NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 16 अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 16 अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 16 अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान अध्याय 16 (अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 16 National Environmental Issuesदिया गया है वह आसन भाषा में दिया है. ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आपNIOSClass 12 Environmental Science Chapter 16 अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 16 Solution – अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

प्रश्न 1. संसाधनों व प्राकृतिक संसाधनों को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- संसाधन वे होते हैं जो उपयोगी हों या फिर मनुष्य की अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए उपयोगी बनाए जा सकते हों जबकि प्राकृतिक संसाधन वे होते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप में उपयोग के लिए प्रकृति से प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 2. प्राकृतिक संसाधनों के पाँच उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – सौर ऊर्जा, हवा, पानी, मृदा, वन, खनिज, जीवाश्म ईंधन आदि प्राकृतिक संसाधनों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 3. हमारे प्राथमिक ऊर्जा के स्रोत कौन-कौन से हैं? ये प्रकृति में किस प्रकार उत्पन्न होते हैं?
उत्तर– हमारे प्राथमिक ऊर्जा में स्रोत कोयला, अपरिष्कृत तेल (पेट्रोलियम), प्राकृतिक गैस हैं। जब पौधे एवं प्लवक कठोर
चट्टानों के नीचे लाखों वर्ष तक दबे रहते हैं, तो ये उस रूप को धारण कर लेते हैं।

प्रश्न 4. भारत के उस क्षेत्र का नाम बताइए जहाँ सबसे अधिक पेट्रोलियम उत्पादन होता है।
उत्तर – भारत में सबसे अधिक पेट्रोलियम उत्पादन का क्षेत्र मुंबई हाई है।

प्रश्न 5. लिग्नाइट एवं एन्थ्रासाइट क्या हैं? इनमें क्या अन्तर हैं?
उत्तर – लिग्नाइट एवं एन्थ्रासाइट कोयले के रूप हैं। लिग्नाइट भूरे रंग का कोयला होता है, जिसमें ऊष्मा की मात्रा कम होती है। जबकि एन्थ्रासाइट एक कठोर कोयला होता है, जिसमें ऊष्मा की मात्रा ज्यादा होती है।

प्रश्न 1. खनिजों को आप किस प्रकार वर्गीकृत कर सकते हैं?
उत्तर- खनिजों को मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा जाता है- धात्विक खनिज एवं अधात्विक खनिज । धात्विक खनिजों को फिर से दो वर्गों में बाँटा जाता है लौह धात्विक खनिज एवं अलौह धात्विक खनिज । लौहयुक्त धात्विक खनिज आयरन, मैंगनीज व क्रोमाइट हैं तथा अलौह धात्विक खनिज सोना, चाँदी, ताँबा, टिन, जिंक, एल्युमिनियम हैं। अधात्विक खनिज चूना पत्थर, डोलामाइट, माइका, जिप्सम, फास्फेट आदि हैं।

प्रश्न 2. हेमेटाइट, मैग्नेटाइट और लिमोनाइट क्या हैं?
उत्तर– हेमेटाइट, मैग्नेटाइट और लिमोनाइट लौह अयस्क हैं। हेमेटाइट और मैग्नेटाइट में उच्च गुणवत्ता वाला लौह अयस्क होता है जबकि लिमोनाइट में निम्न गुणवत्ता वाला लौह अयस्क होता है ।

प्रश्न 3. चूना पत्थर किसे कहते हैं? इसका क्या उपयोग है?
उत्तर- चूना पत्थर एक अधात्विक खनिज है जो कि कैल्साइट तथा आर्गेनाइट से मिलकर बना है, जो कि विभिन्न क्रिस्टल होते हैं तथा मिलकर कैल्यिशम कार्बोनेट बनाते हैं। कई चूना पत्थर समुद्री जीवों के कंकाल से बने होते हैं जैसे कोरल आदि । चूना पत्थर का प्रयोग सीमेंट उद्योग, आयरन एवं स्टील उद्योग, चीनी उद्योग, कागज उद्योग तथा फैरोमैंगनीज उद्योगों में होता है।

प्रश्न 4. भारत में कौन-सा क्षेत्र अभ्रक उत्पादन में सबसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर- भारत में अभ्रक उत्पादन में सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बिहार व झारखण्ड हैं।

प्रश्न 5. आप किस प्रकार से खनिज की कमी को रोक सकते हैं?
उत्तर- खनिजों की कमी को रोकने के लिए आपूर्ति का पुनः उपयोग तथा पुनः चक्रण, अपशिष्ट रहित, उपयोगी विकल्प की खोज जैसे प्लास्टिक और फाइबर, खनिजों का अवक्षय रोक सकता है।

प्रश्न 1. सतत् या निरपेक्ष नवीकरणीय एवं सशर्त प्राकृतिक संसाधन में अंतर बताइए ।
उत्तर– सतत् या निरपेक्ष नवीकरणीय साधन, वे प्राकृतिक संसाधन हैं, जो मनुष्य के जीवन काल में हमेशा के लिए बने रहते हैं जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि, जबकि सशर्त प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं, जिनको पुनः उत्पादित या अपरिवर्तित बनाया जा सकता है, जिससे वे समाप्त होने से बचे रहें, जैसे-भूमि, मृदा, स्वच्छ जल आदि ।

प्रश्न 2. मृदा किस प्रकार अनवीकरणीय संसाधन बन सकती है?
उत्तर – मृदा एक अनवीकरणीय संसाधन है, क्योंकि इसका अति उपयोग इसे घटा देता है तथा नवीकरण बहुत लम्बा समय लेता है। शीर्ष मृदा की एक इंच परत के बनने में 200 से 1000 साल लग जाते हैं। मृदा अपरदन मृदा निर्माण की दर से काफी तेज होता है। इस प्रकार मृदा एक अनवीकरणीय संसाधन बन जाती है क्योंकि शीर्ष मृदा, मृदा अपरदन व अति चारण से हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 3. आधुनिक कृषि के लिए जैव विविधता का क्या महत्त्व है?
उत्तर – आधुनिक कृषि के लिए जैव विविधता बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह नई फसलों के स्रोत के रूप में, नए जैव निम्नीकृत कीटनाशकों के रूप में तथा सुधारित नस्लों के प्रजनन के लिए पदार्थ स्रोत के रूप में कार्य करती है।

प्रश्न 4. उस प्रमुख पारितंत्र का नाम बताइए जहाँ पर स्पीशीज रहती हैं व उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर- पारितंत्र जहाँ पर स्पीशीज रहती हैं व उत्पन्न होती हैं। वे हैं – वन, घास के मैदान, समुद्र आदि ।

अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. प्राकृतिक संसाधनों की परिभाषा लिखिए। दो निरपेक्ष नवीकरणीय प्राकृतिक स्रोतों के नाम लिखिए ।
उत्तर – मानव को निरपेक्ष रूप से प्रकृति से मिलने वाले संसाधन को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। पृथ्वी पर छह अरब से अधिक लोग रहते हैं। सांस लेने के लिए हवा, खाने के लिए भोजन तथा पीने के लिए पानी सभी को चाहिए। हमें आवास, कपड़े और अन्य कार्यों के लिए भी सामग्री की जरूरत है। ये सब हमें पृथ्वी से मिलते हैं।

पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राकृतिक संसाधन दो श्रेणियों में विभाजित किए जाते हैं: नवीकरणीय (या अनवीकरणीय) और अनवीकरणीय (या नवीकरणीय) । किस स्रोत का नवीकरण हो सकता है या नहीं, यह नवीकरण में लगने वाले समय पर निर्भर करता है। पेड़-पौधे, मछली, ऑक्सीजन और स्वच्छ जल नवीकरणीय संसाधन हैं क्योंकि वे निरंतर पैदा होते हैं। स्वच्छ जल पृथ्वी पर पुनःचक्रण, स्वच्छ हवा, पेड़-पौधों द्वारा छोड़ी गई 0 और मछलियों द्वारा स्वयं प्रजनन करके नवीकरण करता है। जलीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि प्राकृतिक नवीकरणीय स्रोत हैं।

सौर ऊर्जा: सूर्य एक घंटे में पृथ्वी पर इतनी ऊर्जा छोड़ता है। साल भर में जो ऊर्जा हम उपयोग करते हैं यदि मनुष्य इस ऊर्जा को संचित कर सकता है, तो उसे अन्य स्रोतों की जरूरत ही नहीं होगी। सौर ऊर्जा अब पानी को गर्म करने, खाना बनाने और बिजली बनाने में प्रयोग की जाती है। पवन ऊर्जा: पवन ऊर्जा को पुराने समय में नावों को चलाने में भी इस्तेमाल किया जाता था। करीब दो हजार वर्ष पूर्व पवन चक्की बनाई गई थी। भारत पवन ऊर्जा उत्पादन में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। पवन ऊर्जा हवा की गति पर बनाता है। ऊँचाई पवन की गति को बढ़ाती है। नई तकनीक से निर्मित टरबाइनों ने बिजली की खपत कम की है।

प्रश्न 2. दूरसंचार में आप किस प्रकार सीसे और स्टील का प्रयोग कम कर सकते हैं?
उत्तर – दूरसंचार में सीसे और स्टील का प्रयोग कम करने के लिए विकल्प के तौर पर प्लास्टिक का प्रयोग किया जा सकता है। फाइबर या प्लास्टिक या कांच के साथ प्रयोग करने पर डाटा अधिक दूरी तक भेजा जा सकता है। उदाहरण के लिए दूरसंचार, ताँबे की तारों के साथ केवल 3000 टेलीफोन कॉल एक समय में भेज सकता है जबकि फाइबर आप्टिक के प्रयोग से एक समय में 31000 कॉल सिग्नल एक साथ भेजे जा सकते हैं।

प्रश्न 3. अभ्रक के संश्लेषित प्रतिस्थानिक का क्या महत्त्व है?
उत्तर – अभ्रक के संश्लेषित प्रतिस्थानिक ने उत्पादन और आयात को कम कर दिया है। अभ्रक के संश्लेषित प्रतिस्थानिक शीटें कई कामों में प्रयोग की जाती हैं, जैसे X किरणों के लिए विंडोज और मोनोक्रोमेटर; न्यूट्रॉन डिफ्रेक्शन; माइक्रोवेव और ऑप्टिक; इलेक्ट्रिकल वेक्यूम में उच्च तापमान पर स्थान; और उच्च दाब बॉयलर में पानी के गॉज. ये शीटें नए उद्योगों और विज्ञान की नई खोजों में भी महत्वपूर्ण हैं.

प्रश्न 4. समुद्री तली मैंगनीज ग्रंथियों से समृद्ध है लेकिन लोगों को उसके खनन से दूर रखा जाता है। कोई दो कारण बताइए |
उत्तर – समुद्री तली मैंगनीज ग्रंथियों से समृद्ध है लेकिन लोगों को उसके खनन से दूर रखा जाता है क्योंकि-
(i) इनको विशालकाय निर्वात पम्पों की सहायता से चूषण विधि करीब 5 से 6 कि.मी. गहराई से निकालने पर तथा समुद्र के ऊपरी परत तक लाने के लिए द्वारा खनन जहाज द्वारा निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में काफी धन खर्च करना पड़ता है।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय समुदाय खनन के लिए भारी टैक्स की माँग करते हैं।

प्रश्न 5. एक खनिज तत्त्व कब आर्थिक रूप से समाप्त हो सकता है?
उत्तर- खनिज पदार्थ का पता लगाने, निकालने, परिवहन और शेष भंडार को संसाधित करने की लागत जब अधिक हो जाती है, तो वह आर्थिक रूप से समाप्त हो सकता है।.क्योंकि इन खनिजों को खनन करने और उनके लिए आवश्यक श्रम की लागत देश-देश में बदलती रहती है जब कोई खनिज अधिक है, तो उसकी मूल्यवान कीमत लोगों के पास है।

प्रश्न 6. कोई चार तरीके बताइए जिससे खनिजों के अपक्षय को रोका या कम किया जाता है।
उत्तर- खनिजों के अपक्षय को कम करने और नियंत्रित करने के लिए पाँच विकल्प हैं: पुनर्चक्रण या विद्यमान आपूर्ति का पुनर्गठन; उपयोग; अपशिष्ट रहित, अनुपयोगी; एक विकल्प खोजना या बिना विकल्प के काम करना; या बिना विकल्प के काम करना। संसाधन की कीमत बढ़ती है जब उसकी कमी होती है। इससे नए भंडारों की खोज की प्रेरणा मिलती है, बेहतर खनन प्रौद्योगिकी का निर्माण तेजी से होता है और कम गुणवत्ता वाले अयस्कों का खनन करने से लाभ मिलता है। ये संसाधन संरक्षण और विकल्पों की खोज को प्रेरित करते हैं। खनिज अपक्षय को रोका जा सकता है, प्लास्टिक और काँच जैसे कई उपलब्ध विकल्पों से।

टेलिकम्यूनिकेशन में प्लास्टिक की जगह लैड और स्टील का प्रयोग कम हो गया है। ग्लास फाइबर के स्थान पर टेलीफोन केबल में ताँबों के तार लगने लगे हैं। अभ्रक के संश्लेषित विकल्प ने उत्पाद और आयात दोनों को घटाया है। अयस्क से धातु निष्कर्षण के लिए सूक्ष्म जीवों का प्रयोग करना खनन विधि को सुधारने का एक उपाय है। धातु खनन के लिए पर्यावरण अनुकूल विधि को जैव खनन या पारिस्थितिकी इंजीनियरी कहते हैं। नैनो टेक्नोलोजी के विज्ञान में, दवा और सोलर सेल से लेकर ऑटोमोबाइल के ढाँचों का उत्पादन और निर्माण कार्य तक परमाणु के अपरिमित सामर्थ्य का प्रयोग होता है। नैनो टेक्नोलॉजी से बनाए गए नए पदार्थों ने कई खनिजों की जगह ले ली है।

प्रश्न 7. जैव खनन क्या है और इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर- जैव खनन, धातु को अयस्क से निकालने के लिए सूक्ष्म जीवों का प्रयोग करके खनन तकनीकों को सुधारना है। “जैव-खनन” और “पारिस्थतिकी इंजीनियरी” इसके नाम हैं। यह आर्थिक रूप से और पर्यावरणीय रूप से बेहतर तरीका है कि धातु प्राप्त करें। जैव खनन तरीकों से आज विश्व में ताँबे के उत्पादन का 30% मिलता है। कम गुणवत्ता वाले अयस्कों के लिए जैव खनन एक बहुत सस्ती तकनीक है।

प्रश्न 8. भूमि अपक्षीर्णन के प्रमुख कारण क्या हैं? भूमि अपक्षीर्णन को किस तरह रोकना चाहिए?
उत्तर- मानव भूमि का विभिन्न प्रक्रियाओं, जैसे – कृषि, उद्योग घर निर्माण, मनोरंजन आदि के लिए प्रयोग करता है, जो कि भूमि के अपक्षीर्णन का कारण है। अपक्षीणिति भूमि में फसलों और पौधों की वृद्धि स्थिर रखने की क्षमता में कमी होती है। मृदा निर्माण एक ती है। मदा निर्माण एक मृदा की एक इंच परत के बनने में सामान्य रूप से 200 से 1000 साल तक का समय लगता है और मृदा अपरदन मृदा बनने की दर की तुलना में काफी तेजी से होता है। मृदा अपरदन एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। मृदा अपरदन का मुख्य कारण भूमि का अपक्षीर्णन है। भूमि अपक्षीर्णन को निम्न तरीकों से रोका जा सकता है- भूमि की सुरक्षा वनस्पति उगाकर की जा सकती है और उसे मृदा अपरदन से बचा सकते हैं। मृदा अपरदन एवं भूस्खलन को रोककर, मृदा उर्वरता को नियमित रखकर जैव विविधता को बढ़ावा देकर तथा आर्थिक वृद्धि को नियमित रखकर ।

प्रश्न 9. निरपेक्ष नवीकरणीय संसाधन कौन से होते हैं? दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर- निरपेक्ष नवीकरणीय संसाधन उपयोग के बावजूद समाप्त नहीं होते। उदाहरण के लिए सौर, वायु और ज्वारीय ऊर्जा सौर ऊर्जा: सूर्य हर दिन पृथ्वी पर ऊष्मा और प्रकाश के रूप में प्रवाहित करता है, चाहे हम उसका प्रयोग करें या नहीं। मनुष्य जीवन भर इस ऊर्जा का उपयोग कर सकता है। सौर ऊर्जा को नियंत्रित रूप से अंतरिक्ष और पानी को गर्म करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं या भाप बनाकर बिजली बना सकते हैं। वायु ऊर्जा: सौर ऊर्जा वायु में अपरोक्ष रूप से होती है और पवन चक्कियों से बिजली बनाई जा सकती है। भारत के तटवर्ती क्षेत्र विशेषकर पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन करने के लिए अनुकूल हैं। ज्वारीय ऊर्जा: उच्च ज्वारीय तरंग ज्वारीय ऊर्जा पैदा कर सकते हैं।

प्रश्न 10. अलवण जलीय जल संसाधनों की कमी को रोकने के लिए कोई दो विधियाँ बताइए ।

उत्तर- अलवण जल संसाधनों की कमी को रोकने के लिए जल की उपलब्धता को कई तरीकों से बढ़ाया जा सकता है। जल संसाधनों की कमी को रोकने के कुछ उपायों में कारगर प्रयोग को बढ़ावा देना, जल का पुनः चक्रण करना, बाढ़ के पानी को रोकना और एकत्रित करना, वर्षा जल को एकत्रित करना, समुद्री जल को लवणयुक्त करना आदि शामिल हैं। नदियों का बहाव नियमित करके बाढ़ को रोका जा सकता है और सूखे के समय में नदियों का बहाव बढ़ाकर बांध बनाकर जलीय पारितंत्र को बचाया जा सकता है।

प्रश्न 11. वे तीन स्तर कौन से हैं, जिनमें विविधता पाई जाती है?
उत्तर – जैव विविधता सभी जीवों की भिन्न किस्में है-भिन्न पौधे, जन्तु व सूक्ष्म जीव । जैव विविधता तीन स्तरों पर पाई जाती है- आनुवांशिक विविधता, स्पीशीज विविधता तथा पारिस्थितिकी विविधता । जैव विविधता के तीन स्तर हैं-

(i) आनुवंशिक विविधता – किसी भी जीव व पौधों प्रत्येक सदस्य आनुवंशिकी में एक-दूसरे से भिन्न होता है, क्योंकि जीवों में लैंगिक जनन के साथ पुनर्संयोजन के कारण प्रत्येक जीव में कुछ गुण होते हैं।

(ii) स्पीशीज विविधता– स्पीशीज विविधता का अर्थ है किसी भौगोलिक क्षेत्र में कई किस्म की स्पीशीज । स्पीशीज विविधता से मापा जाता है। विविधता को स्पीशीज समृद्धि, स्पीशीज बहुल्य तथा जातिवृतीय

(iii) पारितंत्रीय विविधता – पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के पारितंत्र पाए जाते हैं, जिनमें पर्यावासों के आधार पर अन्तर पाया जाता है।

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