NIOS Class 10 Home Science Chapter 9 कपड़ों की देखरेख तथा उनका रखरखाव
NIOS Class 10 Home Science Chapter 9 कपड़ों की देखरेख तथा उनका रखरखाव – NIOS कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10th गृह विज्ञान अध्याय 9 (कपड़ों की देखरेख तथा उनका रखरखाव) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 10 Home Science Chapter 9. Care and Maintenance of Fabrics की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 10 Home Science के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .
NIOS Class 10 Home Science Chapter9 Solution – कपड़ों की देखरेख तथा उनका रखरखाव
प्रश्न 1. “ धुलाई ” शब्द का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – धुलाई का अर्थ है – वस्त्रों को धोकर उनका मैल निकालना, उनकी परिसज्जा करना तथा उन्हें संभालकर रखना ।
प्रश्न 2. दाग क्या है? आप दागों को किस प्रकार वर्गीकृत करेंगे?
उत्तर – किसी अन्य वस्तु के संपर्क से वस्त्र पर लगा कोई अवांछित निशान ‘दाग’ कहलाता है । दागों को उनके मूल रूप के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है; जैसे-
प्रश्न 4. आप सफेद सूती कपड़े को किस प्रकार साफ करेंगे? कारणों सहित वर्णन कीजिए ।
उत्तर- सूती वस्त्रों की धुलाई की प्रक्रिया निम्न प्रकार है-
1. भिगोना – भिगोने से वस्त्रों का मैल जल्दी छूट जाता है । सफेद कपड़ों और बहुत मैले कपड़ों को साबुन के घोल में भिगोया जाता है | भिगोने से कपड़े धोने में समय और मेहनत कम लगती है । कपड़े भिगोते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखिए-
(i) भिगोने के लिए पर्याप्त पानी प्रयोग करिए ।
(ii) मैले वस्त्र भिगोने के लिए आवश्यकतानुसार गुनगुना या गर्म पानी प्रयोग करिए ।
(iii) बहुत अधिक कपड़े एक साथ मत भिगोइए ।
(iv) रंगीन कपड़ों को मत भिगोइए, क्योंकि इससे उनके रंग पर प्रभाव पड़ सकता है ।
(v) कपड़े सिर्फ एक या दो घण्टे के लिए भिगोइए ।
2. धुलाई- बहुत मैले और सफेद वस्त्रों को गर्म पानी में और रंगीन वस्त्रों को ठण्डे पानी ( ताकि उनका रंग फीका न पड़े) से धोइए । धोने के लिए घर्षण विधि अपनाइए । बहुत मैले हिस्सों पर अतिरिक्त साबुन लगाइए और हाथ या ब्रुश से जोर से रगड़िए। कढ़े हुए सूती वस्त्रों की धुलाई करते समय उन्हें ब्रुश पर कपड़ा लपेट कर रगड़िए । इससे ब्रुश का प्रभाव कम पड़ेगा । सफेद वस्त्रों के लिए गुनगुना पानी प्रयोग करिए ।
3. खंगालना- कपड़े धोने के बाद उन्हें बार-बार पानी में खंगालिए, ताकि उनमें से साबुन पूरी तरह निकल जाए | खंगालने के लिए आप ठण्डा पानी प्रयोग कर सकते हैं ।
4. कड़ा करना– अधोवस्त्रों और ब्लाऊज जैसे चुस्त कपड़े के अलावा सभी सूती वस्त्रों को कलफ लगाकर कड़ा किया जा सकता है। कलफ को सूती वस्त्रों पर लगाया जाता है ताकि वे चिकने, चमकदार और ताजा दिखें। कलफ लगे कपड़े जल्दी मैले नहीं होते। पहले ठण्डे पानी में मैदा या अरारोट कलफ पाउडर मिलाकर पेस्ट बनाइए। जब पानी उबलने लगे, पेस्ट डाल दीजिए। हिलाते रहिए, जब तक यह गाढ़ा न हो जाए और कलफ पारदर्शी न हो जाए। फिर इसे आग से बाहर निकाल दीजिए।
कलफ इस प्रकार लगाइए – पानी की चिलमची में थोड़ा कलफ डालकर अच्छी तरह मिलाइए। वस्त्रों की तहें खोलिए और पानी में गीला कर लीजिए। अब कपड़े को कलफ वाले घोल में डुबो दीजिए। वस्त्र को अच्छी तरह निचोड़िए और डोरी या तार पर सूखने के लिए फैला दीजिए। बरसात में कलफ देने के बाद कपड़े को तुरंत सुखा देना चाहिए, अन्यथा वे फंफूदी (Mould) बनाने लगेंगे। गाढ़े रंगों वाली वस्त्रों पर सफेदी आने से बचने के लिए कलफ लगे कपड़े को भीतरी भाग के ऊपर इस्त्री करना चाहिए।
5. नील लगाना – सफेद कपड़े धोने पर अक्सर कुछ पीले और कुछ कम सफेद दिखाई देते हैं। यह नील लगाया जाता है ताकि कपड़ा फिर से सफेद दिखे। पानी में लगभग एक चाय का चम्मच नील डालकर एक पतले कपड़े में बांध दें। यदि नील द्रव रूप में उपलब्ध है, कुछ बूंदों को पानी में मिला दीजिए। दोनों स्थानों पर पानी अच्छी तरह हिलता है। अब कपड़े को नीले घोल में डाल दीजिए। फिर निकालकर सूखा दीजिए।
कलफ और नील को कपड़े में लगाने के लिए, कलफ के घोल को पानी के साथ मिलाकर लगाया जा सकता है। यदि वस्त्र अधिक नीला हो जाए तो सिरके या नींबू की कुछ बूंदें ठंडे या गर्म पानी में मिलाकर वस्त्र में डुबो दीजिए। इससे अतिरिक्त नील निकल जाएगा।
6. सुखाना – वस्त्र सुखाते समय उसका सबसे बाहरी हिस्सा तार के समीप रहना चाहिए । वस्त्रों को सुखाते समय ध्यान में रखने योग्य बातें नीचे दी गई हैं-
सफेद-धूप में सुखाइए ।
रंगीन वस्त्र – छाया में सुखाइए ।
गहरे रंग के वस्त्र – वस्त्रों को उल्टा करके धूप में सुखाया जा सकता है।
उन्हें ऐसे बक्से में रखिए, जिसमें हवा न जा सके। साथ ही उनमें नैष्थलीन की गोलियां या नीम की सूखी पत्तियाँ भी रख दीजिए
प्रश्न 5. कृत्रिम कपड़ों की धुलाई सूती कपड़े की धुलाई से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर– कृत्रिम कपड़े नायलॉन, पॉलिस्टर और एक्रेलिक हैं। इन वस्त्रों की धुलाई सूती वस्त्रों से थोड़ा अलग होती है। कृत्रिम कपड़े गर्म पानी में नहीं भिगोए जाते क्योंकि इससे उन्हें सिलवटें लग सकती हैं। उन्हें सूती कपड़े की तरह तेज नहीं रगड़ा जाता, बल्कि हल्के हाथ से दबाकर रगड़ा जाता है। उन्हें कसकर नहीं निचोड़ते, वरना सिलवटें हो सकती हैं। इन कपड़े को हैंगर में सुखाना चाहिए, नहीं तो वे अपना आकार खो देंगे (सूती कपड़े ऐसा नहीं करते)। इन कपड़े को सूती कपड़े की तरह कलफ, नील या कुछ भी नहीं चाहिए।
प्रश्न 6. शैली ने एक सफेद ऊनी कार्डिगन खरीदा। दो बार पहनने के पश्चात उसने इस कार्डिगन को अन्य कपड़ों के साथ वाशिंग मशीन में धोया । धुलाई के पश्चात कार्डिगन में होने वाले प्रभाव तथा उनके कारणों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- ऊनी कपड़ों को वाशिंग मशीन में नहीं धोना चाहिए, बल्कि हल्के हाथों से रगड़कर धोना चाहिए। शैली ने अपना कार्डिगन वाशिंग मशीन में धो दिया है, जिससे उसका आकार बिगड़ जाएगा और वह चौड़ा हो जाएगा।
प्रश्न 7. रहमान अपने चमकदार छपाई वाले रेशमी स्कार्फ को घर पर ही धोना चाहता है। उसे इसकी सही प्रक्रिया बताएँ ।
उत्तर- रहमान को अपना स्कार्फ धोने के निम्नलिखित विधि को अपनाना होगा-
(i) उसे अपने स्कार्फ को गुनगुने या ठंडे पानी में हल्के साबुन से धोना होगा। इसे हल्के हाथ से दबाव डालकर रगड़ें।
(ii) साबुन को पूरी तरह से निकालने के लिए अच्छी तरह से खंगाल लें।
(iii) इसमें मोड (गम अरेबिक) लगाकर छाँव में सूखने के लिए टाँग दें।
(iv) इसमें हल्की नमी रहने पर ही इसे प्रेस करें ।
कपड़ों की देखरेख तथा उनका रखरखाव के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. धुलाई किसे कहते हैं ? धुलाई के चार चरण लिखिये |
उत्तर- धुलाई का अर्थ है – वस्त्रों को धोकर उनका मैल निकालना, उनकी परिसज्जा (कलफ लगाना, इस्तरी आदि) करना, जिससे वे साफ-सुथरे दिखाई दें और इसके बाद उन्हें संभालकर रखना । कपड़े धोने के प्रारंभिक चरण इस प्रकार हैं-
(i) मरम्मत करना- धोने वाले वस्त्रों की सावधानीपूर्वक जांच कीजिए। यदि इनमें से कोई कहीं से फटा हुआ है, या कोई बटन टूटा है या ढीला है, तो उन्हें ठीक कर लीजिए । यदि धोने से पहले मरम्मत न की गई, तो धोने की क्रिया में कपड़ा और अधिक फट सकता है ।
(ii) धब्बा हटाना – यदि कपड़े पर मैल के अतिरिक्त कोई दाग-धब्बा लगा हुआ है, तो उसे धोने से पहले छुड़ा लीजिए अन्यथा वे धुलाई में और अधिक फैल सकते हैं अथवा दूसरे कपड़ों पर भी लग सकते हैं ।
(iii) छंटाई – धोने से पहले कपड़ों को छांट लीजिए । सूती, ऊनी, रेशमी और सिंथेटिक कपड़ों को अलग-अलग धोना चाहिए । सफेद कपड़े रंगीन कपड़ों से अलग धोने चाहिए । इसी प्रकार बहुत मैले कपड़े; जैसे झाड़न इत्यादि भी अलग धोए जाने चाहिए ।
(iv) भिगोना- कपड़ों को पानी में भिगोने से मैल ढीला हो जाता है और उसे छुड़ाने में आसानी रहती है और कपड़े धोने में समय और मेहनत कम लगती है ।
प्रश्न 2. धब्बे छुड़ाते समय ध्यान रखने वाली नौ सावधानियाँ लिखें।
उत्तर- धब्बे मिटाते समय निम्नलिखित बातें ध्यान में रखिए-
1. धब्बे को उसी समय मिटा दीजिए, जब वह ताजा हो ।
2. यह पता कीजिए कि किस कपड़े में धब्बा लगा है, वह किस प्रकार का है अर्थात सूती, ऊनी, रेशमी है या सिन्थेटिक है ।
3. धब्बे को पहचानने का प्रयास करिए कि वह किस चीज का है ।
4. यदि धब्बे की पहचान न हो सके, तो सबसे पहले उसे साधारण तरीके से मिटाने का प्रयास कीजिए और बाद में जटिल प्रक्रिया अपनाइए ।
5. ऐसा रासायनिक पदार्थ चुनिए जो वस्त्र को हानि न पहुँचाए ।
6. उत्कृष्ट वस्त्रों और या रंगीन वस्त्रों से धब्बे मिटाते समय रासायनिक पदार्थ का प्रयोग पहले वस्त्र के कोने पर करके देखिए । यदि वस्त्र को कोई हानि पहुँचती है, तो उस रासायनिक पदार्थ का प्रयोग मत कीजिए ।
7. प्रबल रासायनिक पदार्थ का प्रयोग एक बार करने की अपेक्षा मंद रासायनिक पदार्थ का कई बार प्रयोग बेहतर होता है ।
8. धब्बे के मिटते ही वस्त्र को तुरंत अच्छी तरह धो डालिए, जिससे प्रयुक्त किया गया रासायनिक पदार्थ पूरी तरह हट जाए ।
9. वस्त्र को धूप में सुखा लीजिए, क्योंकि धूप प्राकृतिक विरंजक का कार्य करती हैं ।
प्रश्न 4. कपड़े धोने की चार विधियों का वर्णन करिये।
उत्तर- कपड़ों की धुलाई की चार विधियाँ इस प्रकार हैं-
(i) घर्षण विधि- यह विधि मजबूत वस्त्रों को धोने के लिए उपयुक्त रहती है जैसे कि सूती वस्त्र । घर्षण ( रगड़ने) का कार्य नीचे दिए गए तरीकों से किया जा सकता है-
(अ) हाथ से रगड़कर धोना – हाथ से जोर लगाकर रगड़ना। यह विधि रूमाल आदि छोटे वस्त्रों के लिए उपयुक्त होती है। इसमें साबुन कम खर्च होता है ।
(ब) प्लास्टिक के ब्रुश से रगड़ना – यह विधि घरेलू प्रयोग में आने वाले बहुत मैले कपड़ों जैसे झाड़न आदि के लिए उपयुक्त है ।
(स) डण्डे से कूटना – बिछौने की चादरें आदि जैसे बड़े कपड़े इस विधि से धोए जाते हैं । इससे कपड़े को क्षति पहुँच सकती है ।
(ii) चूषण विधि – यह प्रक्रिया तौलिए जैसे वस्त्रों के लिए प्रयोग की जाती है, जिनकी बुनाई रोएंदार होती है और ब्रुश नहीं लगाया जा सकता। टब में साबुन का घोल डालकर कपड़ा उसमें भिगो दें और सक्शन वॉशन, या चूषण धावित्र, को बार-बार नीचे दबाकर उठा दें। दबाने से वैक्यूम या निर्वात बनता है, जिससे मैल बाहर निकलता है।
(iii) हल्के दाब से धुलाई – यह विधि रेशमी, ऊनी, रेयॉन आदि जैसे कोमल वस्त्रों के लिए प्रयोग की जाती है | इस विधि से धोने से न तो वस्त्र को क्षति पहुँचती है और न ही उसकी आकृति बदलती है, क्योंकि इस विधि से वस्त्र धीरे-धीरे रगड़ कर साफ किए जाते हैं ।
(iv) मशीनों से धुलाई – कपड़े धोने वाली मशीन श्रम को बचाता है। इसमें धुलाई में लगने वाला समय कपड़े के प्रकार और मैले पर निर्भर करता है। सूती वस्त्रों की अपेक्षा ऊनी कपड़े जल्दी साफ होते हैं। मशीन का प्रयोग करने से पहले संबंधित निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए।
प्रश्न 5. सिन्थैटिक वस्त्रों की धुलाई की प्रक्रिया लिखिये ।
उत्तर– नाइलॉन, पॉलिस्टर और एक्रेलिक सामान्यतः सिंथैटिक कपड़े हैं । ये कपड़े न्यूनतम देखभाल वाले भी कहलाते हैं क्योंकि उनकी धुलाई के लिए कोई विशेष साबुन या धोते समय कोई विशेष सावधानी नहीं चाहिए। इन पर इस्त्री करने की भी जरूरत नहीं है। कैशमीलॉन ऐक्रेलिक रेशा है। यह आम तौर पर स्वेटर बुनने में प्रयोग किया जाता है, जिसे लोग अक्सर ऊन समझते हैं। नायलॉन, पॉलिएस्टर और कैशमीलॉन कपड़े धोते समय ध्यान देने वाली बातें-
1. गुनगुने से लेकर ठण्डे पानी तक का प्रयोग कीजिए । गर्म पानी प्रयोग मत कीजिए, क्योंकि अधिक ताप से सिंथेटिक वस्त्रों को क्षति पहुँचती है । वे आसानी से पिघल जाते हैं और अधिक ताप से उनकी आकृति बिगड़ सकती है ।
2. किसी भी अच्छे साबुन का प्रयोग करिए ।
3. वस्त्र धोते समय हल्का दबाव डालिए और धीरे-धीरे रगड़िए ।
4. ठण्डे बहते हुए पानी में खंगाल कर साबुन पूरी तरह निकाल दीजिए। सिकुड़न से बचाने के लिए वस्त्र को निचोड़िए नहीं ।
5. वस्त्र की मूल आकृति बनाए रखने के लिए उसे हैंगर में लटकाकर ठीक से सुखाइए ।
6. जब वस्त्र सूख जाए, तब आवश्यक समझें तो हल्की गरम इस्त्री से उसे प्रेस करिए । अधिक गर्म इस्त्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि अधिक ताप से सिंथेटिक वस्त्र को क्षति पहुँचती है । पूरी तरह सूख जाने पर वस्त्र को संभाल कर रख दीजिए । टेरीकॉट के वस्त्रों को सिंथेटिक वस्त्रों की तरह ही धोइए ।
प्रश्न 6. कपड़ों की देखभाल कैसे की जाती है?
उत्तर – कपड़ों की देखभाल में निम्नलिखित बातें शामिल होती
कपड़ों पर ब्रश करना और उन्हें हवा देना
फटे वस्त्रों की मरम्मत करना
धब्बों को तुरंत हटाना
धोने के उचित तरीके का चयन
प्रैस करना
भण्डारण रखना ।
प्रश्न 7. रेशमी वस्त्रों की धुलाई की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर- रेशमी वस्त्रों की धुलाई में निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है-
1. इन्हें भिगोइए नहीं ।
2. मृदु द्रव साबुन का या रीठे का घोल एक टब में तैयार कीजिए और पर्याप्त झाग पैदा कीजिए ।
3. गुनगुना पानी लीजिए, जिससे गंदगी जल्दी साफ होती है । गर्म पानी न इस्तेमाल करें ।
4. हल्का दबाव डालकर धोएं ।
5. पूरा साबुन बहते पानी में खंगाल लें । जोर से न दबाएं ।
6. आखिरी खंगालने में कुछ बूंदें सिरके या नींबू के रस की डालें । इससे कपड़े में चमक आ जाती है ।
7. वस्त्र कड़ा करने के लिए अंतिम बार खंगालते समय पानी में सिरके के साथ गौंद का पानी मिला लीजिए (गौंद की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि वस्त्र में कितना कड़ापन चाहिए, जो आपकी पसंद पर निर्भर करता है ) ।
8. छोटे वस्त्रों को छोटे तौलिए में लपेटकर उनका अतिरिक्त पानी सोखकर उन पर तुरंत इस्त्री की जा सकती है | साड़ी जैसे बड़े वस्त्रों को डोरी पर फैलाकर छाया में सुखाया जाना चाहिए। नम वस्त्रों पर इस्त्री अच्छी होती है ।
9. पूरी तरह से सूखने पर उन्हें संभाल कर रख दीजिए । अधिक समय तक रखना हो, तो उन्हें अखबार में लपेटकर रखना चाहिए ।
सावधानियाँ –
1. रेशमी वस्त्रों को सोडे आदि या साधारण क्षारीय साबुन से कभी नहीं धोना चाहिए ।
2. ब्रुश या अन्य कड़ी चीज से नहीं रगड़ना चाहिए ।
3. नील या कलफ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
4. इन्हें धूप में नहीं सुखाना चाहिए ।
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