Class 7th Science Chapter 5 – अम्ल, क्षारक और लवण
NCERT Solutions Class 7 Science Chapter 5 अम्ल, क्षारक और लवण – जो विद्यार्थी सातवीं कक्षा में पढ़ रहे है . उन्हें Science सब्जेक्ट के ऊपर ज्यादा ध्यान देना चाहिए क्योंकि बहुत से विद्यार्थी Science में कमजोर होते है .इसलिए उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 7th विज्ञान अध्याय 5 (अम्ल, क्षारक और लवण) का सलूशन दिया गया है. इस Class 7th Science Chapter 5 Acids, Bases and Salts की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. हमारी वेबसाइट पर सभी सभी 7 कक्षा के Chapter के सलूशन दिए है अगर यह सलूशन पसंद आपको आए तो अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे. अगर आपको इसमें कुछ पूछना है तो नीचे कमेंट करके पूछ सकते है
अभ्यास के प्रश्न-उत्तर
अम्लों और क्षारकों में अंतर निम्नलिखित हैं
अम्ल | क्षारक |
1. इनका स्वाद खट्टा होता है। 2. अम्ल नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। 3. अम्ल जल में वियोजित होकर H’ (हाइड्रोजन धनायन) देते हैं। 4. ये छूने पर चिकने नहीं होते। 5. अम्ल मीथाइल ऑरेंज के घोल को गुलाबी कर देते हैं। 6. अम्ल फिनॉल्फथेलिन को गुलाबी नहीं बनाते। | 1. इनका स्वाद कड़वा होता है। 2. क्षार लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। 3. क्षार जल में वियोजित होकर OH (हाइड्रॉक्सिल ऋणायन) देते हैं। 4. ये छूने पर चिकने होते हैं। 5. ये उसे गुलाबी से नीला कर देते हैं। 6. ये उसे गुलाबी बना देते हैं। |
इनकी प्रकृति क्षारीय होती है, क्योंकि क्षार ही लाल लिटमस को नीला करते हैं। ये छूने पर साबुन की तरह चिकने होते हैं।
लिटमस विलयनों का स्रोत लाइकेनों या शैक होता है। इससे अम्ल और क्षार की पहचान की जाती है।
आसुत जल उदासीन होता है क्योंकि इसमें नीला या लाल लिटमस डालने पर इसके रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता। यही उदासीन माध्यम या विलयन की पहचान है।
उदासीनीकरण–अम्ल व क्षार अभिक्रिया करके लवण और पानी बनाते हैं, इसे उदासीनीकरण कहते हैं।
उदाहरण
नमकाम्ल + सोडियम हाइड्रोक्साइड ————–सोडियम क्लोराइड + जल इस अभिक्रिया में ऊष्मा भी निर्मुक्त होती है। (लवण)
(क) नाइट्रिक अम्ल लाल लिटमस को नीला कर देता है।
(ख) सोडियम हाइड्रॉक्साइड नीले लिटमस को लाल कर देता है।
(ग) सोडियम हाइड्रॉक्साइड और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक-दूसरे को उदासीन करके लवण और जल बनाते हैं।
(घ) सूचक वह पदार्थ है जो अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में भिन्न रंग दिखाता है।
(ङ) दंत क्षय, क्षार की उपस्थिति के कारण होता है।
(क) F, (ख) F, (ग) T, (घ) T, (ङ) F।।
तीनों पेय की बोतलों में से तीन अलग-अलग बीकरों में कुछ बूंदें पेय की डालो। तीनों में बारी-बारी से नीला लिटमस डालो। जिस बीकर के पेय में नीला लिटमस लाल हो जाता है वह अम्लीय पेय है। उस पेय वाली बोतल को अलग कर दो। अब शेष बचे दो बीकरों में से प्रत्येक में लाल लिटमस डालो। एक बीकर में लाल लिटमस नीला हो जाता है। यह पेय क्षारीय है। इस पेय वाली बोतल को भी अलग कर दो। शेष बची बोतल उदासीन पेय वाली है। अब दोरजी ग्राहकों को उनके मनपसंद पेय प्रस्तुत कर सकता है।
(क) जब आप अतिअम्लता से पीड़ित होते हैं, तो प्रतिअम्ल की गोली लेते हैं।
(ख) जब चींटी काटती है, तो त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाया जाता है।
(ग) कारखाने के अपशिष्ट को जलाशयों में बहाने से पहले उसे उदासीन किया जाता है।
(क) ताकि प्रतिअम्ल की गोली अम्ल के साथ अभिक्रिया करके उसे उदासीन बना दें, जिससे उत्पन्न पीड़ा बंद हो जाएगी।
(ख) चींटी के डंक में फार्मिक अम्ल होता है और कैलेमाइन क्षारीय प्रकृति का होता है। उदासीनीकरण प्रक्रिया के लिए ही जहाँ पर चींटी ने काटा है, कैलेमाइन के विलयन को रगड़ा जाता है। परिणामस्वरूप फार्मिक अम्ल का कष्टकारी प्रभाव समाप्त हो जाता है।
(ग) कारखानों के अपशिष्ट को जलाशय में बहाने से पूर्व उदासीन किया जाता है क्योंकि अपशिष्ट में अम्लीय पदार्थ मिश्रित होता है जो जल में मिलकर उसे अम्लीय बना देता है जिसके कारण जलीय जीवों का जीवन प्रभावित होता है। इसीलिए कारखानों के अपशिष्ट में क्षारीय पदार्थ मिलाकर उसे उदासीन बना दिया जाता है।”
तीनों द्रवों को तीन अलग-अलग परखनलियों में लो। सबसे पहले तीनों परखनलियों में हल्दी पत्र की पट्टियाँ काटकर डालो। एक परखनली में हल्दी पत्रों का रंग लाल-भूरा हो जाता है। अतः इस परखनली में सोडियम हाइड्रोक्साइड (क्षार) का विलयन है। अब इसी परखनली में से अन्य दो परखनलियों से थोड़ा-थोड़ा (अलग-अलग) विलयन डालो। हम देखते हैं कि एक परखनली में से लाल भूरे रंग के विलयन का रंग गायब हो जाता है जबकि दूसरी परखनली के विलयन से ऐसा नहीं होता। लाल भूरा रंग गायब करने वाला विलयन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है जबकि तीसरी परखनली में शक्कर का विलयन विद्यमान है।
जब नीले लिटमस पत्र को विलयन में डुबोया जाता है और यह नीला ही रहता है तो इसका अर्थ है कि विलयन उदासीन है। .
(क) अम्ल और क्षारक दोनों सभी सूचकों के रंगों को परिवर्तित कर देते हैं।
(ख) यदि कोई सूचक अम्ल के साथ रंग परिवर्तित कर देता है, तो वह क्षारक के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।
ग) यदि कोई सूचक क्षारक के साथ रंग परिवर्तित करता है, तो वह अम्ल के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता। (घ) अम्ल और क्षारक में रंग परिवर्तन सूचक के प्रकार पर निर्भर करता है।
ऊपर लिखे वक्तव्यों में से कौन-से वक्तव्य सही हैं?
(i) सभी चार
(ii) (a) (क) और (घ)
(iii) (ख) और (ग) –
(iv) केवल (घ)
(iv) केबल (घ)
अति-लघुत्तरात्मक प्रश्न
अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं।
क्षारकों का स्पर्श चिकना होता है।
क्षारकों के विलयन का स्वाद कड़वा होता है।
अम्ल एवं क्षार की अभिक्रिया से लवण तथा पानी बनता है।
(1) सिरका, (2) दही, (3) इमली, (4) नींबू।
लैक्टिक अम्ल की उपस्थिति के कारण दही खट्टी होती है।
नींबू व संतरे में साइट्रिक अम्ल पाया जाता है।
इमली एवं अंगूर में टार्टरिक अम्ल पाया जाता है।
सेब में मैलिक अम्ल पाया जाता है।
सिरके में ऐसीटिक अम्ल पाया जाता है।
चींटियों एवं मधुमक्खियों के शरीर में फॉर्मिक अम्ल पाया जाता है।
हमारे शरीर में ऐस्कॉर्बिक अम्ल (विटामिन C) पाया जाता है।
हाइड्रोजन परमाणु सभी अम्लों में पाया जाता है।
H,CO, कार्बोनिक अम्ल का रासायनिक सूत्र है।
पालक में ऑक्सेलिक अम्ल पाया जाता है।
(1) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, (2) नाइट्रिक अम्ल।
(1) ऐसीटिक अम्ल, (2) फॉर्मिक अम्ल ।
चूने के पानी में कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड क्षारक होता है।
अमोनियम हाइड्रॉक्साइड एक क्षारक मार्जक है।
सोडियम हाइंड्रॉक्साइड, पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड साबुन में पाए जाते हैं।
मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड का सामान्य नाम मिल्क ऑफ मैग्नीशिया है।
(1) सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH), (२) पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)।
(1) कॉपर हाइड्रॉक्साइड [Cu(OH),], (2) जिंक हाइड्रॉक्साइड [Zn (OH),]
अम्ल + क्षारक → लवण + पानी।
दैनिक जीवन में अम्लता एवं अपच से छुटकारा पाने के लिए सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का उपयोग करते हैं।
किसी पदार्थ के अम्लीय या क्षारीय होने का पता जिस पदार्थ से लगाया जाता है, उसे सूचक कहते हैं।
हल्दी, लिटमस, गुड़हल की पंखुड़ियाँ।
लिटमस सबसे सामान्य प्राकृतिक सूचक है।
लिटमस लाइकेनों (शैक) से प्राप्त होता है।
अम्ल नीले लिटमस पेपर का रंग लाल कर देते हैं।
लिटमस का रंग लाल से नीला करने वाले पदार्थों को क्षार अथवा क्षारक कहते हैं।
ऐसे विलयन जो लाल अथवा नीले लिटमस पत्र के रंग को परिवर्तित नहीं करते, उदासीन विलयन कहलाते हैं।
आसुत जल उदासीन विलयन है।
लाल-भूरे रंग का (साबुन का विलयन क्षारीय होता है)।
गुड़हल का फूल अम्लीय विलयनों का रंग गहरा गुलाबी या मेजेंटा बना देता है।
क्षारीय विलयनों का रंग, गुड़हल के पुष्प से हरा हो जाता है।
अम्ल और क्षारकों की प्रकृति संक्षारक होती है।
क्षारीय विलयन फिनॉल्फथेलिन के साथ गुलाबी रंग देता है।
अम्ल, क्षारों के साथ मिलकर लवण और पानी बनाते हैं, इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण कहते हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड दो अम्लीय गैसें हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड जल में घुलकर कार्बोनिक अम्ल बनाती है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड का वर्षा जल में घुलने से नाइट्रिक अम्ल बनता है।
पेट में अम्लीयता होने पर हम मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड (दूधिया मैग्नीशियम) लेते हैं।
चींटी के डंक मारने पर उत्पन्न पीड़ा को कैलेमाइन विलयन द्वारा कम किया जाता है।
मृदा की अम्लीयता, मृदा की क्षारीयता।
बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड) डालकर मृदा की अम्लीयता को दूर किया जा सकता है।
कारखानों के अपशिष्ट की अम्लीय प्रकृति होती है।
ऐसा यौगिक जिसे पानी में घोलने पर हाइड्रोजन आयन (H+) प्राप्त होते हैं, अम्ल कहलाता है।
ऐसा यौगिक जिसे पानी में घोलने पर हाइड्रोक्लोरिक आयन (OH) प्राप्त हो, क्षार कहलाता है।
जब अम्ल क्षारों के साथ क्रिया करते हैं, तो लवण बनता है।
वे रासायनिक यौगिक जो जल में वियोजित होकर अम्लों को उदासीन करते हैं, क्षारक कहलाते हैं।
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