NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 20 आधुनिक कृषि
NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 20. आधुनिक कृषि – NIOS कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12th पर्यावरण विज्ञान अध्याय 20 (आधुनिक कृषि) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 12 Environmental Science Chapter 20. Modern Agriculture की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 12 Environmental Science के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .
NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 20 Solution – आधुनिक कृषि
प्रश्न 1. ‘हरित क्रांति’ को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर- हरित क्रांति उच्च गुणवत्ता वाले बीजों, रासायनिक खादों और अच्छी सिंचाई के माध्यम से उच्च उत्पादन वाली विभिन्न किस्मों का विकास है। इससे उत्पादकता में वृद्धि हुई है, जिससे देश आत्मनिर्भर हो गया है। 1963 में, मैक्सिको के प्रोफेसर नार्मन ई. बोरलॉग को बुलाया गया, जिन्होंने भारतीय और मैक्सिको की छोटी गेहूँ की किस्मों को मिलाकर उच्च उत्पादकता वाले पौधों को बनाया था।
प्रश्न 2. डॉ. स्वामीनाथन द्वारा ‘शरबती सोनोरा’ किस्म को किस प्रकार निर्मित किया गया ?
उत्तर- डॉ. स्वामीनाथन ने ‘शरबती सोनोरा’ बनाने में एक्स रे और गामा रे किरणों के माध्यम से सोनोरा 64 को गुजारा और गेहूँ की एक उत्तम किस्म निर्मित की।
प्रश्न 3. उर्वरक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – उर्वरक वे कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ हैं, जिन्हें हम भूमि में पौधों के स्वस्थ विकास के लिए प्रयोग करते हैं। उर्वरक प्राकृतिक व रासायनिक कोई भी हो सकते हैं।
प्रश्न 4. कार्बनिक खादों के प्रयोग के क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर- कार्बनिक खाद पर्यावरण के अनुकूल हैं। तथा वे पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करते; जैसे न तो मृदा या जल प्रदूषण। कार्बनिक खाद मृदा की जल शोषण क्षमता, उर्वरता और भूमि को पोषकों से भरपूर करते हैं।
प्रश्न 5. बीमारियों से लड़ने में सक्षम बीजों की किस्मों के क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर – रोगमुक्त बीजों की किस्मों को कीटनाशकों व पीड़कनाशकों की आवश्यकता नहीं होती। इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषण मुक्त होता है, बल्कि कीटनाशकों को खरीदने पर होने वाले पैसों का खर्च भी बच जाता है
प्रश्न 6. कम्बाइन हार्वेस्टरों, हल व भूमि समतलक जैसे यंत्रों के क्या-क्या कार्य हैं?
उत्तर – कम्बाइन हार्वेस्टर पौधों को फसल देते हैं। साथ ही अनाज को पौधों से गहन प्रक्रिया से अलग करते हैं। यह मशीन पौधों को काटकर दानों से अलग करती है। हल बीज बोने से पहले स्वस्थ और हवादार जमीन बनाते हैं। भूमि समतलकरण: बीज बोने से पहले और भूमि जोतने के बाद भूमि को समतल करना आवश्यक है। समतल भूमि बीज बोने योग्य हो जाती है।
प्रश्न 7. खारेपन, सूखे या पानी से भरी स्थितियों से जूझने में सक्ष्म बीजों की किस्मों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर- खारेपन, सूखे या पानी से भरी स्थितियों से जूझने में सक्षम बीजों को विभिन्न स्थितियों के अधीन उगाकर जुताई के क्षेत्र का विस्तार किया जा सकता है।
प्रश्न 8. किन्ही तीन महत्त्वपूर्ण कृषि प्रणालियों के विषय में बताइए व उनके लाभ भी बताइए ।
उत्तर- मुर्गीपालन – मुर्गीपालन बत्तख, मुर्गियों व अन्य पक्षियों को, उनसे अंडे व मांस पाने के लिए उनकी देख-रेख और पालन की कृषि है। मुर्गीपालन में उनके बच्चे अधिक महत्त्व के होते हैं। 50 करोड़ से अधिक मुर्गी व उनके बच्चे प्रतिवर्ष मीट व अंडे के स्रोत हैं।
मशरूम कृषि – मशरूम एक प्रकार के कवक हैं, जो कि छोटे आकार की सफेद गेंदों के रूप में दिखाई देते हैं। इनमें एक छोटी शाखा और टोपी होती है जो एक छतरी के समान ऊपर को खुलती है। इनमें क्लोरोफिल की कमी होती है और ये खेतों व कारखानों के अपशिष्ट पदार्थों या कार्बनिक पदार्थों व कूड़ा करकट पर उगते हैं। मशरूम पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ है।
मधुमक्खी पालन – मधुमक्खी पालन, बड़ी मात्रा में मधु मक्खियों से निकाले गए मधु के निर्यात के लिए, मधुमक्खियों के समूहों की देख-रेख व नियंत्रण है। प्राचीन काल में मधुमक्खी पालन लोग घर में ही कर लेते थे, परन्तु अब यह एक महत्त्वपूर्ण उद्योग का रूप ले चुका है।
प्रश्न 9. किन्हीं तीन स्थानीय व विदेशी नस्लों की गायों के नाम लिखिए।
उत्तर – स्थानीय गायों की नस्ल – साहीवाल , लाल सिंधी , थारपारकर
विदेशी गायों की नस्ल – जर्सी , भूरी , स्विस , होलस्टाइन , फ्रिजियन ।
प्रश्न 10. प्रतिदिन की दर से, हमारे देश की गायों के कम दूध उत्पादन के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर – हमारे देश की गायों के कम दूध उत्पादन के मुख्य कारण हैं – निम्न स्तर का चारा, भोजन आहार की कमी, कम दूध देने वाली स्थानीय नस्लें |
प्रश्न 11. फुट एंड माउथ रोग, रिण्डरपेस्ट और एंथ्रेक्स जैसी बीमारियों के कारक जीवाणुओं और रोग लक्षणों को बताइए |
उत्तर- फुट एंड माउथ रोग इस रोग का कारक विषाणु है। जानवर जिसे यह रोग हुआ है, उसके लक्षण हैं- मुंह और पाँव पर छाले, भूख में कमी, थूक का अधिक निकलना, तेज बुखार व कंपकपी ।
रिण्डरपेस्ट – इस रोग का कारक बैक्टीरिया है। इस रोग के मुख्य लक्षण हैं- लगातार नाक का बहना, भूख में कमी, कब्ज व बाद में डायरिया |
एंथ्रेक्स – इस रोग का कारक बैक्टीरिया है। इस रोग के मुख्य लक्षण हैं- शरीर का फूलना, बुखार व दूध के बहाव में कमी।
प्रश्न 12. गायों के दूध के उत्पादन की वृद्धि की दृष्टि से हार्मोनों के टीकाकरण के दुष्प्रभाव बताइए ।
उत्तर – हार्मोनों में टीकाकरण गायों के दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है, जिसके कई दुष्प्रभाव हैं। दूध के उत्पादन में वृद्धि के लिए हार्मोनों के टीकाकरण के कारण पशुओं के थनों में फुलाव आ जाता है, जिससे जानवरों को तकलीफ पहुँचती है। तथा उनको चलने तक में परेशानी होने लगती है।
प्रश्न 13. जलीय कृषि को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर – जलीय कृषि जल में रहने वाले जलीय जीवों की कृषि है, जैसे- मछली, मोलस्क, क्रस्टेशियन व जलीय पौधे । जलीय कृषि एक नियंत्रित वातावरण में होने वाली मछली की कृषि है, जैसे – तटीय, अंत:स्थली, झील एवं जलाशय, तालाब आदि। जब ये मछलियाँ अपेक्षित आकार ग्रहण कर लेती हैं, तब उनका फसलीकरण कर लिया जाता है।
प्रश्न 14. मछलियों की जनसंख्या किन मुख्य खतरों से पीड़ित हैं ?
उत्तर – मछलियों की जनसंख्या आवश्यकता से अधिक दोहन, निवास स्थलों का विनाश, अन्य जानवरों की आकस्मिकमौत,प्रदूषण आदि से पीड़ित हैं।
प्रश्न 15. पर्यावरणीय जलीय कृषि की व्यवस्था का क्या लाभ है?
उत्तर – पर्यावरणीय जलीय कृषि जलीय वातावरण के संरक्षण की पर्याप्त कृषि व्यवस्था पर केन्द्रित हैं, जो उनकी प्रकृति के अनुरूप है और उनका संपोषित ढंग से फसलीकरण हो सकता है। जलीय कृषि साथ ही साथ गरीबों के लिये आर्थिक सहायता भी महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
आधुनिक कृषि के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. हरित क्रान्ति को परिभाषित कीजिए। वे कौन से दो पौधे हैं, जिनका संबंध हरित क्रांति के आरंभिक दौर से है?
उत्तर- हरित क्रान्ति उच्च उत्पादकता वाले बीजों, रासायनिक खादों और सिंचाई की उच्च व्यवस्था के कारण खाद्य उत्पादन में भारी वृद्धि का परिणाम है। इससे उत्पादकता में वृद्धि हुई है, जिससे देश आत्मनिर्भर हो गया है। इस शब्द का प्रयोग नई तकनीकों द्वारा गेहूँ और चावल की उत्पादकता को कई गुना बढ़ाने के लिए किया गया है।
प्रश्न 2. डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन ने किस गेहूँ की किस्म का निर्माण किया और कैसे?
उत्तर- डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन ने पौधों की उत्पादकता के ठहराव और उत्पादन की अस्थिरता का विस्तृत अध्ययन किया। सन् 1963 में, मेक्सिको से प्रोफेसर नॉर्मन ई. बोरलॉग को भारत सरकार ने मेक्सिकन पौधों की बौनी किस्मों के उत्पादन की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए भारत सरकार से आमंत्रित किया। उनके सुझाव पर खेतों में दो किस्मों, लेरमा-राजो और सोनोरा-64 को बोया गया। इन जातियों का उपयोग करके ‘शरबती सोनोरा’ नामक एक नई प्रजाति का जन्म हुआ।
इन किस्मों के उपयोग से गेहूँ की उत्पादकता कई गुना बढ़ी और गेहूँ के निर्यात में क्रांति आई। 1966 में गेहूँ का विकास हुआ। 1970 में उन्हें “हरित क्रांति लाने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया।” डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन एक उत्कृष्ट उत्परिवर्तन जननिक वैज्ञानिक रहे हैं। 1967 में शरबती सोनोरा नामक किस्म को उगाया गया था। इस प्रजाति को परिवर्तन जनन कार्यक्रम में अल्ट्रावायलेट किरणों से पारित करके बनाया गया था।
प्रश्न 3. उस परिस्थिति में किसान क्या करते हैं जब पीड़क जननिक रूप से कुछ कीटाणुनाशकों के प्रतिरोधी बन जाते हैं?
उत्तर- जब पीड़ित जननिक रूप से कुछ कीटाणुनाशकों के प्रतिरोधी बन जाते हैं, तो किसान या तो अधिक खुराक देते हैं या अन्य कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं जो कि इन पीड़ितों को प्रभावित कर सकते हैं। कीटनाशक पीड़कों को मार देते हैं, लेकिन पीड़क इनके प्रतिरोधी बन जाते हैं जब उन्हें बार-बार छिड़काया जाता है. इसके बाद भी पीड़क मर नहीं जाते। यदि इन कीटनाशकों को नियंत्रित रूप से प्रयोग किया जाए तो ये किसी भी तरह से घातक नहीं हैं. हालांकि, यदि कीटनाशक पहले से ही तेज हैं, तो इन्हें बदलना चाहिए।
प्रश्न 4. कीटनाशकों की परिभाषा दीजिए। कीटनाशकों के प्रयोग के दो लाभ बताइए ।
उत्तर- कीटनाशक जीवों को मारने या नियंत्रित करने के लिए रासायनिक पदार्थ हैं. ये कीटों को कृषि में घातक बनाते हैं। कीटाणुनाशक खाद्यान्नों की आपूर्ति को बढ़ाते हैं, किसानों को अधिक पैसा मिलता है और सही प्रयोग पर सुरक्षा देते हैं कीटाणुनाशक लंबे समय तक काम करते हैं और अधिकतर कीटाणुओं को मार डालते हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
संयुक्त हार्वेस्टर, हल, भूमि समतलक, बॉक्स ड्रिल |
उत्तर – संयुक्त हार्वेस्टर – संयुक्त हार्वेस्टर एक बड़ी आकार की मशीन है जो पौधों की कटाई और अनाज को उनके बालों से अलग करती है। इसमें फसलीकरण और पौधों का काटना भी शामिल है। ये मशीनें अनाज के बालों से भी अनाज के दानों को अलग करती हैं। गेहूँ के अलावा, संयुक्त हार्वेस्टर को ज्वार, सोयाबीन, मक्का, बाजरा, राई और ज्वार के दाने अलग करने में भी प्रयोग किया जाता है। संयुक्त हार्वेस्टर कृषि भी समय की बचत और आर्थिक बचत का साधन है।
हल – हल पहले से ही कृषि में उपयोग किया जाता है। हल खेतों की जुताई करने के लिए प्रयोग किया जाता है। हल खेतों की मिट्टी को ऊपर-नीचे करता है, पोषक तत्वों को सतह तक लाता है, मिट्टी को हवादार बनाता है और पुरानी फसलों की जड़ों को निकाल फेंकता है। जुताई के बाद मृदा अधिक पानी अवशोषित कर सकती है। आजकल अधिक मशीनीकृत हलें उपयोग की जाती हैं।
भूमि समतलक- भूमि समतलक भूमि के बड़े भागों को तोड़कर भूमि को समतल बनाते हैं। भूमि समतल बनाने के बाद जुताई होती है तथा इस प्रकार भूमि बीज बोने के लिए तैयार हो जाती है।
बॉक्स- ड्रिल-बॉक्स– ड्रिल ट्रैक्टरों से जुड़े हुए यंत्र होते हैं, जो कि बीज बोने के काम आते हैं।
प्रश्न 6. कृषि प्रणालियों के चार नए क्षेत्रों के नाम बताइए। मुर्गीपालन कृषि पर एक छोटा-सा लेख लिखिए।
उत्तर – कृषि प्रणाली के चार नए क्षेत्र पशुपालन, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन एवं मशरूम संवर्धन हैं, जिनसे हमें भोजन के अन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं, जैसे-दूध, मांस, मछली, अंडे, मशरूम आदि ।
मुर्गीपालन – मुर्गीपालन मुर्गियों और बत्तख जैसे पक्षियों की देखभाल और पालन करना है ताकि वे अंडे और मांस पा सकें। 50 करोड़ चिकेन, मांस और अंडे दोनों के लिए मुर्गीपालन से बनाए जाते हैं। कमर्शियल मुर्गियाँ 16 से 20 सप्ताह की उम्र तक अंडे दे सकती हैं। 25 सप्ताह की उम्र होने पर वे अंडे देने लगते हैं। भारतीय मुर्गियों के छोटे आकार के अंडे होते हैं, लेकिन उनका मांस अच्छा होता है।
प्रश्न 7. पशुपालन को आप किस प्रकार परिभाषित करेंगे? इन पशुओं द्वारा दिए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों के नामबताइए ।
उत्तर- पालतू पशुओं की देखभाल और पालन-पोषण से संबंधित कृषि को पशुपालन कहते हैं। आधुनिक कृषि में पशुपालन भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें पशुओं से दूध, अंडा और मांस जैसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ मिलते हैं। गाय और भैंस मुख्यतः दूध देने वाले पशु हैं, इसलिए इन्हें ‘दुग्ध पशु’ कहते हैं। ये दूध का सबसे बड़ा स्रोत हैं। पशुपालन में मुर्गियाँ, मछलियाँ, सूअर, बकरी, गाय, भैंस और इतने कुछ शामिल हैं।
मुर्गियाँ अंडे देते हैं, जबकि बकरी, सूअर और मछलियाँ मांस का मुख्य स्रोत हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन ने ग्रामीण घरों की आय में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पालतू पशुओं का प्रजनन भी पशुपालन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जबकि जलीय कृषि में केवल मछलियाँ, मोलस्क या जलीय प्राणी आते हैं, पशुपालन एक बड़ा क्षेत्र है जिसमें दूध, मांस और अंडा देने वाले सभी जीव आते हैं। मुर्गियाँ और अंडे देने वाले पक्षी दोनों मुर्गीपालन में आते हैं।
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