NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 4 – युगों का दौर

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 4 – युगों का दौर

NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Bharat Ki Khoj ) Chapter 4. युगों का दौर – जो विद्यार्थी आठवीं कक्षा में पढ़ रहे है ,उन सब का सपना होता है कि वे आठवीं कक्षा में अच्छे अंक से पास हो ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन या किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न आए . इसलिए आज हमने इस पोस्ट में एनसीईआरटी कक्षा 8 हिंदी भारत की खोज अध्याय 4. (युगों का दौर) का सलूशन दिया गया है जोकि एक सरल भाषा में दिया है . क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ NCERT Solutions for Class 8 Hindi Bharat ki Khoj Chapter 4 Yugon ka Daur दिया गया है. जो विद्यार्थी आठवीं कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें इसे अवश्य देखना चाहिए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप भारत की खोज Ch .04 युगों का दौर के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. राजा मिलिंद कौन था? उसकी प्रसिद्धि का क्या कारण था?
उत्तर- राजा मिलिंद मूलतः यूनानी था। उसका नाम मेनांडर था। उसने पंजाब से होते हुए पाटलीपुत्र तक हमला किया। किंतु उसकी हार हुई। मेनांडर पर भारतीय संस्कृति और वातावरण का प्रभाव पड़ा। वह बौद्ध धर्म में दीक्षित हो गया। वह बाद में राजा मिलिंद के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसे केवल संत के रूप में प्रसिद्धि मिली थी।
प्रश्न 2. हेलिओदो स्तंभ के विषय में आप क्या जानते हो? सार रूप में लिखिए।
उत्तर- हेलिओदो स्तंभ एक ऐतिहासिक स्तंभ है। यह भारत के मध्य प्रदेश में सांची के निकट बेसनगर में स्थित है। यह ग्रेनाइट पत्थर से बना है। इस पर संस्कृत में एक लेख खुदा हुआ है। इससे यूनानियों के भारतीकरण की झलक मिलती है।
प्रश्न 3. तक्षशिला विश्वविद्यालय में विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे के समीप कैसे आई थीं?
उत्तर- तक्षशिला विश्वविद्यालय बहुत पुराना शिक्षा का महान केंद्र रहा है। यहाँ विभिन्न देशों से शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यार्थी आते थे। वह विभिन्न देशों से आने वाले छात्रों का मिलन-स्थल बन गया था। यहाँ भारतीयों का मेल सीदियनों , यूइ-चियों, ईरानियों, बाख्नी-यूनानियों, तुर्कों और चीनियों से होता था। इस परस्पर मेल-जोल से और एक स्थान पर रहने के कारण तक्षशिला विश्वविद्यालय में विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे के समीप आई थीं।
प्रश्न 4. नागार्जुन कौन था? उसने कौन-सा प्रमुख कार्य किया था?
उत्तर- नागार्जुन ईसा की पहली शताब्दी में हुए थे। वे बौद्ध शास्त्रों तथा भारतीय दर्शन के महान विद्वान थे। बौद्ध धर्म से उत्पन्न महायान और हीनयान दो भागों के विवाद में नागार्जुन ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्हीं के अथक प्रयासों से महायान को सफलता प्राप्त हुई थी।
प्रश्न 5. पुराना ब्राह्मण समाज किस बात को लेकर चिंतित था?
उत्तर- भारत पर विदेशी राजाओं के एक के बाद एक आक्रमण हो रहे थे। विदेशी राजाओं को आक्रमण में सफलता मिल रही थी और वे भारत में अपना राज्य स्थापित करते जा रहे थे। ऐसे में पुराना ब्राह्मण समुदाय चिंतित हो उठा था, क्योंकि उन्हें भारतीय संस्कृति और सभ्यता को बनाए रखना था। वे भारतीय आदर्शों के आधार पर अपना सजातीय राज्य कायम रखना चाहते थे। उनकी चिंता का मुख्य कारण यही था।
प्रश्न 6. बौद्ध धर्म के प्रवर्तक कौन थे? यह धर्म कितने संप्रदायों में बाँटा गया था?
उत्तर- बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध थे। उनका असली नाम राजकुमार सिद्धार्थ था। उनकी मृत्यु के पश्चात् बौद्ध धर्म लड़खड़ा गया और विचार भेद के कारण यह दो भागों-हीनयान और महायान में बँट गया।
प्रश्न 7. लेखक ने भारतीय राष्ट्रीय धर्म किसे बताया है? .
उत्तर- भारत में जब आर्य जाति के लोग आए तो उन्होंने भारतीय संस्कृति के आदर्शों को अपना लिया। भारत ने इस स्थिति का सामना करते हुए मिली-जुली भारतीय-आर्य संस्कृति की मज़बूत नींव पर निर्मित एक स्थायी हल प्रस्तुत किया। अन्य विदेशी तत्त्व यहाँ आए और यहीं समा गए। किंतु समय-समय पर अजीब रस्मो-रिवाज़ वाले अजनबी लोगों के हमलों ने उस नींव को हिला दिया। भारत इन हमलों को अनदेखा नहीं कर सकता था, क्योंकि उन्होंने न केवल राजनीतिक ढाँचे को हिलाया, अपितु उसके सांस्कृतिक आदर्शों एवं सामाजिक ढाँचे का भी खतरा उत्पन्न हो गया था। इसके विरुद्ध जो भारतीय प्रतिक्रिया हुई उसका स्वरूप मूलतः राष्ट्रवादी था। इसमें राष्ट्रवाद की शक्ति थी। इसके घेरे में दर्शन, धर्म, परंपरा, रीति-रिवाज़, सामाजिक ढाँचा आदि आते थे। अतः यही राष्ट्रवाद का प्रतीक बना। लेखक ने इसे ही भारतीय राष्ट्रीय धर्म कहा है। .
प्रश्न 8. गुप्त साम्राज्य का आरंभ कब हुआ? उसके प्रवर्तक का क्या नाम था?
उत्तर- गुप्त साम्राज्य का आरंभ 320 ई० में हुआ था। इसके प्रवर्तक चंद्रगुप्त थे। इस साम्राज्य में एक के बाद एक कई महान शासक हुए, जो युद्ध और शांति दोनों कलाओं में सफल हुए।
प्रश्न 9. भारत का नेपोलियन किसे और क्यों कहा गया?
उत्तर- सम्राट समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है। समुद्रगुप्त का शासनकाल बहुत प्रबुद्ध, शक्तिशाली, अत्यंत सुसंस्कृत और तेजस्विता से भरपूर था। इनके युग में साहित्य और विभिन्न कलाओं का विकास हुआ था। इन तथ्यों को देखते हुए समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा गया था, जोकि उचित है।
प्रश्न 10. गुप्त वंश का शासनकाल कब तक रहा? इस वंश के शासन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- गुप्त वंश ने भारत में चौथी शताब्दी के आरंभ से लेकर लगभग डेढ़ सौ वर्षों तक शासन किया। उनका शासन अत्यंत शक्तिशाली और समृद्ध था। उनके शासन में शक्ति, साहित्य एवं कलाओं का खूब विकास हुआ।
प्रश्न 11. ‘गोरे हूण’ कौन थे? उनके सरदार का क्या नाम था?
उत्तर- गुप्त वंश में मध्य-एशिया से जो नए आक्रमणकारी लगातार भारत पर हमला कर रहे थे, वे ‘गोरे हूण’ कहलाए। उनके सरदार का नाम मिहिरगुल था।
प्रश्न 12. गोरे हूणों के सरदार मिहिरगुल ने बालादित्य के साथ धोखा कैसे किया?
उत्तर- गोरे हूणों का सरदार मिहिरगुल भारत में आक्रमण करके लूटमार कर रहा था। उससे तंग आकर गुप्त वंश के शासकों ने यशोवर्मन के नेतृत्व में संगठित होकर उन पर आक्रमण कर दिया तथा मिहिरगुल को बंदी बना लिया। गुप्त वंश के वंशज बालादित्य ने उसके प्रति उदारता का व्यवहार किया और उसे भारत से लौट जाने दिया, लेकिन मिहिरगुल ने इसके बदले बालादित्य के साथ धोखा किया और उस पर आक्रमण करके उसे हरा दिया।
प्रश्न 13. हूणों ने भारत पर कितने वर्ष शासन किया और उन्हें किसने हराया था?
उत्तर- हूणों ने भारत पर लगभग 50 वर्ष तक राज्य किया था। अंत में कन्नौज के राजा हर्षवर्धन ने उन्हें हराकर उत्तर से लेकर मध्य-भारत तक अपना शासन स्थापित किया।
प्रश्न 14. सम्राट हर्षवर्धन के शासन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- सम्राट हर्षवर्धन एक शक्तिशाली और उदार राजा था। उसने अपने शासनकाल में बौद्ध और हिंदू दोनों धर्मों को महत्त्व दिया था। उसने अपने शासनकाल में शासन-व्यवस्था को मज़बूत बनाया था। उसे साहित्य, संगीत एवं अन्य कलाओं के विकास का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा था। वह स्वयं कवि एवं नाटककार था। उसने अपनी राजधानी उज्जयिनी को सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया था। उसके शासन में आम जनता भी बहुत प्रसन्न थी।
प्रश्न 15. उत्तर भारत पर दक्षिण भारत की अपेक्षा विदेशियों का प्रभाव अधिक क्यों रहा?
उत्तर- उत्तर भारत पर विदेशियों का प्रभाव अधिक इसलिए रहा था, क्योंकि भारत पर उत्तर की ओर से विदेशी आक्रमण हुए थे। विदेशी आक्रमणकारियों ने उत्तर भारत पर ही अपनी संस्कृति का प्रभाव छोड़ा थाविदेशी आक्रमणकारी दक्षिण भारत की ओर नहीं पहुँच सकते थे, इसलिए विदेशी प्रभाव दक्षिण भारत पर कम पड़ा था। 6.
प्रश्न 16. उज्जैन सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनी रही। कैसे?
उत्तर- उज्जैन सम्राट हर्षवर्धन की राजधानी थी। हर्षवर्धन जहाँ एक कुशल शासक था, वहीं वह एक सफल कवि एवं नाटककार भी था। उसने अपने दरबार में अनेक कवियों एवं कलाकारों को आश्रय दिया हुआ था। वह समय-समय पर अपनी राजधानी में सांस्कृतिक गतिविधियों के कार्यक्रम भी करवाता था। इस प्रकार हर्षवर्धन की राजधानी सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनी हुई थी।
प्रश्न 17. लेखक ने दक्षिण भारत के समृद्धि के क्या कारण बताएँ हैं?
उत्तर- दक्षिण भारत अपनी दस्तकारी और समुद्री व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। दक्षिण भारत उत्तर भारत की अपेक्षा अधिक शांत रहा। अफ़गान शासन में पड़ने वाले क्षेत्रों के दस्तकार या कारीगर बार-बार होने वाले आक्रमणों से तंग आकर दक्षिण भारत में बस गए थे। वहाँ रहते हुए उन्होंने अपनी दस्तकारी से सुंदर-सुंदर वस्तुओं का निर्माण किया, जिनकी विदेशों में भी माँग रहती थी। समृद्धि का दूसरा बड़ा कारण समुद्री व्यापार था। वहाँ के लोग समुद्र के द्वारा दूर-दूर देशों तक जाकर व्यापार करके धन कमाते थे।
प्रश्न 18. पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुसार अंग्रेज़ी शासन के कायम होने के दौरान भारत की कैसी स्थिति थी? ।
उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत की तत्कालीन स्थिति का गहन अध्ययन किया था और उन्होंने निष्कर्ष रूप में बताया था कि भारत की आंतरिक फूट एवं जड़ता के कारण यहाँ अवनति अपनी चरम सीमा पर थी। राजनीति एवं आर्थिक व्यवस्था पूर्णतः हिल चुकी थी।
प्रश्न 19. लेखक के अनुसार भारत में यूरोप से अधिक शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित शासन-व्यवस्था क्यों रही?
उत्तर- लेखक के अनुसार भारत में यूरोप से अधिक शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित शासन-व्यवस्था रही, क्योंकि यहाँ के शासकों ने दो-दो, तीन-तीन सौ वर्षों तक निरंतर शासन किया।
प्रश्न 20. अंग्रेज़ों से पूर्व के विदेशी शासकों की क्या विशेषता रही?
उत्तर-अंग्रेज़ों से पूर्व के विदेशी शासकों ने अपने-आपको भारतीय परंपरा, सभ्यता एवं संस्कृति के अनुरूप जल्दी ही ढाल लिया। इसीलिए वे सफल शासक रहे। उन्होंने आगे चलकर भारत को अपना घर एवं देश मान लिया था।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top