NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 15. जैव-विविधता का संरक्षण

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 15. जैव-विविधता का संरक्षण

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 15. जैव-विविधता का संरक्षण – NIOS कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12th पर्यावरण विज्ञान अध्याय 15 (जैव-विविधता का संरक्षण) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 12 Environmental Science Chapter 15. Biodiversity Conservation की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 12 Environmental Science के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 15 Solution – जैव-विविधता का संरक्षण

प्रश्न 1. आप जैविक विविधता से क्या समझते हैं?
उत्तर- जैविक विविधता पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवधारियों की सभी किस्मों की कुल संख्या है।

प्रश्न 2. जैव विविधता के विभिन्न स्तरों की सूची बनाइए ।
उत्तर – जैव विविधता के तीन स्तर हैं-
(i) आनुवंशिक विविधता– किसी भी जीव व पौधों का प्रत्येक सदस्य आनुवंशिकी में एक-दूसरे से भिन्न होता है, क्योंकि जीवों में लैंगिक जनन के साथ पुनर्संयोजन के कारण प्रत्येक जीव में कुछ गुण होते हैं।
(ii) स्पीशीज विविधता- स्पीशीज विविधता का अर्थ है किसी भौगोलिक क्षेत्र में कई किस्म की स्पीशीजें। स्पीशीज विविधता को स्पीशीज समृद्धि, स्पीशीज बहुल्य तथा जातिवृत्तीय विविधता से मापा जाता है।
(iii) पारितंत्रीय विविधता – पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के पारितंत्र पाए जाते हैं, जिनमें पर्यावासों के आधार पर अन्तर पाया जाता है।

प्रश्न 3. भारत में पाए जाने वाले दो हॉट स्पॉट के नाम बताओ ।
उत्तर- (i) पूर्वी हिमालय के गर्म स्थान भूटान और उत्तर-पश्चिमी भारत तक फैले हुए हैं। 1780 से 2500 मीटर की ऊँचाई के बीच समशीतोष्ण वन हैं। कई गहरी और अर्द्ध-प्रथम घटियों में असाधारण स्थानिक पाद स्पीशीज हैं।
(ii) पश्चिमी घाट क्षेत्र लगभग 1600 किमी तक महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में फैला हुआ है और भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट के समांतर है। 500 से 1500 मीटर की ऊँचाई पर अर्ध-सदाबहार वन हैं, लेकिन कम ऊँचाई पर अधिकांश वन सदाबहार हैं।

प्रश्न 4. भारत में सर्वाधिक पाए जाने वाले
(i) पादपों के समूह तथा
(ii) प्राणियों के समूह का नाम लिखो ।
उत्तर- (i) पादपों के समूह – एंजियोस्पर्म ।
(ii) प्राणियों के समूह – आर्थीपोड ।

प्रश्न 5. ऐसी तीन महत्त्वपूर्ण श्रेणियों के नाम बताइए जिनके अंतर्गत जैव-विविधता के उपयोगों का वर्णन किया जाता है।
उत्तर – उपभोग श्रेणी – स्थानीय समुदाय द्वारा लकड़ी, भोजन, ईंधन, लकड़ी, जानवरों का भोजन का प्रत्यक्ष उपभोग । पारितंत्रीय विविधता वन्य जीवों को उनकी आवश्यकताओं, भोजन, बिल्डिंग पदार्थ, जानवरों का भोजन, दवाइयाँ तथा अन्य पदार्थ उपलब्ध कराती है।

उत्पादक श्रेणी-अच्छी नस्लों के विकास के लिए जैव विविध क्षेत्रों की नस्लों का उपयोग किया जाता है।

सामाजिक श्रेणी – पादप एवं प्राणी मानव के सांस्कृतिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। मानव संस्कृतियाँ अपने पर्यावरण में साथ-साथ विकसित हुई हैं तथा जैव विविधता विभिन्न समुदायों को एक अलग सांस्कृतिक पहचान प्रदान कर सकती है।

प्रश्न 6. पारितंत्र सेवाओं के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – स्पीशीज तथा पारितंत्र से पारितंत्र सेवाएं ग्लोबल, क्षेत्रीय तथा स्थानीय स्तर पर आवश्यक हैं- ऑक्सीजन का उत्पादन, तथा CO2 की कमी, परागण मृदा का संरक्षण, जलवायु नियंत्रण आदि।

प्रश्न 7. ऐसे दो तरीके बताइए जिनके द्वारा जैव विविधता स्वच्छ पर्यावरण के प्रति योगदान देती है।
उत्तर – जैव विविधता पारिस्थितिकी क्रियाओं के संरक्षण के लिए आवश्यक है, जैसे- वायु में गैसीय घटकों का रखरखाव, प्रदूषकों को कम करना, कचरे का अवक्रमण |

प्रश्न 8. भारत का वह कौन-सा क्षेत्र है, जहाँ संसार की सबसे समृद्ध भेड़ एवं बकरियों के समुदाय पाए जाते हैं।
उत्तर – हिमालय पार क्षेत्र में संसार की सबसे समृद्ध भेड़ एवं बकरियों के समुदाय पाए जाते हैं।

प्रश्न 9. ऐसे तीन कारकों की सूची बनाइए जिनके कारण भारत की जैव विविधता समृद्ध एवं अद्वितीय है।
उत्तर – भारत की जैव विविधता में समृद्ध एवं अद्वितीय होने के कई कारण हैं-
(i) इसकी उष्ण कटिबंधीय स्थिति,
(ii) परिवर्तनशील भौतिक एवं जलवायु परिस्थितियां,
(iii) तीन प्रमुख जैव भौगोलिक क्षेत्रों का मिलान ।

प्रश्न 10. जैव विविधता के सबसे समृद्ध क्षेत्रों के नाम बताइए |
उत्तर – जैव विविधता का सबसे समृद्ध क्षेत्र उत्तर-पूर्व भारत है।

प्रश्न 11. विदेशी स्पीशीज क्या हैं? ये स्थानीय स्पीशीजों पर क्या प्रभाव डालती हैं?
उत्तर – विदेशी सपीशीज नए भौगोलिक क्षेत्र से आते हैं। नई स्पीशीजों (जिनके पास कोई दुश्मन नहीं होता) अपने रास्ते से स्थानीय स्पीशीज को हटा देते हैं, इसलिए स्थानीय प्रजातियां विलुप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 12. जैवमंडल रिजर्व के तीन क्षेत्रों के नाम बताइए । इनमें किसमें बस्तियाँ बनाने की अनुमति है ?
उत्तर – जैवमंडल में कोर क्षेत्र, बफर क्षेत्र तथा संक्रमण क्षेत्र होते हैं। कोर क्षेत्र पूर्णतया सुरक्षित है तथा मानव गतिविधियों द्वारा कम से कम बाधित प्राकृतिक क्षेत्र है। बफर क्षेत्र कोर क्षेत्र के चारों ओर होता है, जिसमें काफी संसाधन एजुकेशनल क्रियाओं व अनुसंधानों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। संक्रमण क्षेत्र जैव मंडल का सबसे बाहरी भाग है जो कि रिजर्व प्रबंधन तथा स्थानीय लोगों के साथ एक गठबंधन है, जिसमें बस्तियाँ बनाने की अनुमति है।

प्रश्न 13. अर्थ सम्मेलन 1993 के दौरान, जिस करार पर हस्ताक्षर हुए, उसके तीन उद्देश्यों की सूची बनाइए ।
उत्तर – अर्थ सम्मेलन 1993 के दौरान, जिस करार पर हस्ताक्षर हुए, उसके उद्देश्य निम्न हैं-
(i) जैव विविधता का संरक्षण,
(ii) आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों का समान बंटवारा तथा
(iii) जैव विविधता का सतत् पोषणीय उपयोग |

प्रश्न 14. IUCN का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर– इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज ।

प्रश्न 15. भारत में कितने प्राणियों एवं कितने पादपों को गंभीर रूप से संकटापन्न स्पीशीजों की सूची में रखा गया है ?
उत्तर– 18 प्राणी तथा 44 पादपों को गंभीर रूप से संकटापन्न स्पीशीजों की सूची में रखा गया है।

प्रश्न 16. मुख्य संरक्षण कार्यनीतियाँ क्या हैं?
उत्तर- मुख्य संरक्षण कार्यनीतियाँ दो हैं-
(i) निज स्थानिक तथा (ii) परस्थानिक |

प्रश्न 17. दो महत्त्वपूर्ण बाघ आरक्षित क्षेत्रों के नाम बताइए |
उत्तर – उत्तरांचल में जिम कार्बेट पार्क, मध्य प्रदेश में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, मध्य प्रदेश में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान ।

प्रश्न 18. WCS का पूरा नाम बताइए।
उत्तर– वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशन सोसाइटी – वन्य जीव संरक्षण सोसाइटी

प्रश्न 19. जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के मुख्य कार्य क्या हैं?
उत्तर – जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के मुख्य कार्य हैं – आरक्षण एवं विकास

प्रश्न 20. निम्नलिखित में पूरे नाम बताइए-
(i) NBPGR
(ii) NBG
(iii) CITES
(iv) IUCN
(v) CBD
(vi) NBA
उत्तर- (i) NBPGR – दि नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो)।
(ii) NBG – नेशनल बोटेनिकल गार्डन (राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान) ।
(iii) CITES– कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एन्डेन्जर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फॉना एन्ड फ्लोरा ( वन्य पादप एवं जंतुओं की संकटापन्न स्पीशीजों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार समझौते ) ।

(iv) IUCN – इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन (प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संघ ) ।
(v) CBD – कन्वेंशन ऑन बायोलोजिकल डायवर्सिटी (जैविक विविधता पर समझौते )
(vi) NBA – नेशनल बायोडायवर्सिटी आथोरिटी (राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ) ।

जैव-विविधता का संरक्षण के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. जैव विविधता क्या है? हाल के वर्षों में यह क्यों महत्त्वपूर्ण हो गई है?
उत्तर- पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों की सभी किस्में सामूहिक रूप से जैव विविधता प्रदर्शित करती हैं। जैव विविधता एक स्पीशीज के अलग-अलग जीवों की जीनों में फरक-फरक किस्में, विभिन्न पौधों और जन्तुओं की जातियाँ अलग-अलग स्थानों और पारितंत्रों में जीवित रहती हैं, आदि। प्रकृति मानव की जीविका, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक विकास पर निर्भर करती है। जैविक संसाधन भोजन, फल, बीज, चारा, औषधियाँ और बहुत कुछ देते हैं। जीवन की अद्भुत विविधता प्राकृतिक प्रक्रियाओं और पारितंत्रों को लचीला बनाती है। सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से जैव विविधता बहुत महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 2. जैव विविधता में विभिन्न स्तरों की सूची बनाइए तथा आनुवंशिक विविधता से क्या समझते हैं ?
उत्तर- जैव विविधता के विभिन्न तीन स्तर निम्न है।
(i) आनुवंशिक विविधता
(ii) स्पीशीज विविधता
(iii) पारितंत्रीय विविधता
आनुवंशिक विविधता किसी भी जीव या पौधे की स्पीशीज में जीनों पर निर्भर करती है; विभिन्न समष्टियों में उपस्थित आनुवंशिक विविधता को जीन पुल या प्राकृतिक वरण की प्रक्रिया से निर्धारित किया जाता है। उदाहरण के लिए, हर मनुष्य दूसरों से अलग होता है। स्पीशीज की जनसंख्या को स्वस्थ रखने के लिए आनुवंशिक विविधता बहुत महत्वपूर्ण है। अंतर्प्रजनन समष्टियों की संख्या कम होने से भिन्नता भी कम होगी।

प्रश्न 3. संरक्षण के विभिन्न निजस्थानिक तरीके कौन-कौन से हैं?
उत्तर – निजस्थानिक संरक्षण में पौधों और प्राणियों को उनके प्राकृतिक घरों या सुरक्षित स्थानों में बचाया जाता है। संरक्षित क्षेत्र जैव विविधता को बचाने और संरक्षण के लिए समर्पित क्षेत्र हैं, जैसे राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव संरक्षित क्षेत्र या समुद्री क्षेत्र। कुछ प्रजातियों को विशेष रूप से निर्देशित प्रयासों की जरूरत बताई गई है। प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट ऐलिफेंट आदि प्राकृतिक पारितंत्रों का संरक्षण इन क्षेत्रों का मुख्य लक्ष्य है। इस प्रकार संरक्षण के विभिन्न निजस्थानिक तरीके हैं-
(i) पर्यावास का संरक्षण – राष्ट्रीय उद्योग एवं अभयारण्य व जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के द्वारा कर सकते हैं।
(ii) स्पीशीज उन्मुख परियोजनाएं ।
(iii) पवित्र वन एवं पवित्र झीलें भारत एवं कुछ अन्य एशियाई देशों में पवित्र वनों के रूप में जैव विविधता
का संरक्षण किया जाता है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी लिखिए-
(i) क्रायोप्रिजर्वेशन
उत्तर – कायिक संवर्धित फसलों को बचाने में क्राइओप्रिजर्वेशन फायदेमंद है। क्रायोप्रिजर्वेशन में, पदार्थ को द्रवीय नाइट्रोजन से -196°C पर रखा जाता है और सभी उपापचयी प्रक्रियाओं को निलंबित रखा जाता है। विभज्योतक, युग्मनजीय और कायिक भ्रूण, पराग प्रोटोप्लास्ट कोशिकाओं और कई पादप स्पीशीजों के निलंबन संवर्धन में क्रियोप्रिजर्वेशन का उपयोग सफलतापूर्वक किया गया है।

(ii) संरक्षित क्षेत्र
उत्तर – संरक्षित क्षेत्र का मुख्य मकसद भिन्न स्पीशीजों के पर्यावासों व पारितंत्रों का संरक्षण है। संरक्षण के प्रयासों को दो श्रेणियों में बांटा गया है-
निजस्थानिक संरक्षण- इस प्रकार के संरक्षण के अन्तर्गत पौधों एवं प्राणियों को उनके प्राकृतिक वास स्थान या सुरक्षित क्षेत्रों संरक्षित किया जाता है। संरक्षित क्षेत्र भूमि या समुद्र के वे क्षेत्र हैं, जो संरक्षण के लिए समर्पित हैं तथा जैव विविधता को बनाए रखते हैं।

परस्थानिक संरक्षण- पादपों एवं प्राणियों का उनके पर्यावास के बाहर संरक्षण जैसे वानस्पतिक उद्यान, चिड़ियाघर, जीन बैंक, बीज बैंक, ऊतक संवर्धन तथा क्रायोप्रिजर्वेशन । भारत में 96 राष्ट्रीय उद्यान, 500 वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र, 13 जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र, 27 टाइगर संरक्षण क्षेत्र तथा 11 हाथी संरक्षण क्षेत्र हैं।

(iii) जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र
उत्तर – भारत में जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र 1975 में यूनेस्को के मानव एवं जैवमंडल के एक भाग के रूप में शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य है पारितंत्र एवं इनमें आनुवंशिक पदार्थ का संरक्षण। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र में कोर, बफर तथा ट्रांजिशन क्षेत्र हैं।

(iv) IUCN रेड लिस्ट |
उत्तर – IUCN रेड लिस्ट में सूचीबद्ध स्पीशीजों को बचाने के लिए यह एक विश्वसनीय स्रोत है। 2000 रेड लिस्ट सर्वश्रेष्ठ सूची है। इसमें विश्व भर के सभी क्षेत्रों और प्रत्येक स्पीशीज के लिए निर्धारित मापदंडों का उपयोग किया जाता है, ताकि स्पीशीजों के विलोपन के खतरे का आकलन किया जा सके। 2000 रेड लिस्ट में 18000 से अधिक स्पीशीजों में से 11000 संकटग्रस्त हैं। 1939 गंभीर संकटापन्न (925 जंतु और 1014 पादप) हैं। भारत में पादप स्पीशीज की रेड लिस्ट में 44 गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं, 113 संकटग्रस्त हैं और 87 असुरक्षित हैं।

(v) जीन बैंक

उत्तर-जीन बैंक और बीज बैंक परस्थानिक रूप से अनुवंशिक संसाधनों को संरक्षित करते हैं। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBPGR), फसलों के पौधों में जंगली, संबंधित स्पीशीजों तथा उगाई जाने वाली किस्मों के बीजों को संरक्षित रखता है। राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल, पालतू पशुओं का आनुवंशिक संसाधन संरक्षित करता है, और राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ, मछलियों का आनुवंशिक संसाधन संरक्षित करता है।

(vi) जैव विविधता के हॉट स्पॉट ।
उत्तर – जैव विविधता न केवल पृथ्वी के सभी भौगोलिक क्षेत्रों में समान रूप से फैली हुई है, बल्कि कुछ क्षेत्रों में मनुष्यों का प्रभाव भी कम है। जैव विविधता के हॉट स्पॉट हैं। 1988 में, ब्रिटिश पारिस्थितिकीविद् नार्मन मायर्स ने हॉट स्पॉट को यथास्थान संरक्षण के लिए पहली प्राथमिकता बताया। उन्हें लगता है कि हॉट स्पाट पृथ्वी पर जैव विविधता के सबसे समृद्ध और विस्तृत संग्रह हैं। किसी हॉट स्पॉट को निर्धारित करने के लिए, उस क्षेत्र में कम से कम १५०० स्थानीय स्पीशीज होनी चाहिए और उस क्षेत्र का लगभग 70 प्रतिशत मूल पर्यावास नष्ट हो चुका हो। विश्व के 25 हॉट स्पॉट में से केवल 2 भारत में पाए जाते हैं- पश्चिमी घाट एवं पूर्वी हिमालय ।

(vii) जैव विविधता अधिनियम (2002)
उत्तर- इस अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण, राज्य जैव विविधता बोर्ड एवं स्थानीय निकायों में जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है। सभी संगठनों/विदेशी नागरिकों को जैविक संसाधन प्राप्त करने व किसी भी उपयोग हेतु जानकारी के लिए NBA के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी सभी संगठनों / भारतीय नागरिकों को वाणिज्यिक उपयोग हेतु आयात किए जाने वाले किसी भी जैविक संसाधन के बारे में SBB को पहले से सूचना देनी होगी। SSB इस आयात पर रोक भी लगा सकता है, यदि इससे संरक्षण, सतत् पोषणीय उपयोग एवं लाभ के बंटवारे के उद्देश्य का उल्लंघन हो रहा है। केवल वैद्य एवं हकीम निजी उपयोग, औषधीय तथा अनुसंधान हेतु जैविक संसाधन का उपयोग कर सकते हैं।

अनुमोदन की स्वीकृति देते हुए NBA लाभ के समान बंटवारे को सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र है। आर्थिक लाभ, फीस एवं रायल्टी को NBA अनुमोदन के पश्चात् राष्ट्रीय जैव विविधता कोष में जमा किया जाएगा। वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर तथा विश्व संरक्षण संघ जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के संरक्षण एवं उचित विकास को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं को समर्थन देते हैं।

प्रश्न 5. जैव विविधता के ह्रास प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों का अति उपयोग करता है। इसके कारण स्पीशीजों की क्षति मानव अस्तित्व के लिए चिंता का एक गंभीर कारण है। अति उपयोग के कारण उपयोगी वन व घास के मैदान मरुस्थलीय हो गए हैं। जैव विविधता के ह्रास के प्रमुख तीन कारण हैं- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष व प्राकृतिक ।
प्रत्यक्ष – वनोन्मूलन, शिकार, अवैध शिकार व व्यावसायिकता

अप्रत्यक्ष- प्राकृतिक पर्यावासों की क्षति या उनमें रूपांतरण, विदेशी स्पीशीजों का प्रवेश, प्रदूषण आदि जैव विविधता की कमी के दो मुख्य कारण हैं: अति दोहन और प्राकृतिक पर्यावासों का विनाश। वास स्थान का विनाश प्राकृतिक क्षेत्रों को कृषि या औद्योगिक उपयोग में लाना, मानव बस्तियां, खनन, सड़कें बनाना, अन्य विकास परियोजनाओं, आर्द्र भूमियों को भरना और इनसे पानी की निकासी से होता है। अतिदोहन प्रजातियों को विलुप्त होने के कगार पर पहुँचा देता है और उनकी जनसंख्या को कम करता है। लोगों के कपड़े पर बीज चिपकते हैं, माइस, चूहे और पक्षी जहाजों पर चढ़ते हैं और नए स्थानों पर जाते हैं। शत्रुओं की कमी के कारण ये स्पीशीज नए स्थानों पर बहुत जल्दी फैलती हैं और स्थानीय स्पीशीजों को मार डालती हैं। विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, जैसे वायु प्रदूषण और अम्लीय वर्षा, जीवों को मार डालता है। जल प्रदूषण मछलियों और अन्य जलीय जीवों को मार डालता है।

प्रश्न 6. मुख्य पर्यावरणीय प्रवणता के साथ जैव विविधता का वितरण बताइए ।
उत्तर – जैव विविधता पर्यावरणीय प्रवणता के साथ विभिन्न पारितंत्रों की उपस्थिति को दर्शाती है। उदाहरण के लिए, स्पीशीज विविधता से संपन्न उष्णकटिबंधीय दक्षिण भारत की संरचना मरुस्थल से पूरी तरह अलग होगी। इसी तरह, कई प्रकार की मछलियां समुद्री पारितंत्र में मिलती हैं, लेकिन उनके लक्षण अलवण जलीय पारितंत्र से अलग होते हैं। इस प्रकार, पारितंत्रीय विविधता ऐसी विविधता का नाम है।

प्रश्न 7. भारत में जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों पर नोट लिखो ।
उत्तर – भारत में पादप और जीवों में बहुत विविधता है। जैव विविधता को बचाने के लिए इनका संरक्षण महत्वपूर्ण है। भारत में जीवों को बचाने के लिए अभयारण्य और राष्ट्रीय पार्क बनाए गए हैं। भारत में 589 संरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें 500 अभयारण्य और 89 राष्ट्रीय पार्क हैं। इनमें कई तरह के आवास और पारितंत्र शामिल हैं। संरक्षित क्षेत्रों को हर जैव भौगोलिक क्षेत्र में स्थापित करना आवश्यक है। संरक्षित क्षेत्रों की जैव विविधता को बचाने का एक महत्वपूर्ण उपाय उनके आसपास रहने वाले लोगों को संसाधनों का स्थायी स्रोत प्रदान करना है।

प्रश्न 9. 1992 में रियो डि जेनेरो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर – 1992 में रियो डि जेनेरो में 150 सरकारों ने पृथ्वी सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें 144 सरकारों ने अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजा। 2400 अधिकारी गैर सरकारी संगठनों (NGO) से थे और 17,000 लोग ‘ग्लोबल फोरम’ NGO से थे। इस अनुबंध का मुख्य लक्ष्य था-
(i) जहरीले उत्पादकों जैसे गैसोलिन में लैड और जहरीले अपशिष्टों के उत्पादन पर नियंत्रण |
(ii) जीवाश्मीय ईंधन के स्थान पर अन्य ईंधनों का उपयोग जो कि ग्लोबल पर्यावरण परिवर्तन से संबंधित हों।
(iii) वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण |
(iv) पानी की कमी को रोकना ।
(v) पर्यावरणीय परिवर्तन पर नियंत्रण |
इन सबके अतिरिक्त कोई भी ऐसी क्रिया न की जाए जो मनुष्य द्वारा पर्यावरणीय परिवर्तन करे, जैसे- वनोन्मूलन आदि ।

प्रश्न 10. भारत में स्थानीय संवहनी पौधों का लगभग क्या प्रतिशत है।
उत्तर – IUCN रेड लिस्ट के अनुसार भारत में 44 पादप स्पीशीज संकटापन्न हैं, 113 स्पीशीज संकटग्रस्त तथा 87 विलोपन की राह पर हैं। जीवों में 18 स्पीशीज संकटापन्न, 54 स्पीशीज संकटग्रस्त तथा 143 स्पीशीज विलोपन की राह पर हैं। भारत में सवहनी पौधों का लगभग 33% स्थानिक है।

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