NIOS Class 10 Social Science Chapter 10 जलवायु
NIOS Class 10 Social Science Chapter 10 Solution Climate – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अध्याय 10 (जलवायु) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 10 Social Science Chapter 10 Climate दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आपNIOSClass 10 Social Science Chapter 10 जलवायु के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Social Science Chapter 10 Solution – जलवायु
प्रश्न 1. जलवायु को प्रभावित करने वाले किन्हीं पाँच कारकों का वर्णन कीजिए। प्रत्येक कारक के लिए एक उदाहरण की सहायता के साथ व्याख्या करें।
उत्तर – भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले पाँच कारक निम्नलिखित है-
1. कर्क रेखा की स्थिति – कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य से गुजरती है । यह भारत को दो भागों में विभाजित करती है – (i) उत्तरी भारत और (ii) दक्षिणी भारत ।
उत्तरी भारत की जलवायु उपोष्ण कटिबन्धीय है। किंतु यह जलवायु हर जगह एक समान नहीं है। इस क्षेत्र के पश्चिम में ग्रीष्म ऋतु बहुत गर्म होता है और शीत ऋतु बहुत ठंडी होती है। पूर्व में अधिक गर्मी और ठंड है। दक्षिणी भारत का मौसम उष्ण कटिबन्धीय है । तापमान और आर्द्रता इस क्षेत्र में बहुत नहीं बदलती।
2. हिमालय पर्वत की स्थिति – हिमालय पर्वत की विशाल तथा ऊँची श्रेणियाँ भारत के उत्तर में स्थित हैं । यह उत्तर से आने वाली शीत पवनों से भारत की रक्षा करता है और वर्षा ऋतु में दक्षिणी-पूर्वी मानसून पवनों को रोककर वर्षा कराता है ।
3. भूमि का उच्चावचन – यहाँ का उच्चावचन भी भारत की जलवायु पर काफी प्रभाव डालता है। प्रायद्वीप पर दिन गर्म होता है, रात शीतल होती है। भूमध्य रेखा से बहुत दूर नहीं होने पर भी पर्वतीय नगरों की जलवायु अच्छी है। ग्रीष्म ऋतु में सुहावनी जलवायु के केन्द्र उत्तर में शिमला, मसूरी तथा नैनीताल हैं, जबकि दक्षिण में ऊटकमंडलम शहर है।
4. तट रेखा – भारत की तट रेखा लंबी है, इसलिए इसके तटीय क्षेत्र काफी विस्तृत हैं। इन क्षेत्रों की जलवायु समुद्री प्रभाव से समान है, लेकिन उत्तरी भारत समुद्र से दूर होने के कारण इसके प्रभाव से दूर है। इसलिए यह क्षेत्र महाद्वीपीय जलवायु का अनुभव करता है।
5. धरातलीय पवनों की दिशा – जाड़े के मौसम में शुष्क ठंडी और पवनी जगहों से समुद्र की ओर चलते हैं, जिससे भारत के अधिकांश हिस्सों में वर्षा नहीं होती। गर्मी की ऋतु में हवायें समुद्र से स्थल की ओर चलने लगती हैं, जिससे इन वाष्प भरी पवनों से भारत के अधिकांश हिस्से में वर्षा होती है।
प्रश्न 2. जलवायु और मौसम के बीच अंतर बताइए ।
उत्तर- मौसम के चार अलग रूप हैं: धूप, हवा, वर्षा और बर्फ। विभिन्न कारकों, जैसे धूप की गर्मी, हवा की नमी, बादल की उपस्थिति, हवा की गति और दिशा, मौसम को प्रभावित करते हैं। हमारे जीवन में मौसम का बहुत महत्त्व है क्योंकि यह हमारे जीवन को प्रभावित करता है। जलवायु शब्द किसी जगह के वातावरण को बताता है। इस शब्द का अर्थ मौसम है। जबकि मौसम छोटे क्षेत्रों के लिए उपयोग होता है, जलवायु बड़े भूखण्डों के लिए ही उपयोग होता है। जैसे आज से तीस हजार साल पहले पृथ्वी की जलवायु आज से तीस हजार साल पहले की अपेक्षा गर्म थी । किंतु आज से तीस हजार साल पहले पृथ्वी का मौसम आज की अपेक्षा अधिक गर्म था कहना गलत होगा।
प्रश्न 3. पवनें और उनकी दिशा जलवायु को कैसे प्रभावित करती हैं? उदाहरण देकर व्याख्या करें।
उत्तर- मानसून पवनें मौसम बदलने के साथ अपनी दिशा बदलती हैं। मानसून की उत्पत्ति के बारे में हमारी जानकारी अभी भी बहुत कम है। विषुवत् वृत के दक्षिण और उत्तर में शुष्क व्यापारिक पवनें हैं । भारत का अधिकांश हिस्सा उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनों की पेटी में है। शीतकाल में इन पवनों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, लेकिन ग्रीष्मकाल में कुछ खास मौसमी घटनाएं भारतीय उपमहाद्वीप और उत्तरी हिन्द महासागर में होती हैं । ग्रीष्मकाल में निम्न विषुवतीय दाब की पेटी उत्तर की ओर खिसकती है। इसके परिणामस्वरूप, दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक नदियों ने विषुवत वृत्त को पार किया है। इनकी दिशा उत्तर में आते ही दक्षिणी-पश्चिमी हो जाती है। आजकल भारत के अधिकांश भाग में ये पवनों को निम्नलिखित अपदाब आकर्षित करते हैं। इस तरह, दक्षिणी-पश्चिमी पवन ही द.प. मानसून बनाते हैं। ये शुद्धता से भरपूर हैं।
प्रश्न 4. मानसून की परिभाषा लिखिए। व्यापारिक पवनों के विपरीत दिशा में चलने के मुख्य कारण को पहचानिए ।
उत्तर- मानसून शब्द अरबी भाषा के मौसिम शब्द से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है – मौसम या ऋतु । वर्ष के दौरान पवनों की दिशा में ऋतुवत परिवर्तन ही मानसून कहलाता है। भारत में पीछे हटते मानसून की ऋतु अक्तूबर तथा नवम्बर के महीने में रहती है । इस ऋतु की तीन विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. इस ऋतु में मानसून का निम्न वायुदाब का गर्त कमजोर पड़ जाता है और उसका स्थान उच्च वायुदाब ले लेता है ।
2. भारतीय भू-भागों पर मानसून का प्रभाव क्षेत्र सिकुड़ने लगता है ।
3. पृष्ठीय पवनों की दिशा उलटनी शुरू हो जाती है । आकाश स्वच्छ हो जाता है और तापमान फिर से बढ़ने लगता है ।
प्रश्न 5. शीत ऋतु की कोई चार विशेषताएं बताइए ।
उत्तर- दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीनों में लगभग पूरे भारत में शीत ऋतु होती है । उस समय उत्तरी क्षेत्रों में उच्च वायुदाब है। इस ऋतु में देश के ऊपर उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनें चल रहे हैं। ये स्थान से देश के अधिकांश हिस्सों में समुद्र की ओर चलती हैं । यह ऋतु बहुत शुष्क है। तापमान इस ऋतु में दक्षिण से उत्तर की ओर गिरता जाता है। शीत ऋतु में रातें ठंडी होती हैं । उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में क्षीण वायुदाब का विकास होता है। यहां से बाहर पवनें 3 से 5 किमी. की गति से चलने लगती हैं। यह ऋतु बहुत सुखद है। यह ऋतु स्वच्छ आकाश, कम तापमान और आर्द्रता, शीतल मंद समीर और वर्षा रहित दिनों से परिचित है।
कभी-कभी इस सुहावने मौसम में कमजोर चक्रवातीय अपदाब आते हैं जिससे समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह पश्चिमी विक्षोभ भी कहलाता है। इनका मूल भूमध्य सागर है। इन्हीं विक्षोभों से उत्तरी भारत में हल्की वर्षा होती है। यह रबी की फसल गेहूँ के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, हालांकि इसमें बहुत कम वर्षा होती है। इन्हें पार करने के बाद कभी-कभी शीत लहर आती है। शीत लहर सामान्य तापमान में पांच डिग्री से अधिक की गिरावट है।
प्रश्न 6. ग्रीष्म ऋतु के मौसम के किन्हीं चार मुख्य विशेषताओं की सूची बनाइए ।
उत्तर – ग्रीष्म ऋतु मार्च से मई तक रहता है। जब सूर्य उत्तरायण होता है, तो तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता है। निम्नलिखित वायुदाब केंद्र एशिया में बनते हैं। मार्च में दक्कन के पठार में 38° सेंटीग्रेड का सर्वोच्च तापमान होता है। यही कारण है कि देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में तापमान 45° से 48° तक पहुँच जाता है। मई में उच्च तापमान के कारण थार मरुस्थल से छोटा नागपुर तक वायुदाब कम हो जाता है। इस कम दाब के कारण अरब सागर से नमी वाली हवाएँ इस कम दाब वाले क्षेत्र की ओर बढ़ती हैं, जिससे स्थानीय तूफान, मूसलाधार वर्षा और ओले होते हैं । उत्तर-पश्चिम के शुष्क क्षेत्रों में इस ऋतु में लू आने लगता है। कभी-कभी सायंकाल में धूल भरी आंधियाँ भी आती हैं।
प्रश्न 7. उदाहरण देकर भारत में वैश्विक तापन के प्रभाव समझाइए | इसके क्या कारण हैं?
उत्तर- वर्तमान में वैश्विक तापन को गंभीर पर्यावरणीय समस्या माना जा रहा है। इसके प्रभाव इस प्रकार हैं- वैश्विक तापन से ध्रुवीय क्षेत्रों तथा पर्वतीय हिमनदों के पिघलने से समुद्री जल स्तर के ऊपर उठने का भय रहता है। वैश्विक तापन से भौगोलिक बदलावों के साथ-साथ जैवमण्डल भी काफी प्रभावित हो रहा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान के कारण जैव-विविधता के नष्ट होने का खतरा है। वैश्विक तापन के कारण अनेक प्राकृति आपदाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। वैश्विक तापन के कारण जीवन की ऊर्वरता घटने की आशंका रहती है। उसका फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वैश्विक तापन के कारण मानव स्वास्थ्य को भी भयंकर खतरा है। जलवायु में बदलाव के कारण कई जलजनित और कीटाणुजनित रोगों के फैलने का खतरा रहता है।
जलवायु के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. वर्षा – वितरण के अनुसार भारत को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर- डॉ. स्टैम्प ने वर्षा के वितरण की दृष्टि से भारत को निम्नलिखित भागों में बांटा है-
(1) अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्र – इसके अन्तर्गत वे क्षेत्र आते हैं, जिनमें वर्षा का वार्षिक औसत 200 सेमी. से अधिक है । इसमें मेघालय, अरुणाचल, पश्चिमी बंगाल का उत्तरी भाग एवं पश्चिमी घाट आते हैं ।
(2) अधिक वर्षा वाले क्षेत्र – जिन भागों में वर्षा का वार्षिक औसत 100 से 200 सेमी. है। इस क्षेत्र में आते हैं- पश्चिमी बंगाल, बिहार, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश का उत्तरी भाग, तमिलनाडु तथा पश्चिमी घाट ।
(3) मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र – इस क्षेत्र के अन्तर्गत वे क्षेत्र आते हैं जहाँ वर्षा 50 से 100 सेमी. होती है । ऐसे औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में राजस्थान, उ.पू., कश्मीर, कच्छ का रन, तथा उ. पू. गुजरात आते हैं । इन भागों में अधिकतर सूखा पड़ता है ।
प्रश्न 2. भारत की जलवायु पर तापमान, वर्षा और उच्चावच का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – (1) तापमान में विविधता – जलवायु तापमान से बहुत प्रभावित होती है। इसलिए तापमान में बदलाव जलवायु में भी बदलाव लाता है। उदाहरण: शुष्क राजस्थान और दक्षिणी पंजाब में दिन का तापमान 55° सेल्सियस होता है। इसके विपरीत, शीतकाल में कारगिल के निकट द्रास में रातों में तापमान -45° सेल्सियस तक गिर जाता है ।
(2) वर्षा में विविधता – भारत में वर्षा में भिन्नता भी जलवायु में है । जैसे चेरापूँजी में भारत में सबसे अधिक वर्षा 1141 सेंटीमीटर हुई है। राजस्थान में औसत वार्षिक वर्षा 20 सेंटीमीटर है, यानी चेरापूँजी में एक दिन में होने वाली वर्षा आठ वर्षों में भी अरावली पर्वत के पश्चिम में नहीं होती।
(3) उच्चावच के लक्षणों में विविधता – भारत में कई स्थान समुद्र तट से सैकड़ों किमी दूर हैं, जबकि कुछ स्थान पूरी तरह से निकट हैं। उदाहरण के लिए, कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई समुद्र तट पर हैं । इन पर समुद्री जलवायु का असर होता है। इसके विपरीत, देश के भीतरी इलाकों में, जैसे दिल्ली, कानपुर, अमृतसर, जैसे स्थानों पर जलवायु विषम है। जून में जलवायु/95 में मुम्बई में तापमान 24° से 31° सेल्सियस तक रहता है, जबकि दिल्ली में 28° से 40° तक रहता है। इसी तरह, समुद्रतल से अधिक ऊँचे स्थानों में तापमान कम होता है। इसका परिणाम यह है कि प्रत्येक 165 मी0 की ऊँचाई पर तापमान 1° सेल्सियस गिर जाता है। इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में ठंड अधिक होती है और तापमान कम होता है।
प्रश्न 3. भारत की वर्षा ऋतु व शरद ऋतु का वर्णन कीजिए।
उत्तर- वर्षा ऋतु – जून से सितंबर तक वर्षा होती है । यह समय दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों का समय है। इस ऋतु में मानसून पवनें बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से भारत के उत्तरी भागों की ओर चलती हैं। इससे पूरे उत्तरी भारत में बहुत वर्षा होती है। अरब सागरीय मानसून शाखा पश्चिमी तट पर बहुत वर्षा करती है, लेकिन जैसे-जैसे हवाएँ उत्तर की ओर बढ़ती हैं, वर्षा कम होती जाती है। इसी तरह असम की पहाड़ियों में बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा से बहुत वर्षा होती है। इनमें चेरापूँजी क्षेत्र अधिक वर्षा के लिए प्रसिद्ध है। वर्षा कम होती जाती है जब ये मानसून पवनें पश्चिम की ओर बढ़ते हैं। जब ये मानसून पवनें आवश्यकता से अधिक वर्षा करते हैं, तो नदियों में बाढ़ आती है, इसलिए भारत की मानसून वर्षा को “मानसून पवनों का जुआ” कहते हैं, जो शरद ऋतु में होता है। अक्टूबर से नवंबर तक चलेगा। यही कारण है कि मानसून की पवनें धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। ये मध्य सितंबर तक पंजाब से निकलते हैं, अक्टूबर के अंत तक गंगा के डेल्टा से निकलते हैं, और नवंबर के शुरू में दक्षिणी क्षेत्र को छोड़ देते हैं। मानसून के हटने पर आकाश स्पष्ट हो जाता है। और तापमान फिर से बढ़ने लगता है। तापमान अक्टूबर के अंत में जल्दी गिरने लगता है। यह मौसम है। में तमिलनाडु तट पर वर्षा होने लगती है और बंगाल की खाड़ी में एक बार फिर चक्रवात पैदा होता है।
प्रश्न 4. उत्तर-पूर्वी मानसून तथा पीछे हटते मानसून में अंतर बताइये ।
उत्तर – शीत ऋतु में देश के उत्तरी भाग में उच्च वायुदाब बनने के कारण उत्तर-पूर्वी मानसून पवनों से समुद्र की ओर चलने लगता है। उत्तर-पूर्वी मानसून के ये पवन हैं। ये पवनें शुष्क हैं और वर्षा नहीं होती है। पीछे हटता मानसून: अक्तूबर और नवंबर के महीनों में भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून पीछे हटने लगता है। यह ‘पीछे हटता मानसून’ है। देश में कम वर्षा होती है क्योंकि इन पवनों में कम जलवाष्प होता है।
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