NIOS Class 10 Social Science Chapter 4 आधुनिक विश्व – II

NIOS Class 10 Social Science Chapter 4 आधुनिक विश्व – II

NIOS Class 10 Social Science Chapter 4 Modern World – II – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पाठ 4 आधुनिक विश्व – II के प्रश्न-उत्तर (Modern World – II Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 4 (आधुनिक विश्व – II) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOS Class 10th Social Science 4 आधुनिक विश्व – II के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Social Science Solution Chapter 4 आधुनिक विश्व – II

प्रश्न 1. भारत पर साम्राज्यवाद के किन्हीं दो प्रभावों को लिखिये ।
उत्तर- भारत पर साम्राज्यवाद के प्रभाव निम्नलिखित थे-
(1) अंग्रेज भारत में व्यापारी बनकर आये और शासक बन बैठे और उन्होंने भारत का आर्थिक शोषण किया ।
(2) अंग्रेजों ने भारत के स्वावलम्बी गाँवों की अर्थव्यवस्था नष्ट कर दी । गाँव भी अपनी आर्थिक आवश्यकता के लिए शहरों और नगरों पर निर्भर हो गये ।
(3) अंग्रेजी साम्राज्यवाद के कारण भारत वस्त्रों का निर्यातक से आयातक बन गया । लगी ।
(4) भारत की सम्पदा सस्ते कच्चे माल के रूप में बाहर जाने
(5) भारतीयों पर करों का भारी बोझ डाल दिया गया जिससे गरीबी को बढ़ावा मिला ।
(6) अंग्रेजों ने पाश्चात्य शिक्षा प्रारंभ करके भारत को लाभ पहुँचाया ।
(7) भारत में समान प्रशासन और कानून लागू किया गया ।

प्रश्न 2. इंग्लैंड और जर्मनी के बीच प्रतिस्पर्धा के दो कारण लिखिए जिससे प्रथम विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ।
उत्तर- इंग्लैंड और जर्मनी के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण निम्नलिखित थे-

(1) 19वीं शताब्दी के अंतिम 25 वर्षों में जर्मनी ने विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्र में पर्याप्त आर्थिक उन्नति की, जो इंग्लैंड और फ्रांस से अधिक थी ।

(2) उपनिवेश स्थापना की दौड़ में जर्मनी भी शामिल हो गया, जो इंग्लैंड के लिए खतरनाक था ।

(3) हथियार निर्माण की दौड़ में जर्मनी इंग्लैंड से आगे निकल गया । उसने एक बड़े युद्ध पोत ‘इम्परेटर’ का निर्माण किया । इसके साथ उत्तरी सागर और बाल्टिक सागर को जोड़ने वाली नहर का भी निर्माण किया गया, जिससे इंग्लैंड की समुद्री सीमा के लिए खतरा उत्पन्न हो गया ।

(4) जर्मनी ने बर्लिन को बगदाद से जोड़ने वाली रेलवे लाइन का निर्माण कर लिया, जिससे इंग्लैंड के पूर्व में उपनिवेश असुरक्षित हो गये ।

प्रश्न 3. प्रथम विश्व-युद्ध के प्रमुख परिणामों की जांच कीजिए ।
उत्तर- (1) इस युद्ध में लाखों निर्दोष मारे गये और हजारों लोग घायल हो गए ।

(2) प्रथम विश्व युद्ध के फलस्वरूप प्रजातंत्र की भावना का विकास हुआ। रूस, जर्मनी तथा टर्की के प्राचीन राजवंशों का अंत हो गया और उसके स्थान पर गणतंत्रों की स्थापना हुई ।

(3) चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया और पोलैंड जैसे नए राष्ट्रों का जन्म हुआ ।

(4) आर्थिक और सैनिक दृष्टि से पहले अमेरिका और फिर रूस विश्व की महान शक्तियाँ बन गईं ।

(5) संसार में शांति बनाए रखने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की गई ।

(6) इस युद्ध के बाद जो संधियां हुईं, उनसे यूरोप का मानचित्र ही बदल गया । आस्ट्रिया और हंगरी दो अलग-अलग स्वतंत्र राज्य बन गए ।

प्रश्न 4. पश्चिमी देशों ने इटली और जर्मनी के साथ तुष्टीकरण की नीति क्यों अपनाई?
उत्तर – पश्चिमी देशों ने तुष्टीकरण की नीति लागू करने के लिए प्रेरित किया था— 1917 की रूसी क्रांति के बाद, इंग्लैंड, फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों का साम्यवाद ही सबसे बड़ा शत्रु था। इसके सामने वे भी फासिस्ट देशों (जैसे जर्मनी, जापान, इटली) को सहन करने या तुष्टीकरण की नीति अपनाने को तैयार थे। इन फासिस्ट शक्तियों ने हिटलर और मुसोलिनी के नेतृत्व में साम्यवाद और समाजवाद को कुचल दिया था, इसलिए ये उनके अच्छे और बुरे कामों पर चुप रहे। उन्हें लगता था कि फासिस्ट शासन उन्हें साम्यवाद और समाजवाद से बचाएगा। इसलिए उन्होंने फासिस्ट देशों के साथ तुष्टीकरण की नीति लागू की।

प्रश्न 5. इटली और जर्मनी में फासिज्म के उदय के कारणों की जांच कीजिए ।
उत्तर – जर्मनी और विशेषकर इटली में फासिज्म के उदय के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

1. वर्साय की संधिपत्र के पश्चात निराशा – इटली ने युद्ध में मित्र राष्ट्रों का साथ दिया था और 1915 ई. की लंदन की गुप्त संधि के अनुसार उसे ट्रेण्टिनों टायरोल के कुछ प्रदेश, ट्रीस्ट, इस्ट्रिया, फ्यूम, डेल्मेशिया के तटीय भाग, अल्बानिया; जर्मनी व टर्की के कुछ भाग प्राप्त होने की आशा थी । किन्तु पेरिस के शांति सम्मेलन में विल्सन के विरोध ने उसकी आशाओं पर पानी फेर दिया ।

2. आर्थिक संकट – युद्ध में जनधन की हानि हुई, जो कई देशों को आर्थिक संकट में डाला। युद्ध में लाखों लोग मारे गए और अरबों रुपये खर्च किए गए। राष्ट्रीय ऋण बहुत बढ़ा है। मुद्रा का मूल्य गिरा और वस्तुओं का मूल्य बढ़ा। देश में बेरोजगारी बढ़ी और भोजन की कमी थी। व्यापार और उद्योग समाप्त हो गए। मध्यमवर्गीय लोगों, किसानों और मजदूरों की स्थिति बहुत शोभनीय थी। युद्ध के बाद इटली बहुत अमीर देश नहीं था। बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति ने जनता को और भी अधिक चिंतित कर दिया।

3. दुर्बल सरकार – इस समय इटली में उदारवादी दल की प्रजातंत्रीय सरकार देश की समस्याओं के प्रति उदासीन थी और वह इतनी दुर्बल थी कि स्थिति को काबू में न रख सकी । लोग सरकार की दुर्बल नीति व अयोग्यता के कारण काफी परेशान थे । जनता की इस भावना ने फासिज्म को फलने-फूलने में बड़ी सहायता दी ।

4. रोम अभियान एवं जर्मनी के राजनैतिक षड्यंत्र- मुसोलिनी ने इटली में रोम अभियान में सफलता प्राप्त की, पर जर्मनी में नाजीवाद के उदय में हिटलर का महत्त्वपूर्ण योगदान था।

आधुनिक विश्व – II के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. यूरोप पर ओटोमन साम्राज्य के पतन के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – यूरोप पर ओटोमन साम्राज्य के पतन का प्रभाव निम्न प्रकार थे-
(1) आस्ट्रिया तथा रूस इस क्षेत्र में पैर जमाने लगे, जिससे संघर्ष बढ़ गया ।

(2) ओटोमन साम्राज्य या तुर्की में राष्ट्रवाद का विकास हुआ। फलस्वरूप सर्व स्लाव आन्दोलन शुरू हो गया । स्लाव लोग सर्बिया का गठन करना चाहते थे। आस्ट्रिया इसके विरुद्ध था । सर्बिया और आस्ट्रिया के इस तनाव ने प्रथम विश्व-युद्ध को जन्म दिया ।

प्रश्न 2. साम्राज्यवाद की प्रमुख विशेषतायें बताइये ।
उत्तर – साम्राज्यवाद की मुख्य विशेषतायें निम्नलिखित हैं-
1. साम्राज्यवादी देश कमजोर देशों पर अपना राजनीतिक अधिकार स्थापित कर लेते हैं । हैं
2. साम्राज्यवादी देश अपने अधीन देशों का आर्थिक शोषण करते हैं ।
3. साम्राज्यवादी देशों के नागरिक शासित देशों के नागरिकों को नीचा समझते हैं और अपने को ऊँचा । इस प्रकार वर्ण-भेद की नीति अपनाते हैं ।
4. साम्राज्यवाद लड़ाई-झगड़े और युद्धों को जन्म देता है ।
5. जापान को छोड़कर एशिया का कोई देश साम्राज्यवादी नहीं बना ।
6. पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देश साम्राज्यवादी बने ।

प्रश्न 3. औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार साम्राज्यवाद को जन्म दिया?
उत्तर – यूरोपीय देशों में औद्योगिक क्रांति अच्छी तरह से फैल चुकी थी । अतः कारखानों को चालू रखने के लिए कच्चे माल, तैयार माल की खपत के लिए मंडियों की, अधिक मुनाफा कमाने के लिए सस्ते मजदूरों की व पूँजी लगाने के लिए नये-नये क्षेत्रों तथा संरक्षण की आवश्यकता अनुभव हुई । इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए यूरोपीय देशों ने एशिया तथा अफ्रीका में साम्राज्यवाद का समर्थन किया ।

प्रश्न 4. ईसाई धर्म के प्रसार की भावना साम्राज्यवाद के विकास में किस प्रकार सहायक हुई ?
उत्तर – ईसाई धर्म के पादरी गैर-ईसाई लोगों को ईसाई बनाना अपना पुनीत कर्त्तव्य समझते थे । अतः उन्होंने अपने देश के राजाओं को दूसरे देशों में ईसाई धर्म के प्रसार कार्यों में रुचि लेने को कहा । ऐसा तभी हो सकता था, जब उन देशों पर किसी ईसाई राजा का राज्य स्थापित हो । अतः ईसाई पादरियों ने भी साम्राज्यवाद की भावना को प्रोत्साहन दिया ।

प्रश्न 5. सर्व – स्लाव आन्दोलन एवं इससे होने वाले संघर्ष का वर्णन कीजिए।
उत्तर – सर्व-स्लाव आन्दोलन रूस व आस्ट्रिया के बीच संघर्ष का कारण बना हुआ था। यूरोप के लगभग सारे देश बाल्कन प्रायद्वीप के चक्कर में उलझे हुए थे । बाल्कन प्रायद्वीप के देश ओटोमन साम्राज्य के शासन में थे, किन्तु 19वीं शताब्दी में ओटोमन साम्राज्य धराशायी होने लगे । कई जनगणों ने स्वतंत्रता के लिए विद्रोह कर दिए । रूस के जारों का ख्याल था कि ओटोमन शासकों को खदेड़ दिए जाने के बाद वे इलाके उनके नियंत्रण में आ जाएंगे । अतः रूस के जारों ने सर्व-स्लाव आन्दोलन को बढ़ावा दिया । आस्ट्रिया-हंगरी के अनेक क्षेत्रों में भी स्लाव लोग बसे हुए थे । इस तरह रूस के दोनों ओटोमन साम्राज्य और आस्ट्रिया-हंगरी के विरुद्ध आन्दोलन को बढ़ावा दिया।

प्रश्न 6. साम्राज्यवाद का उपनिवेश के निवासियों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर –
(1) 19वीं शताब्दी में उपनिवेशों के निवासियों को साम्राज्यवादी देशों के प्रभुत्व को मानना पड़ा ।
(2) स्थानीय निवासियों का आर्थिक शोषण होने लगा ।
(3) उपनिवेशों के निवासी अशिक्षित तथा अविकसित रह गए।
(4) इनका जीवन दासों के समान था ।
(5) साम्राज्यवादी देशों ने इन पर अपनी भाषा, संस्कृति व सभ्यता थोपनी आरंभ कर दी ।
(6) अपना अधिकार बनाए रखने के लिए वहाँ की जनता में वैर-वैमनस्य को बढ़ावा दिया । था?

प्रश्न 7. प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या
उत्तर – आस्ट्रिया का युवराज आर्कड्यूक फ्रांसिस फर्डीनेण्ड (Archduke Ferdinand ) अपनी पत्नी सहित बोस्निया की राजधानी सारजिवो में गया, जहाँ सर्बिया के किसी नागरिक ने उसका वध कर हुआ ? आस्ट्रिया ने इसके लिए सर्बिया को जिम्मेदार ठहराया और उसे अल्टीमेटम दे दिया, जिसमें रखी गई मांगों में से एक को मानने से सर्बिया ने इन्कार कर दिया, जो उसकी पूर्ण स्वतंत्रता के लिये खतरा थी । फलतः आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया ।

प्रश्न 8. प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका क्यों शामिल था ?
उत्तर- अमरीकी जनता को इंग्लैंड व उसके मित्र राष्ट्रों से सहानुभूति थी । फिर भी अपने आर्थिक हितों को देखते हुए वह काफी समय तक प्रथम विश्व-युद्ध में तटस्थ रहा । किन्तु जर्मनी की यू-पनडुब्बियों ने कुछ अमरीकी जहाजों को डुबो दिया । डुबोए गए जहाजों में अमरीकी नागरिकों को ले जाने वाले जहाज भी शामिल थे। इसी घटना के कारण संयुक्त राज्य अमरीका ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध
की घोषणा कर दी और अपनी सेनाओं सहित मित्र – राष्ट्रों की ओर से युद्ध में शामिल हो गया ।

प्रश्न 9. राष्ट्रसंघ की स्थापना के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर – राष्ट्रसंघ की स्थापना के उद्देश्य निम्नलिखित थे-
(1) विश्व में शांति और सुरक्षा बनाए रखना ।
(2) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना और अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा करना ।
(3) विभिन्न देशों के सदस्यों को इस बात के लिए तैयार करना कि वे युद्ध का सहारा न लें ।
(4) आक्रमणकारी देश के विरुद्ध आर्थिक और सैनिक कार्यवाही करना ।
(5) विभिन्न सदस्य देशों में श्रमिकों की स्थिति में सुधार लाना ।

प्रश्न 10. राष्ट्रसंघ की असफलता के क्या कारण थे?
उत्तर – राष्ट्रसंघ की असफलता के कारण इस प्रकार थे-
(1) अमेरिका जैसी बड़ी शक्ति का इसकी सदस्यता ग्रहण न करना, इसकी असफलता का प्रथम कारण था ।
(2) रूस जैसे प्रभावशाली देश ने 1931 ई० में जाकर इसकी सदस्यता ग्रहण की।
(3) 1931 ई० में जर्मनी ने इसकी सदस्यता त्याग दी ।
(4) इस संस्था के पास अपनी या सामूहिक राष्ट्रों की कोई सेना नहीं थी ।
(5) इसके अधिकांश प्रभावशाली सदस्य फासिस्ट ताकतों से डर कर तुष्टीकरण की नीति ( उनके प्रति ) अपनाते रहे, जिससे द्वितीय विश्व-युद्ध छिड़ गया तथा राष्ट्रसंघ का पतन हो गया ।

प्रश्न 11. फासीवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- फासिज्म शब्द की उत्पत्ति इटली भाषा के शब्द ‘फेसियो ‘ (Fascio) से हुई है जिसका अर्थ है, राजदंडों का समूह । प्राचीन
रोमन सम्राट् इन राजदंडों के समूह को अपने पास रखते थे, जो राजा की तानाशाही शक्ति का परिचायक होते थे। इस प्रकार फासिज्म का अर्थ तानाशाही शासन है, जिसमें राज्य की सभी शक्तियाँ एक ही व्यक्ति के हाथ में होती हैं । ऐसे शासन की नींव इटली के मुसोलिनी द्वारा प्रथम विश्व-युद्ध के बाद रखी गयी थी ।

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