NIOS Class 12 Environmental Science Chapter ऊर्जा के अनवीनीकृत स्त्रोत – I

NIOS Class 12 Environmental science Chapter ऊर्जा के अनवीनीकृत स्त्रोत – I

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter ऊर्जा के अनवीनीकृत स्त्रोत – I – NIOS कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12th पर्यावरण विज्ञान अध्याय (ऊर्जा के अनवीनीकृत स्त्रोत – I) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 12 Environmental Science Chapter. Renewable Sources Of Energy-I की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 12 Environmental Science के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

NIOS Class 12 Environmental Science Solution – ऊर्जा के अनवीनीकृत स्त्रोत – I

प्रश्न 1. सूर्य को अकेले ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। क्यों?
उत्तर – सूर्य को अकेले ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक स्रोत माना जाता है, क्योंकि सभी अन्य ऊर्जा के स्रोत सूर्य से ही ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 2. प्राकृतिक ऊर्जा के तीन स्रोतों के नाम बताइए जो समाप्त हो सकते हैं तथा जो समाप्त नहीं हो सकते।
उत्तर – समाप्त होने वाले ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत – कोयला तेल, तथा प्राकृतिक गैस हैं जबकि कभी समाप्त न होने वाले ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत – सूर्य, जल, पवन, भूतापीय ऊर्जा आदि हैं।

प्रश्न 3. समाप्त होने वाले तथा कभी समाप्त न होने वाले ऊर्जा स्रोतों में कोई एक अन्तर बताइए ।
उत्तर- समाप्त होने वाले ऊर्जा के स्रोत लम्बे समय से उपयोग में आने वाले संसाधन हैं जबकि कभी न समाप्त होने वाले ऊर्जा के स्रोत सामान्य रूप से उपयोग होने वाले ऊर्जा संसाधनों से भिन्न हैं।

प्रश्न 4 नवीनीकृत तथा अनवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों के बीच अन्तर बताइए ।
उत्तर- अनवीनीकृत ऊर्जा के स्रोत उपयोग होने के बाद तुरन्त प्राप्त नहीं किए जा सकते। उदाहरण के लिए जीवाश्म ईंधन-कोयला, तेल व प्राकृतिक गैस । नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोत लगातार उपयोग के बाद भी तुरन्त प्राप्त किए जा सकते हैं, जैसे-सूर्य, जल, पवन आदि ।

प्रश्न 6. सौर ऊर्जा ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण नवीनीकृत स्रोत क्यों है?
उत्तर – सौर ऊर्जा को ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण नवीनीकृत स्त्रोत समझा जाता है क्योंकि यह पूरे विश्व में मुफ्त में फैला हुआ है, सभी समय उपस्थित रहता है तथा अन्त तक उपलब्ध है।

प्रश्न 7. सौर ऊर्जा के भिन्न उपयोग बताइए ।
उत्तर– सौर ऊर्जा का उपयोग घरेलू, औद्योगिक तथा व्यावसायिक स्तर पर किया जाता है। जैसे सौर ऊर्जा का उपयोग प्रत्यक्ष रूप से भोजन तथा कपड़े सुखाने में किया जाता है। समुद्री जल के वाष्पीकरण से नमक प्राप्त करने में किया जाता है। सौर कुकर का उपयोग खाना बनाने में किया जाता है तथा बिल्डिंगों में प्रकाश करने व गर्म रखने में भी किया जाता है। सौर ऊर्जा का उपयोग सौर उपकरणों का उपयोग करके घरेलू उपयोग में पानी गर्म करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 8. PV (फोटोवोल्टेक) सेल क्या है तथा यह कैसे कार्य करता है?
उत्तर – PV सेल सौर सेल है, जो सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली बनाते हैं। यह पतला सा सेमी कंडक्टर है। सूर्य की किरणें इसे ऊर्जावान बनाती हैं तथा इलेक्ट्रॉन इस सेमी-कंडक्टर में घूमने लगते हैं, जो बिजली बनाते हैं तथा हमें ऊर्जा देते हैं।

प्रश्न 9. हवा (वायु) तथा पवन में क्या अन्तर है?
उत्तर – हवा (वायु) भिन्न गैसों का मिश्रण है जो कि पृथ्वी के वातावरण में सभी जगह उपस्थित है। जब वायु घूमती है तब इसे पवन कहते हैं। पवन वायु में तापमान, घनत्व व दाब में अन्तर के कारण उत्पन्न होती है। यह अन्तर भूमि द्वारा सूर्य की किरणों को सोखने की क्षमता के कारण होता है।

प्रश्न 10. पवन ऊर्जा को अप्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा क्यों कहते हैं?
उत्तर – पवन ऊर्जा को अप्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा कहते हैं क्योंकि सूर्य की सौर ऊर्जा ही पवन की गतिज ऊर्जा का कारण होती है।

प्रश्न 11. जलीय ऊर्जा (बिजली) बनाने में बाँधों का क्या महत्व है?
उत्तर – बाँधों का जलीय बिजली बहुत महत्व है, क्योंकि बाँध नदियों पर पानी को एक उच्च स्तर पर एकत्रित करने के लिए बनाए जाते हैं, जिससे पानी तेजी से गिर सके व बिजली उत्पन्न करने के लिए टरबाइन घूम सकें। जलीय बिजली पानी के बलपूर्वक गिरने से बनाई जाती है।

ऊर्जा के अनवीनीकृत स्त्रोत – I के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. सौर ऊर्जा के भिन्न उपयोग बताइए तथा सौर ऊर्जा के लाभ व हानि बताइए ।
उत्तर- घरेलू उपयोग – PV सेल ग्रिड बिल्डिंगों में बिजली सप्लाई के लिए लगाए जाते हैं। सौर सिस्टम बिजली ग्रिड के साथ जोड़े जाते हैं तथा PV सेल बिल्डिंगों को बिजली सप्लाई देता है। दिन के समय किसी बैटरी की आवश्यकता नहीं होती परन्तु रात में बैटरी संचय आवश्यक है।

व्यावसायिक उपयोग- ऑफिस बिल्डिंगों में छतों के ऊपर PV सेलों को कांच से ढक दिया जाता है जिससे बिजली सप्लाई होती है। फैक्टरी आदि में छत का बड़ा क्षेत्र PV ग्रिड के लिए अच्छा रहता है।

औद्योगिक उपयोग- उद्योगों में सौर ऊर्जा का उपयोग बिजली का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। जहाँ पर कि बिजली की आवश्यकता रिमोट पर निर्भर करती है। सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ग्रिड आदि को बहुत कम देख-रेख की आवश्यकता होती है। सौर ऊर्जा का उपयोग वाहनों में सिग्नल आदि के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे- सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नल में, हवाई जहाज आदि में तथा लाइट हाऊसों आदि में।

सौर ऊर्जा के लाभ-
(i) सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा बिल्कुल मुफ्त है।
(ii) सौर ऊर्जा के उत्पादन से कोई प्रदूषण नहीं होता ।
(iii) सौर ऊर्जा की नई तकनीक इसे कुछ मूल्य प्रभावित बनाती है।
(iv) सौर ऊर्जा के उपकरणों को देख-रेख की आवश्यकता नहीं होती।
(vii) सौर ऊर्जा के उपकरणों की मियाद 30-40 साल होती है।
(vi) कुछ उपकरणों की वारन्टी 20 से 30 वर्ष और ज्यादा होती है।

सौर ऊर्जा की हानियाँ- सौर ऊर्जा की मुख्य हानि लगाने पर किया गया खर्च है क्योंकि उपकरणों में एक बार लगाने के उपरान्त उसके 40 वर्ष तक के जीवन में कुछ नहीं कर सकते। घर से दूर के लिए सूर्य प्रकाश बहुत महंगा होता है, लगभग 15000 डॉलर से 25000 डॉलर या 35000 डॉलर तक ।

प्रश्न 2. PV सेल को सौर ऊर्जा संचय का उचित उपकरण क्यों कहा जाता है? इसकी मुख्य सीमितता क्या है?
उत्तर- PV सेल सौर ऊर्जा को सीधे बिजली में बदलता है। जब PV सेल को सूरज की रोशनी मिलती है, तो वह बिजली का करंट बनाता है जो किसी बाहरी वोल्टेज स्रोत से नहीं आता। ग्रीक शब्द “फोटोवोल्टेक” का अर्थ है “प्रकाश” और “वोल्ट”। वोल्ट एक बिजली बल यूनिट है जो बैटरी के आविष्कारक इटालियन भौतिकविद अलेक्जेंडर वोल्ट के नाम पर नामित है। 1849 से फोटोवोल्टेक शब्द का उपयोग होता है।

फोटोवोल्टेक एक नई तकनीक है, जिसमें PV सेल का उपयोग सूर्य के प्रकाश से बिजली उत्पादन में होता है। PV सेल का उपयोग अन्य किसी भी प्रकाश से बिजली उत्पादन में भी किया जा सकता है। PV सेल को कार्य करने के लिए तीन मुख्य बातों की आवश्यकता होती है-
(i) प्रकाश का सोखना, जिससे इलेक्ट्रॉन घूमने लगते हैं तथा बिजली उत्पादन होता है।
(ii) भिन्न आवेशों का अलगाव।
(iii) एक बाहरी सर्किट पर भिन्न आवेशों का अलगाव।

सीमितता-PV सेल एक स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करता है फिर भी कुछ स्थितीय प्रदूषण उपकरण संचय को प्रभावित करते हैं।
सौर ऊर्जा पैनल के संचय में बने बनाए उपकरण लगाने से कुछ पर्यावरणीय प्रदूषण भी हो सकते हैं जो कि जीवाश्मीय ईंधन व नाभिकीय ईंधन से होते हैं।
PV पैनल बनाने में कैडमियम व आर्सेनिक जैसे टॉक्सिन का उपयोग किया जाता है। ये पदार्थ पर्यावरणीय प्रदूषण का कारण होते हैं तथा ये पूरी तरह से समाप्त भी नहीं किए जा सकते, परन्तु कुछ का पुनर्चक्रण हो सकता है इसलिए इन टॉक्सिन के प्रभाव को कम करने के लिए इन्हें पुनः उपयोग में भी लाया जा सकता है।

प्रश्न 3. ज्वारीय ऊर्जा की बिजली के स्रोत के रूप में क्या सीमितताएं हैं?
उत्तर- सूर्य और चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल से उत्पन्न होने वाली लहरें ज्वार कहलाती हैं। अपने गुरुत्वाकर्षण बल के कारण चन्द्रमा इन लहरों को अपनी ओर आकर्षित करता है; ज्वार लहरें ऊपर उठती हैं और भाटा लहरें नीचे गिरती हैं। दिन में दो बार ये ज्वार भाटा की लहरें उठती हैं, जिससे उनका पानी में बहुत अधिक घुमाव होता है। ये लहरें इतनी तेज हैं कि जहाज भी डुबो सकती हैं। ज्वारीय ऊर्जा एक बड़ा ऊर्जा स्रोत है, जो समुद्री तटों पर एकत्रित किया जा सकता है। इसके लिए समुद्री तटों पर ज्वारीय बाँध बनाए जाते हैं। उच्च ज्वार के समय पानी बाँधों में एकत्रित हो जाता है तथा निम्न ज्वार के समय यह पानी बहने लगता है, जिससे टरबाइन घूमती है।

ज्वारीय ऊर्जा के लाभ-
(i) यह कभी न समाप्त होने वाली ऊर्जा का स्रोत है।
(ii) ज्वारीय ऊर्जा कोई भी प्रदूषण नहीं करती न ही ग्रीन हाऊस प्रभाव छोड़ती है।
(iii) जैसा कि पृथ्वी का 71% भाग पानी से आच्छादित है इसलिए यह ऊर्जा उच्च स्तर पर उत्पादित की जा सकती है।
(iv) ज्वार का ऊँचा उठना व गिरना हम चक्र के रूप में देख सकते हैं।
(v) ज्वारीय ऊर्जा कोयले, सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा से सशक्त होती है, लगभग 80%।

ज्वारीय ऊर्जा की सीमितता-
(i) ज्वारीय ऊर्जा प्लांट को लगाना काफी महंगा होता है।
(ii) ज्वारीय ऊर्जा संकेन्द्र केवल समुद्री तटों पर ही बनाए जा सकते हैं।
(iii) समुद्री लहरों की गति का समय व गति ज्ञात नहीं की जा सकती इसलिए ज्वरीय ऊर्जा उपकरण खराब हो सकते हैं।
(iv) जलीय जीव-जन्तुओं के जीवन को नुकसान पहुँचाते हैं
(v) उत्पादन बहुत थोड़े समय के लिए होता है। ज्वार भाटा दिन में केवल दो बार आते हैं इसलिए बिजली उत्पादन केवल उसी समय हो सकता है।

प्रश्न 4. जलीय ऊर्जा के लाभ व हानि बताइए।
उत्तर– जलीय ऊर्जा के लाभ-
• जलीय ऊर्जा एक नवीनीकृत ऊर्जा स्त्रोत है, जिससे पर्यावरण में कोई प्रदूषण नहीं होता और न ही ग्रीन हाऊस प्रभाव छोड़ता है।
• जलीय ऊर्जा संयंत्रों की कीमत थर्मल बिजली पॉवर प्लांट से कम होती है।
• पानी संचय करने वाले बांधों का पानी पीने, नाव चलाने और मछलियों को पकड़ने के लिए भी उपयोग किया जाता है, इससे जलीय ऊर्जा संयंत्रों का जीवन काल लंबा होता है।
• जीवाश्म ईंधन संयंत्र शुरू होने व बंद होने में करीब 8 घंटे का समय लेते हैं तथा नाभिकीय संयंत्र कुछ दिन।
• बांध जल को सामान्य रूप से जल को बाहर आने से रोकते हैं तथा वर्षा के दिनों में बाढ़ को भी रोकते हैं। जलीय ऊर्जा की हानियाँ
• बाँध बनाने से भूमि का एक बड़ा क्षेत्र घेर लिया जाता है, जिससे टरबाइन पानी में लगातार घूम सकें, लेकिन बाँध बनाने से कुछ क्षेत्रों में बहुत से लोग स्थानांतरित हो जाते हैं।
• बाँधों से जलीय जीव-जन्तु प्रभावित होते हैं। नदियों के किनारों पर स्लिट जम जाते हैं और मौसम अनुसार बाड़ें आती रहती हैं। बांध नदियों के जल को पीछे धकेल देते हैं, जो बाढ़ को रोकता है। इससे पर्यावरण में बदलाव होते हैं, जो जीवों और पौधों के पर्यावास पर प्रभाव डालते हैं।
• जलीय संयंत्र बहुत महंगे होते हैं।

प्रश्न 5. पवन तथा जलीय ऊर्जा में किसमें अधिक भविष्य की संभावना है? आपके अनुसार किसमें पर्यावरणीय कठिनाई हो सकती है?
उत्तर- बहते पानी को बाँध बनाने की जरूरत नहीं होती; इसके बजाय, वे पानी को नदी या नहर में बदल देते हैं, एक घाटी में चैनल करते हैं और टरबाइन (पेन स्टॉक) पर छोड़ देते हैं। टरबाइन जेनरेटर को चलाती है और स्थानीय लोगों को बिजली देती है। उत्पादन चलते पानी में महंगा होता है, न कि बाँध बनाकर महंगा। इससे पर्यावरण को कोई क्षति नहीं होती। टरबाइन तक पहुँचने वाले जल में से स्लिट को बाहर निकाला जाता है।

पर्यावरणीय प्रभाव – जलीय संयंत्रों, जीवाश्म ईंधन संयंत्रों से अलग, पर्यावरण पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डालते। वनरोपण करके और लकड़ी को जलाने के लिए पेड़ों को न काटकर जलीय ऊर्जा स्थानीय पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव डालता है। यह भी छोटी जलीय शक्ति वाले गाँवों में भेजा जा सकता है। पुनः आवेशित बैटरियां इसे प्रदान कर सकती हैं। ये बैटरी गाँवों में किसी एक स्टेशन पर आवेशित की जा सकती हैं, जिससे स्थानीय लोगों को स्वच्छ और पुनः नवीनीकृत बिजली का स्रोत मिल सकता है।

टारबाइन शाफ्ट को औद्योगिक क्षेत्रों में सीधे मैकेनिकल शक्ति के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, जिससे बैटरी बिजली बना सकती है। यह कृषि में तेल निकालने और लकड़ी बनाने में भी उपयोग किया जाता है।
स्थानीय निवासियों ने जलीय संयंत्र बनाया है और इसे चलाते हैं और देखते हैं। स्थानीय निवासियों को इस प्रकार रोजगार मिलता है, साथ ही पूरे समुदाय को पुनर्जीवित किया जा सकता है।

नवीनीकृत ऊर्जा वह ऊर्जा है, जो प्राकृतिक स्रोतों, जैसे-सूर्य, पवन, वर्षा, ज्वार लहर तथा भूतापीय ताप से प्राप्त होती है। लगभग 16% ऊर्जा की पूर्ति नवीनीकृत स्रोतों से होती है, 10% ऊर्जा बायोमास से जो कि गर्म रखने के लिए उपयोग में लाई जाती है तथा 3.4% ऊर्जा जलीय ऊर्जा से मिलती है। नए नवीनीकृत स्रोतों से 3%, ऊर्जा मिलती है। बिजली ऊत्पादन में नवीनीकृत स्त्रोतों से 19% जलीय ऊर्जा से 16% तथा 3% अन्य नए ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होती है।

प्रश्न 6. हमारे में नवीनीकृत संसाधनों का उपयोग पूरे जोर-शोर से नहीं होता। विवरण दीजिए।
उत्तर- नवीन स्रोतों का उपयोग करने के लिए अतिरिक्त खोज और विकास की जरूरत है। भारत में किसी भी संयंत्र की स्थापना की लागत भी महत्वपूर्ण है। ये ऊर्जा स्रोत पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं। हालाँकि इनसे बहुत खतरनाक नुकसान नहीं होता, लोगों का व्यवहार उनके अनुरूप नहीं होता। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा का उपयोग करते समय कांच की सतह से चोट लगना और ऊँची छतों पर लगे सौर उपकरणों की देख-रेख में चोट लगना सबसे बड़ी चुनौती हैं। पवन ऊर्जा में घूमने वाली टरबाइन ध्वनि प्रदूषण करती है।

जलीय संयंत्रों के आसपास पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होता है, पेड़ उखड़ जाते हैं और कुछ क्षेत्रों में बाढ़ से नुकसान होता है। बाढ़ में फसलों और मिट्टी के सड़ने से पर्यावरण दूषित होता है और जल से होने वाली बीमारियाँ फैलती हैं। स्थलीय जानवरों का स्थानांतरण भी जलीय बाँधों की मदद से होता है। इन सब मुश्किलों से बाँध की दीवारें टूट जाती हैं।
राष्ट्रीय ऊर्जा कार्यक्रमों में नवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों को शामिल करना चाहिए। खोज विकास और प्रोजेक्टों को प्रदर्शित करना बहुत महत्वपूर्ण है। ऊर्जा प्रदान करने वाले सिस्टम को आगे बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है।

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