NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 26 पर्यावरणीय नैतिकता और गाँधीवादी दृष्टिकोण

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 26 पर्यावरणीय नैतिकता और गाँधीवादी दृष्टिकोण

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 26. पर्यावरणीय नैतिकता और गाँधीवादी दृष्टिकोण – NIOS कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12th पर्यावरण विज्ञान अध्याय 26 (पर्यावरणीय नैतिकता और गाँधीवादी दृष्टिकोण) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 12 Environmental Science Chapter 26. Environmental Ethics And Gandhian Approach की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 12 Environmental Science के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 26 Solution – पर्यावरणीय नैतिकता और गाँधीवादी दृष्टिकोण

प्रश्न 1. परिभाषित कीजिए-
(i) नैतिकता
(ii) पर्यावरणीय नैतिकता
उत्तर- (i) नैतिकता – दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जो शिक्षा और मूल्यों को बताती है।
(ii) पर्यावरणीय नैतिकता – पर्यावरणीय आचार दर्शनशास्त्र की वह शाखा है, जो मानव और प्राकृतिक वातावरण के बीच नैतिक संबंधों के बारे में विचार करती है।

प्रश्न 2. पर्यावरणीय नैतिकता के दृष्टिकोणों का नाम बताइए |
उत्तर- पर्यावरणीय नैतिकता के दृष्टिकोण मुख्यतः तीन हैं- मानव केन्द्रित, पारिकेन्द्रित तथा जीवन केन्द्रित ।

प्रश्न 3. पर्यावरणीय नैतिकता के लिए एक औचित्य बताइए |
उत्तर – पर्यावरणीय नैतिकता का मुख्य औचित्य है यदि मानव जाति को जीवित रहना है, तो पर्यावरण को संरक्षित करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 4. पर्यावरणीय नैतिकता के बारे में बच्चों को क्यों पता होना चाहिये ?
उत्तर- बच्चों को पर्यावरणीय नैतिकता के बारे में पता होना चाहिए, क्योंकि उनकी यह उम्र नई आदतें सीखने की होती है। यदि बच्चों को पर्यावरण के लिए इस उम्र में बताया जाएगा, तो उनमें शुरू से ही पर्यावरण के प्रति सद्भावना पैदा हो जाएगी।

प्रश्न 5. जीवन में पर्यावरण के साथ सद्भाव की दो परंपराएँ बताइए।
उत्तर – जीवन में पर्यावरण के साथ सद्भाव की दो परंपराएँ हैं – प्रकृति के सम्मान के लिए तथा पौधों और जन्तुओं के प्रति सम्मान के लिए।

प्रश्न 6. पवित्र गुफा किसे कहते हैं?
उत्तर- पवित्र गुफा वह क्षेत्र है, जिसमें पादप व जीव-जन्तु फलते-फूलते हैं तथा जैव विविधता बनाए रखी जाती है। ये क्षेत्र आने वाली आगामी पीढ़ी के लिए भी संरक्षित रखे जा रहे हैं।

प्रश्न 7. उस PIL ( जनहित याचिका) का उदाहरण दीजिए, जिसने पर्यावरणीय प्रदूषण के विरुद्ध कदम उठाया है?
उत्तर –PIL जिसने पर्यावरणीय प्रदूषण के विरुद्ध कदम उठाया, जिसमें MC मेहता मथुरा रिफाइनरी, उत्तर प्रदेश से निकलने वाले बहिस्रवों से ताजमहल की सुरक्षा के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी।

प्रश्न 8. कार्पोरेट पर्यावरणी नैतिकता का क्या अर्थ है?
उत्तर- कार्पोरेट पर्यावरणीय नैतिकता का अर्थ है कि कार्पोरेट जगत की मूल जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्र को एक स्वच्छ पर्यावरण दे

प्रश्न 9. पर्यावरण के प्रति सद्भावना के लिए व्यावसायिक घरानों द्वारा एक-एक नैतिक कदम बताइए ।
उत्तर – पर्यावरण के प्रति सद्भावना के लिए व्यावसायिक घराने एक-एक नैतिक कदम उठा सकते हैं- हरी एवं स्वच्छ तकनीकी का प्रयोग, हरे-भरे क्षेत्रों का विकास एवं बगीचे लगाना ।

प्रश्न 10. चिपको आन्दोलन के संस्थापक कौन हैं?
उत्तर- चिपको आन्दोलन के संस्थापक चंदी प्रसाद भट्ट तथा सुन्दर लाल बहुगुणा हैं।

प्रश्न 11. सुलभ इंटरनेशनल किस प्रकार के काम करता है?
उत्तर- सुलभ इंटरनेशनल हरिजनों एवं सफाईकर्मियों को जमीन से ऊपर उठाने के लिए काम करता है। इसके संस्थापक गाँधी जी के विचारों से भी प्रभावित थे।

प्रश्न 12. गाँधी को सबसे पहला पर्यावरणविद् क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – गाँधी जी को सबसे पहला पर्यावरणविद् कहा जाता है, क्योंकि वे आधुनिक औद्योगिक समाज के कारण पर्यावरण संकट का अनुमान लगाते थे।

प्रश्न 13. गाँधी जी का मुख्य नारा क्या था ?
उत्तर- गाँधी जी का मुख्य नारा था- प्रकृति माँ हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है, परंतु हमारे लालच को पूरा करने में असमर्थ है।

पर्यावरणीय नैतिकता और गाँधीवादी दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. पर्यावरणीय नैतिकता से क्या अर्थ है ?
उत्तर- पर्यावरणीय नैतिकता दर्शनशास्त्र का वह भाग है जो मानव और प्राकृतिक पर्यावरण के बीच नैतिक संबंधों को समझाता है। प्राकृतिक पारितंत्रों के बीच में संतुलन को बनाए रखने के लिए विभिन्न घटकों के बीच विभिन्न प्रक्रियाओं को संतुलित होना चाहिए। बढ़ती मानव जनसंख्या के द्वारा संसाधनों के अतिदोहन के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है। औद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण पारिस्थितिकीय समस्याओं में वृद्धि होती है, जिसके कारण प्रदूषण में बढ़ोतरी जैव विविधता में कमी व आधारभूत संसाधनों की अत्यधिक कमी हो जाती है।

प्रश्न 2. पर्यावरण- नैतिकता के दृष्टिकोण क्या हैं?
उत्तर- पर्यावरण- नैतिकता के मुख्यत: तीन दृष्टिकोण हैं- मानव केन्द्रित, जीवन केन्द्रित तथा पारिकेन्द्रित । मनुष्य पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे गृह पृथ्वी को मानव केंद्रित कहा जाता है क्योंकि मानव ने प्रकृति को अपने फायदे के लिए बदल दिया है। यह मानव की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपनी पीढ़ियों के प्रति जिम्मेदार बने और पृथ्वी को अगली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित छोड़ दें। पर्यावरणीय नैतिकता के साथ कार्य करते हुए दार्शनिक जीव-जन्तुओं के बीच संबंध दिखाते हुए कुछ प्रश्न पूछते हैं-

(i) कितनी मानव स्पीशीज पृथ्वी पर रहती हैं?
(ii) पर्यावरण और एक-दूसरे के साथ कैसे सहभागिता करते हैं?
(iii) पर्यावरणीय ज्ञान के संदर्भ में प्रकृति पर मानव की कुल निर्भरता कितनी है ?

इन प्रश्नों के आधार पर प्रकृति हर प्रजाति के लिए है। यह दृष्टिकोण बायोसेन्ट्रिक या जीवन-केंद्रित है। सभी प्राणी को प्रेम करना चाहिए। गैर-मानव निर्मित मार्ग, जो दूसरे भागों के प्रति नैतिक जिम्मेदारियों का उल्लेख करता है। यह पारितंत्र पारिकेन्द्रित है। इस विचारधारा का मानना है कि इस ग्रह को बचाना अनिवार्य है।

जबकि मानव इस ग्रह को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर सकते, ग्रह हमें पूरी तरह से नष्ट कर सकता है। ताकि हमारी उत्तरजीविता सुरक्षित रह सके और हम खुद को नष्ट होने से बच सकें, पर्यावरण की रक्षा हमारी परम आवश्यकता है। हम पर्यावरण को बचाना चाहिए अगर मानव जाति जीवित रहना चाहती है और अपनी अगली पीढ़ियों को जीवित रखना चाहती है।

प्रश्न 3. पर्यावरणीय नैतिकता की आवश्यकता क्यों महसूस की गई है?
उत्तर – जबकि कई दर्शनशास्त्री इस विषय पर लिखते आ रहे हैं, पर्यावरणीय नैतिकता मनुष्यों के नैतिक मूल्यों और प्राकृतिक पर्यावरण के संबंधों से जुड़ी है। 1970 के दशक में दर्शनशास्त्रियों ने पर्यावरणीय नैतिकता के बारे में बहुत कुछ कहा। नैतिक मूल्यों या आचारों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि यह किसी भी विकासात्मक प्रक्रिया की दोनों शक्तियां और कमजोरियाँ हैं। जैसे वनोन्मूलन, खनन, बाँधों का निर्माण और आर्द्रभूमि से पानी का निकास 1960 के दशक में जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और विकसित वैज्ञानिक तकनीक ने पर्यावरण बचाने की भावना को जन्म दिया।

बढ़ती जनसंख्या को भोजन देने के लिए फसलों में कीटनाशकों और पीड़कनाशकों का प्रयोग बढ़ गया है, जो मनुष्य स्वास्थ्य के साथ खतरा है क्योंकि ये पर्यावरण, वातावरण और जल प्रदूषण को बढ़ाते हैं। जैव विविधता भी इससे प्रभावित हुई। मनुष्य को अपने पर्यावरण के प्रति प्रेम रखना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों की कमी से न केवल प्रदूषण और पर्यावरण प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि पादप जाति, जीव जगत, जैव विविधता, पर्यावरण परिवर्तन और ग्रीन हाऊस प्रभाव भी प्रभावित हुए हैं। इसलिए हमें पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरणीय नैतिकता का पालन करना होगा।

प्रश्न 4. एक उपयुक्त उदाहरण की मदद से समझाइए कि भारतीय शास्त्रों में पर्यावरण नैतिकता की अवधारणा को कैसे समझाया गया है ? “
उत्तर- भारतीय दर्शनशास्त्र में सभी जीवों की भलाई की बात कही गई है। “सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे भवन्तु निरामया” संस्कृत श्लोक का मूल अर्थ है। इसका मतलब यह है कि अनुभवों से खुशी मिल सकती है और सभी पापमुक्त हो सकते हैं। ऋग्वेद में प्रकृति और पर्यावरण का बहुत महत्व था। महाभारत और रामायण के सभी मंत्र पर्यावरण संरक्षण और सद्भाव की प्रशंसा करते हैं। ये भारतीय प्रणालियाँ लोगों का सम्मान करती हैं और दूसरों की देखभाल करती हैं।

ऋग्वेद में एक वाक्य में कहा गया है कि “आकाश एक पिता के समान, पृथ्वी माँ के समान, और अंतरिक्ष एक बेटे के समान है।” इन तीनों का ब्रह्मांड एक परिवार है। ब्रह्माण्ड का संतुलन बिगड़ जाता है जब किसी को भी चोट लगती है। रबी की फसल की कटाई अप्रैल में हमारे कई राज्यों में नए साल की शुरुआत होती है।

पंजाब में बैशाखी, बंगाल में नव वर्ष, तमिलनाडु में नव वर्ष, और आंध्र प्रदेश में तमिल और तेलुगू नव वर्ष मनाया जाता है। भारत में पौधों और पशुओं की पूजा लंबे समय से की जाती है, और भारतीय उत्सवों, पारंपरिक कला और शिल्पों को भी पर्यावरणीय नैतिकता की दृष्टि से देखा जाता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top