NIOS Class 10 Social Science Chapter 13 यातायात तथा संचार के साधन

यातायात तथा संचार के साधन के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. भारत में सड़कों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारतीय सड़कों का महत्त्व निम्नलिखित है-

(i) ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण और विकास गहन खेती और व्यापक खेती को संभव बनाता है। सड़कों का कृषि उपजों की बिक्री पर बहुत बड़ा असर होता है। सड़कों का निर्माण खेती का रूप बदल सकता है। इसलिए कहा जाता है कि भारत में सड़कों के निर्माण के साथ-साथ कृषि की प्रकृति भी बदल गई है।

(ii) बड़े और छोटे समस्त उद्योगों की आर्थिक उन्नति और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए सड़कों की आवश्यकता है। अर्ध और ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा और बैंकिंग सेवाओं को बढ़ाने के लिए भी सड़कों का विस्तार आवश्यक है।
(iii) सड़कों का भी विशेष महत्त्व है क्योंकि वे कच्चे माल को औद्योगिक इकाइयों तक पहुंचाते हैं और तैयार माल को उपभोक्ताओं तक पहुंचाते हैं। सड़कों द्वारा दूसरे स्थानों तक थोड़े माल को कम भाड़े पर लाया जा सकता है और रेलवे से अधिक सुविधाजनक है। इससे कुटीर या लघु उद्योगों का विकास भी बढ़ता है।

(iv) सड़कें श्रम और जीविका निर्वाह के साधनों की खोज में उपयोगी सिद्ध हुई हैं। इसके अलावा, सड़क यातायात से जुड़े कई पदों पर प्रत्यक्ष रूप से काम मिलता है।
(vi) आवश्यकता से अधिक या कम उत्पादन वाले क्षेत्रों में माल को स्थानांतरित करके सड़कें मूल्यों में समता और स्थायित्व प्रदान करती हैं ।
(vi) आर्थिक नियोजन के सफल कार्यान्वयन के लिए ‘सड़क निर्माण’ को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
(vii) आजकल यातायात के साधनों का यथासम्भव विस्तार होने से अकाल की भयंकरता कम हुई है और उनका रूप भी बदल गया है ।

(viii) सड़कों से जल-विद्युत, पानी के नल और टेलीफोन के तार निकलते हैं। सड़कों का भी बहुत महत्त्व है, खासकर बैंकिंग व्यवस्था, व्यापारिक विस्तार और बीमा कंपनियों के विकास के दृष्टिकोण से।
(ix) अच्छी सड़कों पर माल ढोने और यात्रा करने से समय और संचालन खर्च भी बचते हैं ।
(x) सड़क परिवहन से हथियारों से सुसज्जित सेनाओं को कम से कम समय में युद्धस्थल तक पहुँचाकर देश को विदेशी आक्रमणों से बचाया जाता है ।

प्रश्न 2. भारत के आर्थिक विकास में रेलों के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारत के आर्थिक विकास में रेलों का योगदान-
(i) लोग विभिन्न आर्थिक उद्देश्यों से दूर-दूर तक यात्रा करते हैं।
(ii) बीज, खाद और कई कृषि कारखानों से रेल खेतों तक पहुंचती है। किसान अपने उत्पादों को रेल से बाजारों और अन्य स्थानों पर बेचते हैं।
(iii) रेलवे उद्योग भी काफी महत्वपूर्ण है। सीमेंट, लोहा, इस्पात और अन्य भारी धातुओं को सिर्फ रेलें ढोती हैं। कारखानों में उत्पादित सामान को रेलें देश भर में बेचती हैं।
(iv) रेलें हमारे सैनिकों और सामान को स्थानांतरित करने में सहायक हैं।

प्रश्न 3. जनसंचार की विशेषताएँ बताइए ।

उत्तर- सामाजिक मीडिया से तुरंत प्रतिक्रिया मिलती है। टेलीविजन चैनल के दर्शकों में अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण, शिक्षित-अशिक्षित, पुरुष-स्त्री, युवा-बच्चे सभी शामिल हो सकते हैं। दर्शक किसी भी नगर या शहर से हो सकते हैं।
1. जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है।
2. जनसंचार के लिए एक औपचारिक संगठन की जरूरत पड़ती है।
जनसंचार माध्यमों से प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित और निर्धारित करने का कार्य अनेक लोग करते हैं। समाचारपत्र में संपादक, सहायक समाचार संपादक, उपसंपादक आदि ही यह तय करते हैं कि समाचारपत्र में क्या छपेगा, कितना छपेगा और किस तरह छपेगा। टी.वी. और रेडियो में भी कार्यकर्त्ताएं ही प्रसारित होने वाली सामग्री का निर्धारण करते हैं।

प्रश्न 4. आजादी के पश्चात भारत में विद्यमान विभिन्न चुनौतियों के प्रति समाचार-पत्र किस हद तक संवेदनशील हैं?
उत्तर – हमारे देश ने आजादी के बाद बेरोजगारी, आतंकवाद, शिक्षा, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय एकता के कई मुद्दे सामने आए हैं।
समाचार पत्रों पर विचार करते हुए हमें लगता है कि कई समाचार पत्र इन चुनौतियों के प्रति संवेदनशील हैं। राष्ट्रीय स्तर के समाचार-पत्र अपना काम कर रहे हैं। स्थानीय माफिया अक्सर क्षेत्रीय समाचार पत्रों को डराते हैं या उनसे लोभ में आते हैं। वे उनके प्रति उतने संवेदनशील नहीं होते, जितना होना चाहिए।

प्रश्न 5. टेलीविजन के माध्यम से जो परिवर्तन हो रहे हैं, उन पर रिपोर्ट लिखें।
उत्तर- सन् 1959 में भारत में ग्रामीणों को टेलीविजन कार्यक्रमों का प्रसारण करना शुरू किया गया था । हजारों टीवी सेटों पर तत्कालीन शैक्षिक प्रसारण सीधे हर दिन चार घंटे तक चलता था। समाचार, बच्चों और महिलाओं के कार्यक्रम, कृषि कार्यक्रम और मनोरंजन के कार्यक्रम प्रत्येक प्रसारण केंद्र में थे।

सरकार का फिल्म विभाग फिल्मों और वृत्तचित्रों को प्रदर्शित करता था और प्रत्येक सिनेमाघर में फिल्मों के प्रदर्शन से पहले इन्हें दिखाया जाता था ताकि लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास प्रक्रिया का पता चले। वर्तमान में अधिकांश चैनल हफ्ते में सातों दिन और दिन में चौबीसों घंटे प्रसारण करते हैं। TV ने सार्वजनिक बहस को बढ़ा दिया है। समाचारों का रूप अनौपचारिक और जीवंत होता जा रहा है। हिंदी और अंग्रेजी भाषी चैनलों की संख्या दोनों लगातार बढ़ती जा रही है।

क्षेत्रीय चैनल भी बढ़ रहे हैं, साथ ही यथार्थवादी (रिएलटी) शो, वार्ता, बॉलीवुड, पारिवारिक नाटक, खेल और मनोरंजन भी बढ़ रहे हैं। वास्तविक शो जैसे “कौन बनेगा करोड़पति” और “इंडियन आइडल” या “बिग बॉस” हर दिन लोकप्रिय होते जा रहे हैं। टेलीविजन कार्यक्रमों ने सामाजिक अश्लीलतावादी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है, लेकिन वे कई सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों को भी दूर करने की कोशिश भी की है।

प्रश्न 6. निजी टी.वी. चैनल व्यावसायिक सफलता हेतु कौन-से हथकंडे अपनाते हैं? उदाहरण द्वारा समझाइए ।
उत्तर- टी.वी. के निजी चैनल अपनी व्यावसायिक सफलता के लिए कई बार ऐसे कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं जिनसे सनसनी फैलती है। वे रहस्य को और गहरा करते हैं। कार्यक्रम को कई किश्तों में किया है। दिखाते हैं ताकि दर्शकों की उत्सुकता निरंतर बढ़ती चली जाए। चटपटे विशेषकर सेक्स संबंधी कार्यक्रम परोसकर वे अपनी रेटिंग बढ़ाते हैं। पिछले दिनों ‘स्टिंग ऑपरेशन’ द्वारा भी पर्दे के पीछे छिपे कई सभ्य
‘कृत्यों’ का भंडाफोड़ किया गया। अधिकांश टी.वी. चैनल कोई-न-कोई रहस्यात्मक कार्यक्रम दिखाने के चक्कर में रहते हैं।

प्रश्न 7. इंटरनेट मीडिया ने किस तरह दुनिया को आत्मसात कर लिया है?
उत्तर-इंटरनेट पत्रकारिता ने दुनिया को बहुत निकट ला दिया है। अब इंटरनेट की मदद से कहीं भी बैठा व्यक्ति किसी भी मुद्दे पर विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से सीधी बात कर सकता है। इसकी सहायता से गोष्ठियाँ, विचार-विमर्श, खुला मंच तक आयोजित किए जाते हैं। अब लोगों तक पहुँचना बहुत आसान हो गया है।

प्रश्न 8. उदारीकरण के पश्चात भारत में एफ. एम. स्टेशन के सामर्थ्य की चर्चा करें।
उत्तर – पत्र-पत्रिकाओं के बाद रेडियो ने ही दुनिया को सबसे अधिक प्रभावित किया।
1993 में फ्रिक्वेंसी मॉड्यूलेशन (FM) शुरू हुआ। रेडियो क्षेत्र में अब कई निजी कंपनियाँ आ गई हैं।
1997 में, आकाशवाणी और दूरदर्शन को केन्द्र सरकार के सीधे नियंत्रण से निकालकर एक स्वतंत्र निकाय, ‘प्रसार भारती’ को सौंप दिया गया। आज देश के 90 शहरों में 350 से अधिक निजी FM चैनल हैं।
टीवी, इंटरनेट और अन्य जनसंचार माध्यमों के प्रचलन से रेडियो की लोकप्रियता या उपयोगिता में कमी अवश्य आई है, लेकिन यह खत्म नहीं हो रहा है। अन्य साधन भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में पहुँच नहीं पा सकते हैं, और विद्युत आपूर्ति की उचित व्यवस्था भी नहीं है। वहाँ रेडियो प्रमुख है।

प्रश्न 9. विविध भारती’ को आकाशवाणी में कब शामिल किया गया तथा आकाशवाणी को इससे क्या फायदा पहुँचा ?
उत्तर – समाचार प्रसारणों के अलावा आकाशवाणी का एक लोकप्रिय चैनल ‘विविध भारती’ था, जो श्रोताओं के अनुरोध पर फिल्मी गानों का प्रसारण करता था। 1957 में आकाशवाणी ने लोकप्रिय चैनल ‘विविध भारती’ को अपने साथ जोड़ा। शीघ्र ही इस चैनल पर गानों के अलावा कार्यक्रमों और विज्ञापनों का प्रसारण होने लगा, जिससे “विविध भारती” आकाशवाणी के लिए आय का साधन बन गया।

प्रश्न 10. टेलीविजन के परिवर्तित माध्यम की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर- आज टेलीविजन मनोरंजन और जनसंचार का सबसे लोकप्रिय और प्रभावी माध्यम बन गया है। दृश्य-श्रव्य माध्यमों में सबसे विश्वसनीय है। 15 अगस्त 1965 को भारत में नियमित टीवी सेवा शुरू हुई। 1975 तक टीवी सेंटर दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर, अमृतसर, कोलकाता, चेन्नई और लखनऊ में खुले। 1 अप्रैल, 1976 से इसे आकाशवाणी से अलग करके ‘दूरदर्शन’ कहा गया। 1984 में इसकी रजत जयंती मनाई गई।

दूरदर्शन ने सूचना, शिक्षण और मनोरंजन क्षेत्र में बहुत कुछ किया है। यह पहले सरकारी नियंत्रण में था, इसलिए यह अपनी निष्पक्ष छवि नहीं बना पाया। अब इसकी छवि काफी सुधार है। 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान दुनिया भर के लोगों ने युद्ध का प्रत्यक्ष प्रसारण किया। भारत में करीब दो दशक तक एकमात्र दूरदर्शन चैनल का आनंद लोगों ने लिया है। शुरुआती कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय हुए क्योंकि दूसरे विकल्प नहीं थे। भारत में इसके बाद निजी टीवी चैनलों की शुरुआत हुई। प्रसारण भी विदेशी चैनलों को मिल गया।

निजी चैनल भारत में टेलीविजन का असली विस्तार थे। GTV और Star TV ने 1993 में एक समझौता किया। जी न्यूज और स्टार न्यूज इसके बाद समाचार पत्रों में आए। 2002 में ‘आज तक’ का स्वतंत्र चैनल शुरू हुआ। इसके बाद समाचार चैनलों में तूफान आया। आज पूरे भारत में 200 से अधिक चैनल हैं। हर दिन नए चैनल आते हैं।

प्रश्न 11. जनसंचार के साधनों ने हमारी संस्कृति को कैसे प्रभावित किया है?
उत्तर- भारतीय संस्कृति का मूल प्राचीन रिवाजों और परंपराओं पर है। आज भी हमारी संस्कृति सदियों पुरानी संस्कृति से प्रभावित है। लेकिन आजकल मीडिया ने हमारी संस्कृति को बदल दिया है। जनसंचार ने भारतीय संस्कृति पर प्रभाव डाला है। संस्कृति के भौतिक या अभौतिक हिस्से बदल रहे हैं। आजकल सांस्कृतिक परिवर्तन जनसंचार के माध्यम से बहुत तेजी से हो रहे हैं। समाचार पत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं लोगों तक पहुंचती हैं। समाचार पत्र अब हमारे जीवन का एक हिस्सा हैं। समाचार पत्र आज एक आवश्यकता बन गए हैं। समाचार पत्र शहरों और गांवों में भी लोकप्रिय हैं। समाचार पत्र लोगों की विरोध प्रकट करता है।

जनमत को भी समाचार पत्र बनाते हैं। तैयार करते हैं और समाज में सृजनात्मक काम भी करते हैं। भ्रष्टाचार, परिवार नियोजन, बाढ़, भूखमरी, सूखा और अन्य समस्याओं के बारे में जनता को जागरूक करने के साथ-साथ प्रसारण और टेलीविजन भी लोगों को उनके लाभ के लिए जानकारी देते हैं। स्त्री को पुरुषों के बराबर का दर्जा मात्र जनसंचार ने दिया है। लोगों को मनोरंजन भी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से मिलता है। आधुनिक जनसंचार माध्यमों ने भी नई सांस्कृतिक चुनौतियों को जन्म दिया है।

इनसे सांस्कृतिक बदलाव होता है। शहरों और गांवों में एक नया मध्यम वर्ग पैदा हो रहा है, जो हर जगह मौजूद है। पिछड़े वर्गों में एक नवीन चेतना पैदा हुई है। दलितों ने भी अपनी आवाज़ उठाई है। मध्यम वर्ग, जो जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहता है, शहरों में भी आ गया है। अलग-अलग संस्कृतियों का आदान-प्रदान जनसंचार के साधनों से हुआ है। आज दुनिया भर में अलग-अलग देशों की संस्कृति को देखने और ग्रहण करने का एकमात्र साधन मीडिया है। इस तरह जनसंचार ने संस्कृति को काफी प्रभावित किया है।

प्रश्न 12. मुद्रित संचार के विभिन्न माध्यमों का वर्णन करो।
उत्तर – मुद्रित संचार जनसंचार के कई माध्यमों में से एक है। शाब्दिक रूप से, मुद्रित संचार प्रेस भी कहलाता है। इसमें समाचार पत्र और पत्रिकाएं शामिल हैं। 2001 में 51960 समाचार पत्र तथा पत्रिकाएं भारत में प्रकाशित हुईं। इस वर्ष 18582 साप्ताहिक, 6881 पाक्षिक, 14634 मासिक, 3634 त्रैमासिक, 469 वार्षिक और 1774 अन्य पत्र-पत्रिकाएं छप रही थीं, जो 5638 दैनिक और 348 सप्ताह में दो या तीन बार प्रकाशित होती थीं। हिंदी सबसे लोकप्रिय भाषा है। समाचार पत्र कश्मीरी को छोड़कर सभी प्रमुख भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। उत्तर प्रदेश में 8400 से अधिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश इसके बाद आते हैं। दैनिक समाचारों में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। महाराष्ट्र और कर्नाटक दूसरे स्थान पर हैं। 1882 से गुजराती में छपने वाला बंबई समाचार सबसे पुराना अखबार है।मुद्रित संचार क्षेत्र में कई समाचार एजेंसियां हैं, जो निम्नलिखित हैं:

1. प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया – यह समाचार एजेंसी समाचार पत्रों को टेलीप्रिंटर से समाचार देती है। भारत में इसकी सबसे बड़ी समाचार पत्रिका है। 1947 में बनाई गई इस संस्था ने फरवरी, 1949 से काम करना शुरू किया। यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कार्य करता है। अब यह कई समाचार पत्रों को समाचार देने के लिए अपनी उपग्रह प्रणाली भी है।

2. दि रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स इंडिया- इसी एजेंसी समाचार पत्रों को अखबारी कागज देती है। 1956 में इसका उद्घाटन हुआ था। सरकारी कोटे से कागज लेने के लिए पत्र-पत्रिकाओं को RN.I. में पंजीकरण कराना पड़ता है। यह संस्था बहुत महत्वपूर्ण काम करती है।

3. यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया – 1961 में यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया का 76 समाचार ब्यूरो बनाया गया था। यह एशिया में सर्वश्रेष्ठ समाचार पत्रों में से एक है। 1981 में हिंदी यूनिवर्सिटी शुरू हुई। 1991 में, इसने टेलीप्रिंटर की मदद से भी उर्दू समाचार देना शुरू किया।

4. प्रेस सूचना ब्यूरो- ब्यूरो सरकारी योजनाओं, नीतियों और उपलब्धियों की जानकारी देने वाली प्रमुख संस्था है। इसके मुख्यालय के अलावा नौ कार्यालय हैं। दिल्ली इसका मुख्यालय है। इसके अन्य कार्यालय मुंबई, चेन्नई, लखनऊ, कोलकाता, गुवाहाटी, भोपाल और हैदराबाद में हैं। इनके प्रत्येक केंद्र में दूरसंचार केंद्र, संवाददाता कक्ष और कैफेटेरिया की सभी सुविधाएं हैं।

5. प्रेस काऊंसिल ऑफ इंडिया- प्रेस परिषद् की स्थापना समाचार पत्रों की आजादी की रक्षा के लिए तथा भारत में समाचार पत्रों तथा एजेंसियों के स्तर को बनाए रखने के लिए तथा उनमें सुधार करने के लिए की गई है।

प्रश्न 13. शिक्षा के क्षेत्र में जनसंचार के माध्यमों का क्या योगदान है ?
उत्तर – जनसंचार ने शिक्षा क्षेत्र में बहुत कुछ किया है। दिल्ली दूरदर्शन पर यूजीसी के कार्यक्रम बच्चों को शिक्षा देते हैं। इसके अलावा, बच्चों के लिए निरंतर पाठ्यक्रम भी चलते रहते हैं। युवाओं को दूरदर्शन पर उच्च शिक्षा के कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग लगातार कार्यक्रमों का प्रसारण करता रहता है। Discovery, National Geographics और History जैसे मनोरंजक और ज्ञानवर्धक चैनलों पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों का इतिहास बताया जाता है, जो सभी को उपयोगी है। इस तरह अखबार और पत्रिकाएं भी बच्चों और युवाओं को शिक्षित करने में काफी मदद करती हैं। शिक्षा क्षेत्र में जनसंचार ने ऐसा ही किया है।

प्रश्न 14. जनसंचार का क्या अर्थ है? इसके समाज पर कौन-कौन से सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं ?
उत्तर – 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में जन संचार के साधनों में वृद्धि हुई। साथ ही भारतीय राजनीतिक व सामाजिक स्थिति भी परिवर्तित हुई। वर्तमान समय में जनसंपर्क और जनसंचार के माध्यमों ने देश में फैली विभिन्नताओं में काफी कमी लाई है।

जनसंचार का अर्थ – “जन” शब्द संचार में एक समुदाय, समूह या देश के आम नागरिकों को संदर्भित करता है। दूसरे शब्दों में आम जनता यही कारण है कि जनसंचार संपूर्ण जनता से जुड़ा होता है, जो इसे संचार के दूसरे साधनों से अलग बनाता है। जन संचार विभिन्न माध्यमों से लोगों को जानकारी देना है। समाचार पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, दूरदर्शन और फिल्मों सहित मुद्रित सामग्री जन संचार का तात्पर्य है। भारतीय समाज में जनसंचार: जनसंचार ने सूचनाओं को जनता तक पहुंचाया है। कई महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन संचार प्रक्रियाओं ने समाज में बहुत कुछ बदल दिया है। संचार प्रक्रियाओं का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव होता है, जो निम्नलिखित हैं: सकारात्मक काम या असर-निम्नलिखित क्षेत्रों में संचार कार्यों का लाभ उठाया जा सकता है:

1. मनोरंजनात्मक कार्य – मनोरंजन संचार का प्रमुख कार्य है। इसके अलावा जन संचार के माध्यम से सूचना भी प्राप्त करते हैं। स्थानीय कार्यक्रमों, खेलकूद, स्वास्थ्य एवं अपराधों के बारे में सूचना अर्जित करने में भी संचार एक माध्यम के रूप में व्यक्तियों की सहायता करता है। टेलीविजन के माध्यम से भी जनता अपने स्थानीय चैनल के द्वारा मनोरंजनपूर्ण कार्यक्रमों को देखती है। सीखने की प्रक्रिया है। वर्तमान में बच्चों के समाजीकरण में भी

2. समाजीकरण की प्रक्रिया में सहायक – समाजीकरण संचार की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। परिवार, पड़ोस, विद्यालय समाजीकरण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण एजेंसियों के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। लेकिन आधुनिक समय में बच्चों के व्यवहार के ऊपर जनसंचार का प्रभाव सबसे अधिक पड़ रहा है। संस्कृति का आधार है। यही एक ऐसा माध्यम है जिनके आधार पर

3. सांस्कृतिक निरंतरता में सहायक – जनसंचार ने हमारी संस्कृति को जीवित रखा है। पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव आज हमारे पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों को कम कर रहा है। शास्त्रीय संगीत और धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से इन तत्वों को आम लोगों तक पहुंचाया जाता है। दूरदर्शन और रेडियो कार्यक्रम लोगों तक पहुंचते हैं। रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों को लोगों को पढ़ाया जाता है, जो उनका ज्ञान बढ़ाता है। भारतीय संस्कृति, मूल्यों, विश्वासों, परंपराओं, योग और ध्यान के तरीकों को करोड़ों लोगों ने आस्था और संस्कार जैसे चैनलों से भी प्राप्त किया है। जनसंचार ने आधुनिकता को प्राचीन भारतीय संस्कृति से जोड़ा है।

4. दैनिक घटनाओं की सूचना में सहायक– जनसंचार माध्यम दैनिक घटनाओं को बताता है। इससे स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे जान सकते हैं। इसमें राजनीतिक घटनाओं, मौसम, प्राकृतिक विपदाओं, भ्रष्टाचार और हिंसा की जानकारी भी दी जाती है।

नकारात्मक कार्य – सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाने का एक माध्यम है जन संचार । जनसंचार का समाज पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है, जो निम्नलिखित है।

1. जनसंचार सूचना को व्यक्तियों तक पहुंचाने का एक माध्यम इत्यादि साधनों से है, पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, दूरदर्शन तथा फिल्म जिनके माध्यम से जनता तक सूचनाओं को पहुंचाया जाता है।

भारतीय समाज में जनसंचार-जन संचार ने भारतीय समाज में कई महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। संचार के इन कार्यों ने समाज में कई परिवर्तन किये हैं। संचार के कार्यों का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ता है जो निम्नलिखित हैं-

सकारात्मक कार्य या प्रभाव – संचार के कार्यों का सकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों में देखा जा सकता है-

1. मनोरंजनात्मक कार्य – मनोरंजन में संचार प्रमुख है। इसके अलावा जनसंचार से ज्ञान भी प्राप्त करते हैं। संचार भी लोगों को स्थानीय कार्यक्रमों, खेलकूद, स्वास्थ्य सेवाओं और अपराधों के बारे में जानने में मदद करता है। जनता भी स्थानीय चैनलों पर मनोरंजनपूर्ण कार्यक्रम देखती है।

2. समाजीकरण की प्रक्रिया में सहायक – समाजीकरण सीखना है। आजकल संचार बच्चों को समाजीकरण में भी महत्वपूर्ण है। विद्यालय, परिवार और पड़ोस समाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन आजकल जनसंचार बच्चों का व्यवहार सबसे अधिक प्रभावित करता है।

3. सांस्कृतिक निरंतरता में सहायक– भारतीय संस्कृति जनसंचार से प्रेरित है। यह एक ऐसा माध्यम है जो हमारी संस्कृति को जीवित रखता है। पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव आज हमारे पारंपरिक सांस्कृतिक मूल्यों को कम कर रहा है। जनता को इन तत्वों को बताकर पुरानी संस्कृति से परिचित कराया जाता है। शास्त्रीय संगीत और धार्मिक कार्यक्रम दूरदर्शन और रेडियो पर प्रसारित किए जाते हैं। रामायण, महाभारत आदि कहानियां जनता को पढ़ाई जाती हैं। भारतीय संस्कृति, मूल्यों, विश्वासों, परंपराओं, योग और ध्यान के तरीकों को करोड़ों लोगों ने आस्था और संस्कार जैसे चैनलों से भी प्राप्त किया है। जनसंचार ने आधुनिकता को प्राचीन भारतीय संस्कृति से जोड़ा है।

4. दैनिक घटनाओं की सूचना में सहायक– दैनिक घटनाओं को जनसंचार से अवगत कराया जाता है। इससे स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक मामलों की जानकारी मिलती है। इसके साथ ही राजनीतिक घटनाओं, मौसम, प्राकृतिक विपदाओं, भ्रष्टाचार और हिंसा की जानकारी भी मिलती है।

नकारात्मक कार्य – सूचनाओं को लोगों तक पहुंचाने का एक माध्यम है जन संचार । जनसंचार का समाज पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है, जो निम्नलिखित है।

1. जनसंचार सूचना को व्यक्तियों तक पहुंचाने का एक माध्यम रूप में विकसित हो गया है । यातायात के साधनों ने आर्थिक तथा सामाजिक गतिविधियों को तीव्र कर दिया है। वर्तमान समय में मानव की गतिविधियां व अन्तर्राष्ट्रीय जगत में श्रेय यातायात के साधनों को जाता है ।

प्रश्न 17. कम्प्यूटरों ने संचार के क्षेत्र में किस प्रकार मदद की है?
उत्तर – 20वीं शताब्दी के मध्य में कम्प्यूटर का विश्वव्यापी आगमन हुआ। इससे संचार क्षेत्र में बदलाव आया है। आज कम्प्यूटर जीवन के कई क्षेत्रों में सफलतापूर्वक प्रयोग किया जाता है। मुद्रण-व्यापार, मौसम विभाग, उपग्रह और समुद्री मौसम केन्द्रों से आंकड़ों का संकलन करने में कंप्यूटर का बहुत उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, कंप्यूटर को रेलवे और वायुयान की समय-सारिणी और टिकटों की खरीद में भी उपयोग किया जाता है । चिकित्सा क्षेत्र में, विशेष रूप से शल्य-चिकित्सा में, कंप्यूटर का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है।

प्रश्न 18. संचार के साधानों में सुधार ने किस प्रकार मानव जीवन को प्रभावित किया है?
उत्तर- मानवीय गतिविधियों को संचार साधनों ने यातायात के साधनों के बाद बहुत बदल दिया है। आज संचार के साधनों के विकास से पूरा विश्व एकसूत्र में बंध गया है। समाचार पत्र और पत्रिकाएं पहले संकेत और चिह्न थे। छापेखाने के आविष्कार ने संचार के साधनों को बदल दिया। अब लाउडस्पीकर, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, केबिल रहित दूरभाष, दूरदर्शन, टेलीप्रिंटर, फैक्स और उपग्रहों के माध्यम से पूरी दुनिया संचार के सूत्रों से जुड़ गई है। संचार के साधनों ने मानवीय विकास को बहुत तेज कर दिया है और मानवीय गतिविधियों का क्षेत्र बहुत बड़ा हो गया है। आज दुनिया भर में होने वाली किसी भी घटना के बारे में पलक झपकते ही खबर मिलती है। वास्तव में, आज की सभ्यता को संचार के साधनों ने बनाया है।

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