचिए।
उपपत्ति : DE || CB और EB || DC.
∴ EBCD एक समांतर चतुर्भुज है।
∴ DE = CB ∠DEB = ∠DCB.
∵ समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
अब, ∵ AD = BC और BC = DE
∴ DA = DE ⇒ ∠DAE = ∠DEA.
[∵ त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।]
परंतु ∠DEA + ∠DEB = 180° … ( रैखिक युग्म)
⇒ ∠DAE + ∠DCB = 180°
[∵ ∠DEA = ∠DAE और ∠DEB = ∠DCB] (ऊपर प्रमाणित)
⇒ ∠DAB + ∠DCB = 180°
⇒ ∠A + ∠C = 180°
अतः, ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है।
[∵ चक्रीय चतुर्भुज के सम्मुख कोण संपूरक होते हैं। जैसा कि परिणाम (1) है।]
∠ACP = ∠QCD है।
हल : वृत्त I की चाप BC एक ही वृत्तखण्ड में 21 और 22 अंतरित करती है।
∴ ∠1 = ∠2
[एक ही वृत्तखण्ड के कोण बराबर होते हैं। चाप BC वृत्त II के एक ही वृत्तखण्ड में ∠3 और ∠4 अंतरित करती है।]∴ ∠3 = ∠4 [उपरोक्त कारण ही]
अब, ∆ACD में,
∠A + ∠C + ∠D = 180° [त्रिभुज का कोण योग गुण]⇒ ∠1 + ∠5 + ∠6 + ∠3 = 180° …..(i)
∆PCQ में,
∠P + ∠C + ∠Q = 180° [त्रिभुज का कोण योग गुण]⇒ ∠2 + ∠5 + ∠7 + ∠4 = 180° … (ii)
(i) और (ii) से,
∠1 + ∠5 + ∠6 + ∠3 = ∠2 + ∠5 + ∠7 + ∠4 … (iii)
परंतु ∠1 = ∠2 और ∠3 = ∠4 (ऊपर प्रमाणित)
∴ (iii) से हमें प्राप्त होता है :
∠1 + ∠5 + ∠6 + ∠3 = ∠1 + ∠5 + ∠7 + ∠3
⇒ ∠6 = ∠7
या ∠ACP = ∠QCD
हल : दिया है : दो वृत्त एक दूसरे को बिंदुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। AP और AQ उनके व्यास हैं।
सिद्ध करना है : बिंदु B, तीसरी भुजा PQ पर स्थित है।
रचना : A और B को मिलाइए।
उपपत्ति : AP व्यास है।
∴ ∠1 = 90° (अर्धवृत्त का कोण)
साथ ही, AQ व्यास है।
∴ ∠2 = 90° (अर्धवृत्त का कोण)
∠1 + ∠2 = 90° + 90°
⇒ ∠PBQ = 180°
⇒ PBQ एक सरल रेखा है।
अत:, B अर्थात् इन वृत्तों का प्रतिच्छेद बिंदु तीसरी भुजा अर्थात् PQ पर स्थित है।
∠CAD = ∠CBD
हल :
दिया है कि दो समकोण त्रिभुज ABC और ADC जिनमें B और D पर क्रमशः समकोण हैं।
∴ ∠ABC = ∠ADC (प्रत्येक 90°)
यदि हम AC (उभयनिष्ठ कर्ण) को व्यास लेकर एक वृत्त खींचें तो यह निश्चित रूप से बिंदुओं B और D में से होकर जाएगा
[क्योंकि B और D वे बिंदु हैं जो चाप AC के एकांतर खंडों में हैं।]
अब, CD एक ही वृत्तखंड में ∠CBD और ∠CAD अंतरित करती है।
∴ ∠CAD = ∠CBD [इति सिद्धम् ]
हल : मान लीजिए ABCD एक चक्रीय समांतर चतुर्भुज है। यह सिद्ध करने के लिए कि यह एक आयत है इतना ही सिद्ध करना पर्याप्त है कि समांतर चतुर्भुज का एक कोण समकोण है।
अब, ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।
⇒ ∠B = ∠D …..(i)
[∵ समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं। साथ ही, ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है।]⇒ ∠B + ∠D = 180°
(i) और (ii) से हमें प्राप्त होता है :
∠B + ∠B = 180°
⇒ 2∠B = 180°
⇒ ∠B = 90°
इसलिए, ∠B = ∠D = 90°
अतः, ABCD एक आयत है।
Class 9 Mathematics वृत्त Ex 10.1
Class 9 Mathematics वृत्त Ex 10.2
Class 9 Mathematics वृत्त Ex 10.3
Class 9 Mathematics वृत्त Ex 10.4
Class 9 Mathematics वृत्त Ex 10.5
Class 9 Mathematics वृत्त Ex 10.6