उपनिवेशवाद और देहात के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
Colonialism and the countryside Important Question Answer – इस पोस्ट में हम कक्षा 12 के छात्रों के लिए एनसीईआरटी इतिहास अध्याय 10 के प्रश्न उत्तर लेकर आये हैं। जो छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से करना चाहते हैं वे हमारे इस पोस्ट से अध्याय 10 उपनिवेशवाद और देहात के प्रश्न एवं उत्तरों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हमारी वेबसाइटसे आप NCERT BOOK के अध्याय 10 “उपनिवेशवाद और देहात” के सभी प्रश्न उत्तर विस्तृत रूप में उपलब्ध हैं जिसको पढ़कर छात्र परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं
Class 12th History Chapter 10. उपनिवेशवाद और देहात
उत्तर – बड़े ज़मींदार प्रायः पूरा राजस्व नहीं चुका पाते थे। उनके ऊपर राजस्व की बकाया राशि प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही थी। इसलिए सरकार की ओर से उनकी ज़मींदारियाँ नीलाम कर दी जाती थीं।
उत्तर – बंगाल में भूमि का इस्तमरारी बंदोबस्त 1793 में लॉर्ड कार्नवालिस ने किया।
उत्तर – इस्तमरारी बंदोबस्त बंगाल के राजाओं तथा ताल्लुकदारों के साथ किया गया जिन्हें जमींदार कहा जाने लगा। उन्हें कुछ भू-संपदाएँ स्थायी रूप से दे दी गईं जहाँ से वे कर वसूल कर सकते थे। बदले में उन्हें कंपनी को सदा के लिए एक निर्धारित राजस्व अदा करना था।
उत्तर – बंगाल में स्थायी बंदोबस्त की असफ़लता के दो मुख्य कारण निम्नलिखित थे
(1) ज़मींदार राजस्व की माँग को पूरा करने में कोताही बरतते थे। फलस्वरूप राजस्व की बकाया राशियाँ बढ़ती गईं और सरकार को आशा के अनुसार आय प्राप्त न हो सकी। अत: कई ज़मींदारियाँ नीलाम करनी पड़ी।
(2) 1810 के बाद खेती की कीमतें बढ़ गईं। इससे उपज के मूल्य में वृद्धि हुई। फलस्वरूप बंगाल के ज़मींदारों की आय में विस्तार हुआ। चूँकि राजस्व की माँग इस्तमरारी बंदोबस्त के अंतर्गत निर्धारित की गई थी, इसलिए औपनिवेशिक सरकार इस बढ़ी हुई आय में से हिस्सा नहीं माँग सकती थी। इसलिए उन्नीसवीं शताब्दी में औपनिवेशिक शासन में शामिल किए गए प्रदेशों में नए राजस्व बंदोबस्त लागू किए गए।
उत्तर – (1) ज़मींदारों की सैनिक टुकड़ियों को भंग कर दिया गया।
(2) सीमा शुल्क समाप्त कर दिया गया।
(3) ज़मींदारों से स्थानीय न्याय तथा स्थानीय पुलिस व्यवस्था के अधिकार छीन लिए गए।
(4) उनकी कचहरियों को कंपनी द्वारा नियुक्त कलेक्टर के अधीन कर दिया गया।
उत्तर – (1) जोतदार जमींदारों द्वारा गाँव की जमा लगान को बढ़ाने के प्रयत्नों का विरोध करते थे।
(2) वे जमींदार के अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकते थे और उन पर निर्भर किसानों को अपने पक्ष में एकजुट रखते थे।
जोतदार गाँव में अपना प्रभाव तथा नियंत्रण बढ़ाने के लिए ज़मींदारों का विरोध करते थे।
उत्तर – ब्रिटिश संसद् में पाँचवीं रिपोर्ट 1813 में पेश की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में कंपनी की आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करना था ताकि उनका लाभ ब्रिटिश राष्ट्र तथा ब्रिटिश उद्योगपतियों को भी मिल सके।
उत्तर – औपनिवेशिक काल में राजमहल की पहाड़ियों के इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों को पहाड़िया कहा जाता था। ये लोग अपना निर्वाह जंगली उत्पादों से करते थे। इसके अतिरिक्त वे झूम खेती भी करते थे।
उत्तर – (1) पहाड़ी मुखियों के आक्रमणों से अपनी रक्षा के लिए जमींदार उन्हें नियमित रूप से ख़िराज देते थे।
(2) जो व्यापारी पहाड़ियों द्वारा नियंत्रित रास्तों का प्रयोग करते थे, वे भी उन्हें कर (मार्ग कर) देते थे। बदले में पहाड़ी लोग व्यापारियों की रक्षा करते थे और उन्हें आश्वासन देते थे कि उनके माल को कोई नहीं लूटेगा।
उत्तर – अंग्रेज़ राजमहल की पहाड़ियों में जंगलों को साफ़ करके स्थायी कृषि करवाना चाहते थे। पहाड़ी लोग ऐसा करने के लिए बिल्कुल | तैयार नहीं थे, जबकि संथाल इसमें रुचि ले रहे थे। इसी कारण अंग्रेज़ों ने पहाड़िया के स्थान पर संथालों को बसाने की नीति अपनाई।
उत्तर – 1832 में अंग्रेज़ों ने राजमहल के पहाड़ी प्रदेश में ज़मीन के एक बहुत बड़े इलाके को सीमित कर दिया और इसे संथालों की भूमि घोषित कर दिया। यहाँ उन्हें स्थायी कृषि करनी थी। इस भूमि को ‘दामिन-ए-कोह’ का नाम दिया गया।
उत्तर – (1) दामिन-ए-कोह में संथाल अपनी ख़ानाबदोश जिंदगी को छोड़ स्थायी रूप से बस गए थे।
(2) वे कई प्रकार की वाणिज्यिक (नकदी) फ़सलों की खेती करने लगे थे और साहूकारों तथा व्यापारियों से लेन-देन करने लगे थे।
अथवा
बंबई दक्कन में ब्रिटिश (अंग्रेज़ों) द्वारा लागू की गई राजस्व प्रणाली का नाम बताइए तथा उसकी एक विशेषता भी बताइए।
उत्तर – अंग्रेजी सरकार द्वारा बंबई दक्कन में लागू की गई राजस्व प्रणाली को रैयतवाड़ी कहा जाता है। बंगाल के स्थायी बंदोबस्त : के विपरीत, इस प्रणाली में राजस्व की राशि जमींदार की बजाय सीधे रैयत के साथ निश्चित की जाती थी।
उत्तर – इस्तमरारी बंदोबस्त के अनुसार ज़मींदारों के लिए ठीक समय पर राजस्व का भुगतान करना ज़रूरी था। सूर्यास्त कानून (विधि) के अनुसार यदि निश्चित तिथि को सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं आता था तो ज़मींदार की ज़मींदारी को नीलाम किया जा सकता था।
उत्तर – (1) ज़मींदार शहरों में रहते थे। इसके विपरीत जोतदार ग़रीब गाँववासियों के साथ गाँवों में रहते थे। इस प्रकार गाँववासियों के एक बड़े भाग पर उनका सीधा नियंत्रण था। | (2) ज़मींदारों की नीलाम होने वाली जमींदारियाँ प्रायः जोतदार ही खरीदते थे।
उत्तर – (1) रैयत स्वयं को पुराने ज़मींदार से जुड़ा हुआ महसूस करते थे और उसी को ही अपना अन्नदाता मानते थे।
(2) ज़मींदारी की बिक्री से उनके स्वाभिमान तथा गौरव को चोट पहुँचती थी।
उत्तर – (1) 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में मंदी की स्थिति समाप्त हो गई और कृषि-उपज की कीमतें ऊँची हो गईं।
(2) राजस्व के भुगतान संबंधी नियमों को लचीला बना दिया गया।
उत्तर – (1) ज़मींदारों तथा रैयतों की अर्जियाँ।
(2) भिन्न-भिन्न जिलों के कलेक्टरों की रिपोर्ट।
(3) राजस्व विवरणों से संबंधित तालिकाएँ।
(4) अधिकारियों द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखित टिप्पणियाँ।
उत्तर – बुकानन के अनुसार-(1) राजमहल का पहाड़ी प्रदेश एक ऐसा खतरनाक प्रदेश था, जहाँ बहुत कम यात्री जाने का साहस कर पाते थे।
(2) बाहरी लोगों के प्रति वहाँ के निवासियों का व्यवहार शत्रुतापूर्ण था।
(3) वहाँ के लोग कंपनी के अधिकारियों के प्रति आशंकित थे और उनसे बातचीत करने को तैयार नहीं थे।
(उपनिवेशवाद और देहात–सरकारी अभिलेखों का अध्ययन ।
उत्तर – पहाड़िया लोग नि:संदेह जंगल से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे
(1) वे जंगल में शिकार करते थे।
(2) वे जंगल के एक टुकड़े को साफ़ करके झूम खेती करते थे।
(3) वे जंगल में रेशम के कीड़े पालते थे।
(4) वे जंगल से खाद्य-पदार्थ तथा काठकोयला बनाने के लिए लकड़ी इकट्ठी करते थे।
उत्तर – ब्रिटेन में कपास आपूर्ति संघ की स्थापना 1857 में हुई। 1859 में मैनचेस्टर कॉटन कंपनी बनी। इनका उद्देश्य दुनिया के हर कोने में कपास के उत्पादन को प्रोत्साहित करना था ताकि उनकी कंपनी का विकास हो सके।
उत्तर – 1820 के दशक में अंग्रेज़ी सरकार द्वारा बंबई दक्कन में लागू की गई राजस्व प्रणाली को रैयतवाड़ा कहा जाता है।
विशेषताएँ-(1) इस प्रणाली में राजस्व की राशि ज़मींदार की बजाय सीधे रैयत के साथ निश्चित की जाती थी।
(2) सरकार तथा कृषकों के बीच जितने भी मध्यस्थ थे, उन्हें हटा दिया गया।
(3) यह प्रबंध स्थायी प्रबंध की अपेक्षा अधिक अच्छा था। इसमें कृषकों के अधिकार बढ़ गए तथा सरकारी आय में वृद्धि हुई।
उत्तर – (1) राजस्व की माँग इतनी अधिक थी कि बहुत-से स्थानों पर किसान अपने गाँव छोड़कर नए क्षेत्रों में चले गए।
(2) घटिया ज़मीन और कम वर्षा वाले प्रदेशों में समस्या और भी विकट थी। जब वर्षा नहीं होती थी और फ़सल खराब हो जाती थी तो किसानों के लिए राजस्व चुका पाना असंभव हो जाता था।
उत्तर – (1) भारत की भूमि और जलवायु दोनों ही कपास की खेती के लिए उपयुक्त थी।
(2) भारत में सस्ता श्रम भी उपलब्ध था।
इस पोस्ट में उपनिवेशवाद और देहात Objective Questions उपनिवेशवाद और देहात नोट्स उपनिवेशवाद और देहात के पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर उपनिवेशवाद और देहात प्रश्न -उत्तर colonialism and the countryside handwritten notes Colonialism and the Countryside Important Extra Questions colonialism and the countryside questions उपनिवेशवाद और देहात से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए है यह प्रश्न उत्तर फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और इसके बारे में आप कुछ जानना यह पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट करके अवश्य पूछे.