भारत का भौतिक भूगोल के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. भारत की स्थिति का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों के संदर्भ में क्या महत्त्व है?
उत्तर- भारत हिन्द महासागर के बीच में है। हिन्द महासागर का दक्षिणी हिस्सा इसे दो भागों में बांट देता है। भारत हिन्द महासागर में मध्यवर्ती स्थान पर है। इसके दक्षिण-पश्चिम में आशान्तरीप रोड है, और पश्चिम में स्वेज रोड है। सिंगापुर रोड पूर्व की ओर जाता है। ये सभी जलमार्ग पूर्व से पश्चिम की ओर और पश्चिम से पूर्व की ओर भारत से गुजरते हैं। इसलिए भारत का अंतरराष्ट्रीय रास्ता महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2. क्या कारण है कि कन्याकुमारी में दिन-रात की अवधि में विशेष अंतर का अनुभव नहीं होता, जबकि कश्मीर में यह अंतर अधिक है?
उत्तर- भारत का दक्षिणी सिरा कन्याकुमारी विषुवत रेखा के निकट होने के कारण दिन और रात की अवधि में 45 मिनट का अधिकतम अन्तर है। लेकिन ध्रुवों की ओर जाने पर यह अंतर बढ़ता जाता है। दिल्ली में यह लगभग चार घंटे का होता है, लेकिन उत्तरी भारत में यह पांच घंटे का होता है। कश्मीर पृथ्वी के अक्ष के 231⁄2° झुकाव से प्रभावित है। अक्ष की झुकाव विषुवत् रेखा पर कोई प्रभाव नहीं डालता।
प्रश्न 3. भारतीय मानक समय से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर- राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त समय भारतीय मानक समय है। हमारे देश के मध्य में 82°30′ पूर्व देशान्तर मानक मध्याह्न रेखा है। देश भर में स्थानीय समय ही मान्यता प्राप्त है। हमारे देश में स्थानीय समय में दो घंटे का अंतर है। सारे देश में हवाई सेवा, रेल सेवा और कई व्यापारिक प्रणाली नियमित रूप से काम करती हैं। इनकी समय-सारिणी सुविधाजनक होती है और समान होती है।
प्रश्न 4. गंगा – ब्रह्मपुत्र डेल्टा की विशेषतायें बताइए ।
उत्तर- 1. गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा संसार में सबसे बड़ा डेल्टा है ।
2. इस क्षेत्र में जल की मात्रा अधिक है तथा यह बहुत उपजाऊ है ।
3. ब्रह्मपुत्र नदी गंगा में मिलने के बाद बहुत मंद पड़ जाती है, इसलिए इसकी धारा के मध्य कई जलोढ़ मृदा द्वीप बन जाते हैं. जल अधिक धाराओं में बंट जाता है और डेल्टा का आकार बढ़ता रहता है।
4. ज्वार-भाटा के दौरान समुद्री जल नदी के जल से मिलता है, इसलिए डेल्टा का निचला हिस्सा दलदल बन गया है।
प्रश्न 5. पठार और मैदान में क्या अंतर है?
उत्तर- पठार-
1. समतल धरातल वाली उच्च भूमियों को पठार कहते हैं । इसके चारों ओर निम्न भूमि होती है ।
2. इसके किनारों का ढाल सीधा खड़ा भी हो सकता है ।
3. यहाँ जनसंख्या का घनत्व कम होता है, फसलों की अपेक्षा खनिज अधिक मिलते हैं-दक्षिण ( दक्कन) का प्रसिद्ध पठार है ।
मैदान (Plain)-
1. समतल धरातल वाले उपजाऊ क्षेत्र को मैदान कहते हैं, जो नदी द्वारा लाए गए जलोढ़ों से बनते हैं ।
2. इनकी ऊँचाई सागर तट से 300 मीटर तक ही रहती है ।
3. यहाँ जनसंख्या, व्यापार, यातायात के साधन अधिक होते हैं। उत्तरी भारत का मैदान एक उदाहरण है ।
प्रश्न 6. भौतिक लक्षणों के आधार पर भारत के पांच प्राकृतिक भागों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – भौतिक लक्षणों के आधार पर भारत को पांच प्राकृतिक भागों में बांटा जा सकता है-
1. उत्तर का हिमालय पर्वतीय प्रदेश
2. उत्तर का विशाल मैदान
3. दक्षिण का पठार अथवा दक्कन का पठार
4. समुद्रतटीय मैदान
5. द्वीपसमूह
1. उत्तर का हिमालय पर्वतीय प्रदेश – हिमालय पर्वतमाला भारत के उत्तर में पश्चिम से पूर्व तक फैली हुई है। बहुत सी गगनचुम्बी चोटियां इसमें हैं। नवीनतम पर्वतमाला है। यह पर्वतीय क्षेत्र 320 किमी चौड़ा है और 2400 किमी लंबा है। इन पर्वतों की औसत ऊँचाई 5000 मीटर है। यह लगभग पांच लाख किमी उत्तर में फैला हुआ है। हिमालय की उत्पत्ति की एक अलग कहानी है। नदियों ने धीरे-धीरे जहाँ आज हिमालय है, वहाँ पहले “टैथीस” नामक समुद्र था। इस जमाव को मोड़दार चट्टान बन गया, क्योंकि भूगर्भिक परिवर्तन हुआ था। हिमालय का जन्म आन्तरिक भागों में उत्थानिक क्रियाओं से हुआ था।
हिमालय में बहुत सी समान श्रेणियाँ हैं। दक्षिणी ढाल उत्तरी ढाल से अधिक तीव्र है। हिमालय पर्वत पश्चिमी बंगाल और उत्तर प्रदेश की सीमा पर खड़े ढाल की तरह है। हिमालय को तीन अलग-अलग श्रेणियां दी जाती हैं। उन्हें मुख्य हिमालय के नाम से भी पुकारते हैं। हिमालय के हिस्से को निम्नलिखित क्षेत्रों में बांटा जा सकता है:
(क) महान हिमालय या वृहत हिमालय – इस भाग में हिमालय की उत्तरी सर्वोच्च श्रेणियां सम्मिलित हैं । इसे मुख्य हिमालय के नाम से भी पुकारा जाता है । यह पर्वत क्षेत्र 2400 किमी. लम्बा तथा 25 किमी. चौड़ा है। इन पर्वत श्रेणियों की औसत ऊँचाई 6000 मीटर है। माउन्ट एवरेस्ट, नन्दादेवी, कंचनजंगा, धौलागिरि तथा अन्नपूर्णा इसकी प्रमुख चोटियाँ हैं । माउन्ट एवरेस्ट विश्व सर्वोच्च पर्वत चोटी है। ये पर्वत चोटियाँ वर्षभर बर्फ से ढकी रहती हैं । हिन्दुओं के पवित्र धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ भी इसी भाग में स्थित हैं ।
(ख) लघु हिमालय – ये पहाड़ियां महान हिमालय के दक्षिण में हैं और उसके आसपास हैं। मुख्य हिमालय भी इसका नाम है। यह 80 से 100 किमी चौड़ा है। इनकी ऊँचाई ३००० से ४५०० मीटर तक होती है । इस क्षेत्र में शीत ऋतु में हिमपात होता है। गर्मियाँ यहाँ बहुत सुहावनी रहती हैं। इसी क्षेत्र में कश्मीर शामिल है। यहाँ नदियाँ एक वी-आकार की घाटी बनाकर बहती हैं। इसी क्षेत्र में भारत के शिमला, मसूरी, नैनीताल और दार्जिलिंग जैसे सुंदर पर्वतीय नगर हैं । इस क्षेत्र में कोणधारी वन हैं । ढालों पर घास भी होता है।
(ग) उप-हिमालय या बाह्य हिमालय – यह हिमालय का दक्षिणी भाग है । इसे हिमालय का ‘पाद’ प्रदेश कहा जाता है इसे शिवालिक के नाम से भी पुकारा जाता है । यह हिमालय का नवीन तथा निम्न भाग है | इसमें अनेक घाटियाँ हैं, जिन्हें पश्चिम में ‘दून ‘ तथा पूर्व में ‘द्वार’ कहते हैं । इस भाग में वन खूब हैं तथा इसक ढालों पर खेती भी की जाती है ।
2. उत्तर का विशाल मैदान – यह विशाल समतल मैदान हिमालय और दक्षिण के पठार के मध्य में है। यह क्षेत्र गंगा, सतलुज और ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों से लाया गया है। यह मैदान लगभग 2400 किमी. (लगभग हिमालय के समानान्तर) लंबा है। यह बहुत उपजाऊ क्षेत्र भारत का 25% हिस्सा है। यहाँ की जलवायु अच्छी है और यह बहुत ही उपजाऊ है। है इस क्षेत्र में लगभग 50% भारतवासी रहते हैं, जिसे भारत का हृदय भी कहा जाता है। यहाँ कपास, जूट, चावल, गेहूँ और चावल का बड़ा उत्पादन होता है । यह जगह नहरों, सड़कों और रेलवे से घिरी हुई है। यहाँ भी उद्योग-धंधे सबसे अधिक विकसित हैं। यह भारत का सबसे अमीर भाग है।
3. दक्षिणी पठार- दक्कन का पठार उत्तरी विशाल मैदान के दक्षिण में त्रिभुजाकार पठार है। यह प्राचीनतम कठोर चट्टानों से बना गोंडवानालैण्ड का अवशेष है। अपक्षय के परिणामों ने इस पठार को बहुत नुकसान पहुँचाया है। यह क्षेत्र ऊबड़-खाबड़ है। पठार के दक्षिण में नीलगिरि पर्वत है; उत्तर में अरावली, सतपुड़ा तथा विन्ध्याचल की पहाड़ियाँ हैं; पश्चिम में पश्चिमी घाट है, और पूर्व में पूर्वी घाट है। 7 लाख वर्ग किमी का यह पा क्षेत्र है। हिमालय इस पठार क्षेत्र को उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम में बाँटता है। नदियों ने इसे कई जगह काट लिया है।
(i) मालवा का पठार – यह पठार विन्ध्याचल पर्वत के उत्तर है । इसका पश्चिमी भाग बुन्देलखण्ड या बघेलखण्ड कहलाता है। इसका ढाल पूर्व तथा उत्तर-पूर्व की ओर है। इसके पूर्वी भाग में महादेवी, मैकालू तथा राजमहल की पहाड़ियाँ हैं । इसके दक्षिण में सतपुड़ा फैला है। पंचमढ़ी मध्य प्रदेश का पहाड़ी एवं स्वास्थ्यवर्धक केन्द्र है । इस पठारी क्षेत्र के उत्तरी भाग में उपजाऊ काली मिट्टी फैली है ।
(ii) छोटा नागपुर का पठार – राँची से हजारीबाग तक बिहार राज्य में यह पठारी क्षेत्र है। इसमें कई ढालू पर्वत चोटियाँ हैं, जिनके मध्य गहरी घाटियों में महानदी, दामोदर, स्वर्ण रेखा और अन्य नदियां बहती हैं। इस क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी पार्श्वनाथ है। नर्मदा और ताप्ती नदियों ने दक्षिणी क्षेत्रों में गहरी धाराएँ बनाई हैं। ढाल उत्तर-पूर्व में है। इसके उत्तर में अरावली पहाड़ियाँ हैं। दक्षिण का पठार बहुत महत्वपूर्ण है। यह खनिजों का भंडार कहलाता है। यहाँ भू-गर्भ में लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, सोना, कोयला और अन्य खनिज पदार्थ छिपे हुए हैं । यहाँ की नदियों के किनारे गेहूँ, गन्ना और मूँगफली की खेती प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में कपास उत्पादन का मुख्य क्षेत्र काली मिट्टी है। दक्षिण के पठार के आसपास बहुत सारे वन हैं। सिनकोना में कुनैन बनाया जाता है इस क्षेत्र में जलप्रपातों से जलविद्युत् बनाकर कई उद्योगों का विकास हुआ है । राउरकेला और भिलाई में लोहा-इस्पात और अन्य क्षेत्रों में सूती वस्त्र उद्योग केंद्रित हैं ।
4. समुद्रतटीय मैदान – दक्षिण के पठार के दोनों ओर समुद्र के मध्य पतली मैदानी पट्टी फैली हुई हैं, जिन्हें समुद्रतटीय मैदान कहा जाता है । इन मैदानों के निर्माण में समुद्र लहरों अथवा नदियों के में बाँटा गया है- निक्षपों का विशेष हाथ है। तटीय मैदानों को निम्नलिखित दो भागों
(क) समुद्रतटीय मैदान – बंगाल की खाड़ी के पूर्वी किनारे और समुद्र के मध्य यह मैदान है। धुर उड़ीसा से दक्षिण तक फैलता है | यह अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है क्योंकि महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों ने काँप के डेल्टाओं को बनाया है। दक्षिण में कर्नाटक है, और उत्तर में ‘उत्तरी सरकार’ है। चिल्का लैगून झील उत्तर में है। तटीय क्षेत्रों में बालू के टीले टिब्बे मिलते हैं।
(ख) पश्चिमी तटीय मैदान – यह अरब सागर व पश्चिमी तट को कोरोमण्डल तट के नाम से पुकारा जाता है । घाट के मध्य एक संकरा मैदान है, जो खम्भात की खाड़ी से कुमारी अन्तरीप तक फैला हुआ है । इसके उत्तरी भाग को ‘कोंकण’ तथा दक्षिणी भाग को ‘मालाबार’ कहते हैं । दक्षिणी भाग में अनेक लैगून पाये जाते हैं । ये जलाशय तथा वृक्षों के झुरमुट सुन्दर दृश्यावली उपस्थिति करते हैं । यहां की जलवायु उत्तम है । उपजाऊ मिट्टी के कारण चावल की खेती होती है । महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह इसी क्षेत्र में
5. द्वीपसमूह – भारत में अनेक छोटे-बड़े द्वीप हैं । इन्हें लक्षद्वीप समूह और अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूह कहते हैं । ये दोनों ही द्वीपसमूह संघ राज्य हैं । लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप मिनिकॉय है। इस द्वीप का विशेष सामरिक महत्त्व है, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह बंगाल की खाड़ी में हैं। यहां द्वीपों की संख्या अधिक है । इस भाग में बैरन द्वीप भारत का एकमात्र जीवंत ज्वालामुखी है। भारत का दक्षिणतम छोर निकोबार द्वीप में है ।
प्रश्न 7. उत्तर भारत के दो नदी तंत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – उत्तरी मैदान को दो नदी – तंत्रों में विभाजित किया जाता है । पश्चिम में सिन्ध नदी – तन्त्र और पूर्व में गंगा नदी – तंत्र है, पर इन दोनों नदी तंत्रों के मध्य जल विभाजक का कार्य करने वाला कोई स्पष्ट भौतिक लक्षण दिखाई नहीं देता ।
सिन्धु द्रोणी- सिन्धु द्रोणी जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में फैली हुई है । सिन्धु नदी 2900 किमी से भी अधिक लम्बी है। इसकी प्रमुख नदियां सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम हैं। सिन्धु नदी इन नदियों को एकत्र करती है। इस क्षेत्र में 1200 किमी की दूरी है। ढाल बहुत हल्का है। इस क्षेत्र की अधिकतम ऊँचाई समुद्रतल से 300 मीटर है। इस क्षेत्र को नदियों ने बढ़ाया है। यहाँ सिंचाई के लिए नहरों का नेटवर्क दुनिया में सबसे व्यापक है।
गंगा द्रोणी- उत्तर प्रदेश के हिमालय क्षेत्र से गंगा बहती है । यह हरिद्वार के पास उत्तरी क्षेत्र में प्रवेश करती है। इसके पश्चिम में यमुना नदी बहती है, जो इलाहाबाद में मिलती है। यमुना के दक्षिण में चम्बल, सिन्धु, बेतवा और केन नदियां मिलती हैं। सोन एकमात्र बड़ी नदी है जो दक्षिणी पठार से सीधी गंगा में मिलती है। दामोदर नदी पूर्व में गंगा से मिलती है।हरियाणा, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों का जल गंगा नदी-तंत्र से आता है। अंबाला नगर सिन्धु और गंगा नदियों के मध्य स्थित जल विभाजक पर स्थित है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफल 1800 किमी उत्तर-पश्चिम में अंबाला से सुंदर वन तक है। यह लगभग 300 मीटर का ढाल हरियाणा से बांग्लादेश तक फैलता है। गंगा नदी लगभग 1900 किमी लंबा है।
प्रश्न 8. भारत के लिए हिमालय पर्वत की उपयोगिता बताइए ।
उत्तर- संसार का सबसे ऊँचा पर्वत हिमालय भारत की उत्तरी सीमा पर खड़ा हुआ है । यह हमारे आर्थिक ढांचे की आधारशिला है । इसके उपयोगिता निम्नलिखित हैं-
1. उत्तर में सुदृढ़ दीवार की तरह हमारी सीमा की रक्षा करता है ।
2. हिमालय पर्वत सुदूर उत्तर साइबेरिया से आने वाली ठण्डी पवनों को रोककर भारत को अधिक सर्दी के प्रभाव से बचाता है ।
3. खाड़ी बंगाल से आने वाले मानसून पवनों को पूर्व से पश्चिम की ओर फैलाकर बहुत वर्षा करता है।
4. इसकी बर्फीली चोटियों से कई बड़ी नदियाँ निकलती हैं, जो उत्तरी क्षेत्र को संपन्न करती हैं ।
5. इन पर्वतों के आसपास घने वन हैं। इन वनों में देवदार, चीड़, कैल जैसी आवश्यक लकड़ी और कई फलों के बाग भी हैं ।
6. हिमालयों में पेट्रोलियम, सीसा, ताँबा, नमक, चूना पत्थर और अन्य खनिज मिलते हैं, जिन पर हमारे कई उद्योग निर्भर हैं ।
7: इन पर्वतों पर कई प्रकार की जड़ी-बूटियाँ मिलती हैं, जो प्राचीन काल से हमारे देश में कई दवाइयों में प्रयोग होती आ रही हैं।
8. कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भेड़-बकरियों का पालन-पोषण किया जाता है। इनका मांस खाने योग्य है और इनसे अच्छी ऊन मिलती है।
9. इन पर्वतों पर कई योग्य स्थान हैं; जैसे शिमला, धर्मशाला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग और इतने पर ही नहीं ।
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