NIOS Class 10 Psychology Chapter 15 अभिवृत्ति, विश्वास और सामाजिक संज्ञान
NIOS Class 10 Psychology Chapter 15. अभिवृत्ति, विश्वास और सामाजिक संज्ञान – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 10 मनोविज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10 मनोविज्ञान अध्याय 15 (अभिवृत्ति, विश्वास और सामाजिक संज्ञान) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 10 Psychology Chapter 15 Attitudes, Beliefs and Social Cognition दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10 Psychology Chapter 15 अभिवृत्ति, विश्वास और सामाजिक संज्ञान के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Psychology Chapter15 Solution – अभिवृत्ति, विश्वास और सामाजिक संज्ञान
प्रश्न 1. अभिवृत्ति को परिभाषित करें। अभिवृत्ति के तीन घटकों का वर्णन करें।
उत्तर – लोगों, वस्तुओं तथा विभिन्न परिस्थितियों का हम किस प्रकार मूल्यांकन करते हैं, यह मूल्यांकन हमारे अनुकूल भी हो सकता है तथा प्रतिकूल भी । इसी को अभिवृत्ति कहा जाता है। हम अपनी अभिवृत्ति का संचार एक कथन के रूप में करते हैं, जैसे – मुझे यह अच्छा लगता है, मुझे वो चीज नापसन्द है इत्यादि । अभिवृत्ति के तीन घटक हैं-
(1) संज्ञानात्मक घटक – यह अभिवृत्ति का पहला घटक है। यह घटक उस सोच से सम्बन्धित है, जो मनोवृत्ति के प्रति विश्वास का विकास करता है।
(2) प्रभावी घटक – यह अभिवृत्ति का दूसरा महत्त्वपूर्ण घटक है। यह घटक जिन कारकों से सम्बन्धित है, वे हैं – दिशा (सकारात्मक या नकारात्मक भावना), व्यक्ति की मूल्यांकन करने की तीव्रता तथा वस्तु अभिवृत्ति के प्रति अनुभव किये गये संवेग इत्यादि ।
(3) व्यावहारिक घटक – यह अभिवृत्ति का तीसरा महत्त्वपूर्ण घटक है। इसके अन्तर्गत किसी भी वस्तु की अभिवृत्ति के प्राप्ति विशेष रूप से अभिनय की संभावना प्रकट की जाती है।
प्रश्न 2. अभिवृत्ति के कार्यों का संक्षिप्त वर्णन करें। अपने उत्तर को उदाहरण के साथ लिखें।
उत्तर – अभिवृत्ति के कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) संसार को समझने में सहायक – अभिवृत्तियों का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है कि यह हमें अपने आस-पास के परिवेश को समझने में सहायता करती हैं। सकारात्मक अभिवृत्तियाँ हमें लोगों की बात मानने में सहायता करती हैं। आप अपने आदर्श व्यक्ति की तरह जीवन जीने का प्रयास कर सकते हैं। जैसे- सचिन तेन्दुलकर या मदर टेरेसा की तरह ।
(2) सामजिक समूहों का वर्णन करने में सहायक– सामाजिक समूहों का वर्णन करने में अभिवृत्तियों का एक महत्वपूर्ण कार्य है। हम एक परिवार, धार्मिक या राजनीतिक समूह के सदस्य होने के कारण एक जैसी प्रवृत्तियाँ रखते हैं, जो हमें एकजुट करने में बहुत मदद करती हैं। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि हम जिस सामाजिक और राजनीतिक समूह से जुड़े हैं, उसके प्रति अनुकूल व्यवहार करते हैं, और दूसरे समूहों के प्रति प्रतिकूल व्यवहार करते हैं।
(3) पहचान को समझने में सहायक – यह पहचान को समझने में सहायता करना अभिवृत्तियों का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। मूल्य, आत्म-सम्प्रत्यय और अभिवृत्तियाँ भी इसकी अभिव्यक्ति हैं। उदाहरण के रूप में, कुछ लोग एकता को अधिक महत्त्व देते हैं, वहीं दूसरे स्वतंत्रता या करुणा को अधिक महत्त्व देते हैं।
(4 ) दूसरों से सहायता, प्रशंसा व स्वीकृति प्राप्त करने में भी सहायक – अभिवृत्तियाँ हमें दूसरों की सहायता, प्रशंसा और स्वीकृति भी देती हैं। जैसे आप और आपके दोस्त एक समान क्षेत्र में रुचि रखते हैं। आप एक-दूसरे को पसंद करते हैं, इसलिए आपकी दोस्ती को बनाए रखना बहुत आसान है। हमारे अभिवृत्तियां भी हमें सामाजिक संबंधों में सहायक हैं।
प्रश्न 3. अभिवृत्तियों का निर्माण केसे होता है? अपने उत्तर को उदाहरण के साथ लिखें।
उत्तर – अभिवृत्तियों का निर्णय निम्नलिखित के द्वारा होता है-
(1) सीधे सम्पर्क के द्वारा – अभिवृत्तियों का निर्माण सीध ” सम्पर्क के द्वारा होता है। एक व्यक्ति अनेक व्यक्तियों के सम्पर्क में आता है, जिसके परिणामस्वरूप एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के प्रति कई प्रकार की अभिवृत्तियों का निर्माण करता है। बार-बार प्रेरक के साथ जुड़ने में सकारात्मक एवं नकारात्मक भावनाएँ प्रकट होती हैं।
(2) सीधे निर्देश के द्वारा– सीधे निर्देश भी अभिवृत्तियों को बनाता है। माता-पिता, शिक्षक और नेता विशिष्ट व्यवहार बनाते हैं। यदि माता-पिता अपने बच्चों को बताने की कोशिश करते हैं कि धूम्रपान और मद्यपान स्वास्थ्य के लिए घातक हैं धूम्रपान और मद्यपान के प्रति बच्चा नकारात्मक अभिवृत्ति विकसित कर सकता है।
(3) दूसरों से बातचीत के द्वारा- दूसरों से बातचीत भी अभिवृत्तियों को बना सकती है। जब कोई व्यक्ति दूसरों के साथ एक समूह में रहता है, तो वह अपने समूह की मनोवृत्तियों को अपनाता है, जो एक विशिष्ट प्रकार की अभिवृत्तियों को जन्म देती है। उदाहरण इसे स्पष्ट कर सकता है। जैसे, अगर आपके दोस्त मानते हैं कि मद्यपान और धूमपान करना ठीक है, तो आप भी यहीं मानेंगे कि यह ठीक है। यहाँ आप अपने माता-पिता और शिक्षक की बात नहीं सुनेंगे।
(4) प्रेक्षण के द्वारा – अभिवृत्तियां भी प्रेक्षण से बनती हैं। दूसरों को देखकर भी अभिवृत्तियाँ सीखी जाती हैं। शिक्षा, टीवी फिल्में, मैगजीन और अखबार भी अभिवृत्ति बनाते हैं। छोटे बच्चे आसानी से टीवी देखते हैं। विज्ञापनदाता बच्चों की इसी आदत से लाभ उठाते हैं।
प्रश्न 4. क्या अभिवृत्तियाँ बदल सकती हैं? अभिवृत्ति को बदलने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारकों का वर्णन करें।
उत्तर – वैसे तो अभिवृत्तियाँ बदली जा सकती हैं। परन्तु यदि एक बार अभिवृत्ति बन जाये तो उसे बदलना प्रायः कठिन होता है। अभिवृत्ति भी बदलाव निम्नलिखित तीन कारकों पर निर्भर करता है-
(1) स्रोत- अभिवृत्ति को स्रोत बदल सकता है। विशेषज्ञ सन्देश देने पर अभिवृत्ति बदलने की अधिक संभावना होती है। यदि सचिन तेन्दुलकर एक पेय का विज्ञापन करता है और कहता है कि इससे उसे शक्ति मिलती है, तो युवा जो सचिन को अपना आदर्श मानता है, उस पेय को अपनाने की कोशिश करेगा, ताकि सचिन की तरह खेल सके।
(2) सन्देश – सन्देश द्वारा भी अभिवृत्ति बदली जा सकती है। परन्तु सन्देश स्पष्ट एवं व्यवस्थित होना चाहिए, ताकि उसका अच्छा प्रभाव पड़ सके। जिन सन्देशों में भय एवं चिन्ता होती है, वे अधिक प्रभावी होते हैं।
(3) व्यक्ति- किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति बदलाव में उसके गुण बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। वे अभिवृत्तियां बदलना अक्सर कठिन होता है जो व्यक्तिगत रूप से जुड़ी हुई हैं। किसी भी परिवार सदस्य की अभिवृत्ति को बदलना कठिन होता है, सिर्फ किसी वस्तु के लिए नहीं। ।
प्रश्न 5. अभिवृत्ति तथा व्यवहार के बीच सम्बन्ध को स्पष्ट करें। उन परिस्थितियों का उल्लेख करें जिनमें अभिवृत्ति और व्यवहार का सम्बन्ध दृढ़ होता है ।
उत्तर – अभिवृत्ति और व्यवहार का सम्बन्ध काफी जटिल होता है। कभी-कभी व्यवहार के द्वारा किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति SAI नना काफी मुश्किल होता है। कुछ ऐसी परिस्थितियाँ भी हैं, जिनके द्वारा व्यवहार और अभिवृत्ति का सम्बन्ध दृढ़ होता है। ये परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं-
(1) जब अभिवृत्तियाँ मजबूत होती हैं तथा उनमें बदलाव नहीं होता, तो अभिवृत्ति के तीन घटक सुस्पष्ट व सुव्यवस्थित हैं, जो व्यवहार का सही रूप में अनुमान लगा सकते हैं।
(2) जब कोई व्यक्ति किसी दृढ़ अभिवृत्ति वाला होता है, या कोई व्यक्ति की अभिवृत्ति से परिचित होता है, तो उसे आसानी से याद किया जा सकता है। इसी के आधार पर उसके व्यवहार का भी आसानी से पता लगाया जा सकता है।
(3) जब अभिवृत्ति अनुभव से सम्बन्धित होती है, तो वह व्यवहार का अधिक सही अनुमान लगा सकती है।
(4 ) सामाजिक प्रभाव के अधीन काम करने वाले लोगों की अभिवृत्ति कई तरह से व्यक्त होती है। युवा लोग शराब पीना नहीं चाहते, लेकिन दोस्तों से दबाव मिल सकता है। अभिवृत्ति व्यवहार संबंध मजबूत होते हैं जब बाहरी प्रभाव कम होते हैं।
प्रश्न 6. सामाजिक संज्ञान की व्याख्या करें। हमारे सोचने और व्यवहार को संयोजित करने में स्कीमा की भूमिका स्पष्ट करें।
उत्तर – शब्द सामाजिक संज्ञान महत्वपूर्ण है। इसका बहुत महत्व है। सामाजिक संज्ञान का अर्थ है विश्व भर से जानकारी प्राप्त करना, उसे समझाना तथा उसका विश्लेषण करना। हम अपने आस-पास की जानकारी के बारे में सोचते-समझते हैं। लेकिन जानकारी काफी अभिवृत्ति, विश्वास और सामाजिक संज्ञान से अधिक होने पर उसे स्कीमा के रूप में व्यवस्थित करना होता है। स्कीमा बनाकर जानकारी को याद करना अधिक आसान होता है।
स्कीमा एक-दूसरे से जुड़े विश्वास, जानकारी और उदाहरणों का एक समूह है, जो सामाजिक वस्तुओं, घटनाओं और व्यक्तियों से जुड़े हैं । स्कीमा हमेशा सामाजिक सोच और व्यवहार को निर्देशित करता है। स्कीमा जानकारी को बहुत सरल रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे हमें इसे समझाने में आसानी होती है। स्कीमा के कई रूप हैं, जो व्यक्तियों, घटनाओं और सामाजिक भूमिकाओं से जुड़े हैं।
अभिवृत्ति, विश्वास और सामाजिक संज्ञान अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. अभिक्षमता, रुचि तथा क्षमता की परिभाषा कीजिए और इनको इनका भेद बताइए।
उत्तर-अभिक्षमता, रुचि तथा क्षमता-तीनों का अर्थ अलग-अलग है।
अभिक्षमता-अनुभव तथा प्रशिक्षण के बाद कार्य निष्पादन का उच्चतम स्तर।
रुचि – किसी क्रियाकलाप को करना अच्छा लगना, मन की इच्छा के अनुकूल होना।
क्षमता-किसी कार्य विशेष या गतिविधि को पूर्णता देने में व्यक्ति की वर्तमान निष्पादन सामर्थ्य का स्तर ।
भेद-अच्छे प्रकार से काम करने के लिए रुचि होनी चाहिए। यह क्षमता है कि काम को सही तरीके से और प्रभावी तरीके से कर सकें। अभिक्षमता, प्रशिक्षण और अनुभव से समृद्ध होती है, रुचि और क्षमता से अधिक महत्त्वपूर्ण है। रुचि व्यक्ति को काम करने को प्रेरित करती है।
क्षमता कार्य-निष्पादन में सहायक होती है
अभिक्षमता प्रशिक्षण व अनुभव द्वारा कार्य को भली-भांति निष्पादित करने में सहायक होती है।
प्रश्न 2. कार्य निर्णय तथा भावी सफलता में अभिक्षमता की क्या भूमिका है?
उत्तर- रुचि और क्षमता के साथ-साथ अभिक्षमता भी कार्य निर्णय को प्रभावित करती है; किसी कार्य में रुचि की भूमिका रुचि और क्षमता से भी अधिक महत्त्वपूर्ण होती है। साथ ही, यह व्यक्ति के कार्य में भविष्य की सफलता को निर्धारित करती है, क्योंकि अगर कोई व्यक्ति उस काम को करने में सक्षम है, तो वह प्रशिक्षण और अनुभव के बिना भी उस काम को अच्छी तरह से कर सकता है। जब किसी काम में उच्च स्तर की क्षमता होती है, तो वह उच्च पद तक पहुंच सकता है और उसके जटिल दायित्वों का पालन कर सकता है।
प्रश्न 3. कार्य सन्तोष को प्रभावित करने वाले विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- कार्य सन्तोष को प्रभावित करने वाले प्रमुख दो कारक
(i) संगठनात्मक कारक,
(ii) व्यक्तिगत कारक।
(i) संगठनात्मक कारक काम की जगह पर कार्य करते हुए कुछ बातें कार्य में सन्तोष पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं-
(क) पुरस्कार,
(ख) कार्य की भौतिक दशाएं,
(ग) सहयोग
(ii) व्यक्तिगत कारक
(क) रुचि,
(ख) व्यक्तित्व सम्बन्धी गुण,
(ग) स्तर एवं वरिष्ठता,
(घ) जीवन सन्तुष्टि का महत्त्व।
प्रश्न 4. वांछनीय योग्यताएं क्या होती हैं?
उत्तर- कार्य के लिए अपेक्षित न्यूनतम अनिवार्य योग्यता का होना तो आवश्यक है ही, किन्तु कुछ ऐसी योग्यताएं भी होती हैं. जो व्यक्ति को कार्य में सहायता पहुँचा सकती हैं। लेकिन ये निष्पादन के बुनियादी या न्यूनतम स्तर के लिए जरूरी नहीं होती, जैसे-
कार्य कौशल का लम्बा अनुभव, शालीन व्यवहार कार्य निरन्तरता कार्य के निष्पादन में सहयोगी ज्ञान, विज्ञान की जानकारी आदि ये वांछनीय योग्यताएं कहलाती हैं।
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