Class 8th Science Chapter 16. – प्रकाश
NCERT Solutions Class 8 Science Chapter 16 प्रकाश – आठवीं कक्षा में हर साल लाखो उम्मीदवार पढ़ते और अपनी परीक्षा की तैयारी करते है जो उम्मीदवार 8th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें प्रकाश के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है .इसके बारे में 8th कक्षा के विज्ञान एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 8th विज्ञान अध्याय 16 (प्रकाश) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions for Class 8 Science Chapter 16 Light की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.16 प्रकाश के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
कक्षा: | 8th Class |
अध्याय: | Chapter 16 |
नाम: | प्रकाश |
भाषा: | Hindi |
पुस्तक: | विज्ञान |
NCERT Solutions for Class 8 Science (विज्ञान) Chapter 16 प्रकाश
अभ्यास
नहीं, अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं देता क्योंकि कमरे में पड़ी वस्तुओं पर कोई प्रकाश नहीं पड़ रहा और न ही वह स्वयं प्रकाश उत्सर्जित कर रही हैं। इसलिए अंधेरे कमरे में कुछ नहीं दिखाई देता। कमरे के बाहर की वस्तुएँ दिखाई दे सकती हैं, यदि उन पर प्रकाश की किरणें आपतित हों अथवा वे अपना प्रकाश उत्सर्जित करें।
नियमित तथा विसरित परावर्तन में अंतर
नियमित परावर्तन | विसरित परावर्तन |
(1) समतल और चिकने पृष्ठ पर परावर्तन होता है। (2) परावर्तित किरणें समांतर होती हैं। | (1) विषम और अनियमित पृष्ठ पर परावर्तन होता है। (2) परावर्तित किरणें असमांतर होती हैं। |
विसरित परावर्तन के नियम का विफल होना नहीं है। यह पृष्ठ की अनियमिताओं के कारण हैं।
(क) पॉलिश युक्त लकड़ी की मेज़
(ख) चॉक पाऊडर
(ग) गत्ते का पृष्ठ
(घ) संगमरमर के फर्श पर फैला जल
(ङ) दर्पण ।
(च) कागज़ का टुकड़ा।
(क) पॉलिश युक्त लकड़ी की मेज-नियमित परावर्तन क्योंकि लकड़ी की मेज का पृष्ठ पॉलिश होने के अतिरिक्त समतल भी है।
(ख) चॉक पाऊडर–विसरित परावर्तन क्योंकि चाक पाऊडर रुक्ष पृष्ठ प्रदान करता है।
(ग) गत्ते का पृष्ठ-विसरित परावर्तन, पृष्ठ पर उपस्थित अनियमितताओं के कारण।
(घ) संगमरमर के फर्श पर फैला जल-नियमित परावर्तन क्योंकि जल से समतल पृष्ठ बन जाता है।
(ङ) दर्पण-नियमित परावर्तन क्योंकि इसका पृष्ठ समतल है।
(च) कागज़ का टुकड़ा-नियमित यदि कागज़ समतल है और विसरित यदि कागज़ रुक्ष है।
परावर्तन के नियम (i) आपतित कोण Zi = परावर्तित कोण Zr
(ii) आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल में होते हैं।
क्रियाकलाप-एक मेज पर एक सफेद शीट फैलाइए। इस पर MM! एक सीधी रेखा खींचिए। इस समतल दर्पण रेखा के अनुदिश समतल दर्पण की एक पट्टी ऊध्वाधर स्थिति में रखें। अब टार्च की सहायता से प्रकाश को कंघी पर पुंज इस तरह डालें कि इससे निकलने वाला प्रकाश पुंज मेज के समांतर हो। आपतित और परावर्तित किरणों का एक सुंदर पैटर्न प्राप्त होता है, एक पेंसिल से किसी आपतित किरण भी आपतित किरण पर तीन बिंदु A, B, C अंकित करें और इसकी संगत परावर्तित किरण पर बिंदु D,E,F, अंकित करें। टार्च बंद कर दें। दर्पण हटा लें। अब बिंदुओं को मिलाकर दर्पण तक बढ़ाएं। ABC रेखा MM’ को 0 पर मिलती है। इसी तरह DEF रेखा भी MM’ को O
पर मिलती है। OA आपतित किरण है जबकि OF परावर्तित किरण है। O पर अभिलंब ON खींच कर आपतन कोण AON तथा परावर्तन कोण FON मापें जो बराबर होगा। आपतित किरण, परावर्तित किरण और आपतन बिंदु पर अभिलंब सभी एक ही तल (पृष्ठ) में हैं। इससे परावर्तन के दोनों नियम सत्यापित होते हैं।
(a) एक समतल दर्पण के सामने 1m दूर खड़ा व्यक्ति अपने प्रतिबिंब से …………… m दूर दिखाई देता है।
(b) यदि किसी समतल दर्पण के सामने खड़े होकर आप अपने दाएँ हाथ से अपने …………. कान को छुएँ तो दर्पण में ऐसा लगेगा कि आपका दायाँ कान ……………. हाथ से छुआ गया है।
(c) जब आप मंद प्रकाश में देखते हैं तो आपकी पुतली का साइज ……………. हो जाता है।
(d) रात्रि पक्षियों के नेत्रों में शलाकाओं की संख्या की अपेक्षा शंकुओं की संख्या ………. …… होती है।
(a) 2 (b) बाएँ, बाएँ (c) बड़ा (d) अधिक। प्रश्न 7 तथा 8 में सही विकल्प छाँटिए
(क) सदैव
(ख) कभी-कभी
(ग) विशेष दशाओं में
(घ) कभी नहीं।
उत्तर.(क) सदैव।
(क) आभासी, दर्पण के पीछे तथा आवर्धित।
(ख) आभासी, दर्पण के पीछे तथा वस्तु के साइज के बराबर।
(ग) वास्तविक, दर्पण के पृष्ठ पर तथा आवधित।
(घ) वास्तविक, दर्पण के पीछे तथा वस्तु के साइज़ के बराबर।
उत्तर.(ख) आभासी, दर्पण के पीछे तथा वस्तु के साइज के बराबर ।
कैलाइडोस्कोप-यह एक खिलौना है, जिससे अनेक प्रतिबिंब बनाए जा सकते हैं। बहुमूर्तिदर्शी में दर्पण की तीन आयताकार पटियों को प्रिज्म की आकृति में जोड़ा जाता है और एक मोटे चार्ट से बने बेलनाकार ट्यूब में लगा दिया जाता है। ट्यूब के एक सिरे पर केंद्र पर छिद्रयुक्त एक गत्ते की डिस्क लगाते और दूसरे सिरे पर समतल काँच की वृत्ताकार प्लेट, दर्पण को छूते हुए दृढ़तापूर्वक चिपका देते हैं। इसके ऊपर कुछ रंगीन काँच के टुकड़े रखकर घिसे हुए काँच की प्लेट से बंद कर देते हैं। इस प्रकार बहुमूर्तिदर्शी तैयार हो जाती है।
मानव नेत्र का नामांकित रेखाचित्र
लेजर टार्च की किरण आँख के रेटिना को क्षति पहुँचा सकती है। इसलिए अध्यापक ने लेजर टार्च के उपयोग के लिए मना किया।
आँखों की देखभाल-नेत्र प्रकृति की दी हुई बहुमूल्य देन हैं। इसलिए यह आवश्यक है, कि नेत्रों की उचित देखभाल की जाए।
(1) साफ स्वच्छ जल से प्रतिदिन नेत्रों की सफाई करनी चाहिए।
(2) बहुत तेज अथवा मंद प्रकाश में नहीं पढ़ना चाहिए।
(3) चलते वाहन में कभी नहीं पढ़ना चाहिए।
(4) आंखों को अधिक मलना नहीं चाहिए।
(5) बहुत गर्मी वाले दिन, धूप के चश्मे उपयोग में लाने चाहिए।
(6) सूर्य को सीधा नहीं देखना चाहिए और न ही सूर्य ग्रहण को देखना चाहिए।
(7) स्वस्थ, साफ आँखों के लिए विटामिनयुक्त भोजन खाना चाहिए।

यदि दो समतल दर्पण 40cm की परस्पर दूरी पर समांतर रखे हैं तो दर्पण के बीच का कोण 0° होगा जो 360° का छोटा गुणांक नहीं है। इसलिए वास्तव में प्रतिबिंबों की संख्या असंख्य होनी चाहिए क्योंकि परावर्तनों के कारण, प्रकाश की ऊर्जा |B नष्ट हो जाती है। इसलिए कुंछ ही प्रतिबिंब बनते हैं जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।

उत्तर.
Very nice……..