प्राचीन भारत में शिक्षा, साहित्य एवं कला Class 7 इतिहास के प्रश्न उत्तर
Haryana Board Class 7 History Chapter 5 प्राचीन भारत में शिक्षा, साहित्य एवं कला Solution: – ऐसे छात्र जो HBSE कक्षा 7 इतिहास विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर HBSE कक्षा 7th इतिहास अध्याय 5 (प्राचीन भारत में शिक्षा, साहित्य एवं कला) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो HBSE Class 7 History Chapter 5 Prachin Bharat me Siksha, Sahitya avam kla दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है.इसलिए आप HBSE Class 7 History Chapter 5 प्राचीन भारत में शिक्षा, साहित्य एवं कला के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
अभ्यास के प्रश्न-उत्तर
1. अजंता, ऐलोरा एवं जैन गुफाएं ……… राज्य में स्थित हैं।
(क) मध्य प्रदेश
(ख) महाराष्ट्र
(ग) पंजाब
(घ) कर्नाटक
उत्तर- (ख) महाराष्ट्र,
2. नाट्यशास्त्र ग्रंथ के रचयिता हैं –
(क) भरत मुनि
(ख) ऋषि पतंजलि
(ग) कपिल मुनि
(घ) ऋषि कणाद
उत्तर- (क) भरत मुनि
3. नृत्य, गायन व नृत्य कला में पारंगत स्त्री को ……..कहा जाता था ।
(क) नर्तकी
(ख) विशारद
(ग) (क) व (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) विशारद,
4. प्रकीर्ण ग्रंथ ……..साहित्य है ।
(क) हिन्दू
(ख) बौद्ध
(ग) जैन
(घ) लौकिक
उत्तर- (ग) जैन
5. शिक्षा की समाप्ति पर होने वाला संस्कार है-
(क) उपनयन
(ख) नामकरण
(ग) समावर्तन
(घ) मुंडन
उत्तर- (ग) समावर्तन ।
1 रिक्त स्थान की पूर्ति करें :
1. वैदिक शिक्षा के मूल अंग ………..और………हैं ।
2. सरस्वती – सिंधु सभ्यता के लोग ………पकाई मिट्टी के बर्तन बनाने में माहिर थे।
3. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना ………ने की थी।
4. प्राचीन भारतीय साहित्य में ………और …….धर्मों का साहित्य है ।
5. स्थापत्य कला या वास्तुकला ………, ………… और ……. के मिश्रण की कला कहलाती थी ।
उत्तर— 1. स्वाध्याय, प्रवचन, 2. काली एवं लाल, 3. गुप्त सम्राट कुमारगुप्त, 4. हिन्दू, बौद्ध, जैन, 5. तर्क, बुद्धि, विज्ञान, तकनीक |
उचित मिलान करो :
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उत्तर–
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प्राचीन भारत में शिक्षा, साहित्य एवं कला के लघु प्रश्न :
प्रश्न 1. हिन्दू, जैन और बौद्ध साहित्यों के दो-दो ग्रंथों के नाम बताएं।
उत्तर- 1. हिन्दू साहित्य — (i) महाभारत, (ii) रामायण ।
2. जैन साहित्य – (i) पद्म पुराण, (ii) प्रकीर्ण ग्रंथ ।
3. बौद्ध साहित्य – (1) त्रिपिटक, (ii) दीपवंश ।
प्रश्न 2. कला के प्रकारों को सूचीबद्ध करें।
उत्तर- कला के प्रकार इस प्रकार हैं-
(1) मूर्तिकला, (2) वास्तुकला, (3) चित्रकला, (4) मुद्रा कला, (5) मृद भाण्ड कला, (6) पत्थर कला, (7) धातु कला (8) दंत कला, (9) उत्कीर्ण कला, (10) ललित कला आदि ।
प्रश्न 3. चोलवंश की दक्षिण भारतीय कला (नटराज की मूर्ति) की विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर – दक्षिण भारतीय काल की चोलवंश की ताँबे और कांसे की मूर्तियाँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। तंजौर की नटराज की मूर्ति सबसे लोकप्रिय है। निर्माण की ध्वनि का प्रतीक डमरू नटराज की मूर्ति के ऊपरी दाहिने हाथ में है। इस मूर्ति के ऊपरी बाएँ हाथ में विनाश का प्रतीक शाश्वत अन्नि है। भगवान शिव की हवा में बहती जटाएँ गंगा का प्रतीक हैं।
दक्षिण भारतीय चोलवंश की नटराज की प्रतिमा चिंगलेटपुट जिले के कुरम से मिली है। मद्रास राजकीय संग्रहालय इस प्रतिमा को संरक्षित रखता है। बोस्टन संग्रहालय में नटराज की यह मूर्ति सुरक्षित है।
प्रश्न 4. प्राचीन भारत के शिक्षा के मुख्य केन्द्रों को सूचीबद्ध करें।
उत्तर – प्राचीन भारत के शिक्षा के मुख्य केन्द्र इस प्रकार हैं-
(1) नालंदा विश्वविद्यालय
(2) तक्षशिला विश्वविद्यालय
(3) वल्लभी विश्वविद्यालय
(4) विक्रमशिला विश्वविद्यालय
(5) कांचीपुरम विश्वविद्यालय आदि ।
प्रश्न 5. जीवन व्यवस्था को किस आधार पर बांटा गया था?
उत्तर— जीवन व्यवस्था को ब्रह्मचर्य, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थ एवं संन्यास के आधार पर बांटा गया था।
आइए विचार करें :
प्रश्न 1. वैदिक शिक्षण पद्धति की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर – वैदिक शिक्षण पद्धति की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(1) वैदिक शिक्षण में गुरु या आचार्य का विशेष स्थान था। उन्हें ‘देवता’ कहा जाता था।
(2) पहले शिक्षण मौखिक रूप से होता था।
(3) शिष्य गुरुकुल में रहता था।
(4) प्राचीन शिक्षण में पुस्तकों की सहायता हमेशा नहीं ली जाती थी।
(5) शिक्षण में उच्चारण पर विशेष ध्यान दिया गया था।
(6) शिक्षण प्रणाली में अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा तथा अमावस्या आदि अवकाश थे।
(7) शिक्षण प्रक्रिया कठोर थी। संवेगों और इच्छाओं को नियंत्रित किया गया था।
(8) अध्ययन मुफ्त था।
(9) शिक्षण ग्रहण करने वालों का मानसिक उत्थान महत्वपूर्ण था।
(10) शिक्षा के प्रारंभ में उपनयन और शिक्षा के अंत में समावर्तन थे।
प्रश्न 2. वैदिक काल में स्त्री शिक्षा एवं आज की स्त्री शिक्षा की व्यवस्था में तुलना कीजिए।
उत्तर – भारत में महिला शिक्षा का इतिहास प्राचीन वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि लगभग 3,000 से अधिक वर्ष पूर्व वैदिक काल में स्त्रियों को समाज में एक उच्च स्थान प्राप्त था। वेदों का अध्ययन बताता है कि इस काल में स्त्रियों को अच्छी शिक्षा मिली थी। आज भी महिला शिक्षा की व्यवस्था अच्छी है, लेकिन आज की शिक्षा में वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपकरणों का भी उपयोग किया जाता है। वैदिक काल में स्त्रियाँ भी उच्च शिक्षा प्राप्त करती थीं। ऋग्वेद में एक स्त्री को ब्रह्मा कहा गया है क्योंकि उसे उच्च शिक्षा प्राप्त हुई है। शिक्षा प्राप्त करने के बाद कन्याओं को काव्यकला, शास्त्रीय शिक्षा, ललित कला, नृत्य, अभिनय और संगीत आदि विषयों की भी शिक्षा दी जाती थी। आज स्त्री शिक्षा की व्यवस्था में सरकारी और निजी क्षेत्रों दोनों की बहुत बड़ी भूमिका है। सरकार ने महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए कई प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू किए हैं।
स्त्री के लिए शिक्षा का महत्त्व उतना ही है जितना कि पुरुष के लिए। इसलिए शिक्षा दोनों के लिए अति आवश्यक है।
संक्षेप में, वैदिक काल में महिलाओं की शिक्षा व्यवस्था अच्छी थी। परन्तु आज विज्ञान, संचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए कई बदलावों ने शिक्षा प्रणाली पर काफी असर डाला है।
प्रश्न 3. पूर्व पाषाण काल की कला एवं सिंधु घाटी की कला में समानताओं व विभिन्नताओं का तुलनात्मक विश्लेषण करें।
उत्तर – पूर्व पाषाण काल की कला एवं सिंधु घाटी की कला में समानताओं व विभिन्नताओं का तुलनात्मक विश्लेषण इस प्रकार है-
(1) पूर्व पाषाण काल के लोग गुफाओं मे रहते थे, जबकि सिंधु घाटी के लोग नगरों में रहते थे।
(2) पूर्व पाषाण काल में बनी गुफा प्रकृति द्वारा बनी होती थी और सिंधु घाटी के लोग काली तथा लाल पकाई गई मिट्टी से बर्तन बनाते थे ।
(3) पूर्व पाषाण काल का मनुष्य लकड़ी, पत्थर, जानवरों की हड्डियों से हथियार बनाता था और सिंधु घाटी के लोग मातृदेवी की मूर्तियाँ, पशु-पक्षियों के चित्र आदि बनाते थे ।
प्रश्न 4. कला से क्या अभिप्राय है एवं उसके स्रोत क्या हैं?
उत्तर – कला का अर्थ – कला में मनुष्य अपनी अभिव्यक्ति करता है। कला से अभिप्राय एक ऐसी कलात्मक
शिल्प-कौशल की प्रक्रिया से युक्त अनुभूति से है जो सुख एवं आनंद प्रदान करने वाली होती है। कला का वास्तविक अर्थ है – प्रेरित करना । संक्षेप में, सुंदर, सृजनात्मक, सुख प्रदान करने वाली शिल्प कौशल कला कहलाता है।
कला के स्रोत- कला की जानकारी के मुख्य स्रोत हैं- शिलालेख, ऐतिहासिक ग्रंथ, प्राचीन खंडहर, मोहरें, मुद्राएं, यात्रियों के वृत्तांत तथा राजाओं की आत्मकथाएं आदि ।
प्रश्न 5. प्राचीन भारत के शिक्षा के केन्द्रों की विशेषताओं का विश्लेषात्मक वर्णन करें।
उत्तर – प्राचीन भारत के शिक्षा के केन्द्र एवं उनकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. नालंदा विश्वविद्यालय – नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त सम्राट कुमारगुप्त ने की थी।
(1) यह एक आवासीय विश्वविद्यालय था ।
(2) इस विश्वविद्यालय में लगभग 10 हजार विद्यार्थी और 1510 शिक्षक पठन-पाठन का कार्य करते थे।
(3) यहाँ पर व्याकरण, धर्म, दर्शन, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, राजनीति शास्त्र आदि विषय पढ़ाए जाते थे ।
(4) भारत ही नहीं, चीन, नेपाल, भूटान, जापान, श्रीलंका, तिब्बत और अन्य देशों से भी विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय में पढ़ने आए।
2. तक्षशिला विश्वविद्यालय – यह विश्वविद्यालय भारत के प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है।
(1) इस विश्वविद्यालय में वेद, वेदांत, व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष, चिकित्सा, कृषि और अन्य विषयों की पढ़ाई दी गई थी।
(2) यहाँ धर्म, अर्थशास्त्र और राजनीति शास्त्र से संबंधित बहुत सारे लेख लिखे गए।
(3) इसी विश्वविद्यालय से महान विचारकों जैसे पाणिनी, चाणक्य और जीवक ने पढ़ाई की थी।
3. वल्लभी विश्वविद्यालय – इस विश्वविद्यालय की स्थापना मैत्रक वंश के सेनापति भट्टारक ने 470 ई० में की।
(1) ह्वेनसांग के अनुसार यह विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय के समान प्रसिद्ध था।
(2) इस विश्वविद्यालय में अनेक विषयों; जैसे कानून, अर्थशास्त्र, गणित और साहित्य आदि का अध्ययन करवाया जाता था।
(3) इस विश्वविद्यालय में पढ़े हुए व्यक्ति को देश में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था।
4. विक्रमशिला विश्वविद्यालय – इस विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के शासक धर्मपाल ने की।
(1) इस विश्वविद्यालय में व्याकरण, दर्शन, कर्मकांड आदि विषयों का अध्ययन करवाया जाता था।
(2) तिब्बत के विद्यार्थी बड़ी संख्या में इस विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए आते थे।
(3) इस विश्वविद्यालय का प्रशासन महास्थविर चलाते थे और वही इसके कुलपति होते थे।
5. कांचीपुरम विश्वविद्यालय – कांची में यह विश्वविद्यालय था । यहाँ पर तर्कशास्त्र, न्यायशास्त्र, धर्म, व्याकरण और साहित्य आदि विषयों का अध्ययन किया गया था। वात्स्यायन कांची ने न्याय भाष्य लिखा था।
इस पोस्ट में हमने आपको Prachin Bharat me Siksha, Sahitya avam kla Question Answer प्राचीन भारत में शिक्षा, साहित्य एवं कला Class 7 इतिहास Chapter 5 Question Answer HBSE Class 7 इतिहास – हमारा भारत II Solution प्राचीन भारत में शिक्षा, साहित्य एवं कला Class 7 इतिहास Chapter 5 Notes Prachin Bharat me Siksha, Sahitya avam kla notes से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है अगर इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके हम से जरूर पूछें और अगर आपको यह जानकारी फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें.