NIOS Class 10th Business Studies Chapter 16. विक्रय संवर्धन एवं वैयक्तिक विक्रय

प्रश्न 15. उपभोक्ता की दृष्टि से वैयक्तिक विक्रय के महत्व का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – उपभोक्ताओं की दृष्टि से वैयक्तिक विक्रय का महत्त्व –

1. वैयक्तिक विक्रय उपभोक्ता का बाजार में आने वाले नए-नए उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है । इस प्रकार यह उपभोक्ताओं को नए उत्पादों के बारे में सूचना प्रदान करता है साथ ही शिक्षित भी करता है।

2. वैयक्तिक विक्रय से उपभोक्ताओं को बाजार में आने वाले नए उत्पादों के उपयोग की विधि का ज्ञान हो पाता है। विक्रयकर्त्ता भावी क्रेताओं के समक्ष न केवल उत्पाद की कार्यविधि का प्रदर्शन करता है बल्कि उसके प्रयोग और लाभों का भी वर्णन करता है।

3. वैयक्तिक विक्रय में आमने-सामने बातचीत होने के कारण यह तकनीक उपभोक्ता को अपनी आवश्यकतानुसार उत्पाद खरीदने की एक निर्देशिका के रूप में कार्य करती है।

4. वैयक्तिक विक्रय उपभोक्ता को उत्पाद विशेष के प्रयोग में आने वाली कठिनाइयों की सूचना और शिकायत करने की सुविधा भी देती है तथा उन कठिनाइयों का हल भी साथ ही निकल आता है।

प्रश्न 16. उत्पादकों की दृष्टि से वैयक्तिक विक्रय के महत्व का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – वैयक्तिक विक्रय का उत्पादकों की दृष्टि से महत्त्व-
1. यह नए और प्रचलित दोनों प्रकार के उत्पादों की माँग पैदा करता है।
2. यह नए उपभोक्ता बनाकर बाजार का विस्तार करता है ।
3. यह उत्पाद सुधारने में भी सहायक है। वैयक्तिक रूप से बेचने से विक्रेता को उत्पाद के सम्बन्ध में जो भी जानकारी मिलती है वह उसे उत्पादक तक पहुँचाता है जिसका उपयोग उत्पादक उत्पाद की गुणवत्ता व अन्य सुधारों के लिए प्रयोग करता है।

प्रश्न 17. वैयक्तिक विक्रय में लगे हुए एक विक्रयकर्त्ता की शारीरिक व बौद्धिक योग्यताएं बताइए ।
उत्तर-
1. शारीरिक योग्यता – एक विक्रयकर्त्ता को सुन्दर व प्रभावी व्यक्तित्व का होना चाहिए। उसे स्वस्थ भी होना चाहिए।
2. बौद्धिक व मानसिक योग्यता- अपने लक्ष्य में सफल होने के लिए विक्रयकर्त्ता के पास कुछ बौद्धिक योग्यताएँ भी होनी चाहिए, जैसे- कल्पनाशीलता, पहल करने की क्षमता, आत्मविश्वास, तीव्र स्मरण शक्ति व सतर्कता इत्यादि । विक्रयकर्ता में उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं और अभिरुचियों को समझने की क्षमता भी होनी चाहिए।

प्रश्न 18 वैयक्तिक विक्रय में लगे विक्रयकर्त्ता की सामाजिक योग्यताएं बताइये ।
उत्तर- अच्छा व्यवहार / सामाजिक योग्यताएँ-
1. अच्छा व्यवहार – एक विक्रयकर्ता का व्यवहार शिष्टाचार व सहयोगपूर्ण होना चाहिए। अच्छे व्यवहार से ही उपभाक्ताओं का विश्वास जीता जा सकता है। उसे क्रेता के असंगत व बहुत सारे प्रश्नों पर अपना संयम नहीं खोना चाहिए। यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति, जिन्हें वह अपना उत्पाद बेचने का प्रयास करेगा वह उसका उत्पाद खरीद ही लें। यह संभव है कि कुछ लोग बात ही न सुनें या सुनकर उत्पाद खरीदने से इन्कार कर दें। ऐसे में विक्रयकर्ता को शिष्ट ही रहना चाहिए।

2. सच्चरित्रता – एक अच्छे विक्रयकर्त्ता को ईमानदार व सच्चरित्र होना चाहिए क्योंकि उन्हें उपभोक्ता का विश्वास जीतना है । नियोक्ता को भी विक्रयकर्त्ता पर पूरा विश्वास होना चाहिए ।

प्रश्न 19. वैयक्तिक विक्रय में संलग्न एक विक्रयकर्ता की क्या व्यावसायिक योग्यताएं होनी चाहिए ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – विक्रयकर्त्ता को उत्पाद व उस कम्पनी के सम्बन्ध में पूरा ज्ञान होना चाहिए जिसका वह प्रतिनिधित्व कर रहा है। उसे उत्पाद के हर पक्ष – गुण, प्रयोग की विधि, प्रयोग में सावधानियों इत्यादि को समझाने में सक्षम होना चाहिए। उसे कम्पनी विशेष के व्यावसायिक व सेवा विवरण के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध कराने में भी सक्षम होना चाहिए। साथ ही उसे अपनी कम्पनी की अन्य प्रतियोगी कम्पनियों के विषय में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए, ताकि वह अपने उत्पाद की उत्त्मता सिद्ध कर सके।

प्रश्न 20. वैयक्तिक विक्रय की परिभाषा दीजिए। उत्पादकों व उपभोक्ताओं की दृष्टि से इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-वैयक्तिक विक्रय से तात्पर्य ग्राहकों के समक्ष वस्तुओं और सेवाओं के ऐसे प्रस्तुतीकरण से है जो उन्हें उन वस्तुओं और सेवाओं विशेष का क्रय करने के लिए विश्वस्त व सहमत कर सके। वैयक्तिक विक्रय के लिए यह आवश्यक है कि विक्रय योग्य वस्तु का वास्तविक प्रस्तुतीकरण हो तथा क्रेता व विक्रेता में पारस्परिक वार्तालाप हो। यहाँ उद्देश्य केवल व्यक्ति विशेष को वस्तु का विक्रय ही नहीं है बल्कि उसे व्यापार का स्थायी ग्राहक बनाना भी है।
वैयक्तिक विक्रय का उत्पादकों की दृष्टि से महत्त्व
1. यह नए और प्रचलित दोनों प्रकार के उत्पादों की माँग पैदा करता है।
2. यह नए उपभोक्ता बनाकर बाजार का विस्तार करता है।
3. यह उत्पाद सुधारने में भी सहायक है। वैयक्तिक रूप से बेचने से विक्रेता को उत्पाद के सम्बन्ध में जो भी जानकारी मिलती है वह उसे उत्पादक तक पहुँचाता है जिसका उपयोग उत्पादक उत्पाद की गुणवत्ता व अन्य सुधारों के लिए प्रयोग करता है।

उपभोक्ता दृष्टि से वैयक्तिक विक्रय का महत्त्व –
1. वैयक्तिक विक्रय उपभोक्ता का बाजार में आने वाले नए – नए उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
2. वैयक्तिक विक्रय से उपभोक्ताओं को बाजार में आने वाले नए उत्पादों के उपयोग की विधि का ज्ञान हो पाता है । 3. वैयक्तिक विक्रय में आमने-सामने बातचीत होती है जो उपभोक्ता को उत्पाद खरीदने की निर्देशिका के रूप में कार्य करती है।
4. वैयक्तिक विक्रय उपभोक्ता को उत्पाद विशेष के प्रयोग में आने वाली कठिनाइयों की सूचना और शिकायत करने की सुविधा देती है तथा उन कठिनाइयों का हल भी साथ ही निकल आता है।

प्रश्न 22. ” एक सफल विक्रयकर्ता में केवल शारीरिक व बौद्धिक योग्यताओं का होना ही काफी है” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण भी दीजिए।
उत्तर – एक सफल विक्रयकर्त्ता में केवल शारीरिक व बौद्धिक योग्यताओं का होना ही काफी नहीं है बल्कि उसमें निम्नलिखित योग्यता भी होनी चाहिए-
1. सच्चरित्रता – एक अच्छे विक्रयकर्त्ता में ईमानदारी व सच्चरित्रता के गुण होने चाहिए क्योंकि उन्हें उपभोक्ता का विश्वास जीतना है। उसे उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को समझकर उन्हें आवश्यक निर्देश देने हैं। नियोक्त का भी विक्रेता में पूर्ण विश्वास होना चाहिए। एक सफल विक्रयकर्त्ता को अपने नियोक्ता एवं उपभोक्ता दोनों के प्रति वफादार होना चाहिए।
2. उत्पाद के विषय में पूर्ण ज्ञान – विक्रयकर्त्ता को बेचे जाने वाले उत्पाद तथा अपनी कम्पनी का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। उसे उत्पाद के प्रत्येक पक्ष – प्रयोग की विधि, प्रयोग में सावधानियां इत्यादि का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
3. अच्छा व्यवहार – विक्रेता व्यवहार में निपुण होना चाहिए, विक्रेता का व्यवहार शिष्ठापूर्ण व सहयोगपूर्ण होना चाहिए ।
4. प्रेरित करने की क्षमता सफल विक्रेता को वार्तालाप करने में निपुण होना चाहिए ताकि वह ग्राहक से सही वार्तालाप कर सके। उसमें यह क्षमता होनी चाहिए कि वह दूसरे व्यक्ति के मन में अपने उत्पाद के प्रयोग व स्वामित्व की इच्छा जागृत कर सके।

प्रश्न 23. वैयक्तिक विक्रय में लगे हुए विक्रयकर्ता की विभिन्न योग्यताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर – वैयक्तिक विक्रय में लगे विक्रयकर्ता के गुण- वैयक्तिक विक्रय में लगे विक्रयकर्ता की योग्यताओं की सूची तैयार
करना एक कठिन कार्य है, क्योंकि यह योग्यताएँ समय और परिस्थिति के अनुसार बदल जाती हैं। यह उपभोक्ताओं की माँग व उत्पाद पर भी निर्भर करती हैं। यह सम्भव है कि जो विक्रयकर्त्ता एक परिस्थिति में प्रभावी था दूसरी में अप्रभावी रहे। इसलिए वास्तविक जीवन में एक श्रेणी के उत्पाद के विक्रय के लिए जिन योग्यताओं को आवश्यक माना जाता हो वह दूसरे उत्पाद के लिए
पूर्ण रूप से अनावश्यक भी हो सकते हैं। परन्तु फिर भी कुछ ऐसी सामान्य योग्यताएँ हैं जिनके होने पर एक विक्रयकर्त्ता अपने कार्य में सफल हो सकता है। इन योग्यताओं की सूची नीचे दी जा रही
है-
1. शारीरिक योग्यताएँ – एक विक्रयकर्त्ता को सुन्दर व प्रभावी व्यक्तित्व का होना चाहिए। उसे स्वस्थ भी होना चाहिए

2. बौद्धिक एवं मानसिक योग्यताएँ – अच्छे विक्रयकर्त्ता में चातुर्य, आत्मविश्वास, तीव्र स्मरण शक्ति, कल्पना शक्ति, पहल करने की शक्ति, उत्साह, तथा बुद्धिमता होनी चाहिए।

3. सच्चरित्रता – एक अच्छे विक्रयकर्त्ता में ईमानदारी व सच्चरित्रता के गुण होने चाहिए ।

4. उत्पाद के विषय में पूर्ण ज्ञान-अच्छे विक्रयकर्त्ता को उत्पाद के विषय में पूर्ण ज्ञान होना चाहिए ।

5. अच्छा व्यवहार – एक हँसमुख, मधुरभाषी तथा व्यवहार कुशल विक्रेता ग्राहक को सरलता से आकर्षित कर सकता है।

6. प्रेरित करने की क्षमता-विक्रयकर्त्ता में ग्राहकों को प्रेरित करने की क्षमता होनी चाहिए। एक अच्छे विक्रयकर्त्ता को वार्तालाप में निपुण होना चाहिए ताकि वह ग्राहक से ठीक प्रकार वार्तालाप कर सके।

प्रश्न 24. “यदि उत्पाद उत्तम है तो विक्रयकर्ता किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिए ।
उत्तर – ऐसा नही है कि यदि उत्पाद उत्तम है तो विक्रयकर्त्ता को किसी योग्यता की आवश्यकता नही है । आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है। विक्रेता उपभोक्ता को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं। उत्पाद यदि उत्तम भी है तो उसकी गुणवत्ता को बताने के लिए विक्रयकर्ता में अच्छे वक्ता का गुण होना चाहिए ताकि वह उपभोक्ता को विश्वास दिला सके कि वास्तव में उत्पाद अच्छा है। कोई भी उत्पाद अपने बारे में स्वयं नही बोलता उसके विषय में विक्रयकर्ता ही ग्राहक को बताता है। बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा होने के कारण एक ही उत्पाद की कई प्रतियोगी वस्तुएँ होती हैं जिससे उपभोक्ता किसी एक का चयन नही कर पाता किंतु एक अच्छा विक्रयकर्ता ही उपभोक्ता के अपने उत्पाद खरीदने के लिए मना सकता है । इसलिए उत्पाद कितना ही अच्छा क्यों न हो उसे बेचने के लिए एक समझदार, स्मार्ट तथा बोलने में निपुण विक्रयकर्ता की आवश्यकता होती है। अपने खरीददारी करते हुए कई बार ऐसा किया होगा कि किसी वस्तु की जरूरत न होते हुए भी विक्रयकर्ता के जोर देने पर उसे खरीद लिया है।

प्रश्न 1. विक्रय प्रवर्तन के साधन के रूप में ‘बोनस प्रस्ताव’ की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर-निर्माता द्वारा ग्राहक को मानक मात्रा के साथ अतिरिक्त मात्रा बिना अतिरिक्त मूल्यों के प्रस्तावित करने को ‘बोनस प्रस्ताव’ कहते हैं, जैसे-टूथपेस्ट के साथ टूथब्रश उपहारस्वरूप मुफ्त या 100 ग्राम की साबुन की टिकिया में 10% ज्यादा मुफ्त देना आदि ।

प्रश्न 2. एक डिटर्जेंट पाउडर का निर्माता डिटरजेंट टिकिया को बाजार में एक नये ब्रॉण्ड नाम से लाना चाहता है । ग्राहकों को आकर्षित करने के लिये विक्रय प्रवर्तन के किस साधन का प्रयोग किया जाना चाहिए? अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिये ।
उत्तर – ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए निर्माता को विक्रय प्रवर्तन के साधनों में से ‘मुफ्त नमूनों का वितरण’ वाला साधन चुनना चाहिए, क्योंकि यह बाजार में एक नये उत्पाद या ब्राण्ड को लाने का एक अच्छा साधन है। नमूनों का मुफ्त वितरण लोगों के घर-घर जाकर, मेलों में या फुटकर व्यापारियों के माध्यम से किया जा सकता है। मुफ्त वितरण द्वारा लोगों को उस उत्पाद को प्रयोग में लाने में प्रोत्साहन मिलता है तथा यदि उत्पाद की क्वालिटी सर्वोत्तम हो तो वह एकदम ही लोकप्रियता के शिखर पर पहुँच जाता है।

प्रश्न 3. विक्रय प्रवर्तन के उद्देश्य क्या हैं? विक्रय प्रवर्तन के विभिन्न प्रमुख साधनों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – विक्रय प्रवर्तन के उद्देश्य हैं-भावी क्रेताओं को सूचना प्रदान करना, ग्राहकों को प्रोत्साहन देना, बिक्री की मात्रा में वृद्धि करना, फुटकर व्यापारियों को प्रोत्साहन देना तथा उत्पाद की हचान का निर्माण करना। आमतौर पर प्रयोग में लाये जाने वाले विक्रय प्रवर्तन के साधन निम्नलिखित
हैं-
(i) मुफ्त नमूनों का वितरण – यह विक्रय प्रवर्तन का एक मुख्य साधन है। यह बाजार में नया उत्पाद लाने का एक अच्छा माध्यम है। लोगों के घर-घर जाकर मेलों में या फुटकर व्यापारियों के माध्यम से नमूनों का मुफ्त वितरण किया जा सकता है।
(ii) बोनस प्रस्ताव – कभी-कभी ग्राहक को मानक मात्रा के साथ अतिरिक्त मात्रा बिना अतिरिक्त मूल्यों के निर्माता द्वारा प्रस्तावित की जाती है, जैसे-टूथपेस्ट के साथ टूथब्रश फ्री या 500 ग्राम पर 50 ग्राम अतिरिक्त | (iii) मूल्य में कटौती – कई व्यावसायिक फर्मे गैर- सीजन अवधि में बिक्री बढ़ाने या प्रतियोगिता कम करने के लिए मूल्य में कटौती कर देती हैं ताकि बिक्री की मात्रा बनी रहे ।
(iv) विनिमय प्रस्ताव – विनिमय योजना में उत्पाद के मूल्यों में कटौती प्रस्तावित की जाती है। इस योजना में पुराना उत्पाद देकर नया उत्पाद क्रय करने पर उसका घटा हुआ मूल्य ग्राहक से लिया जाता है। पुराने रेफ्रीजरेटर के बदले नया रेफ्रीजरेटर या पुराने टी.वी. के बदले नया टी.वी. ।

(v) मेले एवं प्रदर्शनियाँ-विक्रय प्रवर्तन के मुख्य साधन हैं – व्यापार मेले, प्रदर्शनियाँ व फैशन शो आदि। उत्पाद संबंधी अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ हैण्डबिल, विवरणिकाओं आदि के द्वारा ग्राहकों को सम्प्रेषित की जाती हैं। यह ग्राहकों की रुचि को बढ़ाकर उनमें उत्पाद के प्रति विश्वास पैदा करता है, विशेष रूप से तकनीकी उत्पाद, विद्युतीय घरेलू उपकरण आदि के लिये

(vi) मुफ्त प्रस्ताव-उत्पाद की बिक्री में वृद्धि के लिये समान उत्पाद के उत्पाद मुख्य उत्पाद के साथ मुफ्त में दिये जाते हैं, जैसे-एल.सी.डी. प्लाज्मा टी.वी. के साथ वी.सी.डी. मुफ्त या तीन साबुन के साथ एक साबुन मुफ्त।

(vii) छूट के कूपन – धारक को एक उत्पाद विशेष को क्रय करने पर निश्चित छूट पाने के अधिकार के लिये यह कूपन एक प्रमाण-पत्र है। ये छूट के कूपन कम्पनी द्वारा डाक से, व्यापारियों द्वारा या समाचार पत्रों के माध्यम से जारी किये जा सकते हैं।

(viii) कीमत वापसी प्रस्ताव – बिक्री में अत्यधिक वृद्धि के लिये, ग्राहकों का उत्पाद व कम्पनी में विश्वास बढ़ाने के लिये विपणनकर्ता द्वारा उस पर व्यय की गई राशि की वापसी का प्रस्ताव देते हैं। इससे ग्राहकों को वस्तु क्रय करने का प्रोत्साहन मिलता है।

(ix) प्रतियोगिताएँ – बिक्री संवर्द्धन के लिये उत्पाद संबंधी कोई प्रश्नोत्तरी या उससे संबंधित नारा लिखने की प्रतियोगिता की जा सकती है ताकि उपभोक्ता स्वयं की उत्पाद कम्पनी के संबंध में आधिकारिक जानकारी ग्रहण करे। ये प्रतियोगिताएँ टी. वी., रेडियो या पत्रिकाओं के माध्यम से की जा सकती हैं।

(x) अस्थायी भुगतान योजना-कुछ एयरलाइन्स कम्पनियों ने यात्रा प्रवर्तन के लिये 1980 में हवाई यात्रा में योजना प्रस्तुत की कि ‘यात्रा करो आज, किराया भुगतान बाद में’। इससे भी विक्रय प्रवर्तन में सफलता प्राप्त होती है। इस योजना का प्रयोग टी.वी. अथवा एयरकंडीश्नर जैसी कई सुविधा वस्तुओं के लिये

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