NIOS Class 10th Business Studies Chapter 6. भंडारण सेवाएं

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 6. भंडारण सेवाएं

NIOS Class 10th Business Studies Chapter 6 भंडारण सेवाएं – NIOS कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10th व्यवसाय अध्ययन अध्याय 6 (भंडारण सेवाएं) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 10 Business Studies Chapter 6. Warehousing की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 10th Business Studies के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

NIOS Class 10 Business Studies Chapter 6 Solution – भंडारण सेवाएं

प्रश्न 1. भंडारण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – भंडारण का अर्थ है वस्तुओं का बड़ी मात्रा में और समुचित तरीके से रखरखाव तथा आवश्यकतानुसार उन्हें उपलब्ध कराना। अन्य शब्दों में भंडार का अर्थ है वस्तुओं का उत्पादन अथवा खरीद से लेकर उनकी बिक्री अथवा वास्तविक उपयोग तक बड़ी मात्रा में रखरखाव अथवा संरक्षण ।
भंडारण एक महत्त्वपूर्ण व्यापार सहायक सेवा है। इसमें समय उपयोगिता का सृजन होता है, क्योंकि यह उत्पादन तथा वस्तुओं के उपयोग के बीच के समय के लिए एक सेतु का कार्य करता है ।

प्रश्न 2. भंडारगृह की आवश्यकताओं को समझाइये

उत्तर– आधुनिक व्यवसाय में निम्नलिखित कारणों से भंडारण आवश्यक है-

(i) मौसमी उत्पादन – कृषि उत्पादों का उत्पादन साल के विशेष मौसमों में होता है, परन्तु उसकी खपत पूरे साल होती रहती है। इसलिए इन उत्पादों के समुचित भंडारण की आवश्यकता होती है, जहाँ से आवश्यकतानुसार इनकी आपूर्ति की जा सके ।

(ii) मौसमी माँग- कुछ ऐसी वस्तुएँ होती हैं, जिनकी मौसम विशेष में ही मांग अधिक होती है, जैसे सर्दियों में ऊन, बरसात मे छाते आदि। परन्तु इन वस्तुओं का उत्पादन पूरे साल होता रहता है । इसलिए इन वस्तुओं के सही भंडारण की आवश्यकता होती है, जिससे कि सही समय पर इनकी आपूर्ति की जा सके ।

(iii) बड़े पैमाने पर उत्पादन – वस्तुओं का उत्पादन भविष्य की मांग को ध्यान में रखकर किया जाता है। ऐसे में निर्माता बड़े पैमाने पर उत्पादन करना चाहते हैं, क्योकि बड़े पैमाने पर उत्पादन
लागत कम आती है। इन बड़ी मात्रा में उत्पादित वस्तुओं के तब तक भंडारण की आवश्यकता पड़ती है जब तक कि इनकी बिक्री न हो जाए ।
(iv) तुरन्त आपूर्ति (Supply) – औद्योगिक तथा कृषि उत्पादों का उत्पादन एक विशेष स्थान पर होता है, परन्तु उनकी खपत पूरे देश में होती है। इसलिए इन वस्तुओं का खपत वाले स्थान के नजदीक रखना आवश्यक होता है, ताकि उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

(iv) निरन्तर उत्पादन- आज औधोगिक संस्थाओं में निरंतर उत्पादन चलते रहने के कारण उन्हे निरंतर कच्चे माल की आवश्यकता होती है इसलिए पर्याप्त कच्चे माल के भंडारण की आवश्यकता पड़ती है, ताकि आवश्यकता के अनुसार उनकी आपूर्ति की जा सके ।

(vi) मूल्य में स्थिरता – बाजार में वस्तुओं का मूल्य स्थिर रखने के लिए भी उनके भंडारण की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि वस्तुओं की अनुपलब्धता की स्थिति में बाजार में वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती है। इसके अलावा अधिक उत्पादन तथा आपूर्ति से वस्तुओं की कीमतें गिरने की संभावना रहती है। भंडारण माँग और आपूर्ति में संतुलन बनाए रखता है, जिससे मूल्यों में स्थिरता आती है ।

प्रश्न 3. एक आदर्श भंडारगृह की छह विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – यदि किसी भंडारगृह में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती हैं, तो उसे आदर्श भंडारगृह कहा जा सकता है-
1. भंडारगृह को सुविधाजनक स्थान पर स्थित होना चाहिए, जैसे राजमार्गों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों तथा समुद्र तटों के निकट ताकि वस्तुओं को सरलता से चढ़ाया व उतारा जा सके ।
2. वस्तुओं को उतारने तथा चढ़ाने के लिए मशीनी उपकरणों का होना आवश्यक है। इससे न केवल टूट-फूट कम होती है, बल्कि उतारने- चढ़ाने में खर्च भी कम पड़ता है।
3. वस्तुओं के समुचित रखरखाव के लिए भंडारगृह में पर्याप्त स्थान होना चाहिए।
4. फलों, अंडों मक्खन आदि जैसी नाशवान वस्तुओं के लिए भंडारगृहों में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था भी होनी चाहिए
5. धूप, बारिश, हवा, फूल, नमी, कीड़ों आदि से बचाव के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
6. भंडारगृहों के परिसर में पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि वस्तुओं को सुविधा से चढ़ाया- उतारा जा सके।
7. वस्तुओं की चोरी को रोकने के लिए चौबीसों घंटे पहरेदारी होनी चाहिए।
8. आग से होने वाले नुकसान से बचने के लिए भंडारगृह में समुचित आग-निरोधी उपकरण होने चाहिए।

प्रश्न 4. विभिन्न प्रकार के भंडारगृहों का वर्गीकरण कीजिए तथा उन्हें संक्षेप में समझाइए ।
उत्तर- भंडारगृहों के प्रकार-भंडारगृहों को मूल रूप से पाँच वर्गों में बांटा जा सकता है-
1. निजी भंडारगृह
2. सार्वजनिक भंडारगृह
3. सरकारी भंडारगृह
4. बंधक भंडारगृह
5. सहकारी भंडारगृह

1. निजी भंडारगृह- जो भंडार गृह उत्पादकों अथवा निर्माताओं द्वारा अपने उत्पादों को सुरक्षित रखने हेतु चलाए जाते हैं, उन्हें निजी भंडारगृह कहते हैं। आमतौर पर इन भंडारगृहों का निर्माण किसानों द्वारा अपने खेतों के नजदीक, व्यापारियों अथवा वितरकों द्वारा अपने व्यवसायिक केंद्रों के समीप तथा विनिर्माताओं द्वारा अपने कारखाने के नजदीक किया जाता है। इनका डिजाइन तथा प्रदत्त सुविधाएँ वस्तुओं के भंडारण की प्रकृति पर निर्भर करती है।

2. सार्वजनिक भंडारगृह– जिन भंडारगृहों का निर्माण आम जनता के उपयोग के लिए या सार्वजनिक भंडारण के लिए किया जाता है उन्हें सार्वजनिक भंडारगृह कहते हैं। इन भंडारगृहों में किराया देकर कोई भी व्यक्ति अपनी वस्तुओं का भंडारण कर सकता है। एक व्यक्ति, साझेदारी फर्म, अथवा कंपनी इनका स्वामी हो सकता है। इन भंडारगृहों को चलाने के लिए सरकार से लाइसैंस की आवश्यकता होती है। इन भंडारगृहों का संचालन सरकार भी करती है। इनका उपयोग विनिर्माता, थोक व्यापारी, आयातक, निर्यातक तथा सहकारी एजेंसियाँ करती हैं।

3. सरकारी भंडारगृह– इन भंडारगृहों का स्वामित्व, प्रबंधन आदि केंद्र या राज्य सरकार, स्थानीय निकायों आदि के हाथों में होता है। इन भंडारगृहों का सरकारी तथा निजी दोनों प्रकार की कंपनियां उपयोग कर सकती हैं। भारत का केंद्रीय भंडारण निगम, राज्य भंडारण निगम तथा भारतीय खाद्य निगम आदि ऐसी एजेन्सियां हैं जो सरकारी भंडारगृहों का रखरखाव कर रही है।

4. बंधक भंडारगृह – इस भंडारगृहों का स्वामित्व तथा प्रबंधन सरकार अथवा निजी एजेंसियों के हाथों में होता है। निजी बंधक भंडारगृहों के संचालन के लिए सरकार से लाइसेंस लेना आवश्यक होता है। इन भंडारगृहों में उन आयातित वस्तुओं का भंडारण किया जाता है जिन पर आयात कर नहीं चुकाया गया है। कर चुकाए बिना आयातित माल को आयातक बन्दरगाह से नहीं ले जा सकते हैं और तब तक उन्हें इन भंडारगृहों में रखा जाता है जब तक कि उन पर लगा आयातकर न चुका दिया जाए। ऐसे में भंडारगृह आमतौर पर गोदी प्राधिकरणों द्वारा समुद्र तटों के आसपास स्थापित किए जाते हैं। इन्हें महसूली गोदाम भी कहते है ।

5. सहकारी भंडारगृह- इन भंडारगृहों का स्वामित्व प्रबंधन तथा नियंत्रण सहकारी समितियों के हाथों में होता है। इनमें समितियों से सदस्यों को किफायती दर पर भंडारण की सुविधा उपलब्ध होती है।

प्रश्न 6. भंडारगृह के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – आधुनिक व्यवसाय में भंडारगृहों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक उत्पादक, निर्माण, व्यापारी तथा माल वितरक को समय-समय पर, अनेक प्रकार की वस्तुओं को स्टोर करना जरूरी है। भंडारगृह वस्तुओं को गरमी, हवा, आंफी, नमी आदि से बचाते हैं तथा उनकी टूट-फूट से होने वाली हानि से भी बचाते हैं। वस्तुओं की सुरक्षा करना प्रत्येक भंडारगृह का मूलभूत कार्य है। इसके अलावा आज भंडारगृह अनेक कार्य करता है । भण्डारगृह के निम्नलिखित कार्य हैं-

1. वस्तुओं का भंडारण – भंडार गृहों का मुख्य कार्य बड़ी मात्रा में वस्तुओं का भंडारण (Storage) करना है। वस्तुओं का भंडारण उनके उत्पादन अथवा खरीद से लेकर उनकी खपत तक किया जाता है ।

2. वस्तुओं का परिरक्षण- भंडारगृह वस्तुओं को गर्मी, धूल, हवा नमी आदि से खराब होने से बचाते हैं। इनके पास विभिन्न वस्तुओं के लिए उनकी प्रकृति के अनुसार संरक्षण की व्यवस्था होती है ।

3. जोखिम उठाना – वस्तुओं के भंडारण के समय भंडारगृह संबंधी भंडारगृह अधिकारी को सभी जोखिम उठाने होते हैं। जैसे ही कोई वस्तु भंडारगृह अधिकारी के हाथों में सौंप दी जाती है तो उसके बाद से सारी जिम्मेदारी भंडारगृह अधिकारी की होती है। भंडारगृह में यदि वस्तुओं की क्षति होती हैं तो उसका उत्तरदायित्त्व भंडारगृह अधिकारी का होगा। भंडारगृह चोरी टूट-फूट के लिए उत्तरदायी भी होता है। इस प्रकार से भंडारगृह वस्तुओं की रक्षा करता है।

4. वित्तीय सुविधाएँ प्रदान करना – जब कोई व्यापारी भंडारगृह को माल सौंपता है तो भंडारगृह उसको एक रसीद देता है, जो यह प्रमाणित करता है कि वस्तु अथवा माल उसके पास है। इसके अतिरिक्त एक वारंट भी देता है जिसे भंडारगृह देखरेख अधिकारी का वारंट कहते हैं। यह वारंट अधिकार पत्र होता है तथा दस्तावेज के पीछे हस्ताक्षर करके इसे हस्तांतरित किया जा सकता है। इस वारंट को गिरवी रखकर कोई व्यापारी बैंक अथवा अन्य किसी वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त कर सकता है। कभी-कभी भंडारगृह वारंट गिरवी रखकर स्वयं भी व्यवसायियों को छोटी अवधि के कर्ज उपलब्ध कराते हैं।

5. प्रक्रमण – कुछ उपभोक्ता वस्तुएँ ऐसी होती हैं, जिन्हें बिना प्रक्रमण के उपयोग नहीं लाया जाता । प्रक्रमण उन्हें तैयार करता है । उदाहरण के लिए धान को पॉलिश किया जा सकता है। लकड़ी की सीजनिंग की जाती है। कई बार भंडारगृह व्यवसाय की तरु से यह सब जिम्मेदारी खुद भी उठाते हैं।

6. ग्रेडिंग तथा ब्रांडिंग- निर्माताओं, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं के आग्रह पर भंडारगृह वस्तुओं की ग्रेडिंग तथा ब्रांडिंग की जिम्मेदारी लेते हैं। इसके अलावा बिक्री में सुविधा के लिए वे वस्तुओं की मिक्सिंग, ब्लेंडिंग, पैकिंग भी करते हैं।

7. परिवहन व्यवस्था कुछ स्थितियों में भंडारगृह थोक व्यापारियों को परिवहन की सुविधाएँ भी उपलब्ध कराते हैं। ये उत्पादन के स्थान से सामान उठाते हैं और जमाकर्ता के अनुरोध पर उसे सुपुर्दगी के स्थान तक पहुंचाते हैं।

प्रश्न 7. सार्वजनिक भंडारगृह किसे कहते हैं ? सार्वजनिक भंडारगृह के तीन कार्य बताइए ।
उत्तर – सार्वजनिक भंडारगृहों का प्रयोग प्रायः किसानों, व्यापारियों, आयातकर्ता व निर्यातकर्ता तथा सरकारी एजेन्सियों के द्वारा किया जाता है। ये भंडारगृह सभी व्यापारियों की वस्तुओं को, भंडार गृह की तयशुदा शर्तों के अनुसार स्टोर के लिए बनाये जाते हैं। कार्य –
1. माल को सुरक्षित रखना ।
2. व्यापारी के आदेश पर, गोदाम में रखे माल की पुन: पैकिंग करना, लेबिल लगाना ।
3. व्यापारी के आदेश पर माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने की सेवा उपलब्ध कराना ।

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