NIOS Class 10 Psychology Chapter 16 सामाजिक और शैक्षिक समस्याएँ

प्रश्न 3. विकासशील देश के रूप में भारत में व्याप्त सामाजिक समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- भारतवर्ष एक देश है जो विकास कर रहा है। पानी को सार्वजनिक क्षेत्र में पूर्ण विकसित और आत्मनिर्भर बनाने में अभी बहुत उपलब्धियां हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कुछ महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। जनसंख्या विकास की चहुंमुखी स्थिति बड़ी अपेक्षाओं की मांग करती है। अभावग्रस्त आर्थिक तंत्र के लिए इसके लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता होगी। इसलिए, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में संतुलन बनाना किसी भी प्रजातांत्रिक देश के लिए बहुत मुश्किल होता है। इसके बावजूद, कुछ बड़ी समस्याएं पूरे विकास को खतरा बना रहे हैं। निम्नलिखित गंभीर मुद्दे हैं: गांव से शहरों की ओर पलायन के कई कारण हैं, जिनमें सुख-सुविधा सम्पन्न जीवन की इच्छा, पर्याप्त रोजगार के साधन, अधिक रोजगार के अवसर और आधुनिक मनोरंजन के साधन शामिल हैं। शहरों पर दबाव बढ़ा है।

वर्तमान साधनों के रहते, शहर एक सीमित संख्या तक ही बढ़ती जनसंख्या का सामना कर सकता है। क्योंकि बिजली, पानी, स्कूल, चिकित्सालय, परिवहन, यातायात के साधन, पर्याप्त आवास सुविधाएं, आदि की आवश्यकताओं को पूरा करना मुश्किल हो रहा है, और जन-सुविधाओं की सीमित उपलब्धता से स्थिति तनावपूर्ण हो रही है। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, बंग्लौर और चेन्नई के सभी बड़े शहरों में सुविधाओं की कमी ने बड़ी समस्याओं को जन्म दिया है।

यह कुछ बुरे परिणामों को जन्म देता है, जैसे अनधिकृत और अवैध झुग्गी-झोंपड़ियां, जिसमें अवैध गतिविधियां, अपराध, तंग बस्तियों का फैलाव, कूड़ा-कचरे का निपटान, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, कुपोषण आदि। कई शहर में अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और पर्यावरण व्यवस्था अनियंत्रित हैं। व्यक्तिवाद और उपभोक्तावाद की प्रवृत्तियां शहरीकरण से पैदा हुई हैं। उपभोक्तावाद व्यक्तिगत उपभोग के लिए साधनों का शोषण करता है, बिना समाज या पर्यावरण की चिंता किए। इससे पारिस्थितिकी का असंतुलन हुआ, जो आजकल आम है।

निरक्षरता: किसी भी देश के विकास के रास्ते में निरक्षरता एक और महत्वपूर्ण बाधा है। इसका सामना समाज कर रहा है। यह दुःख की बात है कि लगभग दो शताब्दी पूर्व अंग्रेजों के आगमन के साथ जिस देश में साक्षरता का स्तर बहुत ऊंचा था, वह देश में साक्षरता का स्तर बहुत ऊंचा था। यही देश आज निरक्षरता से जूझ रहा है। लिखने-पढ़ने की क्षमता के अभाव में लोग सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने से बच जाते हैं। इन लोगों को अलग-अलग चीजों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है और इसी प्रक्रिया में शोषण भी सहना पड़ता है।

सरकार अब सभी को प्राथमिक शिक्षा देने की कोशिश कर रही है, क्योंकि कुछ बुरे परिणाम हैं। वास्तव में, पढ़ने-लिखने की क्षमता के अभाव में व्यक्ति महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित रह जाता है। इसके लिए एक शिक्षित व्यक्ति से उम्मीद की जाती है कि वह निरक्षर और अनपढ़ लोगों के लिए साक्षरता अभियान में सफलतापूर्वक भाग ले।

भ्रष्टाचार-आचरणगत भ्रष्टाचार व्यक्तिगत स्तर पर व्यक्तिगत मामला हो सकता है, लेकिन जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद पर नियुक्त होता है, तो उसका कर्तव्य है कि वह उसी ईमानदारी से काम करे जिसके लिए वह नियुक्त हुआ है। लेकिन ऐसा होता है कि सार्वजनिक पद पर बैठा व्यक्ति अपने स्वार्थों की वजह से कर्तव्यों को पूरी तरह से नहीं निभा पाता और एक प्रकार की अमानत में रहता है। सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार इसी तरह होता है। वास्तव में, भ्रष्टाचार ऐसे लेन-देन या आदान-प्रदान से होता है जिससे अनचाहा लाभ कुछ ऐसे लोगों को मिलता है जो उसके हकदार नहीं हैं। इस लाभ में धन लाभ के रूप में रिश्वत देना, या भौतिक व सामाजिक संसाधनों के रूप में रिश्वत देना, जैसे रुपये के रूप में बिल्डर इंजीनियर को रिश्वत देना

चाहे ये समस्याएं शहरीकरण, निरक्षरता या भ्रष्टाचार की हों, वे जीवन के कई हिस्सों से जुड़ी हैं। इसके समाधान के लिए कई विषयों से जुड़े उपायों की आवश्यकता है।
यही कारण है कि मनोविज्ञान की भूमिका महत्वपूर्ण है। मनोविज्ञान व्यवहार से जुड़ा हुआ है और देखा जाए तो दृष्टिकोण, भावनाएं और व्यवहार में सुधार बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें मनोविज्ञान का योगदान होता है।

प्रश्न 4. गरीबी और उसके कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ग़रीबी एक व्यक्तिपरक और वस्तुपरक शब्द है। वस्तुपरक दृष्टि से गरीबी एक अमानवीय स्थिति है, जिसमें लोगों की आधारभूत जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं। उसकी आय बहुत कम है। ऐसे हालात में कोई भी व्यक्ति अपने, अपने परिवार और बच्चों का उचित भोजन, शिक्षा, चिकित्सा आदि प्रबंध नहीं कर सकता। वह भूख और अभावों में जीता है।

गरीबी के कारण – गरीबी के बहुत से कारण हैं जो व्यक्ति में भी निहित हैं और सामाजिक ढांचे या लोगों की संस्कृति में समाविष्ट हैं।
1. व्यक्ति में निहित-बड़ा परिवार, शिक्षा का अभाव, कार्य क्षमता का अभाव, गिरता स्वास्थ्य, भूख, बीमारी ऐसे ही व्यक्ति में निहित कारण है।KS.C
2. सार्वजनिक (सामाजिक) ढांचे में कमी-इसके अंतर्गत पर्याप्त रोजगार के अवसरों का अभाव, नागरिक सुविधाओं की कमी, जनसंख्या वृद्धि, संसाधनों का अभाव तथा समाज में निम्न, अनुसूचित व पिछड़े वर्ग के लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार आदि सामाजिक कारण हैं।
3. लोगों की संस्कृति-समाज में सवर्ण व अवर्ण का भेद, छुआछूत जैसी प्रवृत्तियां संस्कृतिगत कारण हैं।
इन्हीं कारणों से व्यक्ति गरीबी का शिकार होकर उपेक्षा को झेलता हुआ अभावग्रस्त जीवन जीने को लाचार होता है।

प्रश्न 5. भारत में जाति संबंधी पक्षपात पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- भारतीय समाज में विभिन्न जातीय और समुदायों ने सामाजिक दूरी प्रदर्शित की, क्योंकि उन्हें श्रेणीबद्ध किया गया था। इसमें अल्पसंख्यक समूहों, जातियों और जनजातियों के साथ भेदभाव किया गया और इन समूहों को नीचा बताया गया।

भारतीय संविधान में छुआछूत का निराकरण और एक प्रकार की पाबंदी है, लेकिन इस तरह के भेदभाव के लिए कोई छुट्टी नहीं है। आरक्षण सिर्फ कार्यक्षेत्रों में नहीं है; शिक्षा क्षेत्र में भी आरक्षण को सख्ती से लागू करने के लिए कड़ी कानून व्यवस्था है। इसके बावजूद, इस क्षेत्र में कानून लागू होने के बावजूद मानसिक सोच को बदलने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। स्त्री-पुरुष समानता भी महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 6. निरक्षरता दूर करने के कुछ उपाय बताइए।

उत्तर– निरक्षरता, भारतीय समाज की कुछ मूलभूत जटिल समस्याओं में से एक बड़ी समस्या है, जिसका सामना करना पड़ रहा है। यह एक विचित्र बात है कि दो शताब्दी पूर्व, जब अंग्रेज भारत आए थे, हमारे देश में साक्षरता का स्तर बहुत ऊंचा था। लेकिन अंग्रेजी आधिपत्य के दो शताब्दी और आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारा देश निरक्षरता की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। लिखने-पढ़ने की अक्षमता के कारण निरक्षर लोग जीवन स्तर और व्यक्तित्व विकास के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक गतिशीलता के अवसरों से वंचित रहते हैं।
इस निरक्षरता को दूर करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं-
सबके लिए प्राथमिक शिक्षा सुनिश्चित करने की कोशिशें तेज होनी चाहिए।
प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति का कर्तव्य है कि मैं साक्षरता अभियान को सफल बनाना चाहिए।

प्रश्न 7. सामाजिक तनाव के लिए जिम्मेदार जाति संबंधी भेदभाव पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- हमारे देश को विभाजन के बाद विरासत में हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष के कारण माना जाता है, लेकिन भाषा-संस्कृति विभेद से उपजी अलगाववादी मानसिकता भी सामाजिक तनाव का एक बड़ा कारण रही है। इसके अलावा, विचार करने पर पता चलता है कि जातिगत भेदभाव और पक्षपात देश के कुछ हिस्सों में भी बढ़ रहे हैं। नकारात्मक दृष्टिकोण और रूढ़िवादी विचार समाजीकरण की प्रक्रिया में फैल रहे हैं। कभी-कभी वास्तविक जीवन में हमें ये भेदभाव और पक्षपात नहीं मिलते। वास्तव में, वे झूठी सूचना, व्यक्तिगत द्वेष और सुनी सुनायी बातों पर आधारित हैं। लेकिन वे बहुत शक्तिशाली हैं और हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं।

इसलिए पक्षपात करने से कोई व्यक्ति विद्वेष व्यक्त कर सकता है, लक्षित समूहों पर आक्रमण कर सकता है और उन्हें चोट पहुंचा सकता है। हाल ही में जातिगत गुटों के बीच संघर्ष सामाजिक जीवन की बजाय राजनीतिक क्षेत्र में फैल गया है। जातिवादी संगठन, गुट और गठजोड़ वास्तव में तेजी से फैल रहे हैं। राजनीतिक फायदे के लिए वे जातिगत पहचान का इस्तेमाल करते हैं। आज जातिगत या धार्मिक संबंध सामाजिक या धार्मिक संबंधों की तुलना में राजनीतिक संबंधों में अधिक महत्वपूर्ण हैं। इस संदर्भ में निम्न जातियों के गुटों का उदय, जिन्हें अक्सर दलित कहा जाता है, आज के भारत की एक महत्वपूर्ण विशेषता बन गया है। इस समूह की उपस्थिति ने ही भारत की राजनीति बदल दी है।

इस पोस्ट में आपको Nios class 10 psychology chapter 16 question answer Nios class 10 psychology chapter 16 solutions Nios class 10 psychology chapter 16 pdf download Nios class 10 psychology chapter 16 notes nios class 12 psychology book pdf Nios class 10 psychology chapter 16 social and educational problems solutions एनआईओएस कक्षा 10 मनोविज्ञान अध्याय 16 सामाजिक और शैक्षिक समस्याएँ से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है यह प्रश्न उत्तर फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top