NIOS Class 10th Business Studies Chapter 9. बैंकिंग सेवाएं
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NIOS Class 10 Business Studies Chapter 9 Solution – बैंकिंग सेवाएं
प्रश्न 1. ‘बैंक’ की परिभाषा दीजिए ।
उत्तर – बैंक एक वैधानिक उपक्रम है, जो जमा राशि स्वीकार करता है, जिसे माँग पर निकाला भी जा सकता है। यह उपक्रम व्यक्तियों तथा व्यावसायिक संगठनों को, जिन्हें द्रव्य की आवश्यकता होती है, ऋण भी प्रदान करता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि बैंक वह संस्था है जो मुद्रा में व्यवसाय करती है। एक ओर तो यह जनता से जमा स्वीकार कर वापस निकालने की सुविधा प्रदान करती है, तो दूसरी ओर जनता से प्राप्त जमा का प्रयोग ऋण प्रदान करने में करती है। इसके अलावा बैंक अन्य बैंकिंग कार्य भी करता है। बैंकों पर सरकार का नियंत्रण होता है तथा काफी हद तक बैंक जनता के विश्वास पर निर्भर करते हैं।
प्रश्न 2. ‘बैंकिंग’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- बैंकों द्वारा किए जाने वाले कार्य ‘बैंकिंग कार्य’ कहलाते हैं। बैंकिंग कार्यों में जनता से जमा स्वीकार करना और ऋण देना अथवा द्रव्य का विनियोजन शामिल है। द्रव्य उपलब्ध कराकर तथा कुछ विशेष सेवाएं प्रदान कर, जो माल तथा सेवाओं का विनिमय में सहायक होती हैं, यह व्यापारिक कार्यकलापों को सरल बनाता है। इस प्रकार बैंकिंग व्यवसाय की एक महत्त्वपूर्ण सहायक सेवा है। न केवल यह माल के उत्पादन तथा सेवाओं के लिए धन प्रदान करता है, बल्कि इनके विनिमय को भी क्रेताओं-विक्रेताओं के बीच सुविध जनक बनाता है।
प्रश्न 3. निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक तथा भारत में कार्यरत विदेशी बैंक, प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर – निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक-
1. जम्मू एंड कश्मीर बैंक लि.
2. बैंक ऑफ राजस्थान लि.,
भारत में कार्यरत विदेशी बैंक
1. सिटी बैंक
2. अमरीकन एक्सप्रैस बैंक ।
प्रश्न 4. एक बैंक के ग्राहक को क्रेडिट कार्ड द्वारा क्या सुविधा प्रदान की जाती है?
उत्तर- बैंक क्रेडिट कार्ड उन ग्राहकों को देते हैं, जिनके खाते बैंक के यहाँ होते हैं अथवा नहीं भी होते हैं। क्रेडिट कार्ड समान खरीदने के लिए प्रयोग किये जाते हैं। क्रेडिट कार्ड धारक को खरीदारी के लिए अपने साथ नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं होती। बैंक क्रेडिट कार्ड धारक को निश्चित समय के भीतर क्रेडिट की गई रकम बैंक में जमा करने की अनुमति देता है । निर्धारित समय में क्रेडिट कार्ड धारक द्वारा क्रेडिट की गई रकम जमा न कराने पर बैंक ब्याज चार्ज करता है। ब्याज की दर प्रायः बहुत ऊँची होती है ।
प्रश्न 5. नकद साख का क्या अर्थ है ?
उत्तर- नकद साख (Cash Credit ) – बैंक द्वारा उपलब्ध करायी गयी एक सुविधा है, जिसमें बैंक ग्राहकों एक निर्धारित राशि की सीमा तक राशि निकालने की स्वीकृति देता है। यह निर्धारित राशि ग्राहक के खाते में जमा कर दी जाती है। ग्राहक इस राशि को अपनी आवश्यकतानुसार खाते से निकाल सकता है। निकाली गई वास्तविक राशि पर ब्याज लगाया जाता है। नकद साख की सुविधा तय शर्तों के अनुसार उपलब्ध करायी जाती है।
प्रश्न 6. ‘ विकास बैंक’ क्या कार्य करता है?
उत्तर – विकास बैंक-मशीनों तथा उपकरणों का क्रय करने, आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करने तथा विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए व्यवसाय में प्रायः माधयम से दीर्घ अवधि तक के लिए पूँजी वित्त की आवश्यकता होती है। इस प्रकार की वित्तीय सहायता विकास बैंक प्रदान करते हैं। वे विकास के लिए अन्य उपायों को भी अपनाते हैं जैसे कम्पनियों द्वारा निर्गमित अंशों तथा ऋणपत्रों में अंशदान करना, भारतीय औद्योगिक वित्तीय निगम (IFCI) और राज्य वित्तीय निगम (SBCs) भारत में विकास बैंक के उदाहरण हैं।
प्रश्न 7. बैंकिंग की भूमिका का 100 शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर – व्यवसाय तथा व्यक्तियों की निजी आवश्यकताओं के लिए बैंक धन उपलब्ध कराता है। बैंक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है। निम्न बिन्दु बैंक की भूमिका को स्पष्ट करते हैं-
• बैंक जनता के बीच बचत की आदत को प्रोत्साहित करता है इस प्रकार उत्पादन कार्यों के लिए धन उपलब्ध कराता
• जिन व्यक्तियों के पास अतिरिक्त धन है तथा जिन लोगों को विभिन्न व्यापारिक कार्यों के लिए धन की आवश्यकता होती है, उनके बीच यह मध्यस्थ का कार्य करता है। सचंक द्वारा धन की प्राप्ति और भुगतान के माध्यम से यह व्यावसायिक व्यवहारों (Business Transactions) को सुविधाजनक बनाता है।
• व्यवसायियों को यह अल्प अवधि तथा दीर्घ अवधि के ऋण उपलब्ध करता है।
• आयात-निर्यात व्यवहारों को भी सरल बनाता है। किसानों, लघु उद्योगों और स्वयं रोजगार करने वाले व्यक्तियों तथा बड़े औद्योगिक घरानों को साख प्रदान कर राष्ट्रीय विकास में सहायक होता है जिससे देश का संतुलित आर्थिक विकास होता है।
• उपयोग की टिकाऊ वस्तुओं, मकान, मोटर गाड़ियों आदि के क्रय करने के लिए ऋण देकर यह जनसाधारण के रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाने में मदद करता है।
प्रश्न 8. केन्द्रीय बैंक का क्या अर्थ है?
उत्तर-केन्द्रीय बैंक (Central Bank) – देश की बैंकिंग प्रथा के नियमन एवं उसे निर्देशन प्रदान करने वाला बैंक, केन्द्रीय बैंक कहलाता है। इसका मुख्य कार्य देश की बैंकिंग एवं मौद्रिक व्यवस्था पर नियंत्रण करना होता है। सभी बैंकों की क्रियाएं इससे निर्देशित होती हैं। यह बैंक सामान्य बैंकों से भिन्न प्रकृति का होता है। केन्द्रीय बैंक जनसाधारण के साथ व्यवहार नहीं करते हैं। यह सरकार के बैंकर के रूप में सरकार की ओर से लेन-देन करते हैं। यह व्यापारिक बैंकों का बैंकर है, क्योंकि यह व्यापारिक बैंक की रकम जमा रखता है तथा आवश्यकता पड़ने पर ऋण देता है।
भारतीय रिर्जव बैंक हमारे देश का केन्द्रीय बैंक है। केन्द्रीय बैंक सरकारी आय और व्यय का रिकार्ड रखता है। यह सरकार को मौद्रिक एवं साख नीतियों पर उचित सलाह देता है तथा बैंक जमा राशि पर देय ब्याज की दर निर्धारित करता है। इसके अतिरिक्त, विदेशी विनिमय दर भी केन्द्रीय बैंक निर्धारित करता है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय बैंक का एक और महत्त्वपूर्ण कार्य है, पत्र – मुद्रा (करेंसी नोट्स) का निर्गमन, देश में उनके चलन के नियमन के लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग करता है। केन्द्रीय बैंक के अतिरिक्त अन्य कोई बैंक देश में मुद्रा निर्गमन का कार्य नहीं कर सकता है।
प्रश्न 9. (i) एक्जिम बैंक, (ii) नाबार्ड, क्या कार्य निष्पादित करते हैं?
उत्तर– (i) भारत का आयात-निर्यात बैंक (एक्जिम बैंक) – विदेशी व्यापार ( आयात-निर्यात ) के लिए आयात-निर्यात बैंक आवश्यक सहायता प्रदान करता है। यह बैंक आयातकों तथा निर्यातकों को ऋण देता है अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों के सम्बन्ध में आवश्यक सूचना प्रदान करता है। यह आयात तथा निर्यात के समय निहित जोखिमों तथा प्रतियोगिता आदि सम्बन्धी जानकारी भी देता है।
(ii) नाबार्ड कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक ) – कृषि तथा ग्रामीण क्षेत्रों को वित्तीय सहायता देने वाला यह एक केन्द्रीय अथवा शीर्ष संस्थान है। कृषि कार्यों अथवा अन्य कार्यों जैसे हथकरघा द्वारा बुनाई, मत्स्य पालन आदि के लिए नाबार्ड अल्प अवधि तथा दीर्घ अवधि दोनों ही प्रकार की साख प्रदान कर सकता है। यह वित्तीय सहायता विशिष्ट रूप से सहकारी साख कृषि लघु उद्योगों, कुटीर एवं ग्रामीण उद्योगों, हस्तशिल्प तथा संबंधित आर्थिक कार्यों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदान करता है ।
प्रश्न 10. एक वाणिज्यिक बैंक के कोई चार द्वितीयक कार्य बताइए।
उत्तर – जमा राशि स्वीकार करने तथा ऋण देने के प्राथमिक कार्यों के अलावा बैंक बहुत से अन्य कार्य भी करता है, जिन्हें द्वितीयक कार्य कहा जाता है। ये कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) साख पत्र तथा ट्रेवलर्स चैक आदि जारी करना ।
(ii) आभूषण, महत्त्वपूर्ण दस्तावेज तथा प्रतिभूतियों को लाकर्स के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करना ।
(iii) ग्राहकों को विदेशी मुद्रा की सुविधा देना ।
(iv) एक खाते से दूसरे खाते में तथा बैंक की एक शाखा से दूसरी शाखा को चैक, पे-ऑर्डर, डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम द्वारा रुपया हस्तांतरण करना ।
(v) माल, मशीनरी आदि क्रय करने के लिए अपने ग्राहकों के लिए गारंटी प्रदान करना ।
(vi) व्यापारिक सूचना एकत्रित कर ग्राहकों तक पहुंचना ।
(vii) ग्राहकों की साख क्षमता के सम्बन्ध में रिपोर्ट देना ।
(viii) ग्राहकों को उपभोग की टिकाऊ वस्तुएं, जैसे- टी. वी. फ्रिज, मोटर कार आदि क्रय करने के लिए ऋण देना । (xi) विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए विशेष कर पेशेवर शिक्षा के लिए सरल शर्तों पर ऋण प्रदान करना ।
प्रश्न 11. एक वाणिज्यिक बैंक के प्राथमिक कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – वाणिज्यिक बैंक के प्राथमिक कार्य – एक वाणिज्यिक बैंक के प्राथमिक कार्यों में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं (अ) जमा राशि स्वीकार करना, और
(ब) ऋण तथा अग्रिम प्रदान करना ।
(अ) जमा राशि स्वीकार करना – जनता से जमा राशि एकत्रित करना, वाणिज्यिक बैंकों का एक मौलिक और अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कार्य है। जिन लोगों की आय तथा बचत अधिक है उनके लिए इस धन को बैंक में जमा करना सरल होता है। जमा की प्रकृति के अनुसार जमा राशि पर ब्याज मिलता है । ब्याज की ऊँची दर होने पर, जनता को बैंक में अधिक राशि जमा कराने की प्रेरणा मिलती है। बैंक में जमा राशि सुरक्षित होती है।
(ब) ऋण तथा अग्रिम प्रदान करना – एक वाणिज्यिक बैंक का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य ऋण या अग्रिम देना है। बैंक कृषि व्यापार, उद्योग-धंधों तथा अन्य सहायक कार्यों के लिए आवश्यक ऋण प्रदान करते हैं। इसी कार्य से बैंकों को अपनी आय का अधिकांश भाग प्राप्त होता है। ऋण तथा अग्रिम पर ली जाने वाली ब्याज की दर, ऋण के उद्देश्य तथा अवधि और ऋण भुगतान की विधि पर निर्भर करती है, अतः यह भिन्न-भिन्न होती है।
(i) ऋण – ऋण एक निश्चित अवधि के लिए दिया जाता है। सामान्यतः व्यापारिक बैंक अल्प अवधीय ऋण ही देते हैं । किन्तु अवधि ऋण (Term loans) अर्थात एक वर्ष से अधिक के लिए भी ऋण दिया जा सकते हैं। ऋणी को ऋण की सम्पूर्ण राशि एकमुश्त भी दी जा सकती है और किश्तों में भी। ऋण परिसम्पत्तियों की जमानत के आधार पर दिया जाता है। ऋण का भुगतान किश्तों में अथवा एकमुश्त रकम में किया जा सकता है।
(ii) अग्रिम – अग्रिम एक साख-सुविधा है, जो बैंक अपने ग्राहक को प्रदान करते हैं। अग्रिम इस अर्थ में भिन्न होती है कि ऋण लंबी अवधि के लिए दिए जा सकते हैं, जबकि अग्रिम अल्प अवध श्रीय होते हैं। अग्रिम देने का उद्देश्य होता है-व्यवसाय की दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करना । अग्रिम पर लिया जाने वाला ब्याज विभिन्न बैंकों में भिन्न-भिन्न होता है। ब्याज प्रयोग की गई राशि पर लगाया जाता है, स्वीकृत राशि पर नहीं । अग्रिम के प्रकार
(क) नकद साख (Cash Credit) – यह एक ऐसी सुविधा है, जिसमें बैंक अपने ग्राहकों को एक निर्धारित राशि की सीमा तक धन निकालने की स्वीकृति देता है। यह निर्धारित राशि ग्राहक के खाते में जमा कर दी जाती है। ग्राहक इस राशि को आवश्यकता के अनुसार खाते से निकाल सकता है। निकाली गई राशि पर ब्याज लगाया जाता है। ग्राहक के साथ तय हुई शर्तों व अनुबन्ध (Contract) के अनुसार साख प्रदान की जाती है।
(ख) अधिविकर्ष (Overdraft) – जब बैंक अपने ग्राहक को उसके खाते में जमा राशि से अधिक मात्र में रुपया निकालने की अनुमति दे देते हैं तो उसे अधिविकर्ष कहते हैं। अधिविकर्ष एक अस्थायी व्यवस्था है जो व्यापारियों की अल्पकालीन वित्तीय आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए दी जाती है। यह प्रायः उन ग्राहकों को दी जाती है, जिनका बैंक में चालू खाता (Current Account) होता है। अधिविकर्ष की सुविधा सम्पत्ति की जमानत पर अथवा व्यक्तिगत जमानत पर दी जाती है।
(ग) बिल भुनाना – बैंक विनिमय बिलों को बट्टा काटकर (Discount कर के) भी ऋण दे सकता है। इस व्यवस्था में बैंक व्यापारिक बिलों को उनकी अदायगी से पूर्व बट्टा काटकर व्यापारियों को ऋण देता है। इस सुविधा के लिए बैंक बिलों पर अपना बट्टा (Discount) लेते हैं, जो प्रायः ब्याज की दर के बराबर होता है। यदि देय तिथि पर बिल का अनादरण (Dishonour) हो जाये तो बैंक ग्राहक से बिल की राशि वसूल कर सकता है।
प्रश्न 12. प्रत्येक का उदाहरण देते हुए विभिन्न प्रकार के वाणिज्यिक बैंकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- वाणिज्यिक बैंक ( Commercial Bank) एक ऐसा बैंकिंग संस्थान है, जो जनता से जमा धन स्वीकार करता है तथा अपने ग्राहकों को अल्प अवधि के ऋण एवं अग्रिम प्रदान करता हैं। अल्प अवधि के ऋण प्रदान करने के साथ वाणिज्यिक बैंक, व्यवसायिक उपक्रमों को मध्यम अवधि तथा दीर्घ अवधि के ऋण भी प्रदान वाणिज्यिक बैंकों के प्रकार- वाणिज्यिक बैंकों के तीन प्रकार करते हैं।
हैं – सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक ।
(i) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक– ये ऐसे बैंक हैं, जिनमें अधिकांश साझा (स्टेक) भारत सरकार अथवा भारतीय रिजर्व बैंक का होता है। सार्वजनिक बैंक के उदाहरण हैं-स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक आदि ।
(ii) निजी क्षेत्र के बैंक-निजी क्षेत्र के बैंकों में अंश- पूंजी का अधिकांश भाग निजी व्यक्तियों द्वारा अभिदत्त (Subscribe) किया जाता है। ये बैंक सीमित दायित्व वाले कम्पनियों के रूप में पंजीकृत होते हैं। उदाहरण के लिए- ‘द जम्मू एंड कश्मीर बैंक लि,बैंक, डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक लि., भारत ओवरसीज बैंक लि., ग्लोबल ट्रस्ट विजया बैंक आदि ।
(iii) विदेशी बैंक– ये बैंक पंजीकृत होते हैं और इनका मुख्यालय विदेश में होता है, किन्तु हमारे देश में इनकी शाखाएं कार्य करती हैं। भारत में कार्यरत ऐसे कुछ बैंकों के नाम हैं ‘हॉगकांग तथा शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन (HSBC), ‘सिटी बैंक’, ‘अमरीकन एक्सप्रैस बैंक’ और ‘स्टैंडर्ड चाटर्ड बैंक’, ‘ग्रिंडले बैंक’ आदि।
प्रश्न 14. वाणिज्यिक बैंकों द्वारा निष्पादित कार्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – वाणिज्यिक बैंक के कार्य-वाणिज्यिक बैंकों के कार्यों को मुख्य रूप से दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-
(i) प्राथमिक कार्य, और
(ii) द्वितीयक कार्य ।
प्रश्न 15. बैंकिंग क्षेत्र में हुए आधुनिक विकास का वर्णन विधियों कीजिए। ग्राहकों को दी जाने वाली आधुनिक सुविधाओं का उदाहरण भी दीजिए ।
उत्तर – सूचना तकनीक तथा संचार की अत्याधुनिक का विकास होने से बैंकिंग सेवाओं को भी अब कम्प्यूटरीकृत कर दिया गया है। आज बैंकों में बैंकिंग व्यवहारों का रिकार्ड कम्प्यूटर के द्वारा रखा जाता है। किसी खाते में जमा राशि की सूचना अब कम्प्यूटर से प्राप्त हो सकेगी। बहुत से बैंकों में आजकल केशियर टैलर के स्थान पर स्वचालित टैलर मशीन (ATM) लगा दी गई है। कम्प्यूटर तथा संचार का अन्य इलेक्ट्रॉनिक मशीनों द्वारा बैंकिंग कार्यकलाप करना, इलैक्ट्रॉनिक बैंकिंग अथवा ‘ई-बैंकिंग’ कहलाता है। बैंकिंग क्षेत्र में हुआ आधुनिक विकास इस प्रकार है-
1. स्वचालित टेलर मशीन (ऑटोमेटेड टैलर मशीन) – बैंकों ने संपूर्ण भारत में सुविधाजनक स्थानों पर अपनी स्वचालित टैलर मशीनें (ATM) लगा ली हैं। इनके उपयोग से ग्राहक किसी भी समय अपने खाते में धन जमा कर सकता है अथवा उसमें से निकाल सकता है।
2. डेबिट कार्ड – बैंक अपने ग्राहकों को, जिनके बचत खाते अथवा चालू खाते, उनके यहाँ हैं, डेबिट कार्ड देने लगे हैं। ग्राहक इस कार्ड द्वारा नकदी के स्थान पर विभिन्न स्थानों से वस्तु और सेवाएं खरीद सकते हैं। डेबिट कार्ड द्वारा चुकाई गई रकम ग्राहक के खाते स्वतः ही, डेबिट (घटा दी ) कर दी जाती है ।
3. क्रेडिट कार्ड – बैंक क्रेडिट कार्ड उन ग्राहकों को देता है जिनके खाते बैंक के यहाँ होते हैं अथवा नहीं भी होते हैं। डेबिट कार्ड की तरह क्रेडिट कार्ड सामान खरीदने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। क्रेडिट कार्ड धारक को अपने साथ नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं होती । क्रेडिट कार्ड धारक को बैंक एक निश्चित समय के भीतर क्रेडिट की गई रकम बैंक में जमा करने की अनुमति देता है। निर्धारित समय के भीतर कार्ड धारक द्वारा क्रेडिट की गई रकम जमा न कराने पर बैंक ब्याज लगा देता है। ब्याज की दर प्रायः बहुत ऊँची होती है।
4. नेट बैंकिंग – कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के विस्तार से बैंक अब इंटरनेट पर भी लेन-देन करने की सुविधा दे रहे हैं। जिस ग्राहक का खाता बैंक में होता है, वह बैंक की वेबसाइट पर लॉग ऑन कर सकता है तथा अपने खाते की स्थिति जानकारी प्राप्त कर सकता है। वह अपने बिलों का भुगतान कर सकता है, मुद्रा हस्तांतरण, स्थायी जमा तथा बिलों के संग्रहण आदि के लिए आदेश दे सकता है।
5. फोन बैंकिंग – बैंक का ग्राहक अर्थात खाताधारी फोन बैंकिंग सुविधा के अंतर्गत फोन के माध्यम से स्थायी जमा, मुद्रा हस्तांतरण, डिमांड ड्राफ्ट, बिलों का संग्रहण तथा भुगतान आदि ऐसे बैंकिंग व्यवहार कर सकता है।
अब मोबाइल फोन का चलन बहुत बढ़ गया है । मोबाइल फोन द्वारा भी फोन बैंकिंग संभव हो गई
प्रश्न 16. सहकारी बैंक का क्या अर्थ है ? भारत में सहकारी बैंकों के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर – सहकारी बैंक – आपसी हितों को संयुक्त रूप से पूरा करने के लिए लोग प्राय: सहकारी समिति कानून के अंतर्गत एक सहकारी समिति का गठन कर लेते हैं। जब एक सहकारी समिति बैंकिंग व्यवसाय करने लगती है तो उसे सहकारी बैंक कहते हैं। ऐसी समिति को व्यवसाय शुरू करने से पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक से एक लाइसेंस लेना होता है। किसी भी सहकारी बैंक को समिति के रूप में कार्य करने के लिए जिले अथवा राज्य के सहकारी समिति पंजीयक (रजिस्ट्रार) के पूर्ण निगरानी में कार्य करना होता है। बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए समिति को भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों तथा निर्देशों का अनुपालन करना होता है।
सहकारी बैंकों के प्रकार – भारत में सहकारी बैंक का ढाँचा त्रि-स्तरीय है। ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक साख समितियाँ होती हैं, जो कृषक व अन्य सदस्यों को प्रत्यक्ष ऋण देती हैं। जिला स्तर पर केन्द्रीय सहकारी बैंक होते हैं जो प्राथमिक साख समितियों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और राज्य स्तर पर शीर्ष बैंक होते हैं जो राज्य में सहकारी आन्दोलन के विकास के लिए उत्तरदायी होते हैं ।
प्रश्न 17. किसी बैंक में बचत बैंक खाता खोलने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर – बचत खाता खोलने की प्रक्रिया – वाणिज्यिक बैंक में बचत जमा खाता खोलने की प्रक्रिया निम्नलिखित है-
1. आवेदन पत्र भरना – कोई भी व्यक्ति जो बचत खाता खोलना चाहता है उसे आवेदन पत्र भरना पड़ता है, जो कि बैंक से मुफ्त उपलब्ध है। उसमें सामान्यतः निम्नलिखित सूचनाएँ देनी पड़ती हैं-
(i) व्यक्ति / व्यक्तियों के नाम जो खाता खोलना चाहते हैं।
(ii) आवेदनकर्त्ता का व्यवसाय / धंधा ।
(iii) घर का पता ।
(iv) आवेदनकर्ता के नमूने के हस्ताक्षर ।
(v) उस व्यक्ति का नाम एवं खाता नम्बर जो आवेदनकर्ता का परिचय देता है।
(vi) आवेदनकर्त्ता के दो पासपोर्ट आकार के फोटो । इन सबके अतिरिक्त आवेदनकर्त्ता को बैंक को लिखित वचन देना होता है कि वह बैंक के नियमों का पालन करेगा।
2. आवदेनकर्त्ता का परिचय – बैंक में जमाखाता खोलते समय, खाता खोलने के इच्छुक व्यक्ति को आवेदन पत्र पर ऐसे व्यक्ति के हस्ताक्षर करवाकर अपना परिचय देना पड़ता है, जिसका पहले से उस बैंक में खाता है ।
3. नमूना हस्ताक्षर – आमतौर पर बैंक आवदेनकर्त्ता के नमूना हस्ताक्षर एक अलग कार्ड पर लेते हैं जिस पर आवदेनकर्त्ता का फोटो भी चिपका रहता है। यह इसलिए किया जाता है कि जमाराशि केवल जमाकर्त्ता द्वारा ही निकाली जाये।
उपर्युक्त औपचारिकताओं के बाद जब बैंक पूरी तरह से सन्तुष्ट हो जाता है तो आवेदनकर्त्ता के नाम से खाता खोल देता है। आवेदनकर्ता को खाता संख्या दे दी जाती है। बैंक खाताधारी को पास बुक जारी करता है जिसमें जमाराशि तथा निकाली गयी राशि का ब्यौरा होता है। यदि ग्राहक चैक बुक की सुविधा की मांग करता है तो उसे खाता खोलते समय चैक बुक भी दी जाती है।
प्रश्न 18. बचत बैंक खाते में नकदी जमा करने की प्रक्रिया बताइए |
उत्तर – बचत खाते मे नकदी जमा कराने की प्रक्रिया खाते में धनराशि जमा कराने के लिए जमा पर्ची (Pay-in-slip) का प्रयोग किया जाता है। जमा पर्ची के दो भाग होते हैं जो छेदन द्वारा पर्णिकाओं में बंटी होती है, सीधे हाथ के भाग के पर्णिका (Foil) तथा बायें हाथ के भाग को प्रतिपर्णिका (Counter foil) कहते हैं। इस पर्ची को नकदी तथा चैक जमा कराने पर भरा जाता है। नकदी तथा चैक जमा करने के लिए अलग-अलग जमा पर्चियां भरनी होती हैं।
यदि कोई व्यक्ति अपने खाते मे नकदी जमा कराना चाहता है। तो जमा पर्ची पर अपना नाम (यदि किसी अन्य व्यक्ति के खाते में धन जमा कराना है तो खाताधारी का नाम, जमा की तिथि, जमा करायी जाने वाली धनराशि (शब्दों व अंकों दोनों में) लिखनी होगी । इसके साथ-साथ जमा पर्ची पर निर्देशित स्थान पर कितने विभिन्न मूल्य के नोट (5, 10, 20, 50, 100, 500, 1000) जमा कराये जा रहे हैं तथा इन नोटों के प्रकार के सामने राशि लिखनी होगी। बैंक में की प्राप्ति के लिए खिड़की ( Counter) होती है। आपको पर्ची पर हस्ताक्षर करके नकदी के साथ उस खिड़की पर देनी होती है। प्राप्तकर्ता जमा पर्ची की पर्णिका (सीधे हाथ वाली) को रख लेता है, जबकि बायें हाथ वाले भाग (प्रतिपर्णिका ) पर रबड़ की स्टाम्प लगाकर अपने हस्ताक्षर करके आपको वापस दे देता है।
प्रश्न 19. बचत बैंक खाते में चैक जमा करने की क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?
उत्तर – नकदी की बजाय यदि चैक जमा कराना है तो जमा पर्ची में आपको चैक जमा कराने की तिथि, खाता, खाताधारी का नाम, चैक की क्रम संख्या तथा तिथि, जिस बैंक पर चैक लिखा गया उसका नाम तथा पता तथा चैक राशि दोनों (अंकों व शब्दों में) आदि विवरण भरने होते हैं। पर्ची पर हस्ताक्षर करके, आपको चैक को पर्णिका के साथ लगाकर चैक प्राप्ति खिड़की पर प्रस्तुत करना होगा । खिड़की पर बैठा व्यक्ति पर्णिका संलग्न चैक को साथ रख गा तथा प्रतिपर्णिका पर रबड़ स्टॉम्प लगाकर तथा अपने हस्ताक्षर करके आपको वापिस कर देगा। कुछ बैंकों में खिड़की समीप एक बक्सा रखा होता है। जमाकर्ता को रबड़ स्टाम्प भी खिड़की पर उपलब्ध होती है। जमाकर्ता को रबड़ स्टॉम्प को पर्णिका तथा प्रतिपर्णिका पर लगानी होती है। इसके बाद प्रतिपर्णिका को अलग करके चैक को पर्णिका सहित बॉक्स में डालना होता है।
प्रश्न 20. बचत बैंक खाता परिचालन के लिए रुपया निकालने वाले फार्म के प्रयोग का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – रुपया निकालने वाला फार्म (Withdrawal Form) प्रत्येक बैंक में रुपया निकालने वाला छपा फार्म होता है। इस फार्म को खाताधारी जमा खातों से रुपया निकाने के लिए प्रयोग कर सकता है। फार्म में रुपया निकालने की तिथि, खाता संख्या, निकालने वाली राशि (अंकों तथा शब्दों में) तथा उस खाताधारी के हस्ताक्षर होते हैं। खाताधारी को इसे पास बुक सहित उस खिड़की पर देना होता है जहां से उसका खाता परिचालित हो रहा है। खिड़की पर संबंधित अधिकारी साधारणतया फार्म को खाते में शेष तथा रिकॉर्ड में नमूने के हस्ताक्षर से फार्म के हस्ताक्षर का मिलान करके भुगतान हेतु पास कर देता है। निकाली गई राशि को पास बुक में लिखा जाता है तथा खिड़की पर भुगतान कर दिया जाता है।
प्रश्न 21. बचत बैंक खाता खोलते समय आपको आवेदन पत्रा में क्या विवरण देने होते हैं?
उत्तर – बचत बैंक खाता खोलते समय आवदेन पत्र में निम्नलिखित विवरण देने होते हैं-
(अ) आवेदक का नाम ( अपना नाम )
(ब) उसका पेशा
(स) आवासीय पता
(द) आवदेक के नमूने के हस्ताक्षर
(इ) आवेदक के परिचय देने वाले व्यक्ति का नाम, पता, खाता संख्या एवं हस्ताक्षर |