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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th Social Science Chapter 1 Solution

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Class 10th Social Science Chapter 1 Solution

NCERT Solutions Class 10 Social Science History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय –  जो उम्मीदवार 10th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है .इसके बारे में 10th कक्षा के एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है . इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 1. (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 10 Social Science Chapter 1 .The Rise of Nationalism in Europe की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

पाठ्यपुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें:
(क) ज्यूसेपे मेत्सिनी
(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
(घ) फ्रैंकफ़र्ट संसद
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका

उत्तर (क) ज्युसेपे मेत्सिनी: ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक क्रांतिकारी था। उनका जन्म 1807 में हुआ था। मेत्सिनी का मानना था कि यह भगवान की मर्जी थी कि राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। इसलिए इटली को छोटे छोटे राज्यों के पैबंद की बजाय एक एकीकृत गणराज्य बनाना जरूरी था। मेत्सिनी का अनुसरण करते हुए जर्मनी, स्विट्जरलैंड और पोलैंड में कई गुप्त संगठन बनाये गये। रुढ़िवादी लोग मेत्सिनी से डरते थे।

(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर: कावूर सार्जीनिया-पीडमांट के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय का मंत्री प्रमुख था। उसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया। उसका न तो जनतंत्र में विश्वास था और न ही वह एक क्रांतिकारी था। वह इतालवी भाषा से अच्छी फ्रेंच बोलता था। फ्रांस के साथ सार्डीनिया-पीडमांट की एक कूटनीतिक संधि के पीछे कावूर का हाथ था। इसी संधि के परिणामस्वरूप 1859 ई. में सार्डीनिया-पीडमांट ऑस्ट्रियाई सेना को हराने में सफल रहा था।

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध: यूनानी स्वतंत्रता युद्ध 1821 ई. में आरंभ हुआ। जिन लोगों को देशनिकाला दे दिया गया था उन्होंने ग्रीस के राष्ट्रवादियों को भारी समर्थन दिया। पश्चिमी यूरोप के लोग प्राचीन ग्रीक संस्कृति का सम्मान करते थे, इसलिए उन्होंने भी ग्रीस के राष्ट्रवादियों का समर्थन किया।आखिरकार 1832 में कॉन्स्टैंटिनोपल की ट्रीटी हुई और ग्रीस को एक स्वतंत्र देश की मान्यता मिल गई। ग्रीस की आजादी की लड़ाई से पूरे यूरोप के पढ़े लिखे वर्ग में राष्ट्रवाद की भावना और मजबूत हुई।

(घ) फ्रैंकफ़र्ट संसदः फ्रैंकफ़र्ट संसद का संबंध जर्मन राष्ट्र के निर्माण से है।जर्मनी में मध्यम वर्गीय लोगों के राजनैतिक संगठनों के सदस्यों ने मिलकर एक सकल जर्मन एसेंबली के लिये वोट किया और 18 मई 1848 को 831 चुने प्रतिनिधियों का जुलूस सेंट पॉल के चर्च में आयोजित फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट की ओर चल पड़े। उस पार्लियामेंट में एक जर्मन राष्ट्र का संविधान बनाया गया और उस संविधान के अनुसार प्रसिया के राजा फ्रेडरिक विल्हेम (चतुर्थ) को जर्मनी का शासन सौंपने की पेशकश की गई। लेकिन उसने इस अनुरोध को ठुकरा दिया और उस चुनी हुई संसद का विरोध करने के लिए अन्य राजाओं से हाथ मिला लिया।

(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका: उदारवादी आंदोलन में महिलाओं ने भी भारी संख्या में हिस्सा लिया। इसके बावजूद, एसेंबली के चुनाव में उन्हें मताधिकार से वंचित किया गया। जब सेंट पॉल के चर्च में फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट बुलाई गई तो महिलाओं को केवल दर्शक दीर्घा में बैठने की अनुमति मिली।

प्रश्न 2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?
अथवा
फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों द्वारा प्रारंभ किए गए उपायों और कार्यों का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर  फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाए:

(क) पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों का प्रचार किया गया जिसे एक संविधान के अंतर्गत सामान अधिकार प्राप्त हो।
(ख) क्रांतिकारियों ने एक नया तिरंगा फ्रांसीसी झंडा चुना। इस झंडे ने पुराने राष्ट्रीय झंडे की जगह ली।
(ग) एस्टेट जनरल का नाम बदलकर नेशनल एसेम्बली कर दिया गया जिसका चुनाव नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा।
(घ) क्रांतिकारियों द्वारा शहीदों के गुणगान, राष्ट्रीय गीत और शपथों ने भी राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा दिया।
(ङ)एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई जिसमें अपने भू-भाग पर रहने वाले नागरिकों के लिए समान कानून बनाए गए।
(च) पूरे देश में माप-तोल की एक समान प्रणालियाँ लाग की गई।
(छ) देश के अंदर सभी प्रकार के आयात-निर्यात कर समाप्त कर दिए गए।
(ज) भिन्न-भिन्न क्षेत्रीय भाषाओं के स्थान पर पूरे राष्ट्र की एक ही भाषा फ्रेंच हो गई।

प्रश्न 3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?

उत्तर – मारीआन और जर्मेनिया दो नारियों के चित्र हैं। उन्हें राष्ट्रों के रूपकों के रूप में चित्रित किया गया है। मारीआन फ्रांसीसी गणराज्य का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक है। वास्तव में अठारहवीं तथा उन्नीसवीं सदी में कलाकारों ने राष्ट्रों को मानवीय रूप प्रदान किया और उनकी अभिव्यक्ति एक साधारण नारी के रूप में की। फ्रांस ने 1850 में एक डाक टिकट पर मारीआन की तस्वीर छापी। उसकी प्रतिमाओं को सार्वजनिक स्थानों पर लगाया गया ताकि लोगों में राष्ट्रीय भावना जागती रहे। जर्मेनिया को बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने दिखाया गया, क्योंकि जर्मन बलूत को वीरता का प्रतीक माना जाता है।

महत्व: इन चित्रों ने लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल बनाया। इससे भी बढ़कर मारीआन ने फ्रांस को तथा जर्मेनिया ने जर्मनी को एक अलग राष्ट्र के रूप में पहचान दी।

प्रश्न 4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएं।

उत्तर – 1814 के वियेना कॉन्ग्रेस में जर्मनी की पहचान 39 राज्यों के एक लचर संघ के रूप में हुई थी। इस संघटण का निर्माण नेपोलियन द्वारा पहले ही किया गया था। 1848 के मई महीने में फ्रैंकफर्ट संसद में विभिन्न राजनैतिक संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिये एक संविधान की रचना की। उसके अनुसार जर्मन राष्ट्र का मुखिया कोई राजा होता तो संसद के प्रति जवाबदेह होता। ऑट्टो वॉन बिस्मार्क जो प्रसिया के मुख्यमंत्री थे जर्मन एकीकरण के मुख्य सूत्रधार थे। इस काम के लिए उन्होने प्रसिया की सेना और अफसरशाही की मदद ली थी। उसके बाद ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से सात साल के भीतर तीन लड़ाइयाँ हुईं। उन युद्धों की परिणति हुई प्रसिया की जीत मे जिसने जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया को संपूर्ण किया। 1871 के जनवरी महीने में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम 1 को जर्मनी का शहंशाह घोषित किया गया।

प्रश्न 5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन-व्यवस्था को ज़्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?
अथवा
“फ्रांस में नेपोलियन ने प्रजातंत्र को नष्ट किया था। परंतु प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रांतिकारी सिद्धांतों का समावेश किया जिससे पूरी व्यवस्था अधिक तर्कसंगत और कुशल बन सके।” तर्कों सहित इस कथन का विश्लेषण कीजिए। 

उत्तर – नेपोलियन फ्रांस का सम्राट् था। उसने अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन-व्यवस्था को कुशल बनाने के लिए अनेक सामाजिक एवं : प्रशासनिक सुधार किए। ये निम्नलिखित थे:

(क) नेपोलियन ने 1804 में नई नागरिक संहिता लागू की। यह संहिता नेपोलियन की संहिता के नाम से जानी जाती है।
(ख) जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिये गए।
(ग) कानून के सामने बराबरी तथा संपत्ति के अधिकार को और अधिक सुरक्षित बनाया गया।
(घ) नेपोलियन ने प्रशासन के विभाजन को सरल बनाया।
(ङ) सामंती प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।
(च) किसानों को भू-दासता तथा जागीरदारों को लागू करों से मुक्ति दिलवाई गई।
(छ) शहरों में कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रण को समाप्त कर दिया गया।
(ज) यातायात तथा संचार प्रणाली में सुधार किए गए। एक समान कानून व्यवस्था तथा माप-तोल के एक समान पैमानों ने व्यापार को सुविधाजनक बनाया।
(झ) पूरे देश में एक ही राष्ट्रीय मुद्रा प्रचलित की गई। जिससे व्यापार को बढ़ावा मिला।

प्रश्न 6. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है ? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?

उत्तर- उन्नीसवीं सदी के शुरुआती दौर के यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना उदारवाद से पूरी तरह से प्रभावित थी। एक नये मध्यम वर्ग के लिए उदारवाद का मतलब था व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कानून के समक्ष सबकी समानता।

राजनैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण: राजनैतिक दृष्टिकोण से उदारवाद का मतलब था आम सहमति से सरकार चलाना। इसका ये भी मतलब था कि तानाशाही का अंत हो और पादरियों को मिलने वाले विशेषाधिकार बंद हों। एक संविधान और प्रतिनिधि पर आधारित सरकार की जरूरत भी महसूस की गई। उस समय के उदारवादियों निजी संपत्ति के अधिकार की भी वकालत की।

आर्थिक दृष्टिकोण: नेपोलियन कोड की एक और खासियत थी आर्थिक उदारवाद। नवोदित मध्यम वर्ग भी आर्थिक उदारवाद के पक्ष में था। कई तरह की मुद्राएँ, माप तौल के कई मानक और ट्रेड बैरियर आर्थिक गतिविधियों में रोड़े अटका रहे थे। नया व्यवसायी वर्ग एक एकीकृत आर्थिक इलाके की माँग कर रहा था जिससे माल, लोग और पूँजी का आवगमन निर्बाध रूप से चलता रहे।

प्रश्न 7. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।

उत्तर यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान के तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • फ्रांस में एक ही भाषा को बढ़ावा देने की नीति
  • रूसी आधिपत्य के खिलाफ पोलैंड में पॉलिश भाषाका इस्तेमाल
  • जर्मनी में साझा संस्कृति को बढ़ावा देना
प्रश्न 8. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएं कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?

उत्तर – इसे दर्शाने के लिए इटली और यूनान के उदाहरण सटीक बैठते हैं। इटली में कावूर के प्रयासों के कारण इटली एक राष्ट्र बन पाया। यूनान में ऐतिहासिक ग्रीस संस्कृति और ऑट्टोमन साम्राज्य की इस्लामी संस्कृति के अंतरों का हवाला दिया गया। ग्रीस संस्कृति के पक्षधर कई लोगों ने ग्रीस के संघर्ष का समर्थन किया जिससे ग्रीस की आजादी में काफी सहायता मिली। अधिकतर मामलों में एक साझा संस्कृति का इतिहास, शक्तिशाली लोगों द्वारा गरीबों का उत्पीड़न और उदारवाद का जन्म ने ऐसे उत्प्रेरक का काम किया जिसने लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को घर बनाने में मदद किया।

प्रश्न 9. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर- यूरोप के अन्य भागों की तुलना में यूरोप में राष्ट्रवाद का विकास कुछ अलग तरह से हुआ था। ब्रिटिश द्वीप चार मुख्य नस्ली राष्ट्रों में बँटे हुए थे; यानि इंगलिश, स्कॉटिश, वेल्श और आइरिश। औद्योगीकरण के कारण इंगलैंड एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा था। अपनी वित्तीय ताकत के कारण इंगलैंड ब्रिटिश द्वीपों के अन्य राष्ट्रों पर बीस पड़ता था। इसके कारण एक ऐसे यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का निर्माण हुआ जिसमें इंगलैंड एक हावी सदस्य था और अन्य नस्ल के लोगों को इंग्लिश संस्कृति द्वारा दबा दिया गया।

प्रश्न 10. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
अथवा
किस प्रकार 1871 के बाद यरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का बाल्कन प्रदेश था? किन्हीं चार बिंदुओं द्वारा व्याख्या करें। (CBSE 2011)
अथवा
यूरोप में 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र में बनी विस्फोटक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। (CBSE 2018)

उत्तर – बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव निम्नलिखित कारणों पनपा

(क) ऑटोमन साम्राज्य अत्यधिक कमज़ोर हो चुका था।
(ख) साम्राज्य के अधीन राष्ट्रों में राष्ट्रवाद की भावना दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। इसलिए वे स्वतंत्रता की कामना करने लगे थे।
(ग) उन्होंने अपने-अपने इतिहास द्वारा यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि वे कभी स्वतंत्र थे। परंतु बाद में विदेशी शक्तियों ने उन्हें अपने अधीन कर लिया। अतः उन्हें स्वतंत्रता मिलनी ही चाहिए।
(घ) सभी बाल्कन राज्य एक-दूसरे से भारी ईर्ष्या करते थे और प्रत्येक राज्य अपने लिए अधिक-से-अधिक प्रदेश हथियाना चाहता था। फलस्वरूप उनके बीच गहरा तनाव व्याप्त था।
(ङ) बाल्कन क्षेत्र में यूरोपीय शक्तियों की प्रतिस्पर्धा के कारण यह तनाव और अधिक गहरा हो गया। रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया हंगरी आदि सभी देशों ने ऑटोमन साम्राज्य की कमजोरी का लाभ उठाकर वहां अपना प्रभाव जमाने का प्रयास किया। फलस्वरूप बाल्कन क्षेत्र में कई युद्ध हुए। इन युद्धों ने प्रथम विश्वयुद्ध की भूमिका तैयार की।

प्रश्न 11. रेनन की समझ के अनुसार एक राष्ट्र की विशेषताओं का संक्षिप्त विवरण दें। उनके मतानुसार राष्ट्र क्यों महत्त्वपूर्ण है? :

उत्तर- रेनन के अनुसार एक राष्ट्र की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं:

(क) राष्ट्र लंबे प्रयासों, त्याग और निष्ठा का चरम बिंदु होता है।
(ख) इसका आधार वीरता भरा अतीत, महापुरुषों के नाम तथा प्राचीन गौरव होता है।
(ग) एक जनसमूह के राष्ट्र होने की आवश्यक शर्ते हैं: अतीत में समान गौरव का होना, वर्तमान में एक समान इच्छा तथा संकल्प का होना, एक साथ मिलकर महान् कार्य करना और भविष्य में इसी प्रकार के कार्य करते रहने की इच्छा।
(घ) एक राष्ट्र की किसी देश के विलय अथवा उस पर उसकी इच्छा के विरुद्ध अधिकार जमाए रखने में कोई रुचि नहीं होती।
(ङ) वास्तव में राष्ट्र एक बड़ी तथा व्यापक एकता है। इसका अस्तित्व प्रतिदिन होने वाले जनमत संग्रह में निहित है।

महत्त्व: रेनन के अनुसार राष्ट्रों का होना ज़रूरी है, क्योंकि ये स्वतंत्रता के प्रतीक हैं। यदि संसार में केवल एक ही कानून हो और : उसे लागू करने वाला एक ही व्यक्ति हो तो स्वतंत्रता का लोप हो जाएगा।

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