सम्प्रेषण के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. प्रचार व अफवाह में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रचार-विश्वकोश की परिभाषा के अनुसार, प्रचार योजनाबद्ध रूप से किसी विशेष सिद्धांत, सत्य या असत्य जानकारी या विचार का प्रसार है, जिसका उद्देश्य परिवर्तन करना है।
एक और कोश का कहना है कि प्रचार विशेष विचारों को लोगों के मन में डालने की कोशिश है, बिना कारणों को स्पष्ट किए बिना. यदि सत्य की उपेक्षा की जाए, तो प्रचार बुराई फैलाने का एक प्रभावी साधन बन सकता है। प्रचार की प्रमुख विशेषताएं निम्नवत हैं-
• यह एक सुनियोजित प्रयास है।
• इसका उद्देश्य विशेष सूचना समुदाय का प्रसार करना है।
• यह सूचना समुदाय ( समुच्चय) सत्य भी हो सकता है और असत्य भी।
• इसका उद्देश्य परिवर्तन लाना है।
जैसा कि हम जानते हैं, धार्मिक और सामाजिक सिद्धांतों को व्यापक रूप से प्रसारित करने के लिए प्रचार का प्रयोग किया जाता रहा है। आज रेडियो, दूरदर्शन, समाचारपत्र आदि नव विकसित जनसंचार माध्यमों द्वारा व्यावसायिक उत्पादों, धार्मिक और सामाजिक विचारों का व्यापक रूप से और आसानी से प्रसार किया जाता है। इन माध्यमों का उपयोग अब चुनाव प्रचार में भी सहायक हो गया है।
राजनैतिक दल एक दूसरे को बदनाम करने के लिए इन माध्यमों का प्रयोग करते हैं। इस संचार माध्यमों का मात्र उपयोग एड्स, चेचक, हैजा, क्षय, पोलियो आदि रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इन माध्यमों का खुलकर उपयोग बीमा, बैंक ऋण और क्रेडिट कार्ड योजनाओं के प्रचार में भी हो रहा है। यही कारण है कि जनता की सोच इस प्रचार की सफलता का आधार है और यह एक योजनाबद्ध कार्यक्रम है।
अफवाह भी जनता को जानकारी देने का एक साधन है। यह भी योजनाबद्ध तरीके से फैलता है, लेकिन इसके मूल में झूठ, मिथ्या और असत्यता की योजना विशेष के प्रभाव में फैलता है। गप्पों की तरह फैलने वाली अफवाह नियंत्रित नहीं होती। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचते हुए इसमें कई नई बातें जुड़ती हैं। मूल बात यह है कि झूठ का कोई आधार नहीं है। हां, इसके स्वरूप में उत्तेजना और चमक है। जब लोग इसे सुनते हैं, तो यह भी तेजी से फैलता है। इसमें व्यक्ति जोड़-तोड़ की पूरी सभावनाएं हैं। इसे नियंत्रित करना मुश्किल है। हां, इसकी तथ्यात्मकता प्रकट होने पर ही यह प्रभावी हो सकता है।
प्रचार व अफवाह में भेद
प्रचार | अफवाह |
1. यह सुनियोजित सूचना होती है। 2. इसका विशेष उद्देश्य होता है। 3. लोगों का मत परिवर्तन करने के लिए लोगों को समझाना पड़ता है। 4. यह नियंत्रित क्रिया है। 5. यह योजनाबद्ध ढंग से होता है। 6. इसका परिणाम सकारात्मक और नकारात्मक दोनों में से कुछ भी हो सकता है। | 1. यह सुनियोजित नहीं होती। सामान्य गप या कहानी से अफवाह उत्पन्न हो जाती है। 2. इसका कोई उद्देश्य नहीं होता। 3. लोग इसे बड़े चाव से सुनते हैं। 4. इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता। 5. इसके प्रचार की कोई योजना नहीं होती। 6. इसका परिणाम अधिकतर नकारात्मक होता है। |
प्रश्न 2. संप्रेषण का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? चर्चा कीजिए।
उत्तर- हम सब मिलकर इस संसार में रहते हैं। यह भी कहा जाता है कि मनुष्य सामाजिक हैं। हम एक दूसरे से अपने विचार, धारणाएं और भावनाएं साझा करना चाहते हैं। हम शब्दों, संकेतों और हाव-भावों का प्रयोग करते हैं इस द्विपक्षीय अभिव्यक्ति में। इसे संप्रेषण कहते हैं। दैनिक जीवन में यह बहुत फायदेमंद है और बहुत प्रभावी है।
उदाहरण के लिए, कोई छात्र दसवीं कक्षा में प्रवेश हेतु विद्यालय के कार्यालय में जाता है। वह प्रवेश नियम जानना चाहता है, इसलिए वह पूछताछ की खिड़की पर जाता है। वहां उपस्थित क्लर्क छात्र पर प्रश्न भरी दृष्टि डालता है। यही हाव-भाव है-जैसे वह छात्र से पूछ रहा है। क्या चाहिए? मैं क्या सहायता कर सकता हूँ?
छात्र-मैं दसवीं कक्षा में प्रवेश चाहता हूँ? मुझे क्या करना चाहिए?
इसे क्लर्क (प्रवेश फार्म) से भरकर जमा कराइए। शाब्दिक संप्रेषण की श्रेणी में यह अभिव्यक्ति शामिल होगी। सभी आवश्यक जानकारी फॉर्म में मुद्रित है। यह लिखित भाषण है। वह खेत भरकर खिड़की पर रखता है और पूछता है कि क्या यह ठीक से भरा गया है? क्लर्क फार्म को चैक करने के बाद, खिड़की नंबर 2 पर जाकर शुल्क जमा कर दीजिए। प्रवेश इस तरह समाप्त होता है।
संप्रेषण, विभिन्न माध्यमों से बातचीत करने की ऐसी अनवरत प्रक्रिया है जो जन्म से मृत्यु तक चलती रहती है। इसमें भाषण, लेखन, प्रकाशन, चित्रण, ध्वनि, आरेखित और तकनीकी माध्यमों (जैसे फोन, रेडियो, दूरदर्शन, कंप्यूटर) का भाव और इशारा शामिल हैं। वास्तव में, यह एक प्रक्रिया है जिसे जीवन में अनिवार्य रूप से आवश्यक है। यह हर समय संपर्क संबंध का आधार होता है, चाहे शाब्दिक हो या शब्दहीन हो।
हम संप्रेषण कर रहे हैं जब हम अपने आसपास देखते हैं, टेलीफोन पर बात करते हैं, रेडियो पर समाचार, वार्ता या गाने सुनते हैं, टीवी पर कार्यक्रम या धारावाहिक समाचार देखते हैं। बच्चे से संकेतों में बात करते हुए मां अपने मन की बात जान लेती है। कुल मिलाकर, सम्प्रेषण हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इसके बिना जीवन कल्पना नहीं की जा सकती।
प्रश्न 3. सफल संप्रेषण के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर- सफल संप्रेषण के लिए आवश्यक है कि संदेश प्रेषक और प्राप्तकर्ता की ग्रहण शक्ति समान हो। ग्रहण शक्ति में समानता का अर्थ है संप्रेषण की संस्कृति और रहन-सहन में समानता हो तथा वे समान भाषा का प्रयोग करते हों।
प्रश्न 4. प्रचार की प्रमुख विशेषताएं बताइए।
उत्तर- प्रचार वस्तुतः परिवर्तन के उद्देश्य से किसी विशेष सिद्धांत, सत्य या असत्य सूचना अथवा मत का योजनाबद्ध प्रसार है। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं
(क) यह सुनियोजित प्रयास है।
(ख) प्रसार का उद्देश्य किसी विशेष सूचना या समाचार का प्रचार करना है।
(ग) प्रसारित सूचना या समाचार अपनी प्रकृति या उद्देश्य के कारण सत्य पर आधारित भी हो सकता है और यह असत्य भी हो सकता है।
(घ) प्रसार का उद्देश्य परिवर्तन लाना होता है और यह अधिकांशतः सामाजिक होता है।
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