NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 4 पारिस्थितिकी के सिद्धान्त

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 4 पारिस्थितिकी के सिद्धान्त

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NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 4 Solution – पारिस्थितिकी के सिद्धांत

प्रश्न 1. पारिस्थितिकी का क्या अर्थ है ?
उत्तर- पारिस्थितिकी का अर्थ है जीनों के पारस्परिक संबंध तथा वातावरण के साथ उनके संबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन। इसमें जीवों और पर्यावरण के जैविक और अजैविक घटकों के बीच संबंधों पर अधिक बल दिया जाता है।

प्रश्न 2. निके (Niche) की परिभाषा लिखिए ।
उत्तर- प्रकृति में अनेक प्रजातियाँ एक ही पर्यावास में पायी जाती हैं परन्तु अनेक कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। पर्यावास में किसी प्रजाति के कार्यात्मक लक्षण निके कहलाते हैं अर्थात् ‘निके’ किसी प्रजाति के समस्त क्रियाकलापों और संबंधों का योग है, जिनके द्वारा वह प्रजाति अपनी उत्तरजीविता तथा जनन के लिए अपने पर्यावास के संसाधनों का उपयोग करती है।

प्रश्न 3. पर्यावास तथा निके में एक अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- पर्यावास वह भौतिक पर्यावरण है जिसमें कोई जीव रहता है जबकि निके किसी प्रजाति के क्रिया-कलापों और संबंधों का कुल योग होता है।

प्रश्न 4. अनुकूलन से क्या तात्पर्य है? एक वाक्य में उत्तर दीजिए ।
उत्तर- अनुकूलन किसी जीव के व्यवहार या जीवन पद्धति होते हैं, जिनकी सहायता से वह किसी विशेष पर्यावरण में जीवित रहता है।

प्रश्न 5. (i) प्रजाति तथा (ii) विविधता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर- (i) प्रजाति-प्रजाति जीवों की समान समष्टियों का ऐसा समूह है जिसके सदस्य जननक्षम संतति उत्पन्न करने के लिए परस्पर प्रजनन करने में सक्षम होते हैं।
(ii) विविधता – किसी प्रजाति के जीन संयोजनों में अंतर के कारण विविधता आती है, जिससे जीवों की संरचना में अंतर आता है।

प्रश्न 6. विविधता के दो स्रोत बताइए ।
उत्तर- वे दो स्रोत जो प्रजाति में विविधता के कारण होते हैं –
(i) जीन संयोजन (ii) उत्परिवर्तन।

प्रश्न 7. उस विकासपरक बल का नाम बताइए जिसके कारण अनुकूलित विविधता का प्रजनन अधिक होता है।

उत्तर- प्राकृतिक वरण के कारण अनुकूलित विविधता का प्रजनन अधिक होता है।

प्रश्न 8. आप (i) प्रजाति उद्भवन तथा (ii) विलोपन से क्या समझते हो ?
उत्तर- (i) प्रजाति उद्भवन- प्रजाति उद्भवन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा नई प्रजातियाँ अस्तित्व में आती हैं।
(ii) विलोपन – विलोपन का अर्थ है किसी प्रजाति का
समाप्त हो जाना या विलुप्त होना। ऐसी प्रजातियाँ जिनका पहले अस्तित्व था, उनका एक भी सदस्य अब उपस्थित नहीं है। विलोपन विनाशकारी प्राकृतिक घटनाओं या मानव क्रिया-कलापों के कारण होता है।

प्रश्न 9. समष्टि की परिभाषा दीजिए।
उत्तर- समष्टि ऐसे जीवों का समूह होता है, जो परस्पर प्रजनन करने वाले जीव हैं और किसी विशेष समय में विशेष भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाते हैं।

प्रश्न 10. समष्टि की कम से कम तीन विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर – समष्टि की विशेषताएँ हैं-
(i) जनसंख्या का घनत्व,
(ii) जन्मदर,
(iii) मृत्युदर |

प्रश्न 11. वे कौन से कारक हैं, जिन पर समष्टि घनत्व निर्भर हैं?
उत्तर – समष्टि घनत्व निम्न कारकों पर निर्भर करता है-
(i) जन्मदर
(ii) मृत्यु दर
(iii) प्रवास
(iv) आप्रवास

प्रश्न 12. निम्नलिखित पारिस्थितिकीय शब्दों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए (एक या दो वाक्यों में ) (एक या दो वाक्यों में)
(i) अनुक्रम
(ii) अग्रगामी प्रजाति
(iii) चरमोत्कर्ष समुदाय
(iv) द्वितीय समुदाय

उत्तर- (i) अनुक्रम – समय के साथ पर्यावरण में जीवों का क्रमिक परिवर्तन अनुक्रम कहलाता है।

(ii) अग्रगामी प्रजाति– अउस क्षेत्र में पहली बार उगने वाले पौधों को अग्रगामी प्रजाति कहा जाता है। जो चक्र के दौरान बदलता रहता है। ये जल्दी बढ़ते हैं, छोटे होते हैं और छाया को सहन नहीं करते। यह अनुक्रम में पहली प्रजाति है।

(iii) चरमोत्कर्ष समुदाय- चरमोत्कर्ष समुदाय अनुक्रम का अंतिम चरण है। यह अपेक्षाकृत स्थायी तथा दीर्घकालिक समुदाय होता है।

(iv) द्वितीय अनुक्रम – द्वितीय अनुक्रम ऐसे परिवर्तनों की क्रमिक श्रेणी है, जो वर्तमान समुदाय में विघ्न आने के साथ प्रारम्भ होते हैं और चरमोत्कर्ष समुदाय की रचना करते हैं।

प्रश्न 13 परिभाषित कीजिए-
(i) पारिस्थितिकी अनुक्रम तथा
(ii) सहभागिता

उत्तर- (i) पारिस्थितिकी अनुक्रम- जब वनस्पति और जंतु प्रजातियों के समुदाय एक क्षेत्र से दूसरे में बदल जाते हैं या उनकी जगह दूसरे समुदाय ले लेते हैं, इसे पारिस्थितिकी अनुक्रम कहते हैं। इस प्रक्रिया में जैविक और अजैविक घटक मिलते हैं, और दोनों पौधे और जीव समुदाय बदलते हैं। यह श्रृंखला प्राथमिक या द्वितीयक हो सकती है।

(ii) सहभागिता -सहभागिता एक ऐसी अन्योनय क्रिया है, जिसमें अन्योन्यक्रिया करने वाली प्रजातियाँ एक-दूसरे के बिना अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकतीं, क्योंकि ये अपनी उत्तरजीविता के लिए पूर्ण रूप से एक-दूसरे पर निर्भर रहती हैं।

प्रश्न 14. किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले हिरणों के झुंड के सदस्यों के बीच किस प्रकार की स्पर्धा होती है?
उत्तर – किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले हिरणों के झुंड के सदस्यों के बीच अन्तरजातीय स्पर्धा होती है।

प्रश्न 15. टिड्डे को खाने वाली गार्डन मकड़ी के द्वारा किस प्रकार का संबंध प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर- टिड्डे को खाने वाली गार्डन मकड़ी शिकारी का संबंध प्रदर्शित करती है, क्योंकि वह शिकार कर टिड्डे को खाती है।

प्रश्न 16. तितली द्वारा परागित किए गए पुष्प द्वारा कैसा संबंध प्रदर्शित होता है?
उत्तर- तितली द्वारा परागित किए गए पुष्प द्वारा सहजीविता हैं।

प्रश्न 17. एक व्यक्ति की खोपड़ी की त्वचा में जूं रहती है; इस संबंध के लिए कौन-सा शब्द उपयुक्त है ?
उत्तर – व्यक्ति परपोषी का व्यवहार दर्शाता है, क्योंकि वह अपनी खोपड़ी की त्वचा से जूं को भोजन देता है।

प्रश्न 18. दो प्रजातियाँ एक साथ इस प्रकार रहती हैं कि वे एक-दूसरे को लाभान्वित करती हैं, कौन सा शब्द उपयुक्त है?
उत्तर- दो प्रजातियाँ एक-दूसरे को लाभान्वित करते हुए रहती हैं, यह स्थिति सहजीविता कहलाती है।

पारिस्थितिकी के सिद्धान्त के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. परिभाषित कीजिए – पारिस्थितिकी, निके, प्रजाति,
उत्तर- पारिस्थितिकी- पारिस्थितिकी का अर्थ है जीवों के पारस्परिक संबंध तथा वातावरण के साथ उनमें संबंधों का वैज्ञानिक विलोपन ।

इसमें जीवों और पर्यावरण में जैविक – अजैविक घटकों के बीच संबंधों पर अधिक बल दिया जाता है।

निके- किसी प्रजाति का कार्यात्मक लक्षण निके कहलाता है। किसी जाति का पर्यावास जहाँ वह रहता है, के समान है, जबकि निके इसे अपने काम के रूप में देख सकता है। निके का अर्थ है किसी प्रजाति के सभी कार्यों और संबंधों का संयोजन, जिसके द्वारा वह अपने पर्यावास के संसाधनों का उपयोग करती है ताकि जीवित रह सकें और जीवित रहें।

प्रजाति– जीव विज्ञान में प्रजाति वर्गीकरण एक महत्वपूर्ण घटक है। प्रजाति समष्टियों का ऐसा समूह है, जिसके सदस्य एक-दूसरे के साथ प्रजनन करने में सक्षम हैं। चीता, शेर, कमल और गुलाब सब अलग प्रजातियां हैं। विश्व भर में समझने के लिए एक प्रजाति को विशिष्ट वैज्ञानिक नाम दिया गया। उदाहरण के लिए, मानव का वैज्ञानिक नाम होमो सेपिएन्स है। केवल सम प्रजाति के जीव ही एक-दूसरे के साथ विवाह कर सकते हैं।

विलोपन – विलुप्त या समाप्त होना विलोपन है। कई प्रजातियाँ हमेशा के लिए विलुप्त हो गई हैं, और इन प्रजातियों का कोई भी सदस्य आज नहीं है। ऐसी प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं और जीवाश्म हमारी नई प्रजातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। विनाशकारी प्राकृतिक घटनाएं मूल कारण हैं।

प्रश्न 2. आप विविधता तथा प्राकृतिक वरण से क्या समझते हैं? ये किस प्रकार अन्योन्य क्रिया करके विकास का कारण बनते हैं?
उत्तर- विविधता- विभिन्न नस्ल के लोगों में त्वचा के रंग में अंतर, बालों के प्रकार घुंघराले या सीधे, रुधिर का प्रारूप मानव प्रजाति में विविधता को दर्शाता है। इसी प्रकार, गायों, कुत्तों, बिल्लियों आदि के विभिन्न आकार और आकृति इन प्रत्येक प्रजातियों में विविधता दर्शाते हैं। पौधों में लंबी और छोटी मटर की किस्में, बैंगनों के विभिन्न आकार और आकृति इन वनस्पति प्रजातियों में विविधता को दर्शाते हैं। विविधता आकस्मिक उत्परिवर्तन का परिणाम है। ऐसी विविधताएं, जो किसी प्रजाति को उसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष करने में सहायता करती हैं, उनको बढ़ावा मिलता है।

प्राकृतिक वरण- सन् 1859 में चार्ल्स डार्विन और अलफ्रेड वैलेस ने प्राकृतिक वरण का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इस सिद्धांत को नव-डार्विनवाद कहा जाता था, क्योंकि यह आनुवंशिकी में हुई प्रगति के साथ विकसित हुआ था। प्राकृतिक वरण सिद्धांत के अनुसार जीवों की प्रकृति है कि वे अधिक संतानों को बनाते हैं जो वातावरण के अनुकूल हैं। समष्टि जीवों में परिवर्तन से नए जीन बनते हैं। ऐसा परिवर्तन जो DNA की प्रतिकृति में त्रुटि के कारण आनुवंशिक पदार्थ में होता है, उसे उत्परिवर्तन कहते हैं। पुनर्संयोजन, जिसमें जीनों को हर पीढ़ी में बदल दिया जाता है, निषेचन और अर्धसूत्री विभाजन से होता है। प्राकृतिक वरण का बल जीवन को अपने आसपास के परिवेश के अनुकूल बनाने में मदद करता है। जिन जीवों को उनके वातावरण में जीवित रहने का सबसे अच्छा अवसर मिलता है, वे जीवित रह सकते हैं। जब वे जन्म लेते हैं, वे अपनी संतति में उपयुक्त अनुकूलनों को स्थानांतरित कर देते हैं।

प्रश्न 3. नई प्रजातियों की उत्पत्ति तथा इन्हें अलग-अलग रखने में विलगन की क्या भूमिका होती है?
उत्तर- एक प्रजाति में कई समष्टियां होती हैं। विभिन्न भौगोलिक सीमाएँ, जैसे पर्वत, समुद्र और नदी, एक प्रजाति को दूसरे से अलग करती हैं। एक प्रजाति की दो समष्टियों के बीच भौतिक विलगन का विकास भौगोलिक विलगन कहलाता है। किसी समष्टि के प्रजाति उद्भवन का सबसे सामान्य उपाय भौगोलिक विलगन है। उदाहरण के लिए, विलगन में कैबाब गिलहरी और एबर्ट गिलहरी, दो गिलहरी समष्टि हैं जो ग्राण्ड केन्योन नदी के दो किनारों पर हैं।

जीव-वैज्ञानिकों का कहना है कि कोलोराडो नदी की गिलहरी की पहली प्रजाति भोजन की तलाश में करीब एक अरब वर्ष पहले दो अलग-अलग प्रजातियों को जन्म दिया। माना जाता है कि ग्राण्ड केन्योन नदी के दोनों ओर अलग-अलग पर्यावरण है, इसलिए दोनों समष्टियाँ अलग-अलग हैं। दोनों समष्टियों में कई वर्षों की दूरी के बाद उत्परिवर्तन हुआ। विभिन्न समष्टियों के लोग भी एक दूसरे से आकर्षित नहीं होते। उपसमष्टियाँ समय के साथ लैंगिक रूप से एक दूसरे से बहुत अधिक अलग हो जाती हैं। यही कारण है कि ये अंतःप्रजनन नहीं कर सकती हैं। उपसमिष्टयाँ अंतःप्रजनन करने में सक्षम नहीं होती हैं जब अवरोध खत्म हो जाता है, इससे दो अलग प्रजातियाँ बनती हैं।

प्रश्न 4. मानव के कारण किस प्रकार प्रजातियां विलुप्त हो जाती हैं?
उत्तर- विलोपन का कारण मानवीय क्रियाएं हैं, जैसे वनोत्मूलन, संसाधनों का अधिकाधिक उपभोग, पर्यावरणीय प्रदूषण और पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन। उद्योगों के विस्तार और लोगों को बसाने के लिए वनोन्मूलन से आर्थिक विकास हुआ, लेकिन बहुत से प्राकृतिक वनवास नष्ट हो गए। मनुष्य के प्रदूषण ने कई जलीय प्रजातियों को मार डाला।

प्रश्न 5. निम्न से आप क्या समझते हो-
(i) जन्मदर
(ii) प्रजाति उद्भवन
(iii) उत्परिवर्तन
(iv) विलोपन

उत्तर- (i) जन्मदर – जन्मदर का अर्थ है-जिस दर से नए जीव पैदा होते हैं तथा दी हुई पर्यावरणीय परिस्थितियों के अन्तर्गत समष्टि में सम्मिलित होते हैं। किसी समष्टि के जीवों की संख्या में बढ़ोतरी जन्म, अंडे से बच्चे निकलने, अंकुरण और कायिक जनन के कारण होती है।

(ii) प्रजाति उद्भवन – ऐसी प्रक्रिया, जिसके द्वारा नई प्रजातियों की उत्पत्ति होती है, प्रजाति उद्भवन कहलाती है तथा जिस प्रक्रिया द्वारा प्रजाति उद्भवन होता है, वह विकास कहलाती है।

(iii) उत्परिवर्तन – यह परिवर्तन आनुवंशिक पदार्थ की DNA प्रतिकृति में त्रुटि से होता है। समष्टि जीवों में परिवर्तन से नए जीन बनते हैं। इसके अलावा, लैंगिक जनन करने वाले जीवों में अर्धसूत्री विभाजन और निषेचन प्रत्येक पीढ़ी में जीने के नए तरीके पैदा करते हैं। इसे पुनर्संयोजन कहते हैं, क्योंकि एक ही प्रजाति के सदस्य समान नहीं होते। वंशानुगत विविधता है।

(iv) विलोपन – जिन प्रजातियों ने अपने पर्यावरण को अच्छी तरह से अनुकूलित किया है, वे जीवित रहते हैं, लेकिन जो प्रजातियाँ ऐसा नहीं कर पाती हैं, वे मर जाती हैं या विलुप्त हो जाती हैं। इस तरह, विलोपन प्रजाति की मृत्यु का संकेत है। विलोपन आम तौर पर प्राकृतिक है। विलोपन तब होता है जब किसी प्रजाति का विकास उतनी तेजी से नहीं हो पाता, जितनी तेजी से पर्यावरण में परिवर्तन होते हैं, क्योंकि इसका मुख्य कारण जैविक संघर्ष है।

प्रश्न 6. पारिस्थितिकीय अनुक्रम का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – जैविक समुदायों की प्रकृति निरंतर बदलती रहती है। पारिस्थितिकीय अनुक्रम कहलाता है किसी क्षेत्र में पायी जाने वाली वनस्पति और जंतु प्रजातियों के समुदाय समय के साथ दूसरे समुदाय में बदल जाते हैं या दूसरे समुदाय उनका स्थान ले लेते हैं। इस श्रृंखला में जैविक और अजैविक दोनों ही घटक शामिल हैं। समुदाय और उस क्षेत्र का भौतिक पर्यावरण इन बदलावों का कारण बनते हैं। अनुक्रम के दौरान जंतु और वनस्पति दोनों समुदाय बदलते हैं। पारिस्थितिकीय अनुक्रम दो प्रकार के होते हैं – प्राथमिक अनुक्रम तथा द्वितीयक अनुक्रम।

प्राथमिक अनुक्रम में खाली क्षेत्रों जैसे चट्टानों, नव निर्मित डेल्टाओं, रेत के टीलों, ज्वालामुखी और द्वीप समूह, बहते हुए लावा, हिमानी में होता है अर्थात् ऐसे स्थान पर जहाँ पहले किसी भी समुदाय का अस्तित्व नहीं था। ऐसे पौधे जो पहली खाली जगह, जहाँ पहले मिट्टी नहीं थी, में उगते हैं, अग्रगामी कहलाते हैं।

द्वितीयक अनुक्रम – द्वितीयक अनुक्रम प्राथमिक या अग्रगामी समुदाय का विकास है। वर्तमान वनस्पति के बाद द्वितीयक अनुक्रम शुरू होता है, जो समुदाय की स्थापना के बाद समाप्त होता है। द्वितीयक अनुक्रम प्राथमिक अनुक्रम से तेज होता है क्योंकि मिट्टी में बीजों का भंडार और जीवों की अन्य प्रस्तुत अवस्थाएं होती हैं।

प्रश्न 7. समुदाय की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- जैविक समुदाय से तात्पर्य है – विभिन्न प्रकार के जीवों की एक समूह जो एक ही पर्यावास में रहते हैं और पर्यावास के सभी घटकों का उपयोग करते हैं। समुदाय का संगठन कई चीजों से होता है, जैसे विभिन्न समष्टियों की भूमिका, उनके प्रयास, स्थान का प्रकार, प्रजातियों में विविधता के कारण और समष्टियों के बीच अन्योन्य क्रिया. समुदाय के सदस्य अपने पर्यावरण के साथ भी अन्योन्य क्रिया करते हैं। समुदाय में जीवित रहने के लिए पर्यावरण अनुकूलन आवश्यक है। समुदाय में पौधे क्रमानुसार व्यवस्थित हैं। उदाहरण के लिए, उष्ण कटिबंधीय वनों में बड़े-बड़े वृक्ष होते हैं, जो उनके नीचे उगने वाले पौधों को आर्द्रता और अन्य परिस्थितियां प्रदान करते हैं। समुदाय का आकार इन सबसे निर्धारित होता है।

वहाँ की परिस्थितियां विभिन्न जीवों को भोजन प्रदान करती हैं। समुदाय में जीवों और पौधों की बहुत सी प्रजातियां सुरक्षित हैं। किसी प्रजाति का संगठन दूसरे से अलग होता है। जैसा कि देखा गया है, जलवायु पर्यावरण का प्रकार निर्धारित करती है, इसलिए समुदाय में जीवों का प्रकार भी जलवायु द्वारा निर्धारित होता है। प्राकृतिक समुदाय में बहुत सी प्रजातियाँ हैं। मानव निर्मित समुदाय अधिक अस्थायी हैं और निरंतर देखभाल और देखभाल की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, फसल समुदायों को मानव ने बनाया है।

प्रश्न 8. (i) चरमोत्कर्ष समुदाय तथा (ii) अग्रगामी प्रजाति क्या है?
उत्तर- (i) चरमोत्कर्ष समुदाय – पारिस्थितिकी में चरमोत्कर्ष समुदाय पौधों और जीवों का जैविक समुदाय है। यह समुदाय दीर्घकालिक, स्थायी, परिपक्व और अधिक जटिल है। क्रमावस्था, किसी दिए गए क्षेत्र में समुदायों का समग्र क्रम है, जिसमें एक समुदाय दूसरे का अनुवर्ती होता है। ऐसे समुदाय के जंतु भी अनुक्रम दिखाते हैं, जो काफी हद तक वनस्पति अनुक्रम से प्रेरित है। अनुक्रमिक चरणों के जंतु निकट समुदायों से प्रवसन करने वाले जीवों पर भी प्रभाव डालते हैं। जब तक प्रचलित जलवायु और पर्यावास कारक अपेक्षाकृत स्थायी और गतिकीय साम्य में रहते हैं, चरमोत्कर्ष समुदाय जीवित रहता है।

(ii) अग्रगामी प्रजाति – अग्रगामी प्रजाति के पौधे पहली खाली जगह पर जहां मिट्टी नहीं थी, उगते हैं। अग्रगामी समुदाय एक समूह अग्रगामी पौधों का संग्रह है। ऐसा समुदाय पूर्ववर्ती समुदाय की जगह लेता है। जिसमें कई प्रजातियों का मिश्रण है क्रमानुसार, एक समुदाय की जगह दूसरा लेता है। चरमोत्कर्ष समुदाय अनुक्रम का अंतिम चरण बनता है। स्थायी, परिपक्व, अधिक जटिल और दीर्घकालिक चरमोत्कर्ष समुदाय हैं।

प्रश्न 9. जैविक अन्योन्य क्रिया पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर – विभिन्न क्षेत्रों या पारितंत्रों में होने वाली जैविक क्रियाओं का एक विशाल नेटवर्क है। अंतरजातीय अन्योन्यक्रिया और अंतर्जातीय अन्योन्यक्रिया दो प्रकार की होती हैं । एक ही प्रजाति के लोगों के बीच होने वाली क्रियाएँ अंतराजातीय अन्योन्य क्रियाएं कहलाती हैं, जबकि अलग-अलग प्रजातियों के लोगों के बीच होने वाली क्रियाएं अंतर्जातीय अन्योन्य क्रियाएं कहलाती हैं। खाद्य श्रृंखला में एक ही पोषण स्तर से जुड़े जीवों के बीच अन्योन्य क्रिया में प्रतिस्पर्धा होती है। व्यष्टि सदस्यों के बीच भोजन, स्थान और प्रजनन के लिए यह संघर्ष हो सकता है। यह विवाद अंतरजातीय या अंतर्जातीय हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बिल्ली एक चूहे को ख है, तो दूसरे बिल्लियों को शिकार के लिए कम चूहे मिलेंगे। चूहे खाने वाले और भी शिकारी होंगे, इसलिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी.

हालांकि, प्रत्येक शिकारी का खाना और शिकार का समय अलग होता है, साथ ही उनका भोजन भी अलग होता है। दो प्रजातियों के बीच अन्योन्य क्रियाओं के लिए प्रत्यक्ष संपर्क की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए अंतर्जातीय संबंध प्रत्यक्ष और निकट हो सकते हैं। नकारात्मक अन्योन्य क्रिया के अंतर्जातीय सहचर्य में कम से कम एक प्रजाति को दूसरी प्रजाति से नुकसान होता है, जबकि सकारात्मक सहचर्य में दोनों संबद्ध प्रजातियों को लाभ होता है. उदासीन अन्योन्य क्रिया में संबद्ध प्रजातियों को न तो लाभ होता है न ही हानि होती है। किसी भी तरह का हो सकता है। असहयोगिता एक द्विजातीय सहचर्य है जिसमें एक प्रजाति दूसरी प्रजाति को सीमित करती है लेकिन अपने आप को किसी भी बुरे प्रभाव से बचाती है। शिकार अन्योन्यक्रिया में शिकारी अन्य प्रजातियों के जंतुओं को मार डालता है। शिकार को हानि होती है और स्वयं को लाभ होता है।

एक प्रजाति को परजीविता भी मिलती है। जबकि दूसरी जातियों को नुकसान परपोषी, जो छोटे-छोटे जीव हैं, जो अन्य सजीव प्रजातियों के अंदर या ऊपर रहते हैं और उनसे भोजन और आश्रय प्राप्त करते हैं, उन्हें कहते हैं। इसमें परजीवी लाभ उठाता है और परपोषी हानि उठाता है। जब दो समष्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है, तो दोनों ही प्रजातियों को नुकसान होता है। सहयोगिता में एक प्रजाति को लाभ होता है, जबकि दूसरी प्रजाति को न तो लाभ होता है न हानि। सहजीविता दोनों जातियों को फायदा देती है। दोनों जातियाँ एक-दूसरे को उदासीन नहीं मानतीं।

प्रश्न 10. जैविक अन्योन्य क्रिया को परिभाषित कीजिए सकारात्मक, नकारात्मक या उदासीन प्रमाण में से किसी एक को वर्णित कीजिए।
उत्तर- जैसे जैविक समुदाय के सदस्यों के बीच होता है यह अंतर्जातीय या अंतरजातीय हो सकता है। अंतरजातीय क्रियाएँ और अंतर्जातीय क्रियाएँ एक ही प्रजाति के लोगों के बीच होती हैं। उदाहरणों में स्पर्धा, शिकार, परजीविता, सहभागिता, उदासीनता और सहयोजिता शामिल हैं ।

(i) सकारात्मक क्रियाविता (Mutualism) इस क्रिया का अच्छा उदाहरण है। इसमें दो प्रजातियों के बीच निकट सहचर्य होता है जिसमें दोनों प्रजातियाँ लाभान्वित होती हैं जैसे समुद्री – एनीमोन तथा हर्मिटक्रे । समुद्री एनीमोन हर्मिटक्रेब को अपनी दंश कोशिकाओं के द्वारा सुरक्षा और छद्म आवरण प्रदान करता है।

(ii) नकारात्मक क्रिया- इस क्रिया का एक उत्कृष्ट उदाहरण असहयोगिता है। यह एक प्रजाति को दूसरी प्रजाति से अलग कर देता है या उसे नुकसान पहुंचाता है, लेकिन अपने आप को किसी भी बुरा प्रभाव से बचाता है। उदाहरण के लिए, ब्रेड मोल्ड कवक पेनिसिलियम पेनिसिलिन नामक एंटीबायोटिक बनाता है जो कई बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकता है।

(iii) उदासीन क्रिया- वास्तविक उदासीनता अत्यन्त अविश्वसनीय होती है और इसे सिद्ध करना असंभव है क्योंकि उदासीनता दुर्लभ या अस्तित्वहीन है अतः इसका कोई उदाहरण नहीं है।

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