NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 – लाख की चूड़ियाँ
NCERT Solutions For Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 लाख की चूड़ियाँ – आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8th हिंदी अध्याय 2 (लाख की चूड़ियाँ) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 2 Lakh Ki Chudiyan की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. अगर आप इस समाधान को PDF फाइल के रूप में डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे आपको इसका डाउनलोड लिंक भी दिया गया है.
Class | 8 |
Subject | Hindi |
Book | वसंत |
Chapter Number | 2 |
Chapter Name | लाख की चूड़ियाँ |
लाख की चूड़ियाँ पाठ के अभ्यास के प्रश्न उत्तर
निश्चय ही बचपन में लेखक को अपने मामा के घर जाने का बहुत चाव था। उसके चाव का कारण वहाँ रहने वाला बदलू मनिहार था। वह उसे बहुत-सी रंग-बिरंगी लाख की गोलियाँ बनाकर देता था। ये गोलियाँ उसका मन मोह लेती थीं। चूँकि बदलू लेखक के मामा के गाँव का रहने वाला था। इसलिए लेखक को उसे भी मामा कहना चाहिए था। किंतु वह भी दूसरे बच्चों की देखा-देखी बदलू को ‘बदलू काका’ ही कहता था।
‘वस्तु-विनिमय’ का अर्थ है-एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु देना अर्थात् इस पद्धति में वस्तु को पैसे देकर नहीं खरीदा जाता, अपितु एक वस्तु को लेने के लिए दूसरी वस्तु दी जाती है। वस्तु के बदले में पैसे न लेकर वस्तु ही स्वीकार करने की पद्धति को ‘वस्तु विनिमय पद्धति’ कहते हैं। परंतु वर्तमान में समाज पूरी तरह बदल चुका है और यह वस्तु-विनिमय की पद्धति भी लगभग समाप्त हो चुकी है। अब बाज़ार से वस्तु खरीदने के लिए धन की जरूरत होती है।
इस पंक्ति में लेखक ने इस व्यथा की ओर संकेत किया है कि मशीनी युग के आगमन के साथ लघु-उद्योग समाप्त हो गए हैं। अतः हाथों से काम करने वाले कारीगरों के हाथों से काम-धंधा छिन गया है। मानो उनके हाथ ही कट गए हों। एक मशीन सैकडों कारीगरों का काम कम समय में कर देती है जिससे कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।
बदलू के मन में इस बात की व्यथा थी कि मशीनी युग के आने से उसका चूड़ी बनाने का काम बंद हो गया है। वह बेरोज़गार हो गया है। उसकी आमदनी का साधन ही समाप्त हो गया है। वह बेरोज़गारी और उपेक्षा का शिकार हो गया है। अब लोग उसकी कारीगरी का सम्मान नहीं करते। वे दिखावटी चमक की ओर अधिक ध्यान देने लगे हैं। लोग मशीन के द्वारा बनाई गई चूड़ियाँ खरीदना अधिक पसंद करते हैं।
बदलू लाख की चूड़ियाँ बनाने का काम करता था। उसके हाथ की बनी चूड़ियाँ न केवल उसके गाँव के अपितु आस-पास के गाँवों के लोग भी खरीदते थे। परंतु मशीनी युग से बदलू के जीवन में बहुत बदलाव आया। मशीन पर बनी काँच की चूड़ियाँ अधिक चमकदार होती हैं। स्त्रियाँ भी उन्हीं चूड़ियों को पसंद करने लगी थी। इस युग के आने से उसका मनिहार का काम बंद हो गया। वह बेरोज़गार हो गया। काम न करने के कारण उसका शरीर ढल गया। उसके माथे और हाथों की नसें उभर आई थीं साथ ही उसे फसली खाँसी भी लग गई थी। ऐसी दशा में हर समय प्रसन्न रहने वाला बदलू निराश रहने लगा।
कहानी से आगे
मैंने मेले में जूट से बना हुआ सामान देखा था। उनमें कई प्रकार की आकृतियाँ भी थीं। जैसे देवी-देवताओं की आकृतियाँ या फिर छोटे-बड़े सुंदर-सुंदर थैले। मेरा मन उनकी ओर आकृष्ट हुआ। मैंने इस प्रकार के सामान बेचने वालों से इस काम के विषय में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह काम थोड़ा कठिन जरूर है किंतु असंभव नहीं है। मैंने कुछ जूट ली। उसकी रस्सियाँ बनाई और उनमें से कुछ को रंग दिया। फिर उन रस्सियों से गणेश जी का मुख बनाने का प्रयास किया। किंतु बाद में मुझे इस काम के एक कारीगर से मार्गदर्शन लेना पड़ा। आज मैं छोटे-छोटे जूट के बैग व अन्य सामान बना सकता हूँ।
लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत में राजस्थान के जयपुर नगर में सर्वाधिक होता है। लाख से बहुत-सी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त खिलौने भी बनाए जाते हैं। घर सजाने का सामान भी लाख से बनाया जाता है। लाख से सुंदर आभूषण भी बनाए जाते हैं। )
अनुमान और कल्पना
घर में मेहमान के आने पर हम उसका अतिथि-सत्कार अत्यंत सम्मानपूर्वक करेंगे। उसे आदर-भाव से घर में बैठाएँगे। अत्यंत विनम्र भाव से उसे जल-पान करवाएँगे। उसके साथ बैठकर बातें करेंगे। वेदों में भी अतिथि को भगवान का रूप माना गया है। अतिथि के आने पर हमें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे उसे असुविधा या कष्ट हो।
मुझे छुट्टियों में अपनी मौसी के घर जाना अच्छा लगता है। क्योंकि मौसी का बेटा मेरी ही कक्षा में पढ़ता है। मैं नगर में रहता हूँ, किंतु मेरी मौसी गाँव में रहती है। वहाँ की दिनचर्या यहाँ से बिल्कुल अलग है। वहाँ नगर की भाँति टी०वी० के कार्यक्रम नहीं आते। इसके अतिरिक्त वहाँ के लोग प्रातः उठकर अपने-अपने कामों में लग जाते हैं। प्रातः सभी अपने-अपने पशुओं को चारा डालते हैं और उनका दूध निकालकर नगरों को भेजते हैं। वहाँ प्रतिदिन घर का बना ताजा मक्खन खाने को मिलता है। गाँव में कई-कई घंटे बिजली नहीं आती। जिससे गाँव के लोगों को अपने खेतों में पानी देने में बहुत असुविधा होती है। संध्या के समय भी सभी लोग अपने-अपने घरों में बैठ जाते हैं। कुछ लोग चौपालों में बैठकर बातें करते भी देखे जाते हैं। ऐसा नगरों में नहीं होता।
मशीनी युग में छोटे-बड़े उद्योगों में अत्यधिक परिवर्तन आए हैं। मेरे स्कूल के मार्ग में लकड़ी से बनाई जाने वाली वस्तुओं की एक दुकान थी। वहाँ पर मकानों के दरवाजे व फर्नीचर बनाया जाता है। पहले वहाँ पर हाथ से काम किया जाता था। उसके लिए बहुत से लकड़ी का काम करने वाले कारीगर काम करते थे। किंतु अब लकड़ी को चीरने व रंदा लगाने तथा सुराख करने की मशीनें आ गई हैं। अब उस लकड़ी की दुकान पर बहुत कम कारीगर दिखाई देते हैं। हाथ से काम करने की अपेक्षा सारा काम मशीनों से किया जाता है। एक मशीन दिन भर में कई कारीगरों से भी अधिक काम करती है। मशीनों द्वारा बनाए गए सामान में सफाई अधिक है और काम जल्दी भी हो जाता है। अब बीस लोगों का काम केवल 6-7 लोग ही कर लेते हैं। इस प्रकार मशीनी युग में काम जल्दी और बढ़िया तो होता है, परन्तु बहुत-से कारीगर बेरोज़गार हो जाते हैं।
बाज़ार में अनेक प्रकार के सामान बिकते हैं। आज का युग मशीनी युग है। इसलिए हर दिन वस्तुओं के डिज़ाइनों में परिवर्तन किया जा रहा है। कपड़ों का ही उदाहरण ले लीजिए। बाज़ार में प्रतिदिन पहनने वाले कपड़ों के डिज़ाइन में ग्राहक की सुविधा एवं रुचि के अनुसार परिवर्तन किया जाता है। उनके रंगों में भी परिवर्तन देखा जाता है। इसी प्रकार मनोरंजन के सामान के डिज़ाइन में भी परिवर्तन होता रहता है। मोबाइल फोन के भी नए-नए डिज़ाइन आ गए हैं जो बहुत ही आकर्षक एवं सस्ते हैं।
आज हमारे रहन-सहन, खान-पान व कपड़ों में काफी बदलाव आ रहा है। इस विषय में हम अपने अध्यापक/अध्यापिका व माता-पिता से बात करके उसके पक्ष-विपक्ष में कह सकते हैं। कहने का भाव है कि बड़ों से बातचीत करके ही इस विषय के बारे में कुछ चर्चा कर सकते हैं। बड़ों से बात करने पर पता चलता है कि कुछ इस बदलाव के पक्ष में हैं तो कुछ इसके विपरीत हैं। बड़ों से बात करके हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कुछ बड़े लोग इस बदलाव से खुश हैं। वे बदलते युग में रहन-सहन आदि के बदले हुए तौर-तरीकों को सहज ही अपना रहे हैं। किंतु कुछ लोग जो परंपराओं में विश्वास रखते हैं और रूढ़िवादी विचारों वाले हैं, वे इस बदलाव को पसंद नहीं करते। वे इस बदलाव को स्वीकार भी नहीं करना चाहते। किंतु युवा पीढ़ी के लोग समाज में होने वाले हर बदलाव को खुशी से स्वीकार करते हैं। वे उन लोगों को भी अच्छे समझते हैं जो बदलाव के साथ-साथ अपने आप को बदल रहे हैं। किंतु हमारा विचार है कि सभी बदलाव पूर्णतः सही नहीं हैं और पुराने रहन-सहन व खान-पान के तरीके भी पूर्णतः . बरे नहीं हैं। अतः हमें हर अच्छे बदलाव को ही अपनाना चाहिए।
भाषा की बात
(1) प्रथम पंक्ति में लेखक ने बदलू मनिहार की मनोदशा का चित्रण किया है। लेखक कहता है कि बदलू संसार भर में काँच की चूड़ियों से चिढ़ता था। यहाँ काँच की चूड़ियाँ मशीनी युग का प्रतीक हैं। इस बात से उसके हृदय को बहुत चोट पहुंचती है।
(2) दूसरी पंक्ति में मशीन युग पर व्यंग्य किया गया है। मशीनों ने बहुत से कारीगरों को बेरोज़गार कर दिया है। आजकल लोग सुंदरता के पीछे भागते हैं। वे मजबती की ओर ध्यान नहीं देते।
(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे-लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि
(ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे-चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा।
(ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे-सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार, वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।
(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा – बदलू, लला, रज्जो, जनार्दन
(ख) जातिवाचक संज्ञा – चूड़ियाँ, स्त्रियाँ, काँच, सड़क, लाख, मशीन, चारपाई, गोलियाँ
(ग) भाववाचक संज्ञा – पढ़ाई, सुंदरता, व्यथा, प्रसन्नता
शब्दों में परिवर्तन मरद = मर्द। डोलची = डलिया। समय = बखत। मचिया = चौंकी। अंजुल = हथेली। फबना = अच्छी लगना। दुनिया = संसार। आलम = जगत। औलाद = संतान। गम = मायूसी। रंज = दुख।
Class 8 Hindi Chapter 2 बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
(A) अरविंद कुमार सिंह
(B) कामतानाथ
(C) हरिशंकर परसाई
(D) भगवतीचरण वर्मा
उत्तर- (B) कामतानाथ
(A) खिलौने
(B) वस्त्र
(C) रंग-बिरंगी गोलियाँ
(D) पुस्तकें
उत्तर- (C) रंग-बिरंगी गोलियाँ
(A) बदलू भइया
(B) बदलू मामा
(C) बदलू अंकल
(D) बदलू काका
उत्तर- (D) बदलू काका
(A) लाख
(B) चाँदी
(C) सोना
(D) ताँबा
उत्तर-(A) लाख
(A) लाख पिघलाने में
(B) चूड़ियों को गोल करने में
(C) चूड़ियों को सुंदर बनाने में
(D) चूड़ियों को रंगने में
उत्तर- (B) चूड़ियों को गोल करने में
(A) नव-वधू की बाजू की भाँति ।
(B) नव-वधू की गर्दन की भाँति
(C) नव-वधू के पैरों की भाँति
(D) नव-वधू की आँखों की भाँति
उत्तर- (A) नव-वधू की बाजू की भाँति
(A) रुपये
(B) वस्त्र
(C) अनाज
(D) सोना
उत्तर- (C) अनाज
(A) लोहे की चूड़ियों से
(B) काँच की चूड़ियों से
(C) सोने की चूड़ियों से |
(D) चाँदी की चूड़ियों से
उत्तर- (B) काँच की चूड़ियों से
(A) गाँव की औरतें
(B) कस्बे की औरतें
(C) नगर की औरतें
(D) फेरी वालों की औरतें
उत्तर- (C) नगर की औरतें
(A) गाय के दूध की मलाई से
(B) बढ़िया पकवानों से
(C) मिठाई से
(D) सूखे मेवों से
उत्तर- (A) गाय के दूध की मलाई से
(A) बीमारी के कारण .
(B) पिता की बदली दूर हो जाने के कारण
(C) परीक्षा के कारण ।
(D) जान-बूझकर
उत्तर- (B) पिता की बदली दूर हो जाने के कारण
(A) रमेश
(B) नरेश
(C) ज्ञानेश्वर
(D) जनार्दन
उत्तर- (D) जनार्दन
(A) दमा
(B) फसली खाँसी
(C) मलेरिया
(D) निमोनिया
उत्तर- (B) फसली खाँसी
(A) लाजो
(B) रानी
(C) रज्जो
(D) कमलेश
उत्तर- (C) रज्जो
(A) काम बंद होने के कारण
(B) गाय की सँभाल भली-भाँति न होने के कारण
(C) वह बीमार थी ।
(D) उसने दूध देना बंद कर दिया था
उत्तर- (A) काम बंद होने के कारण
(A) लेखक की माता के लिए
(B) जमींदार की बेटी के लिए
(C) लेखक की पत्नी के लिए
(D) स्कूल अध्यापिका के लिए
उत्तर- (B) जमींदार की बेटी के लिए
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