NIOS Class 10 Arthashastra Chapter 20 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक पहलू
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NIOS Class 10 Economics Chapter20 Solution – भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक पहलू
प्रश्न 1. प्राथमिक क्षेत्रक के उपक्षेत्रकों के नाम लिखिये ।
उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक के उपक्षेत्रक में निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाता है-
(क) कृषि तथा संबद्ध क्रियाकलाप
(ख) मत्स्य पालन
(ग) वानिकी
(घ) खनन और उत्खनन |
प्रश्न 2. द्वितीयक क्षेत्रक के उपक्षेत्रकों के नाम लिखिये ।
उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक के उपक्षेत्रक में निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाता है-
(क) विनिर्माण
(ख) निर्माण
(ग) गैस, जल तथा बिजली आपूर्ति ।
प्रश्न 3. तृतीयक क्षेत्रक के उपक्षेत्रकों के नाम लिखिये।
उत्तर – तृतीयक सेवा क्षेत्रक के उपक्षेत्रक हैं-
(क) व्यापार, होटल और जलपान गृह
(ख) परिवहन, संग्रहण और संचार
(ग) वित्तीय सेवाएं जैसे बैंकिंग, बीमा आदि
(घ) स्थावर सम्पदा तथा व्यावसायिक सेवाएं
(ङ) लोक प्रशासन
(च) अन्य सेवाएं ।
प्रश्न 4. प्राथमिक क्षेत्रक की भूमिका तथा महत्त्व की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक में कृषि सबसे महत्वपूर्ण है। कारण यह है कि भारत की 60% से अधिक जनसंख्या कृषि में काम करती है, इसलिए राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का अधिक योगदान है। प्राकृतिक संसाधनों का विदोहन इस क्षेत्रक में वस्तुओं का उत्पादन करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का स्थान और महत्व निम्नलिखित है:-
1. राष्ट्रीय आय में योगदान – प्रारंभ में अधिकांश लोग कृषि करते थे। नतीजतन, कृषि 50 प्रतिशत से भी अधिक राष्ट्रीय आय में योगदान देती थी, लेकिन आज कृषि का योगदान कम हो गया है क्योंकि अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों का विकास हुआ है। लेकिन खाद्यान्न उत्पादन में कृषि क्षेत्र की भूमिका आज भी बहुत महत्वपूर्ण है।
2. रोजगार प्रदान करने का महत्वपूर्ण साधन – कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा है। भारत की अधिकांश जनसंख्या गरीब है और कृषि पर निर्भर है। इसलिए कृषि और प्राथमिक क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का महत्त्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
3. खाद्यान्न उत्पादन का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र -भारतीय लोग गेहूँ, चावल और दालें खाते हैं। इसलिए, भारत में कृषि क्षेत्र ने पिछले कई दशकों से बड़ी आबादी को भोजन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसलिए भोजन और खाद्यान्न हमारे जीवन में अनिवार्य हैं।
4. उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करना – भारत की अर्थव्यवस्था को अपनी गतिविधियों के आधार पर तीन क्षेत्रों में बाँटा गया है; द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक क्षेत्रक से पूरी तरह से जुड़े हुए हैं। विशेषकर द्वितीयक क्षेत्र के उपक्षेत्र को कृषि क्षेत्र से ही कच्चा माल मिलता है, जो निर्माण और विनिर्माण उद्योगों को चाहिए। चीनी, जूट, कपास, कपड़ा, वनस्पति आदि उद्योग कृषि पर निर्भर हैं।
प्रश्न 5. द्वितीयक क्षेत्रक की भूमिका तथा महत्त्व की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर – हाल ही में शहरी जीवन की वृद्धि ने द्वितीयक क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है। द्वितीयक क्षेत्रक का एक बड़ा हिस्सा विनिर्माण उद्योग द्वारा बनाया जाता है। द्वितीयक क्षेत्रक की भारत की अर्थव्यवस्था में भूमिका और महत्त्व निम्नलिखित है:
1. राष्ट्रीय आय में योगदान – स्वतंत्रता के बाद से द्वितीयक क्षेत्र का योगदान राष्ट्रीय आय में काफी बढ़ा है। स्वतंत्रता के समय द्वितीयक क्षेत्रक का घरेलू उत्पाद में योगदान 14% था, लेकिन 2009–2010 में यह 28% हो गया।
2. रोजगार का सृजन – द्वितीयक क्षेत्र का महत्व शहरी जीवन के विकास और भारत की निरंतर बढ़ती जनसंख्या से बढ़ा है। विशेषकर लाखों लोगों को रोजगार देने में विनिर्माण तथा औद्योगिक क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र 3 करोड़ 30 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार का महत्वपूर्ण स्रोत है।
3. आधारभूत संरचना का निर्माण- औद्योगिक ढांचा और देश की प्रगति किसी भी देश की आधारभूत संरचना पर निर्भर करती हैं। वर्तमान में बड़े पैमाने के उद्योग सड़कें, राजमार्ग, रेलवे, हवाई जहाज आदि बनाते हैं। औद्योगिक क्षेत्र की भूमिका इसके अतिरिक्त आधारिक संरचना के निर्माण, बड़ी-बड़ी परियोजनाओं के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण है।
4. उपभोक्ता वस्तुओं का निर्माण- वर्तमान युग में फैशन और बदलाव महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक ग्राहक बाजार में नई वस्तुएं खरीदना चाहता है। आज औद्योगीकरण की प्रगति और विकास के कारण भारतीय बाजार बहुत कुछ से भरा पड़ा है।
प्रश्न 6. तृतीयक क्षेत्रक की भूमिका तथा महत्त्व की व्याख्या कीजिये |
उत्तर- तृतीयक क्षेत्र में अक्सर सेवाओं का उत्पादन होता है। प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों की तरह, तृतीयक क्षेत्र सिर्फ परिवहन, संचार, बैंकिंग, बीमा आदि सेवाओं को प्रदान करता है। इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था में तृतीयक क्षेत्र का स्थान और महत्व है:-
1. राष्ट्रीय आय में योगदान – भारत की राष्ट्रीय आय में सबसे अधिक योगदान सेवा क्षेत्र अर्थात तृतीयक क्षेत्र का है। वर्ष 2009-10 में सकल घरेलू उत्पादन में कुल सेवा क्षेत्रक का योगदान 55.2 प्रतिशत था जिसमें व्यापार, परिवहन, संचार आदि में सेवा क्षेत्र का योगदान सराहनीय है।
2. रोजगार प्राप्ति तथा उपार्जन हेतु योगदान – वर्तमान में अधिकांश जनसंख्या सेवा क्षेत्र में काम करती है। विशेषकर शिक्षा के प्रसार से लोगों का रुझान कला, वाणिज्य, विज्ञान, इंजीनियरिंग आदि क्षेत्रों की ओर बढ़ा है। इसलिए, जैसे-जैसे लोग शिक्षित होते जा रहे हैं, तृतीयक क्षेत्र लोगों के लिए जीविका उपार्जन का महत्वपूर्ण साधन बनता जा रहा है।
3. विदेशी मुद्रा एवं निवेश का स्रोत– भारत में सेवा क्षेत्र की लगातार वृद्धि ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है। विदेशी निवेश को बैंकिंग, बीमा, व्यापार, परिवहन और होटल क्षेत्रों ने मिलकर प्रोत्साहित किया है। विदेशी निवेश और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की वृद्धि ने रोजगार को बढ़ावा दिया है।
4. निर्यात में वृद्धि – निर्यात विदेशी मुद्रा उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कारक है। विशेषकर सूचना प्रौद्योगिकी, परामर्श सेवाएं, कानूनी सेवाएँ आदि व्यावसायिक सेवाओं ने निर्यात में वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर भारतीय वस्तुओं और उत्पादों की बढ़ती मांग ने विदेशी मुद्रा उत्पन्न करने में बहुत योगदान दिया है। 2009–2010 में भारत ने सेवाओं के निर्यात से लगभग 4.35 लाख करोड़ रुपये कमाए।
प्रश्न 7. अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्रक किस प्रकार परस्पर जुड़े होते हैं?
उत्तर – अर्थव्यवस्था में होने वाली सभी गतिविधियां एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। गन्ना, कोयला, कपास, लौह-अयस्क और अन्य कच्चे माल प्राथमिक क्षेत्र में बनाए जाते हैं। इनका प्रयोग द्वितीयक क्षेत्रक वस्त्रों, चीनी, संयंत्रों और रसायन, उर्वरक, कृमिनाशक और कृषि यंत्रों में होता है। सेवा क्षेत्र इन दोनों क्षेत्रों को उत्पादक सेवाएं देता है। ये सेवाएं परिवहन, संचार, बैंकिंग, शिक्षा, चिकित्सा आदि आर्थिक-सामाजिक ऊपरिसंरचना से जुड़ी हैं। प्राथमिक क्षेत्र खाद्य सामग्री बनाता है और द्वितीयक क्षेत्र भवनों और संयंत्रों बनाता है, जो इन सेवाओं के उत्पादन में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसलिए हर क्षेत्रक परस्पर निर्भर है।
एक क्षेत्र का पिछड़ापन दूसरे क्षेत्रों के विकास और पूरी अर्थव्यवस्था के विकास को बाधित करता है । उदाहरण के लिए, कृषि उत्पादन में वृद्धि से किसानों की आय में वृद्धि होगी और औद्योगिक उत्पादों की मांग में भी वृद्धि होगी। इससे औद्योगिक क्षेत्र की आय बढ़ेगी और कृषि से अधिक कच्चा माल खरीदेगा। इन दोनों क्षेत्रों में बढ़ती मांग से सेवाओं की मांग बढ़ेगी। यह सेवा क्षेत्र में आय की वृद्धि से प्राथमिक और औद्योगिक उत्पादों की खपत को बढ़ावा देगा। तीनों मिलकर क्षेत्रीय राष्ट्रीय आय में उतरोत्तर योगदान देते हैं और आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक पहलू के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. प्राथमिक क्षेत्रक के कुछ उदाहरण दें।
उत्तर – कृषि, वानिकी, मत्स्य पालन, खनन, पशुपालन आदि ।
प्रश्न 2. निर्माण और विनिर्माण किस क्षेत्रक उदाहरण हैं?
उत्तर- द्वितीयक क्षेत्रक।
प्रश्न 3. सेवाओं का उत्पादन किस क्षेत्रक से सम्बन्धित है ?
उत्तर – सेवाओं का उत्पादन तृतीयक क्षेत्रक से सम्बन्धित है।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय आय क्या है?
उत्तर- एक वर्ष की अवधि में राष्ट्र के निवासियों द्वारा अर्जित साधन आयों का योगफल राष्ट्रीय आय है।
प्रश्न 5. राष्ट्रीय आय में विभिन्न क्षेत्रकों के अंशदान का उल्लेख करें।
उत्तर – निम्नप्रदत्त तालिका राष्ट्रीय आय में विभिन्न क्षेत्रकों के योग के प्रतिशत अंश दर्शाती है-
क्षेत्रक | 1950-51 | 1960-61 | 1970-71 | 1980-81 | 1990-91 | 2001-02 |
प्राथमिक | 49.0 | 52.2 | 50.0 | 41.3 | 32.7 | 26.0 |
द्वितीयक | 16.7 | 19.1 | 19.8 | 23.3 | 28.9 | 24.5 |
तृतीयक | 34.3 | 28.7 | 30.2 | 35.4 | 38.4 | 49.5 |
कुल योग | 100.0 | 100.0 | 100.0 | 100.0 | 100.0 | 100.0 |
यह सर्वमान्य तथ्य है कि जैसे-जैसे किसी देश की अर्थव्यवस्था विकसित होती है, राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का अंश कम होता है और द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रों के अंश में वृद्धि होती है । उक्त तालिका यही दर्शा रही है कि भारत में भी प्राथमिक क्षेत्र के में गिरावट और द्वितीयक व तृतीयक के अंशों में वृद्धि की अंश प्रक्रिया चल रही है। इससे सिद्ध होता है कि हमारी अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर अग्रसर है।
प्रश्न 7. सही उत्तर पर चिह्न (1) अंकित करे-
1. इनमें से कौन-सी उत्पादक इकाई प्राथमिक क्षेत्रक का हिस्सा है?
(क) निर्माण
(ग) व्यापार
(ख) विनिर्माण
(घ) खेती-बाड़ी
2. इनमें से कौन-सी उत्पादक इकाई द्वितीयक क्षेत्र में शामिल होगी ?
(क) मत्स्य पालन
(ख) खनन
(ग) खेती-बाड़ी
(घ) विनिर्माण
3. भारत के राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्रक का अंश रहा है-
(क) वृद्धिमान
(ख) ह्रासमान
(ग) स्थिर
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
4. तृतीयक क्षेत्रक में इनकी उत्पादक इकाइयां शामिल
(क) विनिर्माण
(ख) कपास
(ग) सेवाएं
(घ) कच्चे माल
उत्तर – 1. (घ) ; 2. (घ) ; 3. (ख); 4. (ग)
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