(B) बिहारी, मतिराम, घनानन्द, पद्माकर
(C) घनानन्द, मतिराम, बिहारी, पद्माकर
(D) मतिराम, बिहारी, पद्माकर, घनानन्द
(B) रामचरित मानस
(C) विनयपत्रिका
(D) कवितावली
(B) कबीर, तुलसी, रहीम, जायसी
(C) कबीर, जायसी, तुलसी, रहीम
(D) जायसी, कबीर, रहीम, तुलसी
(B) विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन
(C) विसर्ग के साथ विसर्ग
(D) विसर्ग के साथ स्वर
(B) पंचवटी, जयद्रथवध, विष्णुप्रिया, यशोधरा
(C) जयद्रथवध, यशोधरा, पंचवटी, विष्णुप्रिया
(D) विष्णुप्रिया, पंचवटी, जयद्रथवध,
(B) शिवशंकर पाण्डे
(C) वैद्यनाथ पाण्डे
(D) सुदामा पाण्डे
(B) राज्यश्री, स्कन्दगुप्त, अजातशत्रु, ध्रुवस्वामिनी
(C) अजातशत्रु, राज्यश्री, ध्रुवस्वामिनी, स्कन्दगुप्त
(D) राज्यश्री, अजातशत्रु, स्कन्दगुप्त, ध्रुवस्वामिनी
(B) माधुर्य भाव
(C) सख्य भाव
(D) दास्य भाव
(B) पुनर्जागरण काल
(C) सुधार काल
(D) जागरण काल
(B) नीहार, रश्मि, सांध्यगीत, दीपशिखा
(C) सांध्यगीत, रश्मि, नीहार, दीपशिखा
(D) रश्मि, दीपशिखा, नीहार, सांध्यगीत
(B) पूँजीवाद
(C) अस्तित्ववाद
(D) साम्यवाद
(B) ‘अज्ञेय’
(C) मुक्तिबोध
(D) ‘धूमिल’
(B) अकर्मक
(C) सकर्मक
(D) संयुक्त
(B) रामकुमार वर्मा
(C) उपेन्द्रनाथ अश्क
(D) भुवनेश्वर साद
(B) आषाढ़ का एक दिन
(C) लहरों के राजहंस
(D) आधे-अधूरे
(B) कोमल गांधार
(C) सेतुबंध
(D) राधा
(B) ओमप्रकाश वाल्मीकि
(C) सूरजपाल चौहान
(D) डॉ. धर्मवीर
(B) साहित्यदर्पण
(C) दशरूपक
(D) काव्यप्रकाश
(B) आचार्य शंकुक
(C) आचार्य भट्टनायक
(D) आचार्य भट्टलोल्लट
(B) आचार्य विश्वनाथ
(C) आचार्य वामन
(D) आचार्य मम्मट
(B) संयोग
(C) वियोग
(D) माधुर्य
निर्देश : निम्न प्रश्नों में प्रत्येक वाक्य चार भागों (A), (B), (C), (D) में विभक्त हैं जिसमें से एक भाग में अशुद्धि है। अशुद्धिवाला भाग पहचानकर उत्तर दीजिए ।
निर्देश : निम्नलिखित अवतरण को पढ़िए और उससे संबंधित प्रश्नों के दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए ।
जिस सौन्दर्य की भावना में मग्न होकर मनुष्य अपनी पृथक् सत्ता की प्रतीति का विसर्जन करता है वह अवश्य एक दिव्य विभूति है। भक्त लोग अपनी उपासना या ध्यान में इसी विभूति का अवलंबन करते हैं । तुलसी और सूर ऐसे सगुणोपासक भक्त राम और कृष्ण की सौन्दर्य भावना में मग्न होकर ऐसी मंगलदशा का अनुभव कर गए हैं जिसके सामने कैवल्य या मुक्ति की कामना का कहीं पता नहीं लगता । कविता केवल वस्तुओं के ही रंगरूप में सौन्दर्य की छटा नहीं दिखाती, प्रत्युत कर्म और मनोवृत्ति के सौन्दर्य के भी अत्यन्त मार्मिक दृश्य सामने रखती है। वह जिस प्रकार विकसित कमल, रमणी के मुखमंडल आदि का सौन्दर्य मन में लाती है उसी प्रकार उदारता, वीरता, त्याग, दया, प्रेमोत्कर्ष इत्यादि कर्मों और मनोवृत्तियों का सौन्दर्य भी मन में जगाती है। जिस प्रकार वह शव को नोचते हुए कुत्तों और शृगालों के वीभत्स व्यापार की झलक दिखाती है उसी प्रकार क्रूरों की हिंसक वृत्ति और दुष्टों की ईर्ष्या आदि की कुरूपता से भी क्षुब्ध करती है। इस कुरूपता का अवस्थान सौन्दर्य की पूर्ण और स्पष्ट अभिव्यक्ति के लिए ही समझना चाहिए। जिन मनोवृत्तियों का अधिकतर बुरा रूप हम संसार में देखा करते हैं उनका भी सुन्दर रूप कविता ढूँढ़कर दिखाती है।
(B) मन का अनुरंजन
(C) सौन्दर्य प्रेरित कामवासना
(D) परमसत्ता के साथ तदाकार होने का मंगलानुभव
(B) लोकमंगल के परुष-कठोर उदार कर्म में
(C) रूपमय जगत में
(D) मन की वृत्ति में
(B) सुख प्राप्त करता है
(C) निर्वैक्तिकता की स्थिति में अंतरसत्ता से तदाकार करता है
(D) मनोरंजन करता है
(B) सुख का अनुभव
(C) मुक्ति या कैवल्य का अनुभव
(D) पृथक् सत्ता की प्रतीति
(B) कवि द्वारा सौन्दर्य चित्रण के प्रभाव से
(C) आसुरी शक्तियों के दमन के कारण
(D) हृदय के मर्म – स्थलों के स्पर्श के कारण
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