NIOS Class 10 Arthashastra Chapter 10. आपूर्ति

NIOS Class 10 Arthashastra Chapter 10. आपूर्ति

NIOS Class 10 Economics Chapter 10 आपूर्ति– ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 10 अर्थशास्त्र विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 10 (आपूर्ति) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जोNIOS Class 10 Economics Chapter 10 Supply Solution दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आपNIOSClass 10 Economics Chapter 10 आपूर्ति के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Economics Chapter10 Solution – आपूर्ति

प्रश्न 1. आपूर्ति की परिभाषा लिखिये । व्यक्तिगत आपूर्ति तथा बाजार आपूर्ति में भेद कीजिये ।
उत्तर- किसी खास कीमत पर कोई उत्पादक जिस मात्रा का विक्रय करने में सक्षम हो और करना चाहता है, वह मात्रा उस वस्तु की आपूर्ति कहलाती है। सरल शब्दों में, “आपूर्ति से हमारा अभिप्राय वस्तु की उन विभिन्न मात्राओं से है, जिसे विभिन्न सम्भावित कीमतों पर एक निश्चित समय पर अथवा निश्चित समयावधि में बेचा जाता है, जैसे- प्रतिदिन प्रति सप्ताह आदि। व्यक्तिगत आपूर्ति तथा बाजार आपूर्ति में अन्तर

व्यक्तिगत आपूर्ति –
1. किसी वस्तु की एक व्यक्तिगत फर्म / उत्पादक द्वारा आपूर्ति को व्यक्तिगत आपूर्ति कहते हैं।
2. व्यक्तिगत आपूर्ति पर वस्तु की कीमत, अन्य संबंधित वस्तुओं की कीमत, उत्पादन की प्रौद्योगिकी में परिवर्तन, आगतों की कीमतों में परिवर्तन, फर्म का उद्देश्य तथा सरकारी नीति आदि का प्रभाव पड़ता है।

बाजार आपूर्ति –
1. बाजार आपूर्ति किसी वस्तु की वह कुल मात्रा है जिसे बाजार में सभी फर्में दी गई समय अवधि में तथा दी गई कीमतों पर बेचने के लिए तत्पर होती हैं।
2. बाजार आपूर्ति व्यक्तिगत आपूर्ति के निर्धारकों के अतिरिक्त वस्तु की आपूर्ति करने वाली फर्मों की संख्या, संभावित भावी कीमत आदि से प्रभावित होती हैं।

प्रश्न 2. किसी वस्तु की व्यक्तिगत आपूर्ति को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर – किसी वस्तु की व्यक्तिगत आपूर्ति को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार हैं-

(1) वस्तु की कीमत – वस्तु की कीमतें पूर्ति को निर्धारित करती हैं। यदि कीमतें कम हैं, तब पूर्ति कम हो जाएगी तथा कीमत अधिक होने पर पूर्ति अधिक होगी।

(2) अन्य वस्तुओं की कीमतें – अन्य वस्तुओं की कीमतें वस्तु की पूर्ति निर्धारण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

(3) उत्पादक साधनों की कीमतें – वस्तु की पूर्ति उत्पादन की लागत से प्रभावित होती है। यदि उत्पादन लागत अधिक होती है, तो वस्तु बाजार में कम उपलब्ध होगी और उसकी कीमत भी अधिक होगी। परन्तु उत्पादन लागत कम होने पर वस्तु अधिक उपलब्ध होगी।

(4) प्रौद्योगिकी का विकास- उत्पादन तकनीक पूर्ति पर पड़ती है। बेहतर तकनीक से उत्पादन लागत कम होती है, जिससे अधिक लाभ होने पर पूर्ति प्रभावित होती है।

(5) विक्रेता का लक्ष्य – विक्रेता का लक्ष्य वस्तु की पूर्ति करना है। विक्रेता अक्सर अधिक लाभ कमाना चाहते हैं। वे पूर्ति निर्धारित करते हैं, बाजार की स्थिति को देखते हुए।

(6) सरकारी नीति – किसी वस्तु की आपूर्ति भी सरकारी नीति से प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, सरकार विभिन्न करों की दरों में वृद्धि करने पर उत्पादन खर्च बढ़ जाता है, जिससे उत्पादों की आपूर्ति घट जाती है। दूसरी ओर, सरकार उत्पादों को अनुदान देने से उत्पादन खर्च और लागत कम होती है। इससे वस्तु की आपूर्ति प्रभावित होती है।

प्रश्न 3. बाजार आपूर्ति के तीन निर्धारकों की संक्षेप में व्याख्या कीजिये |
उत्तर – बाजार आपूर्ति के निर्धारक इस प्रकार हैं-
1. विक्रेताओं – फर्मों की संख्या – विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति बाजार में विक्रेताओं / फर्मों की संख्या पर निर्भर करती है। सरल शब्दों में, बाजार में विक्रेता/फर्मों की संख्या जितनी विशाल होगी उतनी ही वस्तुओं की आपूर्ति बाजार में सम्भव हो सकेगी।

2. संभावित भावी कीमत – यदि किसी वस्तु की कीमत निकट भविष्य में बढ़ने की संभावना है, तो उत्पादक वर्तमान में वस्तु की कम मात्रा की आपूर्ति करते हैं, ताकि वे भविष्य में कीमत बढ़ने से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। इसके विपरीत, फर्मे वर्तमान में वस्तु की अधिक मात्रा की आपूर्ति करने लगती हैं यदि वस्तु की कीमत निकट भविष्य में कम होने की संभावना है, क्योंकि वे भविष्य में कम लाभ की आशा करते हैं।

3. मौसम और वातावरण – बाजार आपूर्ति पर मौसम और वातावरण का भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, ठंडे क्षेत्रों में अधिकांश बाजारों में गर्म कपड़ों की आपूर्ति अधिक होती है, जबकि गर्म क्षेत्रों में कूलर और AC की आपूर्ति अधिक होती है।

4. सरकारी गतिविधियाँ – सरकारी कार्यों से बाजार में विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित होती है। सरकार जिन चीजों पर अधिक कर लगाती है, उनकी आपूर्ति आम तौर पर कम होती है। दूसरी ओर, खाद्यान्न (चीनी, गेहूँ आदि) उत्पादों पर सरकार किसानों को ऋण देती है, जिससे बाजार में अधिक मात्रा में खाद्यान्न की आपूर्ति हो सकती है।

प्रश्न 4. एक उपयुक्त उदाहरण की सहायता से स्टॉक तथा आपूर्ति में भेद कीजिये ।
उत्तर- स्टॉक से हमारा मतलब वस्तु की कुल मात्रा है जो एक निश्चित कीमत पर बाजार में बेची जा सकती है। इसलिए स्टॉक बिक्री की अधिकतम सीमा दिखाई देती है। तुलनात्मक रूप से, विक्रेता केवल एक भाग को बेचता है, न कि पूरे स्टॉक को एक निर्धारित कीमत पर बेचता है। आपूर्ति स्टॉक का वह हिस्सा है जिसे विक्रेता एक निश्चित कीमत पर बेचने को इच्छुक है। कल्पना कीजिए कि एक किसान ने एक निश्चित अवधि में 1200 क्विंटल गेहूँ का उत्पादन किया है और 800 क्विंटल को बाजार में प्रचालित कीमत पर बेचने को तैयार है। यहां स्टॉक गेहूँ 1200 क्विंटल है, जबकि गेहूँ की आपूर्ति 800 क्विंटल है।

प्रश्न 5. एक संख्यात्मक उदाहरण का प्रयोग करते हुए आपूर्ति के नियम का उल्लेख कीजिये |
उत्तर – आपूर्ति का नियम हमें बताता है कि वस्तु की आपूर्ति और कीमत में प्रत्यक्ष संबंध है अर्था, अन्य बातें समान रहने पर (जैसे वस्तु की कीमत, फर्मों की संख्या) आपूर्ति बढ़ती है और कीमत कम होती है। आपूर्ति का नियम कहता है कि अन्य चीजें पूर्ववत रहने पर कीमत बढ़ने पर आपूर्ति बढ़ेगी और कीमत गिरने पर आपूर्ति कम होगी।

प्रस्तुत सारणी द्वारा स्पष्ट है कि जैसे-जैसे सेबों की कीमतों में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे सेबों की आपूर्ति भी बढ़ती जाती है। अतः स्पष्ट है कि वस्तु की कीमत तथा आपूर्ति में प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है।

प्रश्न 6. आपूर्ति वक्र क्या है? एक काल्पनिक आपूर्ति अनुसूची की सहायता से व्यक्तिगत आपूर्ति वक्र की रचना कीजिये ।
उत्तर – आपूर्ति के नियम की चित्र के रूप में प्रस्तुति आपूर्ति वक्र कहलाता है। अत: आपूर्ति वक्र प्रति इकाई समय में विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु की आपूर्ति की विभिन्न मात्राओं को चित्र के रूप में प्रदर्शित करता है

प्रस्तुत तालिका में X वस्तु की काल्पनिक आपूर्ति अनुसूची की सहायता से व्यक्तिगत आपूर्ति वक्र की संरचना की गई है, जो स्पष्ट करता है कि जैसे-जैसे X वस्तु की कीमत बढ़ती हैं, वैसे वस्तु की आपूर्ति में भी उसी अनुपात में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, x वस्तु की कीमत 2 रुपये प्रति इकाई पर उत्पादक वस्तु की 20 इकाइयाँ बेचने को तैयार है, जबकि X वस्तु की कीमतों में वृद्धि होने पर उत्पादक वस्तु की अधिक इकाइयाँ बेचने को तत्पर हो जाता है।

प्रश्न 7. आपूर्ति वक्र ऊपर की ओर ढालू क्यों होता है?
उत्तर- आपूर्ति के नियम के अनुसार, कोई फर्म किसी वस्तु की अधिक कीमत पर उसकी अधिक मात्रा में या किसी वस्तु की कम कीमत पर उसकी कम मात्रा में बिक्री करने को तैयार होता है जब आपूर्ति के निर्धारित करने वाले अन्य कारक स्थिर रहते हैं। आपूर्ति व ऊपर की ओर ढाल वाला होता है क्योंकि वस्तु और आपूर्ति की मात्रा में प्रत्यक्ष संबंध है। निम्नलिखित कारक आपूर्ति वक्र को ढालू बनाते हैं:-

1. अधिकतम लाभ की आशा-उत्पादकों और फर्मों को वस्तु की कीमतों में वृद्धि से अधिकतम लाभ मिलना चाहिए। इससे फर्मों को अधिक मात्रा में उत्पादन करने की प्रेरणा मिलती है।

2. नई फर्मों का प्रवेश – वस्तु विशेष की कीमतों में वृद्धि बाजार में नई फर्मों/उत्पादकों को बाजार में प्रवेश करने के लिए आकर्षित करती है, जिससे बाजार में वस्तु विशेष की आपूर्ति

3. स्टॉक में परिवर्तन-विक्रेता को अपने स्टॉक का कम से कम एक हिस्सा बेचने की संभावना बढ़ जाती है जब वस्तु की कीमत बढ़ती है। करता है कीमतों में कमी के कारण अपने स्टॉक की अधिक मात्रा बेचने को तैयार है।

प्रश्न 8. आपूर्ति के नियम के क्या कारण हैं?
उत्तर- आपूर्ति के नियम के कारण निम्नलिखित हैं-
(क) फर्मों के अधिकतम लाभ की आशा
(ख) उत्पादन के साधनों की कीमतों में परिवर्तन
(ग) भविष्य में वस्तु की कीमत – परिवर्तन सम्बन्धी संभावनाएं
(घ) उत्पादक तकनीकें
(च) वस्तु की कीमत तथा आपूर्ति में धनात्मक सम्बन्ध ।

आपूर्ति के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. आपूर्ति की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर – आपूर्ति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-

(क) ऐच्छिक मात्रा – आपूर्ति वस्तु विशेष की ऐच्छिक मात्रा, जिसे उत्पादक बाजार की प्रचलित कीमतों पर बेचने के लिए तैयार करता है।
(ख) कीमत से संबंध – आपूर्ति तथा वस्तु विशेष की कीमतों में प्रत्यक्ष तथा धनात्मक सम्बन्ध होता है।
(ग) प्रवाह चर – आपूर्ति, मांग और अवधि के अनुरूप, निरंतर होती रहती है, यह एक प्रवाह चर है।

प्रश्न 2. आपूर्ति के नियम की मुख्य मान्यताएँ क्या है ?
उत्तर – आपूर्ति के नियम में प्रयुक्त कुछ अन्य बातें समान रहने पर आपूर्ति की मान्यताओं की ओर संकेत करता है । आपूर्ति की मान्यताएँ इस प्रकार हैं-
(क) संबंधित वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता ।
(ख) उत्पादन तकनीक अपरिवर्तित रहती है।
(ग) फर्मों के उद्देश्यों में कोई परिवर्तन नहीं होता ।
(घ) उत्पादन के साधनों की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
(च) भविष्य में वस्तु की कीमत – परिवर्तन की कोई संभावना नहीं होती हैं।

प्रश्न 3. आपूर्ति अनुसूची क्या है और यह कितने प्रकार की होती है?
उत्तर – आपूर्ति अनुसूची एक सारणी है जो विभिन्न मात्राओं को विभिन्न कीमतों पर बेची जाती है। उत्पाद सूची के प्रकार
(क) व्यक्तिगत आपूर्ति अनुसूची
(ख) बाजार आपूर्ति अनुसूची ।

प्रश्न 5. आपूर्ति का नियम किन परिस्थितियों में लागू नहीं होता?
उत्तर – आपूर्ति का नियम कुछ परिस्थितियों में लागू नही होता, जैसे
(क) कृषि वस्तुए – कृषि वस्तुओं का उत्पादन प्राकृतिक कारकों पर निर्भर करता है, इसलिए कृषि वस्तुओं पर आपूर्ति का नियम लागू नहीं होता ।

(ख) शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुएं- कुछ खाद्य पदार्थ, दूध, सब्जियां, फल आदि को नाशवान कहा जाता है। नाशवान वस्तुओं को भंडारण करके अधिक समय तक नहीं रखा जा सकता, इसलिए आपूर्ति का नियम लागू नहीं होता।

(ग) नीलाम की जाने वाली वस्तुएं- नीलामी के लिए प्रस्तुत वस्तुओं पर आपूर्ति का नियम लागू नहीं होता ।

प्रश्न 7. बाजार आपूर्ति में गिरावट हेतु कौन-कौन से कारक उत्तरदायी हैं?
उत्तर – बाजार आपूर्ति में गिरावट हेतु निम्नलिखित कारक उत्तरदायी माने जाते हैं-
(क) उत्पादन लागतों में वृद्धि
(ख) बाजार में फर्मों की संख्या में कमी
(ग) अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होना ।

प्रश्न 8. बाजार में वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से बाजार आपूर्ति अधिक क्यों हो जाती है ?
उत्तर- (क) यदि अन्य बातें समान रहती हैं तो वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से उत्पादकों को अधिक लाभ मिलेगा। इसलिए वे उत्पादक वस्तुओं की अधिक आपूर्ति करने के लिए उत्सुक हैं।

(ख) असमान प्रतिफल की क्रियाशीलता के कारण उत्पादन में वृद्धि करने पर सीमांत लागत बढ़ती है। अतः फर्में ऊँची कीमत पर ही अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित होती हैं।

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