NIOS Class 10 Social Science Chapter 2 – मध्यकालीन विश्व

NIOS Class 10 Social Science Chapter 2 – मध्यकालीन विश्व

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NIOS Class 10 Social Science Solution Chapter 2 मध्यकालीन विश्व

प्रश्न 1. चर्चा करें कि क्यों मध्यकाल एक उल्लेखनीय काल है, जिसका अध्ययन मानव समाज के क्रम विकास को समझने के लिए जरूरी है।
उत्तर – मध्यकाल का महत्त्व –
1. मध्यकाल प्राचीन काल और आधुनिक काल के बीच का युग है | मध्यकाल की उपलब्धियाँ और गौरव आधुनिक काल की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है ।
2. इस्लामी संसार के लिए यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण काल था, जिसमें अरबों ने पर्याप्त उन्नति की ।
3. भारत में मध्यकाल में सह अस्तित्व और सहिष्णुता का अद्भुत सांस्कृतिक रुझान देखने को मिलता है ।
4. यूरोपवासियों ने मध्यकाल में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों में पर्याप्त उन्नति की।
5. मध्यकाल में इस्लाम धर्म का उदय हुआ, जो धीरे-धीरे सम्पूर्ण विश्व में छा गया।

प्रश्न 2. रोमन साम्राज्य के पतन के बाद पश्चिमी यूरोप के राजनीतिक और आर्थिक जीवन में होने वाली तब्दीलियों की चर्चा करें ।
उत्तर- रोमन साम्राज्य के पतन के पश्चात् पश्चिमी यूरोप में सामन्तवाद का उदय हुआ, जिसके फलस्वरूप अनेक राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन हुए।
(I) राजनैतिक परिवर्तन-
(1) रोमन सम्राटों के पश्चात सत्ता पर रोमन भूस्वामी कुलीनों और स्थानीय स्तर पर शक्तिशाली जर्मन सैनिक सरदारों का सत्ता पर अधिकार हो गया, जिन्हें सामन्त कहा गया ।
(2) राजनीतिक प्रभुत्व का एक श्रेणीबद्ध संगठन प्रारम्भ हुआ जिसमें सबसे ऊपर राजा था । उसके बाद ड्यूक, अर्ल, बैरन, नाइट थे । ये सभी श्रेणीबद्ध सामन्त थे ।
( 3 ) प्रत्येक स्तर पर सामन्त अपने ऊपर वाले अधिकारी अधिकार प्राप्त करते थे और उसके प्रति निष्ठा रखते थे । (4) राज्य की सम्पूर्ण शक्ति राजा के हाथ में थी, परन्तु राजनैतिक सत्ता में पर्याप्त विकेन्द्रीकरण था ।

(II) आर्थिक परिवर्तन-
(1) गुलाम श्रमिकों की प्रथा समाप्त हो गयी । कृषिगत उत्पादन में गुलामों का अभाव हो गया ।
(2) सामन्तवाद में अभिवर्ग की जीवन शैली में परिवर्तन आ गया । काश्तकार एवं कृषि मजदूर कृषिदास बन गये ।

प्रश्न 3. इस्लाम की प्रमुख शिक्षाओं की चर्चा करें।
उत्तर- इस्लाम की प्रमुख शिक्षायें-
(1) इस्लाम के अनुसार ईश्वर एक है ।
(2) मोहम्मद ईश्वर के अन्तिम और महानतम पैगम्बर हैं ।
(3) इस्लाम के अनुसार कयामत या महाप्रलय आएगी और नेक तथा अच्छे लोगों को जन्नत में शाश्वत जीवन मिलेगा, परन्तु दुष्ट एवं पापी लोगों को नरक में नष्ट होना होगा ।
(4) सभी मुसलमानों के लिए कुरान के निर्देशों का पालन करना आवश्यक है ।
(5) मुसलमानों को सुल्तान ( मुहम्मद) के वचनों और आदर्शों और हदीस या पैगम्बर की शिक्षाओं का पालन करना चाहिए । (
6) सभी लोगों के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए ।

प्रश्न 4. मध्यकालीन भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताओं की समीक्षा करें।
उत्तर- मध्यकालीन भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषतायें-
(1) दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य की आय का मुख्य साधन किसानों से प्राप्त होने वाला भूमिकर था ।
(2) कृषि योग्य भूमि की पैमाइश की गयी और उसके रक्बे के आधार पर भू-राजस्व निर्धारित किया गया ।
(3) शासकों ने कृषि को बढ़ावा दिया और जंगल आदि में कृषि का विस्तार किया ।
(4) संकटकाल में किसानों को ऋण देकर सहायता की जाती थी और उनका लगान माफ कर दिया जाता था ।
(5) व्यापार को बढ़ावा दिया गया और उसके लिए सड़कों का जाल बिछाया गया । इस समय विदेशी व्यापार भी होता था। सर्राफ या श्राफ मुद्रा बदलते थे और हुंडियां जारी करते थे ।

प्रश्न 5. व्याख्या करें कि मध्यकालीन भारतीय संस्कृति परम्पराओं के एक सामंजस्यपूर्ण संश्लेषण का प्रतिनिधित्व करती है।
उत्तर – मध्यकालीन भारतीय संस्कृति परम्पराओं के एक संश्लेषण का प्रतिनिधित्व करती है, यह तथ्य निम्नलिखित बातों से स्पष्ट होती है-

(1) धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में – मध्यकाल में धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में परम्परायें घुली मिली सी दिखाई देती हैं। भक्ति आन्दोलन और सूफी आन्दोलन इसके उदाहरण हैं । भक्ति आन्दोलन में लोगों ने व्यक्तिगत उपासना और भक्ति से भगवान के साथ आत्मसात रखने का प्रयास किया। उन्होंने कर्मकांडों का बहिष्कार करते हुए शुद्ध आचरण पर जोर दिया । जातिवाद और ब्राह्मणवाद का विरोध किया । रामानंद, कबीर, रविदास, मीराबाई और गुरुनानक इसी परम्परा के अनुयायी थे । सूफियों ने हिन्दू और मुसलमानों को एक-दूसरे के निकट लाने का प्रयास किया ।

(2) भाषा और साहित्य के क्षेत्र में भाषा और साहित्य के क्षेत्र में परम्पराओं के संश्लेषण का रूप दिखाई देता है । मध्यकाल में फारसी व संस्कृत जैसी क्लासिकी भाषा और स्थानीय भाषाओं और साहित्य का विकास हुआ ।

(3) मध्यकालीन कला और वास्तुकला में मिश्रण की प्रक्रिया दिखाई देती है। मुगल चित्रकला शैली ने पूरी तरह से ईरानी और भारतीय शैलियों को अपनाया है। भारतीय कला में दासवन्त, मुकुन्द और केशव जैसे प्रसिद्ध चित्रकार ने प्रभाव डाला, तो ईरानी कला में अब्दुल समद और सैयद अली ने प्रभाव डाला।

(4) संगीत के क्षेत्र में – मध्यकालीन भारत के अधिकांश राजाओं ने संगीत को बचाया। अरब, ईरानी और मध्य एशियाई संगीत परम्पराएं भारतीय व्यवस्था से जुड़ीं। भक्ति और सूफी धर्मों ने भक्ति संगीत की नई शैली को बढ़ावा दिया। इससे स्पष्ट होता है कि मध्यकालीन भारतीय संस्कृति परम्पराओं में एक सामंजस्यपूर्ण संश्लेषण है।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. अकबर के शासन काल में निर्मित प्रमुख भवनों के नाम बताइये। इनमें वास्तुकला की किस शैली का प्रयोग हुआ?
उत्तर – अकबर के शासन काल में जोधाबाई का महल, इबादत खाना, बीरबल का आवास तथा सलीम चिश्ती का मकबरा कुछ प्रमुख निर्माण कार्य हुए । इनमें भारतीय तथा फारसी वास्तुकला शैलियों के सम्मिश्रण का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 2. मुगल बादशाहों में सबसे प्रसिद्ध भवन-निर्माता कौन था? उसके भवनों की विशेषताएँ बताइये ।
उत्तर – मुगल बादशाहों में सबसे प्रसिद्ध भवन निर्माता शाहजहाँ था । शाहजहां द्वारा बनवाए गए भवनों की निम्नलिखित विशेषतायें थीं-
(1) पच्चीकारी के सजावटी नमूने ( इन्हें पेट्रा ड्यूरा भी कहते हैं)।
(2) अति सुन्दर मेहराबें ।

प्रश्न 3. अजन्ता क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर – अजन्ता की चित्रकला में भित्तिचित्रों की अधिकता है । इन चित्रों में चटकीले रंगों का प्रयोग किया गया है। चित्रों की विषयवस्तु महात्मा बुद्ध का जीवन-दर्शन है।

प्रश्न 4. भारत में चित्रकला के विकास में जहाँगीर का क्या योगदान है ?
उत्तर – मुगल सम्राट जहाँगीर द्वारा व्यक्तियों के चित्रों के विकास, प्रकृति तथा वन्य-जीवन से संबंधित विषय-वस्तु के बारे में अत्यधिक योगदान दिया गया।

प्रश्न 5. सामन्तवादी व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – सामन्तवादी प्रणाली से हमारा तात्पर्य मध्यकालीन यूरोप में विकसित उस व्यवस्था से है, जिसके अन्तर्गत आर्थिक जीवन मुख्यतः ग्रामीण था और समाज मुख्य रूप से किसानों और सामन्तों में बँटा हुआ था। इस व्यवस्था में सामन्त राजा से कुछ भूमि प्राप्त करते थे और उसके बदले में उसे सैनिक सहायता या अन्य सेवा कार्य प्रदान करते थे। किसान सामन्तों के खेतों पर बेगार करते थे या उन्हें उत्पादन का एक विशेष हिस्सा कर के रूप में देते थे । इस व्यवस्था में सारी सत्ता सामन्तों के हाथों में थी।

प्रश्न 6. सामन्तवाद की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर – पश्चिमी रोमन साम्राज्य लगभग 500 ई. तक समाप्त हो गया, जिससे पश्चिमी यूरोप में अशान्ति का वातावरण फैल गया । बर्बर जातियों के आक्रमण के कारण वहाँ के उद्योग व व्यापार ठप्प हो गए जिससे लोगों की आर्थिक दशा इतनी बिगड़ गई कि वे कर देने की स्थिति में भी नहीं रहे। ऐसी परिस्थिति में राजा ने भूमि उन शक्तिशाली लोगों में बाँट दी, जो उन्हें सैनिक सहायता या कुछ अन्य सेवाओं का आश्वासन दे सकते थे। इस तरह सामन्ती व्यवस्था की उत्पत्ति पश्चिमी यूरोप में अशान्ति के वातावरण में हुई । इसने समाज को शान्ति सुरक्षा प्रदान की ।

प्रश्न 7. यूरोपीय सामन्ती व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताइए |
उत्तर – मध्यकालीन समाज में यूरोपीय सामन्ती व्यवस्था की विशेषताओं को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है-
(1) समाज का ढाँचा स्तरीकृत था। सबसे ऊपर राजा, उसके नीचे अर्ल, उनके नीचे बैरन तथा बैरनों के नीचे नाइट । प्रत्येक बड़ा व्यक्ति छोटे पर अपना अधिकार जमाता था । ऊपर के अधिकारी का आदेश निष्ठापूर्ण माना जाता था ।

(2) सामन्ती समाज में सर्वशक्तिमान का बोलबाला था । अर्ल के अपने ही सैनिक होते थे। वह अपनी जागीर का स्वयं शासक होता था ।
(3) भेदभावपूर्ण व्यवहार सामंती समाज की एक अन्य विशेषता थी ।
(4) क्योंकि राजा को सैनिक शक्ति सामंतों से प्राप्त होती थी, इसलिए केन्द्रीय राजनैतिक सत्ता में एकता व शक्ति का अभाव था ।
(5) सामंती व्यवस्था में केन्द्रीय सत्ता कमजोर तो थी ही, साथ ही ऐसी व्यवस्था में परस्पर युद्ध भी होते रहते थे ।
(6) सामन्ती व्यवस्था में उच्च वर्ग निम्न वर्ग का शोषण करता था ।

प्रश्न 8. मोहम्मद साहब की प्रमुख शिक्षाओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – पैगम्बर मोहम्मद साहब इस्लाम धर्म के संस्थापक थे। उनका जन्म 570 ई. में मक्का में हुआ था। उनकी प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित थीं-
(i) प्रत्येक मनुष्य को सर्वशक्तिमान अल्लाह में आस्था रखनी चाहिए ।
(ii) अल्लाह की इच्छा के सामने मनुष्य की कोई शक्ति नहीं है, इसलिए मनुष्य को उसकी इच्छाओं के आगे अवश्य झुकना चाहिए।
(iii) मनुष्य को धरती पर किए गए उसके कर्मों का फल कयामत के दिन मिलेगा
(ii) उन्होंने भ्रातृत्व की भावना पर जोर दिया ।
(v) वह समानता के सिद्धान्त को उचित मानते थे ।
(vi) वह मूर्तिपूजा के विरोधी थे ।
(vii) विवाह तथा तलाक संबंधी नियमों का पालन प्रत्येक मनुष्य को करना चाहिए ।
(viii) उन्होंने उदारता तथा सद्गुणों से पूर्ण जीवन पर बल दिया।

प्रश्न 9. भक्ति आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते है ?
उत्तर- मध्यकालीन भारत में भक्ति व सूफी आन्दोलन काफी लोकप्रिय थे। 15वीं शताब्दी के भारत में भक्ति आन्दोलन भारतीय समाज की एक विशेषता कही जा सकती है। इस आन्दोलन के कर्णधारों में रामानुजाचार्य, वल्लभाचार्य, तुलसीदास, कबीर, नामदेव, दादू आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इस आन्दोलन की मुख्य शिक्षाएँ निम्नलिखित थीं-
(1) परस्पर प्रेम व स्नेह पर बल
(2) सद्भावना पर जोर
( 3 ) ईश्वर भक्ति को महत्त्व देना
(4) परस्पर बन्धुत्व व भेदभाव की मनाही पर बल ।

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