सांख्य में तत्त्वों की संख्या है
(A) पच्चीस(B) छब्बीस
(C) पन्द्रह
(D) सोलह
यथार्थ अनुभव को न्याय की शब्दावली में कहा गया है
(A) प्रमाण(B) आदर्श
(C) प्रमा
(D) करण
‘किमिव मधुराणां मण्डनं नाकृतीनाम्’ पंक्ति ग्रहण की गयी है
(A) कादम्बरी से(B) अभिज्ञान शाकुन्तलम् से
(C) शिशुपालवधम् से
(D) मृच्छकटिकम् से
भाषा की कौन-सी प्रकृति सत्य नहीं है
(A) भाषा प्रतीकों की एक व्यवस्था है।(B) जिन प्रतीकों से भाषा का निर्माण होता है उन्हें वाक् प्रतीक कहते हैं।
(C) प्रत्येक समुदाय में भाषा एक होती है।
(D) भाषा सम्बन्धी प्रतीक यादृच्छिक होते हैं।
‘तत्वमसि’ वाक्य के अर्थबोध हेतु स्वीकार की जाती है
(A) जहल्लक्षणा(B) अजहल्लक्षणा
(C) भागलक्षणा
(D) व्यन्जना
‘अनुविष्णु’ समस्त पद का विग्रह होगा-
(A) अनुविष्णोः(B) विष्णोः पश्चात्
(C) अनुगर्ता विष्णुम्
(D) विष्णोरतुयायी
बाणभट्ट ने अपनी कादम्बरी का लेखन किया है
(A) पांचाली रीति में(B) वैदर्भी रीति में
(C) गौड़ी रीति में
(D) लाटी रीति में
संकेतित अर्थ को देने वाला शब्द कहलाता है
(A) वाचक(B) लक्षक
(C) व्यञ्जक
(D) गौण
‘किमिव ही दुष्करमकरुणानाम्’ सूक्ति ग्रहण की गयी है
(A) नलचम्पू से(B) शिशुपालवध से
(C) अभिज्ञान शाकुन्तलम् से
(D) कादम्बरी से
नागानन्द की नायिका का क्या नाम है?
(A) इरावती(B) मलयवती
(C) वयुलक्ष्मी
(D) मदनिका
‘नलचम्पू’ विभक्त किया गया है-
(A) अध्यायों में(B) अंकों में
(C) उच्छवासों में
(D) सर्गों में
‘कुन्ती’ शब्द से ‘कौन्तेय’ पद बनता है अधोलिखित सूत्र से-
(A) ‘तस्यापत्यम’ सूत्र से(B) ‘स्त्रीभ्यो ढक्’ सूत्र से
(C) ‘अत इञ्’ सूत्र से
(D) ‘लुक् स्त्रीयाम्’ सूत्र से
‘अनुपपद्यमानार्थदर्शनात् पदुपपादकी भूतार्थान्तरकल्पनम्’ यह लक्षण है-
(A) अभाव का(B) अर्थापत्ति का
(C) शरीर का
(D) असमवायि कारण का
तर्कभाषा में शब्दप्रमाण का लक्षण है
(A) आप्तवाक्यं शब्दः(B) वेदोक्तं वाक्यं शब्दः
(C) शास्त्रोक्तं शब्दः
(D) लोकवाक्यं शब्दः स्वागतयोग्य
नाटक में ‘स्वागतम्’ का अर्थ है
(A) अश्राव्य(B) सर्वश्राव्य
(C) स्वागतयोग्य
(D) स्वयं गाया हुआ
संयोगादि के द्वारा अनेकार्थक शब्दों के वाचकत्व के नियंत्रित होने पर वाच्यार्थ से भिन्न अर्थ की प्रतीति कराने वाले व्यापार को कहा जाता है
(A) तात्पर्या(B) अभिधा
(C) व्यञ्जना
(D) लक्षणा
सांख्य दर्शन में रजोगुण होता है
(A) स्थिर(B) उपष्टम्भक तथा चल
(C) अनुष्टम्भक तथा अचल
(D) लघु तथा प्रकाशक
अपादान कारक में विभक्ति होती है
(A) चतुर्थी(B) पंचमी
(C) सप्तमी
(D) तृतीया
अनुमान प्रमाण के भेद हैं
(A) उपमान तथा प्रत्यक्ष(B) अर्थापत्ति तथा अभाव
(C) स्वार्थ तथा परार्थ
(D) षोठासन्निकर्ष तथा व्याप्ति
शिशुपालवध के अनुसार शिशुपाल है
(A) हिरण्यकशिपु का जन्मान्तर(B) कंस का जन्मान्तर
(C) रावण का जन्मान्तर
(D) जालन्धर का जन्मान्तर
बाणभट्ट का समय स्वीकार किया जाता है
(A) 202 ई. पू. लगभग(B) 303 ई. पू. लगभग
(C) 606 ई. पू. लगभग
(D) इनमें से कोई नहीं
‘वरं विरोधोऽपि समं महात्मभिः’ किस ग्रन्थ से संबंधित है
(A) उत्तररामचरितम्(B) मेघदूत
(C) किरातार्जुनीयम्
(D) कादम्बरी
अधोलिखित में से लक्षणा के लिए कौन-सा हेतु अपेक्षित नहीं है
(A) मुख्यार्थ वाध(B) समवायसम्बन्ध
(C) रूढ़ि
(D) प्रयोजन
न्याय दर्शन के अनुसार लिंगत्व का लक्षण है
(A) उपाधित्वं लिंगत्वम्(B) अव्याप्तिबनार्थगमकं लिंगम्
(C) व्याप्तिबलेनाऽर्थगमकत्वं लिंगत्वम्
(D) धूमाग्नोः स्वाभाविक सम्बन्धं लिंगम्
नाटक के मंगलाचरण को कहा जाता है
(A) मंगलाशासन(B) नन्दिताकरण
(C) नान्दी
(D) वेदस्तवत