राज्य स्तर पर शासन के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. ‘रिट’ से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर- ‘रिट’ एक न्यायिक आदेश होता है जो कि किसी व्यक्ति के अधिकार की रक्षा के उद्देश्य से उच्च न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है ।
प्रश्न 2. ‘उच्च न्यायालय’ के न्यायाधीश की नियुक्ति किस आधार पर की जाती है।
उत्तर – उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति तभी हो सकती है, जबकि-
1. वह भारत का नागरिक हो ।
2. वह भारत के राज्य क्षेत्र में कम से कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो / चुकी हो, अथवा
3. किसी एक या अधिक उच्च न्यायालय का / की लगातार कम से कम दस वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो / रही हो ।
प्रश्न 3. अधीनस्थ न्यायालयों की संरचना तथा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- अधीनस्थ न्यायालयों की संरचना – राजधानी में दीवानी, फौजदारी और राजस्व न्यायालय हैं । जिले में सबसे ऊँची अदालत न्यायाधीश का न्यायालय है, जहां दीवानी मामले सुनाए जाते हैं। फौजदारी मामलों की सुनवाई के लिए सबसे बड़ा न्यायालय सत्र न्यायाधीश का न्यायालय होता है। राजस्व बोर्ड सबसे बड़ा है। दीवानी अदालतों में जिलाधीश की अदालत के बाद उपन्यायाधीश, मुंसिफ और छोटे दर्जे के न्यायालय हैं । मैट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट प्रथम, द्वितीय, तृतीय श्रेणी के मजिस्ट्रेटों की अदालत फौजदारी अदालतों में सत्र न्यायाधीश के बाद होती है। राजस्व में बोर्ड के बाद कमिनश्नर, कलैक्टर, तहसीलदार और सहायक तहसीलदार होते हैं।
शक्तियां – (i) दीवानी न्यायालय – ऐसे न्यायालयों में मुद्रा, संपत्ति, लेन-देन, अनुबंध, किरायेदारी, अधिकार, विवाह विवाद, तलाक और अन्य विषयों से संबंधित वादों का समाधान होता है । प्रत्येक जिले में एक जिला न्यायाधीश और मुंसिफ का न्यायालय है, जिसका प्रधान जिला न्यायाधीश है। जिला न्यायालय के निचले न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील की जा सकती है। राज्यपाल उच्च न्यायालय से चर्चा करके जिला न्यायाधीश तथा अतिरिक्त जिला न्यायाधीश नियुक्त करता है। राज्य लोक सेवा आयोग ने अन्य सभी अधीनस्थ न्यायाधीशों को न्यायिक सेवा के लिए एक प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से चुना है।
(ii) फौजदारी न्यायालय – इन न्यायालयों में अक्सर चोरी, डकैती, लूट, मार-पीट, अपहरण और अन्य भारतीय दंड संहिता से संबंधित मामले सुनाए जाते हैं। जिला न्यायाधीश फौजदारी मामलों को सत्र न्यायाधीश की तरह सुनता है। अपराधिक मामलों में जिला स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय सत्र न्यायाधीश का न्यायालय होता है।
प्रश्न 4. राज्य के सचिवालय के संगठन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – भारत के हर राज्य में, केन्द्र की तरह, एक सचिवालय है। यह राज्य की राजधानी है। मंत्रालयों और प्रशासकीय विभागों के मुख्यालय सचिवालय में हैं। सचिवालय में अध्यक्ष मंत्री और सचिव के कार्यालय हैं। एक विभाग में सचिव के अलावा अतिरिक्त सचिव, विशेष सचिव, संयुक्त सचिव, उपसचिव, अपर सचिव और सह सचिव भी होते हैं । सचिवालय राज्य प्रशासन का हृदय होता है। यह मंत्रियों को नीतियों और कार्यक्रमों का निर्धारण करने में मदद और सलाह देता है। नीतियों और कार्यक्रमों के सफल और सफल क्रियान्वयन के लिए दिया जाता है। सचिवालय भी क्षेत्र अभिकरणों को सामान्य निर्देश देता है और मार्गदर्शन देता है। राज्य सरकार को संचार करने के लिए यह एक साधन है।
प्रश्न 5. राज्य प्रशासन में मुख्य सचिव की स्थिति की चर्चा कीजिए |
उत्तर – सचिवालय का प्रशासकीय प्रधान मुख्य सचिव होता है। वह राज्य की लोक सेवा भी संभालता है। वह आम तौर पर राज्य की प्रशासकीय सेवा में सर्वोच्च पद पर रहता है। उसका स्थान और पद केन्द्र सरकार के सचिव के समान है। वह आम प्रशासकीय विभाग का प्रमुख है। वह राज्य सरकार का मुख्य संपर्क अधिकारी भी है। सभी प्रशासनिक मामलों में मुख्यमंत्री का प्रधान परामर्शदाता मुख्य सचिव होता है। वह राज्य मंत्रिमण्डल का सचिव है। वह पूरे सचिवालय और उसके क्षेत्रीय अभिकरणों को नियमित रूप से देखता है और नियंत्रित करता है। वह राज्य प्रशासन में एक प्रमुख समन्वयक है। इस प्रकार, हम देखते हैं कि मुख्य सचिव का स्थान राज्य प्रशासन में महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 6. राज्यपाल की कार्यपालिका शक्तियों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – कार्यपालिका शक्तियाँ-
(i) राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका शक्तियां संभालता है, जिन्हें वह स्वयं या उसके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा संभालता है। विषयों से संबंधित है। राष्ट्रपति की सहमति समवर्ती सूची के लिए आवश्यक है
(ii) राज्य सूची में उल्लेखित स्वीकृति के अधीन वह अपने कार्यपालिका अधिकारों का प्रयोग कर सकता है। वह करता है। वह मंत्रियों को भी काम देता है ।
(iii) राज्य सरकार के पद के संबंध में वह नियमों का निर्माण माँगने का
(iv) उसे मुख्य मंत्री से किसी भी तरह की सूचना देने का अधिकार है। मंत्रिमण्डल के सभी फैसलों को राज्यपाल को सूचित करना राज्यपाल की जिम्मेदारी है।
(vi) वह भी मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है, उसके परामर्श पर। राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों और महाधिवक्ता को वह चुनता है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति पर उससे परामर्श लिया जाता है।
(vi) वह मंत्रियों से किसी मंत्री के व्यक्तिगत निर्णय को मंत्रिपरिषद् के समक्ष पुनर्विचार के लिए रखने को कह सकता है ।
प्रश्न 7. राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के पारस्परिक संबंधों का परीक्षण कीजिए ।
उत्तर- मुख्यमन्त्री तथा राज्यपाल – अनुच्छेद 167 के अनुसार, राज्य के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी फैसले और विचाराधीन विधेयकों की सूचना राज्यपाल को दी जानी चाहिए। इस संबंध में राज्यपाल अन्य आवश्यक जानकारी भी माँग सकता है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री से मिली जानकारी के आधार पर मंत्रिपरिषद् को सलाह, उत्साह और चेतावनी दे सकता है। लेकिन मंत्रिपरिषद् की सलाह और चेतावनी के बावजूद, राज्यपाल निर्णय को स्वीकार करने के लिए बाध्य होता है. हालांकि, कभी-कभी राज्यपाल मन्त्रिपरिषद् की सलाह के बिना ही काम कर सकता है।
प्रश्न 8. राज्य विधानसभा और राज्य विधान परिषद् की संरचना की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – विधानसभा की संरचना – विधानसभा विधानमंडल का निम्न सदन है। राज्य की जनसंख्या विधानसभा के सदस्यों को बताती है। सिक्किम की विधानसभा में 32 सदस्य हैं, हालांकि भारतीय संविधान के अनुसार 500 से 60 सदस्य हो सकते हैं। राज्य की जनता विधानसभा के सदस्यों को प्रत्यक्ष रूप से चुनता है।
योग्यताएँ – विधानसभा का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यतायें होनी चाहिए :
1. वह भारत का नागरिक हो ।
2. उसकी आयु 25 वर्ष से कम न हो ।
3. वह किसी लाभ के पद पर कार्य न करता हो ।
कार्यकाल – विधानसभा का प्रायः पांच वर्ष का कार्यकाल होता है। राज्यपाल पांच वर्ष से पहले भी इसे रद्द कर सकता है। विधानपरिषद् की रचना: विधानपरिषद् विधान मण्डल का सर्वोच्च सदन है। यह सदन स्थायी है। विधानसभा के सदस्यों की संख्या संविधान के तहत 1/3 से अधिक नहीं हो सकती है। राज्य विधानपरिषद् के सदस्य 40 से कम नहीं हो सकते। लेकिन जम्मू-कश्मीर की विधानपरिषद् में 36 लोग हैं। विधानपरिषद् के सदस्यों का चुनाव निम्नलिखित अप्रत्यक्ष तरीके से होता है:-
1. विधानपरिषद् के सदस्यों की कुल संख्या के 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है ।
2. विधान-परिषद् के 1/3 सदस्यों का चुनाव राज्य की स्थानीय संस्थाओं नगरपालिकाओं तथा परिषदों द्वारा किया जाता है ।
3. विधानपरिषद् के कुल सदयों का 1/2 भाग राज्य के स्नातकों द्वारा निर्वाचित किया जाता है ।
4. विश्वविद्यालयों के शिक्षक राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में विधानपरिषद् के कुल सदस्यों का एक चौथाई भाग चुनते हैं।
5. राज्यपाल विधानपरिषद् के कुल सदस्यों का 1/6 भाग चुनता है। ये लोग साहित्य, विज्ञान, कला तथा समाजसेवा में प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 9. मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन करते हुए उसकी स्थिति पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – मुख्यमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद् के साथ राज्य की असली कार्यपालिका शक्तियों का उपयोग करता है। वह राज्य प्रशासन का केंद्र है। वास्तव में, वह राज्य सरकार का नेतृत्व करता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री को नियुक्त करता है। वह राज्य विधानसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी या गुटका नेता होता है। मंत्री या मुख्यमंत्री को नियुक्ति के समय विधानमंडल के सदस्य नहीं होने पर छः महीने के भीतर सदस्य चुना जाना चाहिए। जब तक राज्य विधानसभा बहुमत का समर्थन मिलता है, मुख्यमंत्री तथा उसकी मंत्रिपरिषद् अपने पद पर रहते हैं। विधानसभा राज्य को पारित करने के बाद मंत्रिपरिषद् का कार्यकाल समाप्त होता है।
यहाँ हमें यह याद रखना चाहिए कि राज्य विधानसभा के प्रति सभी मंत्रिगण उत्तरदायी हैं। मुख्यमंत्री राज्य प्रशासन का केंद्र है। वह सभी प्रशासकीय फैसले लेता है। वह नीति-निर्धारित प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। वह राज्य के प्रशासन को सक्षम और सफल बनाता है। राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासन पर वह निरंतर निगरानी रखता है। विभिन्न विभागों के कामों को संतुलित करता है। वह मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों को अध्यक्षता करता है। वह विभागों के बीच होने वाली बहसों को हल करता है। बजट और विधेयकों के अंतिम प्रारूप को वह मान्यता देता है।
वह राज्य विधानमण्डल से बाहर अपने मंत्रियों का बचाव करता है और भीतर सरकार का मुख्य प्रवक्ता है। सरकार की ओर से प्रस्तुत किए जाने वाले विधायी राज्यों को विधानमण्डल द्वारा मंजूर करने की कोशिश करता है। योजना राज्यपाल और मुख्यमंत्री परिषद् को जोड़ती है। विधानसभा के अध्यक्ष नेता के रूप में सदन की कार्यवाही चलाने में उसकी सहायता करता है। राज्य प्रशासन के उच्चाधिकारियों की नियुक्ति सहित सभी प्रशासकीय मामलों पर वह राज्यपाल को परामर्श देता है।
प्रश्न 10. क्या राज्यपाल का कोई विवेकाधिकार है ? उसके विवेकाधिकार की शक्तियों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – बिना मुख्यमंत्री तथा मंत्रिपरिषद के परामर्श तथा सहयोग के, राज्यपाल अपनी कार्यपालिका सम्बन्धी विधायी, वित्तीय तथा न्यायिक शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता। वह राज्य अध्यक्ष है, इसलिए उसे यह शक्ति मिली है। लेकिन केंद्रीय सरकार का प्रतिनिधि होने के कारण उसे कुछ अतिरिक्त अधिकार भी मिलते हैं। इन शक्तियों को स्वविवेक की शक्तियाँ भी कहते हैं। ऐसा कुछ विशेष परिस्थितियों में होता है, जब राज्यपाल मंत्रिपरिषद के परामर्श के बिना कुछ भी करता है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि इन शक्तियों को राज्यपाल अपनी इच्छा से उपयोग करता है।राज्यपाल को निम्नलिखित विवेकाधिकार प्राप्त हैं-
1. यदि राज्यपाल को लगता है कि राज्य का संवैधानिक ढांचा असफल है, तो वह तुरंत राष्ट्रपति को सूचित कर सकता है, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है। ऐसी स्थिति में, राज्यपाल स्वयं निर्णय लेता है और मंत्रिपरिषद से सलाह नहीं लेता है। इसलिए उसे स्वविवेक सम्बन्धी राज्यपाल की शक्ति कहा जाता है। यदि राष्ट्रपति राज्यपाल की सिफारिश स्वीकार करता है, तो अनुच्छेद 356 मंत्रिपरिषद को भंग करता है और आपातकाल की घोषणा करता है; इसके अलावा, को या तो भंग कर दिया जाता है या फिर स्थगित कर दिया जाता है। इस समय, राज्यपाल राष्ट्रपति की ओर से अभिकर्त्ता है।
2. जब राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखना चाहे तो ऐसा भी हो सकता है। यह निर्णय राज्यपाल स्वयं लेता है, इसलिए वह भी स्वतंत्र है। जबकि राज्यपाल को असामान्य तथा आपातकालीन परिस्थितियों के लिए स्वविवेक अधिकार दिए गए हैं, ऐसा कई बार हुआ है कि वह इन अधिकारों का दुरुपयोग करता है, जिससे केंद्र और राज्यों के बीच तनाव पैदा होता है।
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