त्रिपक्षीय संघर्ष : पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट Class 7 इतिहास के प्रश्न उत्तर
Haryana Board Class 7 History Chapter 3 त्रिपक्षीय संघर्ष : पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट Solution: – जो विद्यार्थी 7th कक्षा में पढ़ रहे है ,उन सब का सपना होता है कि वे अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास हो ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन या किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न आए . इसलिए आज हमने इस पोस्ट में HBSE कक्षा 7 इतिहास अध्याय 3 (त्रिपक्षीय संघर्ष : पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट) का सलूशन दिया गया है जोकि एक सरल भाषा में दिया है . क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ HBSE Class 7th History Chapter 3 Tripakshiya sangharsh paal partihar avam rastarkoot दिया गया है. जो विद्यार्थी 7th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें इसे अवश्य देखना चाहिए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Ch .3 त्रिपक्षीय संघर्ष : पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे
अभ्यास के प्रश्न-उत्तर
सही उत्तर छांटें :
1. त्रिपक्षीय संघर्ष का हिस्सा निम्न में से कौन-सा वंश नहीं था?
(क) पाल
(ख) चोल
(ग) राष्ट्रकूट
(घ) प्रतिहार
उत्तर – (ख) चोल,
2. विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना ………. ने की।
(क) पाल वंश
(ख) चोल वंश
(ग) राष्ट्रकूट वंश
(घ) प्रतिहार वंश
उत्तर – (क) पाल वंश,
3. गुर्जर-प्रतिहार वंश की उत्पत्ति अग्निकुंड द्वारा……..ने बताई है।
(क) चक्रपाणि ने
(ख) संध्याकरनंदी ने
(ग) माधव ने
(घ) चंदबरदाई ने
उत्तर – (घ) चंदबरदाई ने,
4. त्रिपक्षीय संघर्ष निम्नलिखित में से किस साम्राज्य को प्राप्त करने के लिए हुआ?
(क) बंगाल
(ख) कन्नौज
(ग) उज्जैन
(घ) पाटलीपुत्र
उत्तर – (ख) कन्नौज,
5. राष्ट्रकूटों द्वारा प्रान्त (राष्ट्र) के अध्यक्ष को ………. कहा जाता था ।
(क) राष्ट्रपति
(ख) राज्यपाल
(ग) महाराजाधिराज
(घ) प्रधानमंत्री
उत्तर – (क) राष्ट्रपति ।
6 रिक्त स्थान की पूर्ति करें :
1. त्रिपक्षीय संघर्ष ……..,पर अधिकार करने के लिए हुआ था।
2. मिहिरभोज …………. वंश के शक्तिशाली शासक थे।
3. संध्याकरनंदी व चक्रपाणि जैसे प्रसिद्ध विद्वान् ……….. शासकों के संरक्षण में कार्य करते थे।
4. त्रिपक्षीय संघर्ष लगभग ………. वर्षों तक चला।
5. दन्तिदुर्ग …………. वंश से सम्बन्ध रखता था।.
उत्तर- 1. कन्नौज, 2. गुर्जर-प्रतिहार, 3. पाल, 4. दो सौ, 5. राष्ट्रकूट ।
उचित मिलान करो :
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उत्तर –
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त्रिपक्षीय संघर्ष : पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट के लघु प्रश्न :
प्रश्न 1. त्रिपक्षीय संघर्ष में कौन-कौन से वंश थे?
उत्तर- त्रिपक्षीय संघर्ष में पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट वंश थे।
प्रश्न 2. मिहिरभोज को दौलतपुर अभिलेख और ग्वालियर अभिलेख में क्या कहा गया है? उन्होंने किस विदेशी आक्रमणकारी को पराजित किया?
उत्तर – मिहिरभोज को दौलतपुर अभिलेख में ‘प्रभास’ और ग्वालियर अभिलेख में ‘आदि वराह’ कहा गया है। उन्होंने विदेशी आक्रमणकारी हूणों को पराजित किया ।
प्रश्न 3. पाल वंश के शासन काल में कौन-कौन-से प्रसिद्ध विद्वान् हुए?
उत्तर— पाल वंश के शासन काल में संध्याकरनंदी, चक्रपाणि, माधव तथा जीमूतवाहन जैसे प्रसिद्ध विद्वान् हुए ।
प्रश्न 4. त्रिपक्षीय संघर्ष में गुर्जर-प्रतिहार वंश के कौन-कौन-से शासकों ने भाग लिया?
उत्तर— त्रिपक्षीय संघर्ष में गुर्जर-प्रतिहार वंश के नागभट्ट प्रथम, वत्सराज, नागभट्ट द्वितीय, रामभद्र, मिहिरभोज प्रथम, महिपाल, महेंद्रपाल द्वितीय, महिपाल द्वितीय, विजयपाल, त्रिलोचनपाल आदि शासकों ने भाग लिया।
प्रश्न 5. “गुर्जर-प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट की शाखाओं की सूची बनाएं।
उत्तर – गुर्जर प्रतिहार की शाखाएँ-भृगुकच्छ (भड़ौच), मण्डोर (राजस्थान), उज्जैन ।
राष्ट्रकूट की शाखाएँ – मानयूर, अलिचपूर तथा मान्यखेत ।
‘आइए विचार करें :
प्रश्न 1. पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट वंश के लिए कन्नौज क्यों महत्त्वपूर्ण था ? संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर – पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट वंश के लिए कन्नौज निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण था-
(1) राजा हर्षवर्धन ने कन्नौज को अपने महान साम्राज्य की राजधानी बनाया और उसे एक प्रतिष्ठित स्थान प्रदान किया था।
(2) कन्नौज उत्तरी भारत का सबसे विशाल सांस्कृतिक केंद्र था ।
(3) यह प्रदेश कृषि की दृष्टि से बहुत उपजाऊ एवं व्यापारिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण था ।
(4) पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट वंश के शासकों के विचारानुसार कोई भी शासक कन्नौज पर अधिकार प्राप्त करके ही उत्तर भारत के विस्तृत उपजाऊ क्षेत्र पर अपनी सर्वोच्चता को प्राप्त कर सकता था ।
(5) कन्नौज राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पक्षों से भी महत्त्वपूर्ण प्रदेश था।
प्रश्न 2. ” राष्ट्रकूट वंश ने कुशल शासन व्यवस्था बनाई ” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? तर्क सहित अपने उत्तर की पुष्टि करें।
उत्तर- दिए गए निम्नलिखित तर्कों के आधार पर हम कह सकते हैं कि राष्ट्रकूट वंश ने कुशल शासन व्यवस्था
(1) राजवंश में राजा का स्थान महत्वपूर्ण था। राजधानी का जन्म वंशानुगत था। कभी-कभी योग्य शासक को उत्तराधिकारी बनाया जाता था। इन राजाओं को “परमभट्टारक”, “महाराजाधिराज” और “सुवर्गवर्ष” उपाधियाँ दी गईं।
(2) राष्ट्रकूट शासकों का दरबार वैभवशाली था। राजसभा में राजदूत, मंत्री, कवि, ज्योतिषी, सामन्त एवं महिलाएँ भी नियमित रूप से उपस्थित रहते थे।
(3) राष्ट्रकूट शासक उत्तराधिकार से संबंधित झगड़ों को दूर करने के लिए अपने बड़े पुत्र को अपने जीवन काल में ही नियुक्त कर देते थे, जो अपने पिता के शासन कार्यों में सहायता करता था ।
(4) राष्ट्रकूट शासकों ने शासन को सही ढंग से चलाने के लिए मन्त्रिपरिषद् बनाया था। अधिकांश मंत्री पैतृक सैनिक पदाधिकारियों थे।
(5) प्रशासन व्यवस्था के कार्यों को कुशलता से करने के लिए साम्राज्य को राष्ट्रों, विषयों तथा भुक्तियों में बांटा जाता था ।
(6) राष्ट्र का मुख्य अधिकारी ‘राष्ट्रपति’ कहलाता था। वह राष्ट्र में शांति व्यवस्था बनाना तथा भू-राजस्व एकत्र करने जैसे कार्य करता था ।
(7) विषय (1000 से लेकर 4000 तक गाँव) का मुख्य अधिकारी ‘विषयपति’ होता था । वह राष्ट्रपति के आदेशों को मानता था । विषय आगे भुक्तियों (50 से 70 ग्राम) में बंटा हुआ था। इसका प्रधान ‘भोगपति’ होता था ।
(8) कोष्टपाल अथवा कोतवाल का कार्य नगर एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखना था।
(9) राष्ट्रकूट हिंदू धर्म में विश्वास रखते थे। उन्होंने कई हिंदू मंदिरों का निर्माण करवाया।
(10) भूमिकर, या भोग, राष्ट्रकूटों की आय का मुख्य साधन था। अनाज के रूप में प्राप्त उपज का यह चौथाई भाग था।
(11) गाँव का शासन छोटा था। गाँव का नाम महत्तर था। राजस्व अधिकारी उसके साथ काम करते थे। गाँव की शासन व्यवस्था में केंद्रीय सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था। कर भी कम था।
(12) पाँच लाख सैनिकों की एक शक्तिशाली सेना, जो साम्राज्य की सुरक्षा और विस्तार करती थी, उसकी मदद से ही राष्ट्रकूट शासक बड़े-बड़े विजय प्राप्त कर पाए।
प्रश्न 3. गुर्जर-प्रतिहार एवं पाल शासकों द्वारा कला एवं वास्तुकला के क्षेत्र में किए गए योगदान का तुलनात्मक विश्लेषण करें।
उत्तर- 1. गुर्जर-प्रतिहार शासकों का कला एवं वास्तुकला के क्षेत्र में योगदान – राजा गुर्जर प्रतिहार ने कला और वास्तुकला का बहुत बड़ा संरक्षण किया था। उस काल की मूर्तियां विष्णु का विश्वरूप स्वरूप और कन्नौज से शिव-पार्वती का विवाह दिखाती हैं। आभानेरी, ओसिया और कोटा (राजस्थान)(में खड़े मंदिरों की दीवारों पर सुंदर चित्रण देखने को मिलता है) ग्वालियर संग्रहालय में सुरसुंदरी नामक महिला की आकृति गुर्जर प्रतिहार कला की सबसे आकर्षक मूर्तियों में से एक है।
2. पाल शासकों का कला एवं वास्तुकला के क्षेत्र में योगदान- पाल शासक महान इमारतें बनाते थे। उन्हें बिहार और बंगाल में कई मठ, विहार और मन्दिर बनाए गए। उन्होंने मूर्तिकला और चित्रकला के क्षेत्रों में भी सुधार देखा। महात्मा बुद्ध की सुंदर मूर्ति भी बनाई गई। ये मूर्तिकला पत्थर और कांसे से बनाई गई थीं।
प्रश्न 4. ” पाल वंश का शिक्षा एवं साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।” इस कथन को तर्क सहित स्पष्ट करें।
उत्तर – पाल वंश का शिक्षा एवं साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। वे शिक्षा एवं साहित्य के महान संरक्षक थे । इसे निम्नलिखित तर्कों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1.) पाल शासकों ने शिक्षा के प्रसार के लिए उदन्तपुरी एवं विक्रमशिला में शिक्षण संस्थानों की स्थापना की।
(2) उन्होंने नालन्दा विश्वविद्यालय की आर्थिक सहायता करके उनके सम्मान को बढ़ाया।
(3) दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, बर्मा, थाइलैंड, श्रीलंका और भारत से भी विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करते थे ।
(4) उनके काल में संस्कृत साहित्य का भी विकास हुआ। इसी काल में महान विद्वान -संध्याकरनंदी (रामचरित), चक्रपाणि (चक्रदूत), माधव (रोग निदान) तथा जीमूतवाहन (कला विवेक और व्यवहार) हुए।
प्रश्न 5. कन्नौज संघर्ष के क्या परिणाम रहे? किन्हीं चार बिंदुओं की व्याख्या करें।
उत्तर – कन्नौज संघर्ष के निम्नलिखित परिणाम रहे। जिनमें से चार का वर्णन इस प्रकार है-
(1) कन्नौज संघर्ष तीनों राजवंशों – पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूटों के लिए घातक सिद्ध हुआ। तीनों राजवंश शक्तिहीन हो गए।
(2) तीनों राजवंशों का अपने प्रदेशों पर नियंत्रण नहीं रहा। इनके प्रदेशों पर परवर्ती चालुक्यों ने अधिकार कर लिया।
(3) प्रतिहार राज्य छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया।
(4) बंगाल में पालवंश का स्थान सेन वंश ने ले लिया।
इस पोस्ट में हमने आपको HBSE Class 7 इतिहास – हमारा भारत II Solution त्रिपक्षीय संघर्ष: पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट Class 7 इतिहास Chapter 3 Question Answer Tripakshiya sangharsh paal partihar avam rastarkoot Question Answer HBSE Class 7 History त्रिपक्षीय संघर्ष: पाल, प्रतिहार एवं राष्ट्रकूट से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है अगर इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके हम से जरूर पूछें और अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें.