Class 10 Physical Education Chapter 3 – राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय खेल

Class 10 Physical Education Chapter 3 – राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय खेल

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प्रश्न 1. प्राचीन ओलम्पिक खेलों (Ancient Olympic Games) पर विस्तारपूर्वक नोट लिखें।
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक खेल कब शुरू हुए थे? इनके पतन के क्या कारण थे? अथवा
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के उद्देश्यों एवं नियमों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- प्राचीन ओलम्पिक खेल (Ancient Olympic Games)- 776 ईसा पूर्व में प्राचीन ओलम्पिक खेलों की शुरुआत हुई थी। यूनान के ‘ओलम्पिया’ शहर में ये खेल हुए। इन खेलों को हर चार वर्ष में आयोजित किया जाता था। यनानी खेल खेलते थे, खासकर जीयस देवता के सम्मान में। पुराने ओलम्पिक खेलों में केवल यूनानियों ने भाग लिया था, जो पाँच दिन तक चलते थे।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों के उद्देश्य (Objectives of Ancient Olympic Games)- यूनानियों ने जिस महीने या वर्ष में ये खली होती थी, उसे पवित्र मानते थे। यनान राज्यों के राजाओं के संघर्ष समाप्त हो गए। वे शत्रुता को त्यागकर ओलम्पिक खेलों को देखने जाते थे। यनानी लोग इन खेलों में दिल से शामिल होते थे। इन खेलों का मुख्य उद्देश्य था यूनान के नगर-राज्यों में लड़ाई और वैर को दूर करके उनमें शांति, मित्रता और सद्भावना कायम करना।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों के नियम (Rules of Ancient Olympic Games) rules of Ancient Olympic Games)-प्राचीन ओलम्पिक खेलों के मख्य निम्नलिखित थे
(i) ओलम्पिक खेलों में केवल यूनान के नागरिक ही भाग ले सकते थे।
(ii) ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाडी को 10 मास का प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक था और इन खेलों में भाग लेते समय उसे सौगंध लेनी पड़ती थी कि उसने प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
(iii) खिलाड़ियों को खेलें आरंभ होने से एक मास पूर्व ओलम्पिया शहर में पहुँचना होता था।
(iii) सभी खिलाड़ियों को खेलों में शांतिपूर्वक भाग लेने की सौगंध लेनी पड़ती थी।
(v) महिलाएँ इन खेलों में भाग नहीं ले सकती थीं तथा उन्हें खेलें देखने की भी आज्ञा नहीं थी।
(vi) केवल ऊँचे चरित्र वाले खिलाड़ियों को ही इन खेलों में भाग लेने की आज्ञा थी।
(vii) जजों को भी ठीक निर्णय देने की सौगंध लेनी पड़ती थी।
(viii) पहला और अंतिम दिन धार्मिक गीतों और बलियों के लिए होता था।
(ix) गुलाम एवं दंडित खिलाड़ी इन खेलों में भाग नहीं ले सकते थे।

प्राचीन ओलम्पिक के पुरस्कार (Awards of Ancient Olympic Games)-पुराने ओलम्पिक विजेताओं को बहुत मान-सम्मान मिलता था। जीयस देवता के मन्दिर में लगे पवित्र जैतून वृक्ष की टहनियों से मुकुट बनाकर विजेता खिलाड़ियों को दिया जाता था। विजेताओं को गाय-भैंस और पैसा दिया जाता था। उनके नामों से कवि लोग गीत गाते थे। शहर की दीवारें और दरवाजे उनके स्वागत में सजाए गए थे। वे देशभक्त थे।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों का महत्त्व (Importance of Ancient Olympic Games)-यूनानी लोग ओलम्पिक खेलों को धार्मिक उत्सव की तरह मनाते थे। जब ये शुरू हुए, सारे देश में संघर्ष समाप्त हो गया। ओलम्पिया में दोस्तों की तरह घूमते थे। प्रत्येक ओर शान्ति, पवित्रता और मित्रता का भाव था। ये खेल शांति, शुद्धता और दोस्ती का प्रतीक थे।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों का पतन (Decline of Ancient Olympic Games)- 776 ईसा पूर्व से 393 ईसा पूर्व तक चलने वाले प्राचीन ओलम्पिक खेल बहुत शानदार और सम्मानपूर्ण तरीके से चलते रहे, लेकिन यूनान पर रोम का कब्जा होते ही खेलों में बाधा आई। पुराने ओलम्पिक खेलों का पतन निम्नलिखित कारणों से हुआ था:
(i) यूनानियों के अलावा अन्य लोगों को इन खेलों में शामिल करना और किसी भी प्रकार से जीत प्राप्त करना अपना लक्ष्य बनाया था।
(ii) यूनान पर रोम का कब्जा होने के बाद रोमवासियों में इन खेलों के प्रति कोई खास उत्साह या मोह नहीं था।
(iii) रोम ने इन खेलों में अधिक जोखिम और उत्साह को शामिल किया। इससे खिलाड़ी बहुत घायल होने लगे। इससे महान खिलाड़ी भाग नहीं लेते थे।
(iv) इन खेलों में कुछ कमियां भी थीं, जैसे रिश्वतखोरी। खिलाड़ी को जीतने के लिए न्यायाधीशों को रिश्वत देना शुरू हो गया था।
(v) रोमन खेलों को अच्छा नहीं समझा। इसलिए इन खेलों का भी पतन हुआ। अंततः 393 ई. में रोम के तत्कालीन सम्राट् थियोडोसियस ने एक पत्र जारी कर इन खेलों पर प्रतिबंध लगाया।

प्रश्न 2. आधुनिक ओलम्पिक खेलों पर विस्तारपूर्वक एक टिप्पणी लिखें।
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेलों को प्रारंभ किसने किया? इन खेलों के उद्देश्यों एवं नियमों का वर्णन करें।
अथवा
नवीन ओलम्पिक खेलों के इतिहास और नियमों का वर्णन करें।

उत्तर- परिचय (Introduction)- सन् 1829 में, प्राचीन ओलम्पिक खेलों के समाप्त होने के कई वर्षों बाद, पुरातत्व वैज्ञानिकों ने यूनान के ओलम्पिया नगर में खदाई शुरू की। लंबे समय की मेहनत के बाद अर्नेस्ट कर्टियस को 4 अक्तूबर, 1875 को खुदाई से कुछ सफलता मिली। ओलम्पिया नगर के मंदिरों और स्टेडियमों को खुदाई दी गई। इन अवशेषों की खोज ने आज के ओलम्पिक खेलों को बनाया। फ्रेंच वैज्ञानिक बैरन पियरे डी कोबर्टिन ने ओलम्पिक खेलों को फिर से शुरू किया। उनकी मेहनत से ही इन खेलों का पुनरारंभ हो सका। 18 जून, 1894 को, उन्होंने पेरिस में सोरबोन सम्मेलन बुला लिया, जिसमें उन्होंने ग्यारह देशों के प्रतिनिधियों को अपनी खेलों की योजनाओं को प्रस्तुत किया। प्रस्ताव को सम्मेलन ने स्वीकार किया, तो पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलों की तारीख तय करनी पड़ी।अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) खेलों का आयोजन और नियंत्रण करती है। देमित्रिस विकेलस इस समिति का अध्यक्ष था। सभी ने 6 अप्रैल, 1896 को यूनान के एथेंस में नवनिर्मित पहले ओलम्पिक खेलों का आयोजन करने का निर्णय लिया।

आधुनिक ओलम्पिक खेलों के उद्देश्य (Objectives of Modern Olympic Games)-आधुनिक ओलम्पिक खेलों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(i) खिलाड़ियों में सामाजिक व नैतिक गुणों का विकास करना।
(ii) खिलाड़ियों में विश्व-शान्ति, आपसी सद्भाव एवं मित्रता को बढ़ावा देना।
(iii) खिलाड़ियों में खेल-भावना और आपसी सहयोग की भावना का विकास करना।
(iv) युवाओं को खेलों के लिए प्रेरित करना तथा उनके व्यक्तित्व का विकास करना।
(v) खिलाड़ियों में देशभक्ति व भाईचारे की भावना का विकास करना।
(vi) जाति, रंग, धर्म व नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव न होने देना।
(vii) खिलाड़ियों का शारीरिक एवं चारित्रिक विकास करना।
(viii) खिलाड़ियों में अच्छी आदतों का निर्माण करना।

ओलम्पिक खेलों में प्रवेश के नियम (Entry Rules of Modern Olympic Games)- राष्ट्रीय ओलम्पिक खेल समिति ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को भेजती है। खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल संस्थाएँ चुनती हैं, फिर अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति को उनके नाम भेजे जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति इन खेलों का नियमानुसार आयोजन करती है। 1908 लंदन ओलम्पिक खेलों के कुछ नियम इस प्रकार हैं
(i) वह हर देश जो ओलम्पिक संघ का सदस्य है, अपने देशवासियों को खेलों में भाग लेने के लिए भेज सकता है।
(ii) एक खिलाड़ी एक ही देश का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
(iii) खिलाड़ी नशा करके इन खेलों में भाग नहीं ले सकते।
(iv) यदि किसी खिलाड़ी ने एक देश की ओर से इन खेलों में भाग लिया हो तो दूसरे देश की ओर से इन खेलों में भाग नहीं ले सकता। परंतु नए बने देश के खिलाड़ियों के लिए यह शर्त लागू नहीं होती।
(v) ओलम्पिक खेलों में भाग लेते समय खिलाड़ी के लिंग की जाँच की जाती है।
(vi) खिलाड़ी किसी आयु, लिंग, धर्म एवं जाति का हो सकता है। उसके साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।

ओलम्पिक मॉटो (Olympic Motto)-ओलम्पिक मॉटो लैटिन भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है
(i) सीटियस (Citius)-बहुत तेज (Faster),
(ii) आल्टियस (Altius)-बहुत ऊँचा (Higher)
(iii) फॉर्टियस (Fortius)-बहुत शक्तिशाली (Stronger)।
इनका अर्थ है-बहुत तेज दौड़ना, बहुत ऊँची कूद लगाना और बहुत ज़ोर (शक्ति) से गोला (थ्रो) फेंकना। ये शब्द खिलाड़ियों में उत्साह भरते हैं और वे अच्छा प्रदर्शन करने हेतु प्रेरित होते हैं।

ओलम्पिक सौगंध (Olympic Oath)-ओलम्पिक खेलों के शरू होने से पहले मेजबान देश का खिलाड़ी यह सौगंध (शपथ) लेता है कि-“हम सौगंध लेते हैं कि हम इन ओलम्पिक खेलों में सच्चे खिलाड़ीपन की भावना से भाग लेंगे तथा अपने देश के सम्मान एवं खेलों के गौरव के लिए इन खेलों के सारे नियमों का आदर एवं पालन करेंगे। (We swear that we shall take part in these olympic games in the true spirit of sportsmanship and that we will respect and abide s which govern them for the glory of sport and the honour of our country.)

ओलम्पिक ध्वज (Olympic Flag)- ओलम्पिक ध्वज, बैरन पियरे डी कोबर्टिन के सुझाव पर सन् 1913 में बनाया गया था और सन् 1914 में इसका उद्घाटन हुआ था। सन् 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प (Antwerp) में खेलों में ओलम्पिक ध्वज को पहली बार फहराया गया था। ध्वज सफेद है। इसमें पाँच अलग-अलग रंगों के परस्पर जुड़े हुए चक्र हैं; जैसे नीला, पीला, काला, हरा, लाल आदि रंग ये पाँच महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं: यूरोप नीला, एशिया पीला, अफ्रीका काला, ऑस्ट्रेलिया हरा और अमेरिका लाल।

आलम्पिक ध्वज के ये चक्र काम की नैतिकता, खेल भावना, उत्साह और विजय को दिखाते हैं। इन चक्रों का एक दूसरे से जुड़ा होना इन पाँच महाद्वीपों के बीच प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है।

ओलम्पिक मशाल (Olympic Flame)- ओलम्पिक खेलों का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है ओलम्पिक मशाल या ज्योति। सन् 1936 के बर्लिन ओलम्पिक खेलों में पहली बार ओलम्पिक मशाल जलाया गया था। यह ज्ञान, प्रसन्नता और शांति का प्रतीक है। खेल शुरू होने से कुछ दिन पहले, यूनान के ओलम्पिया में हेरा मंदिर के सामने इस मशाल को सूर्य की किरणों से जलाया गया था। अब सूर्य की किरणों से नहीं बल्कि शीशे से प्रकाश मिलता है। यह मेजबानी करने वाले देश की क्षमता पर भी आधारित है। आज तक इसके मूल रूप में कोई बदलाव नहीं हुआ है। विभिन्न खिलाड़ियों या व्यक्तियों ने इस मशाल को ओलम्पिक खेलस्थल पर पहुंचाया है। ओलम्पिक मशाल हर दिन जलती रहती है और खेल समाप्त होने पर बुझा जाती है।

ओलम्पिक पदक (Olympic Awards)- वर्तमान ओलम्पिक खेलों में पहले तीन स्थानों पर आने वाले खिलाड़ियों या टीमों को पदकं या तमगे मिलते हैं। शीर्ष पर पहुंचे व्यक्ति को स्वर्ण पदक, रजत पदक और काँस्य पदक मिलते हैं। साथ ही विजेता खिलाड़ी को डिप्लोमा भी मिलता है।

उद्घाटन समारोह (Opening Ceremony)- ओलम्पिक खेलों का उद्घाटन समारोह बेहद प्रभावशाली होता है। ओलम्पिया (Olympia) नगर में एक मशाल ले जाया जाता है, जहाँ ओलम्पिक खेल होते हैं, और उस नगर के राजा, राष्ट्रपति, या प्रधानमंत्री खेलों के आरंभ की घोषणा करते हैं। साथ ही, एथलीट मार्च-पास्ट (March Past) और शपथ लेने (Oath-Taking) की रस्में अदा करते हैं, ओलम्पिक ध्वज फहराया जाता है और ओलम्पिक मशाल जला दी जाती है, जो खेलों के अंत तक स्टेडियम में जलती रहती है। मनोरंजनात्मक-सांस्कृतिक कार्यक्रम खिलाड़ियों, अधिकारियों और दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। इसके बाद खेल शुरू होते हैं।

समापन समारोह (Closing Ceremony)- ओलम्पिक खेलों का समापन समारोह बहुत आम है। एथलीट या खिलाड़ी अंतिम घटना के बाद स्टेडियम में मिलते हैं। अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के अध्यक्ष को शहर का मेयर और प्रबंधक समिति का अध्यक्ष स्टेडियम ले जाते हैं। वह इन खेलों का अंत करता है। बाद में ओलम्पिक ध्वज को नीचे उतारकर अध्यक्ष इसे मेयर को संभालने के लिए देता है। ओलम्पिक ज्वाला या मशाल बुझा जाता है और खेल समाप्त होता है।

प्रश्न 3. नवीन या आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भारत की स्थिति पर प्रकाश डालें।
अथवा
अब तक हुए आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भारत का सफर कैसा रहा? क्या यह संतोषजनक है?

उत्तर- 1900 के पेरिस ओलम्पिक ने भारत को ओलम्पिक खेलों में लाया। इसमें कोलकाता के एंग्लो-इंडियन नॉर्मन गिलबर्ड प्रिटिहार्ड ने 200 मीटर बाधा (हर्डल) दौड़ में रजत पदक जीता था।
भारत ने 1900 के बाद लगभग दो दशक तक ओलम्पिक खेलों में भाग नहीं लिया। 1920 के बेल्जियम ओलम्पिक खेलों में भारत ने पहली बार अपनी ओलम्पिक टीम भेजी। भारत ने इसके बाद से ओलम्पिक खेलों में भाग लेना जारी रखा है। लेकिन भारत का प्रवास, ओलम्पिक खेलों के इतिहास को देखते हुए, अब तक सफल नहीं रहा है। भारत ने इन खेलों में अभी तक केवल 28 पदक जीते हैं, जिसमें से 11 हॉकी में मिले हैं।
जयपाल सिंह की हॉकी टीम ने 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक खेलों में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता। भारत की हॉकी टीम ने ओलम्पिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। भारत की हॉकी टीम ने ओलम्पिक खेलों में लगातार छ: बार स्वर्ण पदक जीता (1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956)। इस दौरान टीम ने कई रिकॉर्ड तोड़े और बनाए। यही ओलम्पिक खेलों में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का दौर था। भारतीय हॉकी टीम ने लंबे समय तक ओलम्पिक खेलों में एकछत्र शासन किया।
भारत के पहलवान केडी जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलम्पिक खेलों में कुश्ती में कांस्य पदक जीता। भारत की हॉकी टीम ने 1960 के रोम ओलम्पिक खेलों में हार गई, लेकिन 1964 के टोकियो ओलम्पिक खेलों में फिर से पाकिस्तान को हराकर पदक जीता। 1996 के एटलांटा ओलम्पिक खेलों में भारत के लिएंडर पेस ने टेनिस में कांस्य पदक जीता। 2000 के सिडनी ओलम्पिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने पहली बार भारोत्तोलन में कांस्य पदक जीता था। भारतीय निशानेबाज राज्यवर्द्धन राठौर ने 2004 के एथेंस ओलम्पिक खेलों में रजत पदक जीता।
2008 के बीजिंग ओलम्पिक खेलों में अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग में पहली बार भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। इसी वर्ष विजेंद्र सिंह ने बॉक्सिंग में और सुशील कुमार ने कुश्ती में काँस्य पदक जीता। भारत ने 2012 के लंदन ओलम्पिक खेलों में अपने इतिहास में सबसे अधिक 6 पदक जीते हैं। गगन नारंग और विजय कुमार ने निशानेबाजी में, सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त ने कुश्ती में, साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में और एमसी मैरीकॉम ने बॉक्सिंग में पदक जीते। भारत का प्रदर्शन 2016 के रियो डी जेनेरियो (ब्राजील) ओलम्पिक खेलों में निराशाजनक रहा। भारत के 119 खिलाड़ी इस ओलम्पिक में भाग लेते हुए केवल दो पदक जीत पाए। पीवी सिन्धू ने बैडमिंटन में रजत पदक और साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक जीता।
121 करोड़ से अधिक लोगों वाले देश का ओलम्पिक खेलों में प्रदर्शन उत्साहजनक या संतोषजनक नहीं रहा है, जैसा कि दिखाया गया है। हम ओलम्पिक पदक तालिका में काफी पीछे हैं। हम ओलम्पिक खेलों में अपनी जगह को प्यार, लगन और मेहनत से बनाए रखना चाहिए. तभी हम अपनी जगह अच्छी और संतोषजनक बना सकेंगे और दुनिया को दिखा सकेंगे कि हम भी बहुत कुछ कर सकते हैं।

प्रश्न 4. अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ (International Olympic Committee) पर विस्तृत नोट लिखें।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (I.0.C.) क्या है? इसके उद्देश्यों व कार्यों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर. अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (International Olympic Committee-I.O.C.)- अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति का जन्म बैरन पियरे डी कोबर्टिन ने किया था। 23 जून, 1894 को उनकी मेहनत से यह समिति बन गई। यह समिति आधुनिक ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलम्पिक खेलों को प्रत्येक चार साल बाद आयोजित करती है। देमित्रिस विकेलस इस समिति का पहला अध्यक्ष था। वर्तमान में इस समिति में एक अध्यक्ष, चार उपाध्यक्ष, पाँच महानिदेशक और लगभग पांच कार्यकारी बोर्ड सदस्य हैं। इसका मुख्यालय लोसाने, स्विट्जरलैण्ड में है।

अंतर्राष्टीय ओलम्पिक समिति के उद्देश्य व कार्य (Objectives and Functions of International Olympic Committee)-अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के मुख्य उद्देश्य व कार्य निम्नलिखित हैं
(i) अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ओलम्पिक खेलों का आयोजन स्थान एवं तारीख आदि निश्चित करती है।
(ii) यह खेलों का प्रबंध करती है।
(iii) यह खेलों व खिलाड़ियों के लिए आवश्यक नियम बनाती है।
(iv) यह खिलाड़ियों को विश्व-शांति, सहयोग एवं भाईचारे की भावना बनाए रखने हेतु प्रेरित करती है।
(v) यह खेलों में नैतिकता को बनाए रखने और युवाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती है।

(vi) यह खेलों में डोपिंग का विरोध करती है। यदि कोई खिलाडी डोपिंग में सकारात्मक रूप से भागीदार पाया जाता है तो उसके विरुद्ध उचित कार्रवाई करती है।
(vii) यह खिलाड़ियों को बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
(viii) यह खेलों और खिलाड़ियों में किसी भी प्रकार के वाणिज्यकरण व राजनीतिकरण का विरोध करती है।

प्रश्न 5. अब तक कितनी आधुनिक ओलम्पिक खेलें हुई हैं? ये कब और कहाँ-कहाँ आयोजित हुईं?

उत्तर- अब तक 31 आधुनिक ओलम्पिक खेल हुए हैं। 31वीं ओलम्पिक खेलों में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में भारत ने दो पदक जीते। 20वीं ओलम्पिक खेलें 2020 में जापान के टोकियो शहर में होंगी। अब तक हुए ओलम्पिक खेलों के आयोजित शहर (देश) और वर्ष का विवरण निम्नलिखित तालिका में दिया गया है।

वर्ष —– स्थान

1896 —– एथेंस (ग्रीस)
1900 —– पेरिस (फ्रांस)
1904 —– सेंट लुई (अमेरिका)
1908 —– लंदन (ब्रिटेन)
1912 —– स्टाकहोम (स्वीडन)
1920 —– एंटवर्प (बेल्जियम)
1924 —– पेरिस (फ्रांस)
1928 —– एम्सटर्डम (नीदरलैंड)
1932 —– लॉस एंजिल्स (अमेरिका)
1936 —– बर्लिन (जर्मनी)
1948 —– लंदन (ब्रिटेन)
1952 —– हेलसिंकी (फिनलैंड)
1956 —– मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया)
1960 —– रोम (इटली)
1964 —– टोक्यो (जापान)
1968 —– मैक्सिको सिटी
1972 —– म्यूनिख (जर्मनी)
1976 —– मॉन्ट्रियल (कनाडा)
1980 —– मॉस्को (रूस)
1984 —– लॉस एंजिल्स (अमेरिका)
1988 —– सोल (दक्षिण कोरिया)
1992 —– बार्सिलोना (स्पेन)
1996 —– अटलांटा (अमेरिका)
2000 —– सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)
2004 —– एथेंस (ग्रीस)
2008 —– बीजिंग (चीन)
2012 —– लंदन (इंग्लैण्ड)
2016 —– रियो डी जेनेरियो (ब्राजील)

आज भी ओलम्पिक खेलों में बहुत कमी आई है। पहले और दूसरे विश्वयुद्धों का प्रभाव, इजराइल के खिलाड़ियों का कत्लेआम म्यूनिख ओलम्पिक में और 1980 में मॉस्को ओलम्पिक और 1984 में लॉस एंजिल्स ओलम्पिक के बहिष्कार ने खेलों के औपचारिक नियमों को गंभीर नुकसान पहुँचाया। 1916, 1940 और 1944 के ओलम्पिक खेलों को युद्धों ने रोक दिया। कितनी अच्छी बात होगी अगर खेलों को इन घटनाओं से बचाया जाए, ताकि खेलों का असली उद्देश्य, अंतरराष्ट्रीय भ्रातृत्व और विश्व-शांति, पूरा हो सके।

प्रश्न 6. एशियाई खेलों (Asian Games) के बारे में आप क्या जानते हैं? विस्तारपूर्वक लिखें।
अथवा
एशियाई खेलें कब तथा क्यों शुरू हुईं? इन खेलों को शुरू करने में भारत का क्या योगदान है?
अथवा
एशियाई खेलें क्यों और कब शुरू हुईं? इनके उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।

उत्तर- परिचय (Introduction)- प्रो. जी.डी. सोंधी ने एशियाई खेलों का उद्घाटन किया। उस समय वे भारतीय एथलेटिक एमेच्योर फेडरेशन और राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के अध्यक्ष थे। जब अनसार भा भारताय एशियाई खिलाड़ी पश्चिमी खिलाड़ियों से खेलते हैं। वे सफल नहीं होते। उन्होंने कहा कि यह पहल अच्छा होगा अगर ये खिलाड़ी आपस में खेलते हैं और अपने खेल को बेहतर बनाते हैं। 8 अगस्त, 1948 को लंदन के मार्कट रॉयल होटल में भारत, चीन, कोरिया, श्रीलंका, फिलीपाइन और अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने एशियाई देशों में खेलों को करवाने पर विचार किया। 13 फरवरी, 1949 को महाराजा पटियाला श्री यादविंद्र की अध्यक्षता में एशियाई देशों (भारत, बर्मा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल और फिलीपाइन) के प्रतिनिधि एक बार फिर नई दिल्ली में एकत्रित हुए। ये सभी प्रतिनिधि एशियाई खेलों का प्रस्ताव पारित करते थे। ये खेल हर चार वर्ष में भी खेलने का निर्णय भी लिया गया था। इन खेलों को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य था एशियाई खिलाड़ियों का खेल बेहतर करना और दुनिया भर के खिलाड़ियों से जुड़ना। द्वितीय विश्वयुद्ध ने खेलों को बदनाम किया, लेकिन आज एशियाई खेल हर देश का सम्मान हैं। 4 मार्च से 11 मार्च, 1951 तक पहली बार एशियाई खेल नई दिल्ली (भारत) के नेशनल स्टेडियम में हुए। सिर्फ छह इवेंट्स और ग्यारह देशों ने भाग लिया था। एशियाई खेलों का उद्घाटन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। इन खेलों का आदर्श वाक्य है “हमेशा आगे बढ़ना।”

एशियाई खेलों का झण्डा (Flag of Asian Games)- एशियाई खेलों का झण्डा सफेद है। सूर्य का एक संतरी रंग का चिह्न इसके मध्य में है। इसके चक्र नीले होते हैं। जितने देश खेलों में भाग लेते हैं, उतने ही चक्र आपस में मिलते हैं।

एशियाई खेलों के मुख्य इवेंट्स (Main Events of Asian Games) हॉकी, फुटबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, जिम्नास्टिक, कुश्ती, मुक्केबाजी, तलवार चलाना, तैराकी, साइक्लिग, लॉन टेनिस, टेबल टेनिस, भारोत्तोलन, निशानेबाजी, एथलेटिक्स, नौकायन, कबड्डी आदि इन खेलों के मुख्य इवेंट्स हैं।

एशियाई खेलों के इनाम (Awards of Asian Games)- प्रथम तीन स्थानों पर आने वाले खिलाड़ियों या टीमों को एशियाई खेलों में इनाम के रूप में पदक या तमगे मिलते हैं। शीर्ष पर आने वाले व्यक्ति को स्वर्ण पदक, रजत पदक और काँस्य पदक मिलते हैं। खिलाड़ियों को प्रमाण-पत्र भी मिलते हैं।

एशियाई खेलों के उद्देश्य (Objectives of Asian Games)-एशियाई खेलों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(i) एशिया के खिलाड़ियों को योग्यता का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करना।
(ii) खिलाड़ियों में शारीरिक व नैतिक गुणों का विकास करना।
(iii) विश्व-शान्ति, आपसी सद्भाव एवं मित्रता को बढ़ावा देना।
(iv) खिलाड़ियों में टीम-भावना और आपसी सहयोग की भावना का विकास करना।
(v) युवाओं को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना।
(vi) खिलाड़ियों में देशभक्ति व भाईचारे की भावना का विकास करना।
(vii) जाति, रंग, धर्म व नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव न होने देना।

प्रश्न 7. राष्ट्रीय स्तर पर खेल कैसे आयोजित किए जाते हैं? राष्ट्रीय खेलों के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
राष्ट्रीय खेलों (National Games) को कब, क्यों और कैसे आयोजित किया जाता है?
अथवा
राष्ट्रीय खेल क्या है? इनका क्या उद्देश्य है?

उत्तर- राष्ट्रीय खेल का अर्थ (Meaning of National Game)- राष्ट्रीय खेल देश के सभी राज्यों के खिलाड़ी और टीमें खेलते हैं। इन खेलों में शामिल होते हैं खिलाड़ी व टीमें जिन्होंने अपने राज्य में जिला स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है। राज्य की सर्वोच्च टीम और खिलाड़ी देश भर में खेलते हैं। राष्ट्रीय समिति इन खेलों को आयोजित करती है और इन खेलों के नियम बनाती है।

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन (Organisation of National Games)-राष्ट्रीय स्तर पर खेल दो चरणों में आयोजित किए जाते हैं
1. पतझड़ के खेल (Autumn Games)-ये खेल सितम्बर या अक्तूबर मास में आयोजित किए जाते हैं। इन खेलों में हॉकी फुटबॉल, वॉलीबॉल, टेबल-टेनिस, कबड्डी, खो-खो, तैराकी आदि प्रतियोगिताएँ सम्मिलित हैं।

2. सर्दियों खेल (Winter Games)-ये खेल दिसम्बर या जनवरी मास में आयोजित किए जाते हैं। इन खेलों में हॉकी बैडमिंटन, बास्केटबॉल. जिम्नास्टिक. एथलेटिक्स आदि प्रतियोगिताएँ सम्मिालत है।
राष्ट्रिय खेल फेडरेशन राष्ट्रीय खेलों का आयोजन करता है। इन खेलों का उद्देश्य खिलाड़ियों में सद्भाव, मित्रता, सहयाग और राष्ट्रीय भावना को बढ़ाना है और देश का नाम रोशन करना है। इन खेलों में राज्य स्तरीय खिलाड़ी और टीमें भाग लेते हैं। इन खेलों में विजेता खिलाड़ियों और टीमों को पुरस्कार और प्रमाणपत्र मिलते हैं। विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को इन खेलों में चुना जाता है और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया जाता है. उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय छात्रवृत्तियाँ भी मिलती हैं।

राष्ट्रीय खेलों के उद्देश्य (Objectives of National Games)-राष्ट्रीय खेलों के मख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(i) खिलाड़ियों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास करना।
(ii) अच्छे नागरिक के सामाजिक एवं नैतिक गुणों का विकास करना।
(iii) खिलाड़ियों में अनुशासन, सहानुभूति एवं सद्भाव आदि गुणों का विकास करना ।
(iv) मैत्रीभाव एवं बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देना।
(v) देश में खेलों को प्रोत्साहन देना।
(vi) शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाना।
(vii) युवाओं को खेलों के लिए प्रेरित करना।
(viii) प्रांतीय भेदभाव व विविधता को समाप्त करना।
(ix) खिलाड़ियों को राष्ट्रीय भावना से खेलने के लिए प्रेरित करना।
(x) खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं हेतु तैयार करना।

प्रश्न 8. भारतीय ओलम्पिक संघ (Indian Olympic Association) पर विस्तृत नोट लिखें।
अथवा
भारतीय ओलम्पिक संघ के बारे में लिखें। इसके उद्देश्यों एवं कार्यों का उल्लेख करें।

उत्तर- भारत में ओलम्पिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए सर दोराबजी जमशेद टाटा ने एक दान दिया। 5 फरवरी, 1927 में, खेलों का स्तर बढ़ाने के लिए, उन्होंने AC Nohren की सहायता से प्रांतों के प्रतिनिधियों को कोलकाता में बुलाया। इस बैठक को दोराबजी जमशेद टाटा ने अध्यक्षता दी। इसमें एक संघ बनाने का निर्णय लिया गया। इसलिए भारतीय ओलम्पिक संघ का गठन हुआ। सर दोराबजी जमशेद टाटा इसका अध्यक्ष था, और एसी नोहरेन और जीडी सोंधी इसके सचिव रहे। 1927 में यह संघ ओलम्पिक समिति में गया। भारतीय ओलम्पिक संघ के अलावा प्रांतीय ओलम्पिक संघ, रेलवे कंट्रोल बोर्ड, सर्विस स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड भी हैं। इनमें से प्रत्येक को भारतीय ओलम्पिक संघ ने चुना। भारतीय ओलम्पिक संघ का चुनाव चार वर्षों में एक बार होता है। रेलवे स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड और सर्विस स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड, 21 प्रांतीय ओलम्पिक एसोसिएशन, 9 राष्ट्रीय खेल एसोसिएशन, एक कोषाध्यक्ष, एक अध्यक्ष, एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, आठ उपाध्यक्ष, एक महासचिव और छह सहायक सचिव हैं।

भारतीय ओलम्पिक संघ के उद्देश्य एवं कार्य (Objectives and Functions of Indian Olympic Association)भारतीय ओलम्पिक संघ के उद्देश्य एवं कार्य निम्नलिखित हैं- .
(i) अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के सभी नियमों को जारी करना।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों के लिए खिलाड़ियों व टीमों का चयन करके उन्हें मुकाबले के लिए भेजना।
(iii) देश में राष्ट्रीय स्तर के खेलों का प्रबंध करना।
(iv) खेलों को अधिक-से-अधिक बढ़ावा देना।
(v) अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भेजी गई टीमों/खिलाड़ियों की जिम्मेदारी लेना।
(vi) प्रांतीय स्तरीय ओलम्पिक संघ के कार्यों पर निगरानी रखना।
(vii) युवाओं को खेलों में भाग लेने हेतु प्रेरित करना।
(viii) जो भारतीय टीमें ओलम्पिक में भाग लेती हैं उनके खर्च वहन के लिए यह राष्ट्रीय खेल संघों से वित्तीय सहायता प्राप्त करता है।
(ix) राष्ट्रीय खेल संगठनों की सहायता से उन टीमों को संगठित करना जो देश का प्रतिनिधित्व करती हों।

प्रश्न 10. राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली मुख्य खेल प्रतियोगिताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में आयोजित होने वाली विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का वर्णन करें।

उत्तर– प्रत्येक व्यक्ति प्रतिस्पर्धी होता है। यही भावना उसे आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। उसे सम्मान देने में यही भावना मदद करती है। वर्तमान युग में खेल प्रतिस्पर्धा की भावना से व्यक्तित्व संतुष्ट होता है। व्यक्ति को इससे न केवल कार्यकुशलता मिलती है, बल्कि दक्षता भी मिलती है। इसलिए वह सर्वश्रेष्ठ खेल खेलता है। खेल प्रतियोगिताएँ मनोरंजन के साथ-साथ लोगों को स्वस्थ रखते हैं और उन्हें बीमारियाँ से बचाते हैं। पुराने समय में घुड़सवारी, भाला फेंकना, मल्लयुद्ध, तीरंदाजी और अन्य लोकप्रिय खेलों का आयोजन किया गया था। लेकिन समय के साथ, अन्य खेलों ने इन खेलों का स्थान ले लिया। प्रमुख खेलों में हॉकी, बैडमिंटन, फुटबॉल, क्रिकेट, टेनिस और वॉलीबॉल शामिल हैं। आज इन खेलों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेला जाता है। भारत में आयोजित खेल प्रतियोगिताएँ निम्नलिखित हैं

1. रंगास्वामी कप/राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता (Rangaswami Cup/National Hockey Championship)- सन् 1927 में भारतीय हॉकी एसोसिएशन ने राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता शुरू की। सन् 1935 में पंजाब एसोसिएशन के सचिव बख्शीश अलीशेख और 1946 में न्यूजीलैण्ड के मोरिस को पुरस्कार मिला। लेकिन विभाजन के बाद बख्शीश अलीशेख पाकिस्तान में रहने लगा, इसलिए शील्ड पाकिस्तान में ही रह गया। विभाजन के बाद, मद्रास के समाचार पत्रों ‘हिंद’ और ‘स्पोर्ट्स एंड पास्टाइम’ के मालिकों ने अपने संपादक श्री रंगास्वामी के नाम पर राष्टीय हॉकी प्रतियोगिता के लिए एक नया कप दिया। इसलिए इस खेल को ‘रंगास्वामी कप’ कहा जाता है। 1947 से रंगास्वामी कप प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। यह खेल नॉक आउट स्तर पर होता है।

2. आगा खाँ कप (Agha Khan Cup)-सर आगा खाँ ने पहली बार इस प्रतियोगिता के लिए कप दिया। उन्हीं के नाम पर सन् 1896 से यह प्रतियोगिता नॉक आउट स्तर पर करवाई जा रही है। सर्वप्रथम इस कप को जीतने का श्रेय मंबई के जिमखाना का प्राप्त है। इस प्रतियोगिता का आयोजन आगा खाँ टूर्नामेंट कमेटी करती है।

3. अखिल भारतीय नेहरू सीनियर हॉकी प्रतियोगिता (All India Nehru Senior Hockey Competition) सन् 1964 में नई दिल्ली में स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्य-तिथि की याद में इस प्रतियोगिता का आरंभ हुआ। उनके नाम पर प्रतियोगिता का नाम रखा गया। यह खेल नॉक आउट-कम-लीग की तरह होता है। ङ्केको राष्ट्रपति पुरस्कारों का वितरण करता है और विजेता टीम को समानित करता है।

4. अखिल भारतीय नेहरू जूनियर हॉकी प्रतियोगिता (All India Nehru Junior Hockey Competition)- यह प्रतियोगिता हर साल नई दिल्ली में आयोजित की जाती है, जिसमें 18 वर्ष से कम आय वाले खिलाड़ी भाग लेते हैं और विभिन्न राज्यों से टीमें भाग लेती हैं. प्रतियोगिता 1 नवंबर से शुरू होकर 14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व. पं. जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर समाप्त होती है।

5. डूरंड कप (Durand Cup)- ब्रिटिश इंडिया के विदेश सचिव सर मोर्टीमोर रंड ने इस कप को यह नाम दिया। यह प्रतियोगिता पहले “शिमला टूर्नामेंट” कहलाती थी। 1931 से सेना के अलावा असैनिक टीमें भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने लगी हैं। ‘पटियाला टाइगर’ को पहली बार इस प्रतियोगिता में भाग लेने का सौभाग्य मिला। हर वर्ष, यह खेल नॉक आउट-कम-लीग स्तर पर खेला जाता है।

6. रोवर्ज कप (Rovers Cup)-यह खेल प्रतियोगिता फुटबॉल खेल से संबंधित है, जिसका आयोजन प्रतिवर्ष रोवर्ज कप टूर्नामेंट कमेटी की ओर से किया जाता है। इस प्रतियोगिता में देश के विभिन्न भागों से टीमें भाग लेने आती हैं।

7. सुब्रोटो मुखर्जी कप (Subroto Mukheriee Cup)-सब्रोटो मखर्जी कप प्रतियोगिताको ‘जनियर डरेंड प्रतियोगिता’ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन एयर मार्शल सुब्रोटो मुखर्जी की याद में किया जाता है। डयूरैंड कमेटी पिछले कई वर्षों से सीनियर वर्ग के लिए फुटबॉल की इस प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। यह प्रतियोगिता प्रतिवर्ष नवंबर और दिसंबर के महीने में नई दिल्ली में आयोजित होती है। इस प्रतियोगिता में किसी राज्य की एक ही स्कूल की सर्वोत्तम टीम भाग ले सकती है। इसमें 17 वर्ष की आयु तक के खिलाडी भाग लेते हैं। विजयी टीम को एक आकर्षक ट्रॉफी दी जाती है और अच्छे खिलाड़ियों को वजीफे भी दिए जाते हैं।

8. संतोष ट्रॉफी (Santosh Trophy)- राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए कूच बिहार के महाराजा संतोष जी ने संतोष ट्रॉफी दी थी। भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन हर वर्ष किसी प्रांतीय सदस्य संघ से इस प्रतियोगिता को आयोजित करता है। भारत के प्रत्येक राज्य से फुटबॉल टीमें, सैन्य टीमें और रेलवे टीमें इस प्रतियोगिता में भाग लेती हैं। यह खेल नॉक आउट-कम-लीग पर होता है

9. रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy)- पटियाला के महाराजा भूपेंद्र सिंह ने महान क्रिकेट खिलाड़ी रणजीत सिंह के नाम पर क्रिकेट में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए ट्रॉफी दी। विभिन्न प्रांतों की टीमें हर साल इस प्रतियोगिता में भाग लेती हैं, जो क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित की जाती है। यह खेल लीग स्तर पर खेला जाता है। क्षेत्रीय प्रतियोगिता में विजेता टीम आगे खेलती है।

10. सी०के० नायडू ट्रॉफी (C.K. Naidu Trophy)- स्कूल गेम्स फेडरेशन हर साल CK Naidu प्रतियोगिता आयोजित करता है। इस ट्रॉफी का नाम भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी सीके नायडू पर रखा गया है। इस प्रतियोगिता में केवल स्कूल में पढ़ रहे बच्चे भाग ले सकते हैं। यह प्रतियोगिता हर साल नॉक आउट स्तर पर आयोजित की जाती है। मैच हारने वाली टीम प्रतियोगिता से बाहर हो जाती है।

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