NIOS Class 10 Social Science Chapter 21 राजनीतिक दल तथा दबाव समूह
NIOS Class 10 Social Science Chapter 21 Political Parties and Pressure Groups – आज हम आपको एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पाठ 21 राजनीतिक दल तथा दबाव समूह के प्रश्न-उत्तर (Political Parties and Pressure Groups Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है । जो विद्यार्थी 10th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है. यहाँ एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 21 (राजनीतिक दल तथा दबाव समूह) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10th Social Science 21 राजनीतिक दल तथा दबाव समूह के प्रश्न उत्तरोंको ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Social Science Chapter 21 Solution – राजनीतिक दल तथा दबाव समूह
प्रश्न 1. हमें राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर – लोगों ने समूहों और संगठनों में भाग लिया। संगठनों का राजनीतिक दल भी ऐसा ही है। आजकल, किसी-न-किसी प्रतिनिधि संस्था के माध्यम से उत्तम सरकार चलाई जाती है। सभी प्रतिनिधियात्मक संस्थाओं में राजनैतिक दल होना चाहिए। राजनीतिक दल लोगों की एक संगठित संस्था है, जो अपने देश की राजनीतिक व्यवस्था के संबंध में साझा सिद्धान्त और लक्ष्य रखते हैं। राजनीतिक दल मतदाताओं और नागरिकों को चुनावों में भाग लेने और शासन, शिक्षण और नीति निर्धारण में भाग लेने में योग्य बनाते हैं। राजनीतिक दलों का मुख्य लक्ष्य राजनीतिक सत्ता को प्राप्त करना तथा कायम रखना है; इसे शासक दल कहते हैं। मिली-जुली सरकार में एक से अधिक शासन करने वाले दल होते हैं। विपक्ष में बैठने वाले को विपक्षी दल कहते हैं।
प्रश्न 2. राजनीतिक दल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – राजनीतिक दल औपचारिक सदस्यता वाले संगठित व्यक्तियों का समूह होता है। इसके सदस्यों को राजनीतिक व्यवस्था के सिद्धांतों, नीतियों और कार्यक्रमों पर आम सहमति होनी चाहिए। विभिन्न विश्लेषकों के अनुसार, यह नागरिकों का संगठित समूह है, जो एक राजनीतिक इकाई के रूप में सरकार पर नियंत्रण रखते हैं और राजनीतिक विचारों पर एक जैसी मान्यता रखते हैं। एक अन्य व्यक्ति का विचार है कि राजनीतिक दल, नागरिकों का एक समूह है जो कमोवेश संगठित होता है, एक राजनीतिक इकाई की तरह काम करता है और अपनी मतदान की शक्ति से सरकार को नियंत्रित करके रखता है और सामान्य नीतियों को लागू करता है।
प्रश्न 3. राजनीति दलों की चार विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर- राजनीतिक दलों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. यह जन समुदाय के सामूहिक प्रयासों से राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
2. सरकार को नियंत्रित रखने के लिए संवैधानिक साधनों तथा चुनावों का प्रयोग किया जाता है।
3. जन समस्याओं पर इस समूह के सदस्यों की आम राय होती है।
4. यह संगठित समूह समान नियमों तथा समान लक्ष्यों पर बल देता है।
5. इसके उद्देश्य के तहत घोषित नीतियों तथा सरकारी गतिविधियों पर बल दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 4 राजनीतिक दलों के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
1. ये मतदाताओं के सामने नीतियां और कार्यक्रम रखते हैं ताकि मतदाता उनके दल के प्रत्याशी का समर्थन करें।
2. वे जनता को राजनीतिक शिक्षा ही प्रदान नहीं करते, अपितु जनमत निर्माण में भी भूमिका निभाते हैं।
3. वे जनता की मांगों को एकत्र करके सरकार को उनकी ओर आकर्षित करते हैं।
4. चुनावों के समय अथवा चुनावों के बाद सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया पर उचित कदम उठाते हैं।
5. चुनावों के समय वे अपने प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार अभियान करते हैं।
6. किसी दल को बहुमत नहीं मिलता तो वह विरोधी पक्ष बन जाता है। ऐसे समय पर वह सरकार पर दबाव डालता है कि वह सही ढंग से शासन करे।
7. वे सरकार बनाते हैं, खासकर यदि उन्हें चुनाव में बहुमत मिलता है। वे उन नीतियों और कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने की कोशिश करते हैं, जिन पर मतदाताओं ने जनादेश दिया था।
8. वे चुनावों के समय राजनीतिक दल उम्मीदवारों का नामांकन करते हैं।
प्रश्न 5. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीतियों की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए। हैं-
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रमुख नीतियां निम्नलिखित
1. उदारीकरण तथा निजीकरण पर बल ।
2. गरीबी एवं बेरोजगारी दूर करना ।
3. अर्थव्यवस्था की प्रगति को बनाए रखना।
4. देश के सभी राज्यों का समान विकास करना ।
प्रश्न 6. भारत में दलीय प्रणाली की तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – भारत में दलीय प्रणाली की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. हमारी दलीय व्यवस्था में गठबंधन की राजनीति एक महत्वपूर्ण विशेषता बन गई है। अब स्थिति ऐसी है कि कुछ राज्यों के अलावा कहीं भी एक दलीय सरकार नहीं है।
2. दलीय प्रणाली में कई राजनीतिक दल हैं, जो केंद्र और राज्यों में सत्ता हासिल करने के लिए निरंतर संघर्ष करते हैं।
3. गठबंधन की राजनीति ने राजनीतिक दलों की मान्यताओं को खो दिया है। शासन न्यूनतम कार्यक्रम पर चलाया जाता है, जो बताता है कि यथार्थवाद या व्यावहारिकता शासन का मूलमंत्र बन गया है।
प्रश्न 7. दबाव समूह क्या हैं?
उत्तर- ये हित समूह अक्सर सरकार पर दबाव डालकर निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। हित समूहों को दबाव समूह कहते हैं जब वे सरकार पर अपने हित में निर्णय लेने के लिए दबाव डालते हैं। किसी भी हित या दबाव समूह में सभी लोगों का एक ही लक्ष्य और विचार होता है। उदाहरण के लिए, वकील संघ के सभी सदस्यों का लक्ष्य वकीलों की सेवा करना होगा। ऐसे समूह भी अपने हितों के लिए जनमत बनाते हैं। ये हित या दबाव समूह सरकार पर नियंत्रण या सत्ता हासिल करने की कोशिश नहीं करते, लेकिन वे राजनीतिक दलों से संबंधित हो सकते हैं। इस तरह के समूह आम लोगों की भागीदारी का महत्वपूर्ण साधन हैं ।
प्रश्न 8. राजनीतिक दल और दबाव समूह में दो बिंदुओं पर अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – बहुत से दबाव समूह राजनीतिक दलों से जुड़े होते हैं, लेकिन कुछ दूसरे हैं। राजनीतिक दल दबाव समूहों से अलग हैं। इनका प्रमुख अंतर इस प्रकार है-
1. दबाव समूह प्रत्यक्ष रूप से सत्ता हासिल नहीं करना चाहता। ये सिर्फ उन लोगों पर असर करते हैं जो सत्ता में हैं या निर्णय लेते हैं, ताकि उनके हित में निर्णय लें। विपरीत, राजनीतिक दल सरकार बनाकर शासन करना चाहते हैं।
2. दबाव समूह चुनाव नहीं लड़ते, वे केवल अपनी पसंद की पार्टी का समर्थन करते हैं। जबकि राजनीतिक दल प्रत्याशियों का नामांकन करते हैं, चुनाव लड़ते हैं तथा चुनाव प्रचार में भाग लेते हैं।
3. दबाव समूहों का हित सदैव अलग होता है। जबकि राजनीतिक दल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों से जुड़े होते हैं।
प्रश्न 9. भारत में दबाव समूहों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
उत्तर – दबाव समूह सरकारी अधिकारियों और नेताओं से संबंध बनाने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। सरकारी प्रणाली को प्रभावित करने के लिए दबाव समूहों ने कई तरीके अपनाए हैं। ये कार्यपद्धतियाँ देश की राजनीति और समाज पर निर्भर करती हैं। इनके द्वारा अपनी माँगों की पूर्ति के लिए याचिका और निवेदन पत्रों का प्रयोग किया जाता है। इनका लक्ष्य हमेशा है कि जनमत उनके पक्ष में रहे। ये दबाव समूह अक्सर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का प्रयोग करके अपनी भावनाओं और विचारों को सरकार के सामने व्यक्त करते हैं।
ये दबाव समूह जनमत को आकार देने और प्रभावित करने के लिए कई प्रचार साधनों का उपयोग करते हैं। लॉबी के माध्यम से भी दबाव समूह सरकार पर दबाव डालने की कोशिश करते हैं।
न्यायपालिका को भी दबाव से प्रभावित किया जा सकता है। इनके द्वारा न्यायिक निर्णयों को भी प्रभावित करने के लिए अभियान चलाए जाते हैं और न्यायाधीशों की चुनाव प्रक्रिया पर भी प्रभाव डाला जाता है। इस तरह, हम देखते हैं कि दबाव समूह हर लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। ये राष्ट्रीय मूल्यों और लोकतंत्र की भावना भी बचाते हैं। दबाव समूहों की भी आलोचना होती है क्योंकि वे अनावश्यक रणनीति और नौकरशाही को भ्रष्ट करने के लिए दोहरे मापदंडों का उपयोग करते हैं। निष्क्रिय समूहों को कोई सुनवाई नहीं मिलती, जबकि शक्तिशाली समूह अपनी माँगों को किसी भी प्रकार पूरा करने में सफल होते हैं। ट्रेड यूनियनें तथा अन्य संगठन अक्सर अपनी अनैतिक माँगों को भी पूरा करवाते हैं।
दबाव समूहों का प्रभाव उनकी संगठनात्मक शक्ति, अनुशासन, सदस्यों की वचनबद्धता, सहानुभूति और सहयोग इकट्ठा करने की क्षमता, आर्थिक स्थिति और निर्णय लेने वाली बैठकों और समितियों तक पहुँच पर निर्भर करता है। राजनीतिक उद्देश्यों और जनहित के लिए काम करने वाले दबाव समूह कुछ हिंसक उपायों का भी प्रयोग करते हैं, जैसे रैलियाँ निकालना, धरने देना, प्रदर्शन करना और भूख-हड़ताल करना। दबाव समूह तार्किकता, उदारता और शांति, पर्यावरण सुरक्षा और मानवाधिकार जैसे मानवीय उद्देश्यों की पूर्ति के लिए काम करते हैं। ये विशिष्ट राष्ट्रीय कार्यक्रमों और अंतर्राष्ट्रीय एकता से जुड़े कामों से काम करते हैं। इसी तरह के प्रयासों में आतंकवाद, परमाणु बम और एड्स के खिलाफ आंदोलन शामिल हैं।