‘सम्पत्स्यन्ते कतिपयदिनस्थायिहंसा दशार्णा”-इस श्लोकांश में दशार्णा’ है एक-
(A) देश(B) पर्वत
(C) नदी
(D) यक्ष
अव्ययीभाव समास की सिद्धि होने पर सम्पूर्ण पद हो जाता है
(A) स्त्रीलिंग(B) पुलिंग
(C) क्लीवलिंग
(D) तीनों लिंग
‘विष्णोः पश्चात्’ का सम्पूर्ण पद है
(A) अनुविष्णु(B) उपविष्णु
(C) उपविष्णवे
(D) अनुविष्णोः
‘निर्मक्षिकम्’ में समास है
(A) नञ समास(B) द्वितीया तत्पुरुष
(C) सप्तमी तत्पुरुष
(D) अव्ययीभाव
‘नखभिन्नः’ में समास है
(A) अव्ययीभाव(B) तृतीया तत्पुरुष
(C) पंचमी तत्पुरुष
(D) कर्मधारय
षष्ठी तत्पुरुष युक्त समास है
(A) दूरादांगतः(B) राजपुरुषः
(C) कुम्भमृत्तिका
(D) शंकुखण्ड
समास में प्रथम शब्द संख्यावाचक हो तो वह द्विगु होगा जब दूसरा शब्द हो
(A) संज्ञा(B) अव्यय
(C) विशेषण
(D) उपसर्ग
‘पीताम्बर’ में समास है
(A) बहुब्रीहि(B) द्विगु
(C) कर्मधारय
(D) पंचमी तत्पुरुष
‘बालक’ शब्द का द्वितीया बहुवचन का रूप है
(A) बालकाः(B) बालकान्
(C) बालकेन्
(D) बालकै
‘कवि’ शब्द का पंचमी एकवचन का रूप है
(A) कवेः(B) कवीन्
(C) कवये
(D) कवी
‘सुधियम्’ किस विभक्ति का रूप है?
(A) द्वितीया(B) तृतीया
(C) चतुर्थी
(D) पंचमी
‘पंचमी’ विभक्ति में ‘भानु’ का सही रूप होगा-
(A) भावने(B) भानू
(C) भानुना
(D) भानोः
‘स्वयम्भुवि’ किस विभक्ति का रूप है?
(A) तृतीया(B) चतुर्थी
(C) षष्ठी
(D) सप्तमी
‘फलानाम’ किस विभक्ति का रूप है?
(A) चतुर्थी(B) पंचमी
(C) षष्ठी
(D) सप्तमी
षष्ठी विभक्ति में ‘दधि’ का सही रूप होगा-
(A) दध्नोः(B) दधीनि
(C) ददिभ्यः
(D) दधना
‘अभिनिविशश्च’ सूत्र है
(A) करण कारक का(B) कर्म कारक का
(C) सम्प्रदान कारक का
(D) अपादान कारक का
‘अमितः’ के योग में विभक्ति होती है
(A) प्रथमा(B) द्वितीया
(C) तृतीया
(D) पंचमी
तृतीया विभक्ति तब होती है, जब-
(A) काल अर्थ द्योतित हो(B) हीन अर्थ द्योतित हो
(C) अनादर अर्थ द्योतित हो
(D) क्रय-विक्रय अर्थ द्योतित हो
‘येनांगविकारः’ सूत्र है-
(A) करण कारक का(B) कर्म कारक का
(C) सम्प्रदान कारक का
(D) अपादान कारक का
“बालकाय मोदका रोचन्ते” वाक्य में ‘बालकाय’ है-
(A) द्वितीया विभक्ति में(B) तृतीया विभक्ति में
(C) चतुर्थी विभक्ति में
(D) पंचमी विभक्ति में
जब ‘क्रुध् तथा ‘द्रुह’ उपसर्ग सहित हो तो जिसके प्रति क्रोध या द्रोह किया जाता है वह होता है-
(A) कर्म संज्ञा वाला(B) करण संज्ञा वाला
(C) सम्प्रदान संज्ञा वाला
(D) अपादान संज्ञा वाला
अपादान कारक मूलतः प्रयुक्त होता है-
(A) संयोग के अर्थ में(B) वियोग के अर्थ में
(C) पराजित करने के अर्थ में
(D) दया करने के अर्थ में
‘धातु’ होता है-
(A) दो प्रकार का(B) तीन प्रकार का
(C) चार प्रकार का
(D) पाँच प्रकार का
‘आसन्न भविष्य’ के लिये प्रयुक्त होता है-
(A) लिट(B) लुट
(C) लुट
(D) लङ्
‘भू’ धातु का रूप लोट् लकार मध्यम पुरुष एक वचन में होगा-
(A) भव(B) भवः
(C) अभवः
(D) अभवम्