NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 19 सतत विकास की संकल्पना

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 19 सतत विकास की संकल्पना

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 19 सतत विकास की संकल्पना – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 12 पर्यावरण विज्ञान अध्याय 19 (सतत विकास की संकल्पना) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 19 Concept of Sustainable Development दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है. ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आपNIOSClass 12 Environmental Science Chapter 19 सतत विकास की संकल्पना के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 12 Environmental Science Chapter 19 Solution – सतत विकास की संकल्पना

प्रश्न 1. सतत विकास को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर- सतत विकास एक ऐसा विकास है जो वर्तमान की आवश्यकता पूर्ति के साथ-साथ आगामी पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति करने की क्षमता बनाए रखता है।

प्रश्न 2. वे कौन-सी दो मुख्य बातें हैं जिनको सतत विकास पाने के लिए ध्यान में रखना आवश्यक है ?
उत्तर- सतत विकास पाने के लिए ध्यान में रखने योग्य मुख्य बातें निम्न हैं-
(i) प्राकृतिक संपदा हमारे वर्तमान काल की उत्तरजीविता व आगामी पीढ़ियों की उत्तरजीविता दोनों के लिए आवश्यक है।
(ii) वर्तमान के किसी भी विकास संबंधी कार्यक्रम को बनाते समय भविष्य के परिणामों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

प्रश्न 3. महात्मा गाँधी द्वारा ‘पर्याप्तता’ से संबंधित कथन को समझाइए ।
उत्तर – महात्मा गाँधी के अनुसार हमारी यह पृथ्वी, हर व्यक्ति की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त है परन्तु हर व्यक्ति के लालच के लिए नहीं। आज की आवश्यकतानुसार मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों का बेइंतहा उपभोग कर रहा है।

प्रश्न 4. पर्यावरण के ‘अधिकतम भार उठाने की क्षमता’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – पर्यावरण के अधिकतम भार उठाने की क्षमता से अर्थ है पर्यावरण की किसी स्पीशीज की जनसंख्या का माप अर्थात अधिकतम मात्रा में मिलने वाला भोजन, पर्यावास, पानी तथा अन्य आवश्यकताएं जो एक पर्यावरण देता है या अधिकतम भाग में मिलने वाली प्राकृतिक संपदा ।

प्रश्न 5. पर्यावरण की गिरावट के पीछे एक मुख्य कारण बताइए और छह सार्वजनिक साधनों के नाम बताइए ।
उत्तर- पर्यावरण की गिरावट के पीछे मानव गतिविधियाँ मुख्य कारण हैं। सार्वजनिक संपदा का आवश्यकता से अधिक प्रयोग या दोहन मुख्य कारण है। कोई भी इन संपदा को खरीद नहीं सकता तथा ये सभी उपभोक्ताओं को कुछ या नहीं मिलती हैं। सार्वजनिक साधन हैं – वायु, जल, भूमि, वन, नदियाँ व पर्वत जैसी संपदा की निःशुल्क उपलब्धि ।

प्रश्न 6. जनसंख्या विस्फोट का सबसे गंभीर परिणाम क्या है ?
उत्तर – जनसंख्या विस्फोट से प्राकृतिक संसाधनों की कमी हो जाती है, जैसे जीवाश्मीय ईंधन, प्रदूषण (वायु, जल, मृदा तथा शोर) बढ़ जाते हैं। वनोन्मूलन तथा पर्यावरणीय नुकसान व ग्रीन हाऊस प्रभाव बढ़ जाता है। ये सब मरुस्थलीकरण को बढ़ावा देते हैं। इसका सबसे गंभीर परिणाम गरीबी है।

प्रश्न 7. अपने मुहल्ले, राज्य या शहर की एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक संपदा का नाम बताइए जिसके पूर्ण विनाश से शहर के नागरिकों के लिए जल के अभाव का खतरा पैदा हो गया है ।
उत्तर- दिल्ली के नजदीक यमुना नदी एक सार्वजनिक संपदा का उदाहरण है। इस नदी का बुरी तरह दोहन किया गया है तथा सभी प्रकार के अपशिष्ट यहाँ तक कि नगर निगम के अपशिष्ट भी यमुना नदी में मिलते हैं जिससे उसका अस्तित्व लगभग समाप्त गया है और वह एक पवित्र नदी से प्रदूषित नदी के रूप में परिवर्तित हो चुकी है।

प्रश्न 8. जैविक विविधता किस प्रकार से स्वास्थ्य के संभावी स्रोत होने को प्रदर्शित करती है:
उत्तर- जैव विविधता के कारण पर्यावरण का कार्य और चिरपर्यन्त रहने में बहुत बड़ा हाथ है, जो मानव के जीवित रहने और सही तरीके से रहने में बहुत महत्वपूर्ण है। जैव विविधता को मानव गतिविधियाँ और पर्यावरण को नुकसान ने कम कर दिया है, क्योंकि हमें पता नहीं है कि कितनी संपदा हमारे पास है और कितनी समाप्त हो गई है। यह माल निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है: नए पौधे, औषधीय पौधे, पैट्रोलियम का विकल्प आदि।

प्रश्न 9. “जैविक विविधता की हानि संसार का सबसे बड़ा चिन्ताजनक विषय है। ” क्योंकि हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि हम क्या खो रहे हैं। संक्षिप्त में इस कथन को समझाइए |
उत्तर – शायद हम HIV और कैंसर जैसे रोगों से लड़ने वाली दवा खा रहे हैं। जैव विविधता को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बचाने की जरूरत है। पर्यावरण, जिसमें वन, मरुस्थल, घास के मैदान, समुद्र और सागर शामिल हैं, स्वास्थ्य और आगामी पीढ़ी के लिए बचाया जाना चाहिए। जिससे आने वाली पीढ़ी जैव विविधता का उपयोग भोजन, दवा, रेशे, लकड़ी और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए कर सके, साथ ही अन्य पौधों को भी विकसित कर सके।

प्रश्न 10. जैव विविधता के विनाश के मुख्य कारण क्या है? केवल दो कारण बताएं।
उत्तर – जैव विविधता के विनाश का मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट, संसाधनों का दुरुपयोग तथा प्रदूषण है। जैव विविधता का विनाश या बढ़ता उपयोग विश्व को सबसे अधिक परेशान करता है।

सतत विकास की संकल्पना के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. पर्यावरण की वहन क्षमता को परिभाषित कीजिए व उसकी व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – पर्यावरण में किसी स्पीशीज की संख्या, भोजन, पानी और अन्य आवश्यकताओं की वहन क्षमता कहलाती है। गाड़ी या बस जैसे आम परिवहन के उदाहरण से वहन क्षमता को समझ सकते हैं। एक कार की अधिकतम भार उठाने की क्षमता क्या है? इसका मतलब यह है कि एक गाड़ी जितना अधिक लोगों का भार उठा सकती है, उतना ही सुचारु ढंग से सड़क पर दौड़ सकती है। गाड़ी सड़क पर दौड़ते समय टूट जाएगी अगर उसमें अधिक लोग बैठेंगे, जो गाड़ी की वहन क्षमता से अधिक होंगे। जैसे वाहन की अधिकतम भार सहने की सीमा है, वैसे ही पर्यावरणीय संपदा का उपयोग भी सीमित है।

एक सीमा तक लगातार उपयोग के दबाव को सहन कर सकता है। प्राकृतिक संसाधनों को अधिक मात्रा में निकालने से यह वहन क्षमता सीमित होती है। निष्कर्षण मात्रा से अधिक होने पर प्रदूषण निष्कासन होता है। यदि प्राकृतिक संसाधनों का निष्कर्षण, उपयोग या अवशोषित करने की क्षमता से अधिक मात्रा में प्रदूषकों से भर दिया जाए तो पर्यावरण को भयंकर क्षति हो सकती है। क्षतिग्रस्त परिवेश को सुधारना मुश्किल है। हम पर्यावरण की वहन क्षमता को अधिकतम उपयोग या आर्थिक या अन्य मानवीय क्रियाओं के दबाव को सहन करने की क्षमता कह सकते हैं।

प्रश्न 2. “पर्यावरण का बिना नाश किए आर्थिक व औद्योगिक विकास” इस प्रकार के विकास को क्या नाम दिया गया है ?
उत्तर- इस तरह का विकास सतत विकास कहलाता है। सतत विकास का मतलब है कि प्राकृतिक संपदा का उपयोग और उपभोग एक साथ हो। मानव विकास जो उसकी आवश्यकताओं को पूरा करता है, सतत विकास कहलाता है। सतत विकास एक ऐसा विकास है जो न सिर्फ आज की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है, बल्कि आगामी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकता है। ये प्राकृतिक संसाधन हमारे वर्तमान जीवन और भविष्य की पीढ़ियों के जीवन के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।

वर्तमान में किसी भी विकास कार्यक्रम या कार्रवाई करते समय, उसके भविष्य में होने वाले परिणामों को भी ध्यान में रखना चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों का निरकुंश दोहन और निरंतर बढ़ती जनसंख्या गैर-सतत विकास के दो प्रमुख कारण हैं। विकासशील देशों में लोगों की भोजन, चारा, लकड़ी और निवास की जरूरतें प्राकृतिक संसाधनों से पूरी होती हैं। मछली पकड़ना, कृषि, शुद्ध जल की आपूर्ति का सीमा से अधिक प्रयोग, जंगलों को काटना और औद्योगिकीकरण पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। सामाजिक तनाव इन पर्यावरणीय अवक्रमणों से उत्पन्न होता है, जो पारितंत्र को खराब करता है।

प्रश्न 3. मानव द्वारा पृथ्वी के संसाधनों के प्रयोग के विषय में महात्मा गाँधी ने क्या कहा था?
उत्तर – महात्मा गाँधी ने ‘पर्याप्तता’ की प्रेरणा दी। इसके अनुसार, पृथ्वी हर व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त देती है, लेकिन किसी के लालच के लिए नहीं। हम भौतिक इस्तेमाल की वस्तुओं का उपयोग किसी भी पर्यावरणीय कीमत पर करना चाहते हैं। हमें अपने व्यक्तिगत लालच पर नियंत्रण रखना होगा और आने वाली पीढ़ियों को सुन्दर जीवन देने के लिए एक संयुक्त उपाय बनाना होगा। पर्यावरणीय दृष्टि से संप्रेषित समाज वह है जो भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्तमान खाद्य सामग्री, शुद्ध हवा, शुद्ध पानी और निवास स्थलों की व्यवस्था के बारे में कोई समझौता नहीं कर सकता।

प्रश्न 4. मानव जनसंख्या की वृद्धि के कारण वैश्विक पैमाने पर हमारी प्राकृतिक संपदा का ह्रास हो रहा है। इसके कोई तीन कारण बताइए ।
उत्तर- पीने के पानी की कमी, सीवर की कठिनाई, अपशिष्टों और मूलमूत्र का निबटान और मानव जनसंख्या की वृद्धि ने सऊदी अरब जैसे देशों को पीने के लिए समुद्री लवणीय जल उपलब्ध कराया है। प्राकृतिक साधन, जैसे जीवाश्म ईंधन, कम हो गए हैं और जल, वायु और मृदा प्रदूषण बढ़ा है।
औद्योगीकरण के आर्थिक ढांचे ने जन्म लिया है। लेकिन प्रदूषकों ने पर्यावरण को बर्बाद कर दिया है। स्पीशीजों के पर्यावास समाप्त हो गए हैं, और कृषि, निवास निर्माण और व्यापार ने लगभग पृथ्वी का आधा हिस्सा बदल दिया है। इससे मरुस्थलीकरण होता है। हमारी पृथ्वी की व्यवस्था, छोटे स्थानीय से बड़े वैश्विक स्तर तक, खाद्य उत्पादन, औद्योगिक विकास और शहरीकरण से बदल रही है।

प्रश्न 5. सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति में क्या अंतर है? इन दोनों श्रेणियों के दो -दो उदाहरण दो।
उत्तर – सार्वजनिक संपदा सभी की है; दूसरे शब्दों में, यह सबकी संपत्ति है। सब मुफ्त में इस्तेमाल कर सकते हैं। उसे कोई नहीं देखता। हवा, पानी, भूमि, वन, समुद्र, नदियाँ, पर्वत आदि उदाहरण हैं। इन सभी का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है। पार्क, बाग, सड़कें और गलियाँ भी सार्वजनिक संपत्ति हैं जिनके संरक्षण का कोई ध्यान नहीं दिया जाता। जबकि निजी संपत्ति—उद्योग, इमारत, घर—एक व्यक्ति की होती है, जो उसकी देखभाल करता है और इसे चलाता है। यह खूबसूरती से रखी जाती है और उसे कोई नुकसान नहीं होता।

प्रश्न 6. संपदा को परिभाषित कीजिए । अनंत काल तक रहने वाली संपदा, नवीनीकृत होने वाली संपदा और नवीनीकृत न होने वाली संपदा का एक-एक उदाहरण दो।
उत्तर- संसाधन, या संपत्ति, वह उपयोगी वस्तु है, जिससे लोगों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। साधारणतया संपदा वह वस्तु होती है जो फायदा पहुँचाने के लिए होती है, जैसे पदार्थ, पैसा, सेवा, कर्मचारी और अन्य।
जैसे सूरज की रोशनी, वायु और बहता हुआ जल, अनंतकाल तक रहने वाली संपदा हैं, जो कभी भी मात्रा व गुणवत्ता में कम नहीं होती और आगामी पीढ़ी के लिए भी सदा जीवित रहती हैं।

वह प्राकृतिक संसाधन जो समय के साथ दोबारा उपयोग किया जा सकता है और फिर से बनाया जा सकता है, नवीनीकृत संपदा कहलाता है। पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन में स्वच्छ जल, वायु, भूमि, वन-पदार्थ, खाद्यान्न आदि शामिल हैं, जो नवीनीकृत संपदा कहलाते हैं।
प्राकृतिक संपदा, जो समय के साथ खत्म हो जाती है और दोबारा नहीं बनाई जा सकती, नवीनीकृत संपदा कहलाती है। नवीनीकृत संपदा बनाने में लाखों वर्ष लगते हैं। आगामी पीढ़ी के लिए उसकी उपस्थिति नागण्य है अगर वह अकारण उपयोग किया जाए। जैसे रेत, धातु, जीवाश्म ईंधन आदि

प्रश्न 7. पर्यावरण संबंधी फुट प्रिंट क्या हैं?
उत्तर- पर्यावरण संबंधी फुटप्रिंट पृथ्वी के जैविक उत्पादकता क्षेत्र की वह मात्रा है जो संसाधनों को बनाने और उनके उपयोग से होने वाले अपशिष्टों को अवशोषित करने की क्षमता रखती है। धरती पर मानव जाति का प्रभाव सीमा से अधिक है। मानव जाति का नवीकरण संपदा का उपयोग पृथ्वी के सृजन की गति से अधिक है। यदि नवीनीकृत संसाधन कुछ घंटों से लेकर कुछ दशकों के अंतराल में ही से अधिक नहीं खर्च होते, तो वे प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से पुनः प्रयोग योग्य हो जाते हैं। वन, घास, जंगली जानवर, अलवणीय पानी, स्वच्छ वायु और उपजाऊ जमीन उदाहरण हैं।

प्रश्न 8. पर्यावरण में हुई ऐसी तीन क्षतियों का उल्लेख कीजिए, जो हमारे देश में हो चुकी हैं।
उत्तर – पर्यावरण में हुई तीन मुख्य क्षतियां निम्न हैं-
(i) जिन पर्वतों की ढलानें कभी हरे-भरे वृक्षों से लदी थीं, वही ढलानें आज वीरान और बंजर दिखाई पड़ती हैं।
(ii) जो नदियाँ एक समय में स्वच्छ जल से भरी थीं, वहीं अब मटमैले पानी व गंदगी से भरी हुई दिखाई देती हैं।
(iii) हम प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। हम अपनी गंदगी, अपशिष्टों आदि का प्रबन्धन करने में विफल रहे हैं तथा इसकी कीमत हमें अपने स्वास्थ्य की गिरावट से चुका रहे हैं।

प्रश्न 9 क्षतिग्रस्त वातावरण को मापने की कोई तीन विधियाँ बताइए |
उत्तर- जैविक विविधता मानवीय प्रक्रियाओं और पर्यावरणीय अवक्रमण के कारण बहुत कम हो रही है। नए पौधों, औषधि वाले पौधों, पेट्रोलियम के विकल्पों, बायोसाइड औषधियों और अन्य उत्पादों में जैविक विविधता बहुत मूल्यवान है। क्षतिग्रस्त वातावरण को मापने की तीन विधियाँ निम्न हैं-
(i) जल प्रदूषण, जैसी स्थानीय कठिनाइयाँ । अपशिष्ट मैनेजमेंट को समुदाय स्तर पर कार्य करने चाहिए।
(ii) क्षेत्रीय कठिनाइयाँ जैसे अम्लीय वर्षा, बाढ़, वायु प्रदूषण तथा वनोन्मूलन को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित होना चाहिए।
(iii) वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय परिवर्तन, ओजोन कवर में छिद्र होना तथा अन्य कठिनाइयाँ जो कि संसार को प्रभावित कर रही हैं।
हमें पृथ्वी के संरक्षण की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। नवीनीकृत होने वाले संसाधनों के इस्तेमाल की दर पुनः स्थापित होने की दर से कम होनी चाहिए।

प्रश्न 10. जल संरक्षण की कोई भी पाँच विधियाँ लिखो ।
उत्तर- जल संरक्षण की विधियां-
(i) जितनी आवश्यकता हो, केवल उतना ही जल प्रयोग करें।
(ii) लीक करते नलों और पाइपों की शीघ्र मरम्मत करवाएं।
(iii) नदियों, तालाबों जैसे जलाशयों का प्रदूषण न करें।
(iv) प्रतिदिन अपनी गाड़ियों व वाहनों को न धोएं।
(vi) बारिश के पानी को आगामी प्रयोग के लिए एकत्रित करें।

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