NIOS Class 10 Psychology Chapter 7. चिन्तन और समस्या समाधान
NIOS Class 10 Psychology Chapter 7 चिंतन और समस्या समाधान – NIOS कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10th मनोविज्ञान अध्याय 7 (चिंतन और समस्या समाधान) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 10 Psychology Chapter 7. Thinking and Problem Solving की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 10 Psychology के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .
NIOS Class 10 Psychology Chapter7 Solution – चिंतन और समस्या समाधान
प्रश्न 1. चिन्तन क्या है?
उत्तर – चिन्तन को एक ऐसी जटिल मानसिक प्रक्रिया के रूप में समझा जाता है जिसमें सूचनाओं का बड़ी कुशलता से प्रयोग होता है। इसके अतिरिक्त चिन्तन एक रचनात्मक प्रक्रिया भी है, जो किसी वस्तु या घटना से प्राप्त सूचना को नवीन रूप में रूपान्तरित करने में हमारी सहायता करती है।
प्रश्न 2. चिन्तन के विभिन्न घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर – चिन्तन के विभिन्न घटक हैं- संकल्पना और तर्क ।
प्रश्न 3. समस्या के समाधान को परिभाषित कीजिए । समस्या समाधान के दो प्रकारों पर चर्चा कीजिए ।
उत्तर- हम दैनिक जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं, जिनका समाधान करना आवश्यक होता है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए हम सभी प्रकार के संसाधनों का प्रयोग करते हैं। समस्या का समाधान निकालने में हमारा चिन्तन निर्देशित तथा केन्द्रित होना चाहिए। समस्या समाधान के दो प्रकार हैं – मध्यमान – अन्त: विश्लेषण तथा कलन विधि |
प्रश्न 4. समस्या को सुलझाने में मनःस्थिति की भूमिका पर चर्चा कीजिए |
उत्तर – किसी भी समस्या को सुलझाने में मनःस्थिति की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। हमारी मनःस्थिति समस्या को उसी रूप में सुलझाने का प्रयास करती है, जिस फिर प्रकार से उसने पहली समस्याओं का सुलझाया है। इसका परिणाम यह होता है कई बार समस्या सुलझ जाती है और कई बार समस्या नहीं सुलझती ।
प्रश्न 5. सृजनात्मकता क्या है? एक सृजनात्मक व्यक्ति के संभावित लक्षण क्या-क्या हैं?
उत्तर- चिन्तन द्वारा नये-नये तरीकों की खोज, जिसमें समस्या का हल भी शामिल सृजनात्मकता कहलाती है । स्वग्राही, प्रभावी, आवेगी तथा जटिलताओं को पसन्द करना सृजनात्मक व्यक्ति के लक्षण हैं।
प्रश्न 6. सृजनात्मक चिन्तन के चरणों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर – सृजनात्मक चिन्तन के चरण हैं- तैयारी, उद्भव, प्रदीप्ति, मूल्यांकन तथा पुनरीक्षण |
प्रश्न- 7 निर्णय लेना और निश्चय में क्या अन्तर है ? संक्षेप में चर्चा कीजिए ।
उत्तर –निर्णय लेना समस्या को सुलझाने का एक रूप है, जबकि निश्चय राय बनाने की एक प्रक्रिया है ।
प्रश्न 8. प्रत्येक के लिए कोई दो उदाहरण दीजिए-
(क) संकल्पनाएँ,
(ख) तर्क,
(ग) समस्या समाधान ।
उत्तर- (क) संकल्पना के दो प्रमुख उदाहरण हैं- विमनस्कता (जैसे – क्रोध या भय) और सम्बन्ध (जैसे उससे छोटा या उससे अधिक बुद्धिमान) ।
(ख) तर्क के दो प्रमुख उदाहरण हैं – निगमन तर्क और आगमन तर्क । निगमन तर्क में हम पहले दिए गए कथन के आधार पर निष्कर्ष निकालने का प्रयास करते हैं, जबकि आगमन तर्क में हम उपलब्ध प्रमाण से निष्कर्ष निकालने से आरंभ करते हैं।
(ग) समस्या समाधान के दो प्रमुख उदाहरण हैं- मध्यमान- अन्तः विश्लेषण और एल्गोरिद्म या कलन विधि। मध्यमान- अन्तः विश्लेषण में विशेष प्रकार की समस्याओं का समाधान करने में एक विशिष्ट प्रकार की प्रक्रिया का चरणबद्ध प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 9. किन्हीं पाँच रचनात्मक व्यक्तियों के जो भारत में प्रसिद्ध हैं, नाम बताइए ।
उत्तर- पाँच रचनात्मक व्यक्ति जो भारत में प्रसिद्ध है कलाकार (अमिताभ बच्चन), संगीतकार ( रविशंकर ), लेखक (प्रेमचंद), वैज्ञानिक ( अब्दुल कलाम) तथा खिलाड़ी (सचिन तेंदुलकर ) ।
प्रश्न 10. निर्णय लेने की संकल्पना और दैनिक जीवन में इसके महत्त्व को समझाइए ।
उत्तर – दैनिक जीवन में निर्णय लेना बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति के पूरे जीवन पर प्रभाव डालता है। जीवन में हर व्यक्ति कई निर्णय लेता है। जैसे, उसे किस विषय का अध्ययन करना चाहिए, किस व्यवसाय में शामिल होना चाहिए और समस्याओं को कैसे हल करना चाहिए। इत्यादि वास्तव में, व्यक्ति को अपने जीवन पर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। विभिन्न प्रकार की समस्याओं को सुलझाने का एक तरीका निर्णय लेना है, जिसमें हम एक समस्या को हल करने के लिए कई विकल्पों में से किसी एक को चुनते हैं। निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक उदाहरण है। मान लीजिए, आपको दसवीं कक्षा में दो विषयों में से किसी एक का चुनाव करने का अवसर मिलता है।
इनमें मनोविज्ञान और इतिहास दोनों शामिल हैं। आप दोनों कक्षाओं में शामिल होते हैं। दोनों विषयों की कक्षाओं में भाग लेने के बाद आप यह पाते हैं कि इतिहास की सामग्री प्रासंगिक, नई, रोचक है और शिक्षक भी अच्छा पढ़ाते हैं. इसलिए, विषय की गुणवत्ता और शिक्षक के गुणों के आधार पर आप इतिहास विषय को चुनने का निर्णय करेंगे, जो एक उचित निर्णय होगा।
प्रश्न 11. चेतना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-चेतना एक बोधगम्य अवस्था है और चेतनावस्था द्वारा अनुभव किए गए आन्तरिक व बाह्य परिस्थितियों के प्रति व्यक्तिगत बोध होता है। सामान्य चेतना व्यक्ति के तात्कालिक अनुभवों, सोचने, इच्छा, भावनाओं पर निर्भर करती है अर्थात एक ऐसी अवस्था जिसमें व्यक्ति अपने तथा अपनी परिस्थिति दोनों का बोध करता है।
प्रश्न 12. चेतना के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – व्यक्ति के सजग (जागते) रूप को चेतन रूप कहते हैं। हमारा देखना, सुनना, अनुभव करना, आना-जाना, उठना-बैठना आदि तथा अपने दैनिक कार्यों का निपटान सभी चेतन रूप के क्रियाकलाप हैं। नींद आने पर यह सुषुप्तावस्था होती है, जिसमें व्यक्ति के व्यावहारिक क्रियाकलाप विश्राम स्थिति में आ जाते हैं यानी व्यक्ति की केन्द्रिक क्रियाएं शान्त रहती हैं। कई बार शल्य क्रिया को वेदनारहित बनाने के लिए व्यक्ति की चेतना को लुप्त करना पड़ता है। इसके लिए ऐनेस्थीसिया देना होता है ( बेहोशी का इंजैक्शन) । इसके प्रभाव से व्यक्ति कुछ ही देर में एक नियत समय तक के लिए अचेत हो जाता है।
सुप्तावस्था में इंद्रिय बोध एक निश्चित अवधि तक के लिए स्थगित हो जाता है जो किसी भी समय बाहरी दबाव से पुनश्चेतन हो जाता है, जबकि औषधि द्वारा आई अचेतावस्था में इन्द्रिय बोधगत सभी संवेदनाएं लुप्त हो जाती हैं तथा चेतना पूरी तरह समाप्त हो जाती है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि व्यक्ति मन व इंद्रिय जगत की तीन अवस्थाएं होती हैं-
(i) चेतन अवस्था (जागतिक अवस्था )
(ii) अर्ध-चेतन (अर्ध- सुसुप्तावस्था)
(iii) चेतनावस्था (सुसुप्तावस्था)
यह संवेदन तंत्र भी कहलाता है। चेतनावस्था पूरी तरह जाग्रति अवस्था है, और दोनों अवस्थाएं एक-दूसरे में बदलती रहती हैं। उदाहरण इसे समझा सकता है। एक महिला दांतों में अत्यधिक पीड़ा के कारण दंत चिकित्सक से मिलती है। वह महिला पूरी तरह से बेहोश होकर दांत निकालना चाहती थी, इसलिए स्थानीय निश्चेतक की जगह ऐनेस्थीसिया (बेहोश) करने वाले डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर ने महिला को इंजैक्शन लगाकर 10 से 1 तक उल्टी गिनने को कहा। 10 से 7 तक पहुंचते-पहुंचते वह महिला पूरी तरह अचेत हो गई। दांत निकालने की शल्य क्रिया के दौरान, दांत के डॉक्टर ने दाँत की जड़ में भी एक फोड़ा देखा।
उसे लगता था कि यह फोड़ा कैंसर को जन्म दे सकता है। उसने अपने साथी डॉक्टर से कुछ कहा और फिर फोड़े के एक हिस्से को बायोप्सी (कैंसर की संभावना की जांच) के लिए निकाल लिया। वह महिला दांत निकालने के कुछ समय बाद ही चेतना में लौट आई, लेकिन वह बहुत उदास और चिंतित दिखाई दी। उस रात वह बिस्तर पर भी नहीं सो पाई। जब महिला की उदासी दुःख में बदल गई, तो उसे मनोवैज्ञानिक की सलाह दी गई। सम्मोहन से मनोवैज्ञानिक को पता चला कि शल्य-क्रिया के दौरान महिला ने अचेतनावस्था में डॉक्टरों की बातचीत सुन ली और कैंसर का भय उसके मन पर छा गया। यही उसे दुखी और निराश करता था। यह स्पष्ट है कि अचेतावस्था में भी महिला का मस्तिष्क उद्दीपकों पर ध्यान देकर सूचना प्राप्त कर रहा था।
मस्तिष्क के उद्दीपकों पर ध्यान देना चेतन और अचेतन दोनों में संभव है। हाँ, चेतन व्यवस्था में संज्ञान होता है, लेकिन अचेतन में नहीं। जब कोई व्यक्ति अपने कर्मेंद्रियों से काम कर रहा है, तो वह भी सोचना, याद करना, देखना, सुनना, अनुभव करना, आदि संज्ञानात्मक क्रियाएं कर सकता है। जैसे, आप वाहन चलाते समय पास बैठे व्यक्ति से बात कर सकते हैं और गति को नियंत्रित करते हुए गेयर बदलते रहते हैं, जबकि अवरोधक को ध्यान में रखते हुए। यह अचेतनावस्था है, जो चेतन अवस्था में भी जारी रहती है; ये कार्य जाने बिना भी स्वचालित होते रहते हैं। स्वप्नावस्था ही अर्धचेतन अवस्था है, जिसमें भाव, नींद आने पर, पूर्ण सुसुप्तावस्था में जागने वाले भाव आदि स्मृति के कारण संवेदनाओं से जुड़ते हैं। इस तरह चेतना के अचेतन, अर्धचेतन और चेतन रूपों को समझा जा सकता है।
प्रश्न 13. जगे रहने पर भी चेतना के स्तर बदलते रहते हैं। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- चेतना के स्तर भी जगे रहते हैं। उदाहरण इसे सीधे-सीधे समझा सकता है। नहाते समय व्यक्ति कई क्रियाएं करता है। उसे साबुन से धोना और कुछ गुनगुनाते रहना। उस समय व्यक्ति के मन में बहुत कुछ आता है, जैसे दिन में क्या करना है, कहाँ जाना है, किससे मिलना है? नहाते समय बहुत सारी क्रियाएं होती हैं और इस चक्र में कुछ भी याद नहीं रहता। दूसरी ओर नहाने के बाद तौलिए से सिर सुखाना, बाल झाड़ना, आदि इसी तरह आप अपने बालों में शैम्पू लगाया या नहीं भी देख सकते हैं। ब्रश किया या नहीं, उसे देखो। इससे पता चलता है कि एक व्यक्ति की चेतना हर दिन बदलती रहती है और जगे होने पर भी चेतना का स्तर स्पष्ट रूप से अलग होता है।
कई बार ऐसा होता है कि कुछ काम बिना जाने हो जाते हैं। घर से बाहर निकलते समय कार या स्कूटर की चाबी (स्कूटर में हैलमेट, दफ्तर का बैग, रूमाल आदि) लेना; फिर वाहन के निकट आकर डिक्की में लंच बॉक्स रखना; फिर चाबी से स्कूटर या कार को स्टार्ट करके लक्ष्य पर पहुंच जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में लक्ष्य पर पहुंचकर सबसे पहले क्या करना चाहिए, आदि शामिल हैं।
अंततः, रात को सोते समय व्यक्ति की चेतना में बड़े बदलाव होते हैं, जिससे वह अपने और बाहरी दुनिया को बहुत अलग तरीकों से देखता है। ध्यान रहे, सम्मोहन भी चेतना के स्तर का बदला हुआ रूप है।
प्रश्न 14. चेतना के स्तर पर आने वाले परिवर्तन कौन-कौन से हैं ? निद्रावस्था के परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- साधारण अनुभव से अलग प्रत्येक अनुभव चेतना का बदला हुआ स्तर कहलाता है। ये बदले स्तर काम करते समय ध्यान की दशा से सोते समय स्वप्न देखने तक भिन्न होते हैं और इन्हें रोज ही अनुभव किया जा सकता है। इसमें विभिन्न स्तर के न जान पाने और उससे जुड़े व्यवहार व वातावरण का अनुभव किया जा सकता है। व्यक्ति यदि रात्रि में नींद की गोली का प्रयोग करता है, तो वह चेतना में परिवर्तन पाता है। सोने पर सपना देखने की दशा में क्या होता है, यह सब एक प्रक्रिया के अन्तर्गत जाना जा सकता है। चेतनायें आने वाले बदलाव के प्रमुख तीन स्तर हैं-
• नींद की दशा में
• स्वप्न की दशा में
• सम्मोहन की दशा में
यह स्वाभाविक है कि सोते समय चेतना का बदलाव एक आवश्यक प्रक्रिया है। हाँ, नींद में बाधा अस्वाभाविक है। यह निदान और उपचार है। शरीर की प्राथमिक गतिविधियां सामान्य निद्रावस्था में थोड़ा धीमी होती हैं। नींद आने पर मस्तिष्क की विद्युतीय प्रक्रियाओं में बदलाव हुआ है, जैसे EEG। एमजी/EOG से त्वचा पालन, श्वास और हृदय स्पंदन की गति भी कम होती है।
EEG मस्तिष्क में सोते और जागते समय होने वाली क्रियाओं का पर्याप्त विवरण देता है। 3 (बीटा) मस्तिष्क तरंगें जागृत अवस्था में दिखाई देती हैं, जिनकी सापेक्ष आवृत्ति 14–30 हर्ट्ज है, कम वोल्टेज. लेकिन जब कोई प्रकाश बंद करके सोता है, तो ये बीटा तरंगें एल्फा तरंगों में बदल जाती हैं, जिनकी आवृत्ति 8-12 हर्ट्ज है।
जब कोई सुसुप्ता हो जाता है, तो वह सोने की पहली अवस्था में आ जाता है। इस समय थीटा (0) कार्य शुरू हो गया है। इन्हें 3.5 से 7.5 हर्ट्ज की आवृत्ति होती है। यह अपनी सीमा पर होने वाली नींद की पहली अवस्था है, यानी जागने और सोने की मध्यावस्था।
ज्यादातर लोग नींद की पहली अवस्था के दस मिनट बाद दूसरी अवस्था में जाते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति का मस्तिष्क संवेदना तंत्र कम हो जाता है। इससे गहरी नींद आ सकती है।डेल्टा क्रिया नींद की तीसरी अवस्था है। डेल्टा क्रियाएं चौथी अवस्था में बहुत बढ़ जाती हैं। बहुत से न्यूट्रॉन इस समय एक साथ काम करते हैं।
आंख की तीव्र गति (REM) सोने के लगभग डेढ़ घंटे (यानी ९० मिनट) बाद व्यक्ति की नींद की अवस्था है। इस अवस्था में मस्तिष्क की विद्युतीय क्रिया जागृत अवस्था की क्रिया के समान होती है, लेकिन यह बहुत जल्दी बदल जाती है। यहाँ डेल्टा क्रिया नहीं होती। बंद अवस्था में सोये हुए व्यक्ति की आंख चलती रहती है। शारीरिक पेशी गतिहीन रहती है। RNM अवस्था में स्वप्न देखने की क्रिया अधिक होती है और प्रातःकाल में यह अवधि अधिक होती है। रैम की इस अवस्था की खोज से पता चलता है कि यह अवस्था अतीत की स्मृति को बचाने में सहायता करती है। हम जानते हैं कि शरीर की उत्सर्जित शक्ति को पुनः पाने में सहायक होने के लिए सोना बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना संभव है। दैनिक दौड़धूप से शरीर को नींद से राहत मिलती है।