Class 7th Science Chapter 2. प्राणियों में पोषण
NCERT Solutions for Class 7th Chapter 2. प्राणियों में पोषण – हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वे अपनी क्लास में अच्छे अंक से पास हो ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन या किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न आए. जो विद्यार्थी 7th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 7 विज्ञान अध्याय 2. (प्राणियों में पोषण) के लिए सलूशन दिया गया है.जोकि एक सरल भाषा में दिया है .क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ NCERT Solutions for Class 7th Chapter 2. Nutrition in Animals दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Ch 2. प्राणियों में पोषण के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे
अभ्यास के प्रश्न-उत्तर
(क) मानव पोषण के मुख्य चरण……….,………….,… …….. ,……….एवं ………..है।
(ख) मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम …………….. है।
(ग) आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं …………….. का स्राव होता है, जो भोजन पर क्रिया करते हैं।
(घ) क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर अँगुली के समान अनेक प्रवर्ध होते हैं, जो …………….. कहलाते हैं।
(ङ) अमीबा अपने भोजन का पाचन …………….. में करता है।
उत्तर. (क) अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण, निष्कासन, (ख) यकृत, (ग) पाचक रस, (घ) दीर्घरोम, (ङ) खाद्य धानी।
(क) मंड का पाचन आमाशय से प्रारंभ होता है।
(ख) जीभ लाला-ग्रंथि को भोजन के साथ मिलाने में सहायता करती है।
(ग) पित्ताशय में पित्त रस अस्थायी रूप से भंडारित होता है।
(घ) रूमिनैन्ट निगली हुई घास को अपने मुख में वापस लाकर धीरे-धीरे चबाते रहते हैं।
उत्तर. (क) असत्य, (ख) असत्य, (ग) सत्य, (घ) सत्य।
(i) आमाशय
(ii) मुख
(ii) क्षुद्रांत्र
(iv) बृहदांत्र
(ख) जल का अवशोषण मुख्यतः जिस अंग द्वारा होता है, वह है|
(i) आमाशय ।
(ii) ग्रसिका।
(iii) क्षुद्रांत्र |
(iv) बृहदांत्र
उत्तर. (क) (iii) क्षुद्रांत्र, (ख) (iv) बृहदांत्र।
कॉलम A खाद्य घटक | कॉलम B पाचन के उत्पाद |
(क) कार्बोहाइड्रेट्स (ख) प्रोटीन (ग) वसा | (i) वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल (ii) शर्करा(iii) ऐमीनो अम्ल |
उत्तर.
कॉलम A खाद्य घटक | कॉलम B पाचन के उत्पाद |
(क) कार्बोहाइड्रेट्स (ख) प्रोटीन (ग) वसा | (ii) शर्करा (iii) ऐमीनो अम्ल (i) वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल |
दीर्घरोम-छोटी आंत की आंतरिक भित्ति पर अनेकों अंगुली के आकार के समान उभरी हुई संरचनाएँ पाई जाती हैं, इन्हें दीर्घरोम अथवा रसांकुर कहते हैं।
कार्य-दीर्घरोम पचे हुए भोजन के अवशोषण हेतु आंत्र का आंतरिक सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं तथा पाचित भोजन का अवशोषण कर रक्त में मिलाने का कार्य करते हैं ।।
पित्त रस का निर्माण यकृत में होता है। यकृत लाल-भूरे रंग की व शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है। पित्त रस पिताशय नामक थैली में संग्रहित होता रहता है। पित्त रस वसा के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रूमिनैन्ट अथवा रोमंथी सेलुलोस नामक कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन करते हैं जबकि इसका पाचन मानव नहीं कर सकता। रोमंथी पशुओं में छोटी आंत और बड़ी आंत के बीच एक थैलीनुमा संरचना पाई जाती है जिसमें कुछ विशेष प्रकार के.जीवाणु पाए जाते हैं। इन जीवाणुओं में सेलुलोस को पचाने की क्षमता होती है, जबकि मनुष्य में इन जीवाणुओं के अभाव के कारण सेलुलोस को पचाने की क्षमता नहीं होती।
हमारे शरीर में ग्लूकोस का विघटन ऑक्सीजन की सहायता से कार्बन डाइऑक्साइड और जल में तुरंत हो जाता है। इस प्रक्रम में ऊर्जा मुक्त होती है यही ऊर्जा शरीर के विभिन्न भागों को अति शीघ्र उपलब्ध हो जाती है।
(i) पचे भोजन का अवशोषण ……………..।
(ii) भोजन को चबाना ………………।
(iii) जीवाणु नष्ट करना ……………..।
(iv) भोजन का संपूर्ण पाचन ……………
(v) मल का निर्माण ………….
उत्तर. (i) छोटी आंत में, (ii) मुख में, (iii) आमाशय में, (iv) छोटी आंत में, (v) बड़ी आंत में।
मानव एवं अमीबा के पोषण में एक समानता यह है कि जटिल खाद्य सरल पदार्थों में परिवर्तित होता है और इससे ऊर्जा मुक्त होती है और दोनों में अंतर यह है कि मानव में विकसित पाचन तंत्र पाया जाता है जबकि अमीबा एककोशी जीव होने के कारण इसमें विकसित पाचन तंत्र का अभाव होता है।
कॉलम A | कॉलम B |
(क) लाला-ग्रंथि (ख) आमाशय (ग) यकृत (घ) मलाशय (ङ) क्षुद्रांत्र (च) बृहदांत्र | (i) पित्त रस का स्रवण (ii) बिना पचे भोजन का भण्डारण (iii) लाला रस स्रावित करना (iv) अम्ल का निर्मोचन (v) पाचन को पूरा होना (vi) जल का अवशोषण (vii) मल त्याग |
उत्तर.
कॉलम A | कॉलम B |
(क) लाला-ग्रंथि (ख) आमाशय (ग) यकृत (घ) मलाशय (ङ) क्षुद्रांत्र (च) बृहदांत्र | (iii) लाला रस स्रावित करना (iv) अम्ल का निर्मोचन (i) पित्त रस का स्रवण (ii) बिना पचे भोजन का भण्डारण (v) : पाचन का पूरा होना (vi) जल का अवशोषण एवं (vii) मल त्याग |
दिए गए चित्र के विभिन्न भागों का नामांकन इस प्रकार है
(i) आमाशय,
(ii) पिताशय,
(iii) यकृत,
(iv) अग्न्याशय,
(v) क्षुद्रांत्र,
(vi) बृहदांत्र,
(vii) मलाशय,
(viii) गुदा।
हरी सब्जियों व घास पर जीवनभर निर्वाह करना संभव नहीं है क्योंकि सब्जियों व घास से हमारे लिए सभी आवश्यक पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते। कुछ पोषक तत्त्व अन्न, दालों व दूध आदि से भी प्राप्त होते हैं। अतः सब्जियों (घास) के साथ-साथ अन्य खाद्य पदार्थों का भी हमारे भोजन में शामिल होना आवश्यक है।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
जटिल पदार्थों का सरल पदार्थों में परिवर्तित होना या टूटना विखंडन कहलाता है, इस प्रक्रम को पाचन कहते हैं।
पौधों का मकरंद चूसने वाले दो जीव मधुमक्खी तथा मर्मर पक्षी है।
अपने शिकार को पूरा निगलने वाले प्राणी का नाम अजगर है।
पाचन नली का सबसे पहला भाग मुख-गुहिका है।
मानव पाचन तंत्र के प्रमुख भाग पाचन नली व पाचक रस ग्रंथियाँ हैं।
8 वर्ष की आयु तक शैशवकाल के सभी दाँत गिर जाते हैं।
शैशवकाल के दाँतों का नाम है–दूध के दाँत।
दूध के दाँतों के बाद स्थायी दाँत आते हैं।
लाला-ग्रंथि लाला रस या लार स्राव उत्पन्न करती है।
लार मंड को शर्करा में बदलता है।
दाँतों को हानि पहुँचाने वाले दो पदार्थ चॉकलेट और ठंडे पेय हैं।
ग्रसिका में भोजन के गति करने का कारण आहार नाल में संकुचन होना है।
जब आमाशय खाए भोजन को स्वीकार नहीं करता और उसे बाहर निकाल देता है तो इसे घटना को वमन आना कहते हैं।
आमाशय का आकार चपटा एवं ‘U’ आकार का होता है।
भोजन खाते समय कई बार तेजी से खाँसी आती है, तो इसका कारण भोजन के कणों का श्वास नली में चला जाना होता है।
आमाशय में पहुँचे भोजन में पाए जाने वाले जीवाणुओं को नमकाम्ल रस नष्ट करता है।
आमाशय के आंतरिक अस्तर को श्लेष्मल रस सुरक्षा प्रदान करता है।
यकृत पित्त रस को स्रावित करता है।
इंसुलिन का उत्पादन अग्न्याशय ग्रंथि करती है।
पचा हुआ भोजन छोटी आंत में अवशोषित होता है।
दीर्घरोम या रसांकुर पाचन नली के छोटी आंत में पाए जाते हैं।
पाचित भोजन को अवशोषित करने के लिए तल क्षेत्र को बढ़ाना।
पाचित भोजने रुधिर में मिलने के उपरांत जटिल पदार्थों में बदलता है, इस प्रक्रम को स्वांगीकरण कहते हैं।
ग्लूकोस को खाने के तुरंत बाद ही शरीर को एकदम ऊर्जा मिलती है।
भोजन में उपस्थित जल व लवणों का अवशोषण करना।
जुगाली करने वाले जंतुओं को रोमंथी कहते हैं।
रोमंथी सेलुलोस को पचाने की क्षमता रखते हैं।
छोटी आंत और बड़ी आंत के बीच एक थैलीनुमा संरचना में।
दो एककोशिक जीवों के नाम अमीबा, पैरामीशियम है।
अमीबा के कृत्रिम पाँवों को पादाभ कहते हैं।
पित्त रस पित्ताशय में संग्रहित होता है।
NCERT Solutions for Class 7 Science
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- Class 7th Science Chapter 2. प्राणियों में पोषण
- Class 7th Science Chapter 3 – रेशों से वस्त्र तक
- Class 7th Science Chapter 4 –ऊष्मा
- Class 7th Science Chapter 5 – अम्ल, क्षारक और लवण
- Class 7th Science Chapter 6 – भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
- Class 7th Science Chapter 7 – मौसम, जलवायु तथा जलवायु के अनुरूप जंतुओं द्वारा अनुकूलन
- Class 7th Science Chapter 8 – पवन, तूफान और चक्रवात
- Class 7th Chapter 9. मृदा
- Class 7th Science Chapter 10 – जीवों में श्वसन
- Class 7th Science Chapter 11 – जंतुओं और पादप में परिवहन
- Class 7th Science Chapter 12 – पादप में जनन
- Class 7th Science Chapter 13 – गति एवं समय
- Class 7th Science Chapter 14 – विद्युत धारा और इसके प्रभाव
- Class 7th Science Chapter 15 – प्रकाश
- Class 7th Science Chapter 16 Solutions – जल : एक बहुमूल्य संसाधन
- Class 7th Science Chapter 17 Solutions – वन : हमारी जीवन रेखा
- Class 7th Science Chapter 18 Solutions – अपशिष्ट जल की कहानी
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