NIOS Class 10 Home Science Chapter 6. पर्यावरण

NIOS Class 10 Home Science Chapter 6. पर्यावरण

NIOS Class 10 Home Science Chapter 6 पर्यावरण (Environment) – NIOS कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10th गृह विज्ञान अध्याय 6 (पर्यावरण) के लिए समाधान दिया गया है. इस NIOSClass 10 Home Science Chapter 6. Environment की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसे आप अच्छे से पढ़े यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होगा .हमारी वेबसाइट पर NIOS Class 10 Home Science के सभी चेप्टर के सलुसन दिए गए है .

NIOS Class 10 Home Science Chapter 6 Solution – पर्यावरण

प्रश्न 1. “ प्रदूषण” तथा ” प्रदूषक” शब्दों को परिभाषित करें।
उत्तर- प्रदूषण-वातावरण में अपशिष्ट पदार्थों का पाया जाना, जो उसे दूषित कर देते हैं, प्रदूषण कहलाता है ।
प्रदूषक–वे अपशिष्ट पदार्थ जिनके कारण प्रदूषण होता है, प्रदूषक कहलाते हैं, जैसे धुआं, कूड़ा-करकट इत्यादि ।

प्रश्न 2. वायु प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर – वायु प्रदूषण के स्रोत
• मानव,
• जलाना,
• औद्योगिक निर्माण प्रक्रिया,
• प्राकृतिक,
• अन्य स्रोत।

प्रश्न 3. आप मृदा प्रदूषण को किस प्रकार नियंत्रित करेंगे?
उत्तर – मृदा प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय निम्नलिखित हैं-
(i) कूड़े-करकट का उचित निपटान किया जाना चाहिए ।
(ii) स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करना चाहिए ।
(iii) खुली तथा नीची भूमि को मिट्टी से भर देना चाहिए ।
(iv) अपशिष्ट पदार्थों को पुनः प्रयोग करना चाहिए ।
(v) कीटनाशक पदार्थों तथा उर्वरकों का अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए |

प्रश्न 4. ध्वनि प्रदूषण के क्या प्रभाव हैं?
उत्तर- तेज आवाजें लंबे समय तक सुनने से हमें परेशानी होती है। ये आवाजें हमारी नसों पर दबाव डालती हैं, जिससे सिरदर्द होता है। हमारी सुनने की क्षमता धीरे-धीरे प्रभावित हो सकती है। फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग, ड्राइवर, पायलट आदि जो अधिक शोर वाले स्थानों पर काम करते हैं, अक्सर धीमी आवाज में बोली गई बातों को ठीक तरह से सुनने की क्षमता खो बैठते हैं। उनके कान का परदा टूट जाता है और कभी-कभी वे बहरे हो जाते हैं।

प्रश्न 5. मृदा तथा जल दोनों को प्रदूषित करने वाले दो प्रदूषकों के नाम बताएँ ।
उत्तर- 1. घरेलू अवशेष: रसोईघरों, शौचालयों और स्नानघरों से निकलने वाले गंदे जल को समीपवर्ती जल स्रोत में बहाया जाता है। इस तरह वह दूषित हो जाता है। बहुत बार जल के स्रोतों में मरे हुए पशुओं, अधजली लाशों और कूड़ा भी फेंक दिया जाता है। ये सभी जल और वनस्पति को प्रदूषित करते हैं।

2. पशुओं को नहलाने, कपड़े धोने या मल त्याग करने के बाद स्वयं नहाने में भी जल के स्रोत का प्रयोग किया जाता है। इससे भी खराब होता है।

3. औद्योगिक कूड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ और जल नदियों, तालाबों आदि में बहा दिए जाते हैं, जिससे जल और मृदा प्रदूषित होते हैं।

प्रश्न 6. आप अपने आसपास धुएँ से होने वाले प्रदूषण को किस प्रकार कम कर सकते हैं?
उत्तर- (i) घर में धुंआरहित चूल्हे का उपयोग करके ।
(ii) ईंधन में बायोगैस का प्रयोग करके ।
(iii) घर के आस-पास वृक्ष लगाकर ।
(iv) कूड़े-करकट तथा अपशिष्ट पदार्थों को खुले में न जला कर तथा
(v) अपनी गाड़ियों को धुआंरहित बनाकर ।

प्रश्न 7. हमें मिट्टी के शौच करना, पेशाब करना या थूकना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर – हम मिट्टी में शौच, पेशाब या थूकना नहीं चाहिए क्योंकि इससे उनके कीटाणु मिट्टी में फैल जाते हैं. गाँवों में बच्चे या बड़े नंगे पैर मिट्टी पर चलते हैं, तो मिट्टी में उपस्थित जीवाणु और कीटाणु शरीर में प्रवेश करते हैं और बीमारी का कारण बनते हैं। इसके अलावा, वर्षा के दौरान यह प्रदूषित मिट्टी बहते हुए जल के स्रोतों तक पहुँच जाती है, जिससे वे भी प्रदूषित हो जाते हैं।

पर्यावरण के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. प्रदूषण किसे कहते हैं? वायु प्रदूषण के छह कारण लिखो। इसके तीन प्रभाव तथा इसे नियंत्रित करने के छह उपाय भी लिखो ।
उत्तर – प्रदूषण का अर्थ है किसी पदार्थ का पर्यावरण में सामान्यतः पाई जाने वाली मात्रा से अधिक हो जाना और इससे पर्यावरण दूषित हो जाना।

वायु -प्रदूषण – वायु एक मिश्रित गैसीय अवस्था है जिसमें नाइट्रोजन (६० प्रतिशत), ऑक्सीजन (२९ प्रतिशत) और कार्बन-डाइऑक्साइड सहित अन्य गैसें शामिल हैं । जब अन्य गैसें बढ़ते हैं और ऑक्सीजन कम होता है, तो वायु प्रदूषित होती है।
वायु को विषैली गैसें और ठोस कण, जैसे फैक्टरियों से निकलने वाला धुआं और वाहनों से निकलने वाला धुआं, प्रदूषित करते हैं। मुख्य वायु प्रदूषक कार्बन-डाइ-आक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और धुआँ हैं। घरेलू ईंधन (लकड़ी, कोयला, उपले) जलाने से भी कार्बन-डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है।

वायु प्रदूषण स्रोत

(1) मनुष्य स्रोत मानव व्यवहार से प्रदूषण होता है:
(i) दहन की प्रक्रिया दहन का मतलब जलाना है। 1. घरेलू ईंधन जलने से निकलने वाला धुआँ;
2. ताप बिजलीघरों में कोयले की जलाहट से उत्पन्न होने वाले धुआं;
3. वाहनों का धुआँ;
4. पटाखे जलाने से निकलने वाला धुआं
ये सभी स्रोत इतना धुआं पैदा करते हैं कि सांस लेना तक मुश्किल है। धुएं आंखों पर बुरा प्रभाव डालती है और अंधेपन का कारण भी हो सकती है।

(ii) औद्योगिक उत्पादन प्रक्रिया, यानी कारखानों का शोर
(iii) कृषि कार्य: हवाईजहाजों से कीटनाशकों का छिड़काव करने से जहरीले पदार्थ पूरे वातावरण में फैलते हैं।
(iv) घोलों का उपयोग और उनका छिड़काव।

(2) प्राकृतिक:प्राकृतिक स्रोतों में जंगल की आग से निकलने वाली गैस, ज्वालामुखियों से निकलने वाली गैस और हवा से फैलने वाली धूल शामिल हैं।

(3) अन्य स्रोत (i) जब बहुत से लोग एक साथ एक सार्वजनिक स्थान पर जमा होते हैं, तो क्या होता है? घुटन इतनी होती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

(ii) सड़ते हुए कूड़े-कचरे, गंदे सार्वजनिक शौचालयों और खुले स्थान पर पड़े मूल-मूत्र से दुर्गंध आती है, जो वायु की स्वच्छता को कम करता है।

(iii) क्योंकि लोग ईंधन या घर बनाने के लिए वृक्ष का उपयोग करते हैं, बहुत से वृक्ष लुप्त हो रहे हैं। जब वृक्ष नहीं होंगे, तो ऑक्सीजन और कार्बन-डाईऑक्साइड वायु से बाहर नहीं निकलते। इससे वायु में ऑक्सीजन और कार्बन-डाईऑक्साइड की मात्रा कम होगी और वायु प्रदूषित होगी ।

प्रभाव-

(1) मानव पर – वायु प्रदूषण का मनुष्य की श्वसन प्रणाली पर प्रभाव पड़ता है, जिससे श्वास नली शोथ, दमा आदि जैसे रोग हो सकते हैं ।

(2) पेड़-पौधों पर – प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों को सूर्य का प्रकाश कम मिलता है, जिससे उनके भोजन की उत्पादन प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है । प्रदूषक पदार्थ उनके पत्तों पर भी जम जाते हैं, जिससे उनके छिद्र बन्द हो जाते हैं और उन्हें सांस लेने में बाधा पड़ती है ।

(3) पर्यावरण पर प्रभाव

(i) दृश्य स्पष्ट न हो, तो वायुयान न तो उड़ान भर सकते हैं
और न ही उतर सकते हैं । ऐसा कोहरे के कारण ही नहीं होता, बल्कि वायु में धुएं और धूल जैसे प्रदूषक पदार्थों की उपस्थिति के कारण भी होता है ।

(ii) खाड़ी युद्ध के दौरान तेल के कुओं में आग लगने और उससे उत्पन्न धुएं के परिणामस्वरूप कुओं के आस-पास के क्षेत्रों का तापमान बढ़ गया था । इससे आस-पास की हरियाली और सौन्दर्य भी नष्ट हो गया ।

नियंत्रण – हम वायु प्रदूषण को इस प्रकार नियन्त्रित कर सकते हैं-

(1) घर में धुंआरहित चूल्हे का उपयोग करके;

(2) बायोगैस का उपयोग करके, क्योंकि यह धुआंरहित ईंधन है;

(3) घर में सौर कुकर का उपयोग करके, जिसमें सूर्य की गर्मी इस्तेमाल होती है;

(4) फैक्ट्रियों की चिमनियों में फिल्टर लगे होने चाहिए, ताकि गुएं में विद्यमान विषैले पदार्थ चिमनियों के भीतर ही रह जाएं और बाहर न फैलें;

(5) फैक्ट्रियों को रिहायशी क्षेत्रों से दूर स्थित होना चाहिए;

(6) वाहनों में ऐसे विशेष प्रकार के यन्त्र लगे होने चाहिए, जिनसे वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक पदार्थों की मात्रा कम हो जाए;

(7) कूड़े-कचरे को जलाना नहीं चाहिए । इसका निपटान साफ-सुथरे तरीके से करना चाहिए, संभव हो तो भूमि-भराव द्वारा कूड़े का निपटान किया जाए;

(8) सड़कें पक्की होनी चाहिए, ताकि धूल न उड़ सके और वातावरण में न मिल सके;

(9) अधिक वृक्ष लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए, ताकि वे वायु को ताजा और शुद्ध रख सकें ।

प्रश्न 2. जल- प्रदूषण के पाँच कारण लिखें ।
उत्तर -जल प्रदूषण: जल जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और रक्त में 90% होता है। पीने योग्य जल को कोई रंग, गंध, स्वाद, धूल और रोगाणु नहीं होते। सभी प्रकार का जल नहीं प्रयोग किया जा सकता है। जब इसे छान लिया जाए, तब कोई ठोस नहीं रहता और सभी रोगाणु क्लोरोनेशन से बाहर निकल जाते हैं, तो जल पीने योग्य हो जाता है। जल प्रदूषण फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट, कपड़े धोने, बर्तन धोने, स्नान करने और जल के निकट शौच करने से होता है। इस पानी में कई प्रकार के कीटाणु और रोगाणु होते हैं, जिनमें पेचिश, टायफायड, हैजा और पतले दस्त शामिल हैं।

जल-प्रदूषण के स्रोत

जल में जब निम्नलिखित वस्तुएं फेंक दी जाती हैं, तो वह प्रदूषित हो जाता है-

1. घरेलू अवशेष: गंदे जल, जो शौचालय, स्नानघर और रसोईघर से निकलता है, समीपवर्ती जल स्रोत में बहा दिया जाता है, इससे जल प्रदूषित होता है। बहुत बार जल के स्रोत में मरे हुए पशुओं, अधजली लाशों और कूड़ा भी फेंक दिया जाता है। ये सब जल प्रदूषण हैं।

2. औद्योगिक खराबियाँ फैक्टरियों से निकलने वाले कूड़े और गंदा जल तालाबों और नदियों में बहा दिया जाता है।

3. कृषि अपशिष्ट: खाद, कीटनाशक दवाएं आदि मृदा के साथ जल में मिलते हैं ।

4. तेल विसर्जन: तेल टैंकरों से रिसकर समुद्र के बड़े हिस्से में फैलता है।

प्रश्न 3. मृदा प्रदूषण के पाँच स्रोत तथा इस पर नियंत्रण के छह उपाय लिखिये ।
उत्तर- मृदा प्रदूषण का तात्पर्य मृदा में उस हद तक होने वाले भौतिक, रासायनिक तथा जैविक परिवर्तनों से है, जिनका मनुष्य और अन्य जीवों पर हानिकारक असर पड़ता है ।

स्रोत – मृदा प्रदूषण के कुछ अन्य स्रोत निम्नलिखित हैं-

1. घर के अपशिष्ट: जब घर का कूड़ा मिट्टी पर डाला जाता है, तो वह सड़ जाता है और कीट, कृमि तथा रोगाणु इस जमीन पर पनपने लगते हैं।

2. खुले में शौच करना भारत में खुली जगह पर शौच और पेशाब करना आम है। ऐसे स्थानों पर गंदगी और दुर्गंध आती हैमूत्र में रोगाणु और कृमि भी हो सकते हैं, जो मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। बारिश आने पर यह कूड़ा बहता है और आसपास के पानी के स्रोत में जाता है।

3. थूकना: हम हर जगह थूकने की एक और बुरी आदत है। थूक न केवल वातावरण को खराब करता है, बल्कि बीमारियों के रोगाणु भी पैदा करता है। यह सूख जाता है और नहीं दिखता, लेकिन इसके जीवाणु मिट्टी को प्रदूषित करते हैं।

4. औद्योगिक अपशिष्ट: फैक्टरियों से निकले अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। ये विषैले रसायन मिट्टी से पौधों में प्रवेश करते हैं, जो उन्हें भी विषैला बना देते हैं या नष्ट कर देते हैं। कुछ रसायन जमीन को बंजर भी बना सकते हैं।

5. कृषि के अपशिष्ट पदार्थ ज्यादा मात्रा में कीटनाशक, जन्तुनाशक, पदार्थ और उर्वरक पौधों में या उन पर उगते हुए फलों और सब्जियों पर चिपक जाते हैं। हमारे शरीर में ये रसायन पहुँच सकते हैं और हमें बीमार कर सकते हैं।

नियन्त्रण – मृदा के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कुछ तरीके निम्नलिखित हैं-

1. उचित कूड़े-कचरे का निपटान मक्खियां, मच्छर और कॉकरोच को घर के कूड़े-कचरे से दूर करने के लिए उसे सही तरीके से व्यवस्थित किया जाना चाहिए। यदि आप घर में हैं तो इसे एक ढक्कनदार कूड़ेदान में जमा करना चाहिए।

(i) शहर से बाहर निकालना: घर के अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढों में डालकर टहनियों और पौधों से ढक दिया जाता है, ताकि मच्छर और मक्खियाँ उन्हें नहीं खा सकें। कूड़ा अपने आप नीचे दब जाता है जब ये गड्ढे भर जाते हैं और मिट्टी से ढक जाते हैं।

(ii) जमीन भराव: कूड़ा-कचरा अक्सर इकट्ठा होता है, खासतौर पर बड़े शहरों में, जिसके लिए छोटे-छोटे गड्ढे पर्याप्त नहीं होते। ऐसे में शहर की सीमा से दूर और पानी के स्रोत से दूर निम्नस्तर की सतह वाली जमीन चुन ली जाती है, जहां कूड़ा-कचरा हर दिन डाला जाता है। इसे हवा और धूप में खुला छोड़ दिया जाता है ताकि वह नष्ट हो जाए।

(iii) खाद उत्पादन (कम्पोस्टिंग)— कूड़े-कचरे को बगीचे के एक कोने में एक गड्ढा खोदकर डाला जाता है। हर रात इसे राख और पत्तियों से ढक देते हैं। निचली परत में खाद धीरे-धीरे बनती जाती है। इस खाद को बागवानी में उपयोग किया जाता है।

(iv) कूड़ा जलाना: कूड़े-कचरे को जला देना एक अच्छा उपाय है क्योंकि इससे कूड़े की मात्रा कम हो जाती है, रोगाणु नष्ट हो जाते हैं और मच्छर, मक्खियां और रोगाणुओं को पनपने का मौका नहीं मिलता। कूड़ा जलाने से बहुत सारा धुंआ निकलता है, जो वायु को प्रदूषित कर सकता है।

(v) भस्मीकरण (इनसिनरेशन): कूड़े का निपटान करने का सबसे नवीन उपाय भस्मकारी संयंत्र का उपयोग है। कूड़ा भस्मक में जलता है

2. स्वच्छ शौचालयों का प्रयोग किया जाना मिट्टी को पेशाब और मल से प्रदूषित होने से बचाने के लिए लोगों को शौचालयों और मूत्रालयों का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हर शहर में नगर निगम ने सुलभ व अन्य शौचालय बनाए हैं।

3. थूकने के लिए पीकदान का प्रयोग किया जाता है— लोगों को पीकदान का इस्तेमाल करने की जानकारी दें।

4. अपशिष्ट का पुनः प्रयोग लोहे के डिब्बों, बोतलों और अन्य डिब्बों को फिर से इस्तेमाल करें। जहाँ तक संभव हो, इन्हें कूड़े में न डालें। इससे कूड़ा काफी कम हो जाएगा। इसे waste management कहते हैं।

5. कीटनाशक/उर्वरक का कम प्रयोग ऐसे कीटों से बचने के लिए, जो फसलों को नष्ट करते हैं और हमारे लिए खतरनाक होते हैं, कीटनाशक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। फसल को बेहतर बनाने के लिए उर्वरक लागू किए जाते हैं। ये दोनों रासायनिक पदार्थ हैं। इनका उपयोग सीमित होना चाहिए।

6. पर्यावरणीय वस्तुओं का उपयोग – आई.एस.आई., एगमार्क, एफ.पी.ओ., वूलमार्क आदि चिह्न विभिन्न वस्तुओं की गुणवत्ता को मापने के लिए बनाए गए हैं। “इकोमार्क” इसका नाम है। यह चिह्न उन सभी चीजों पर लगाया जाता है जो स्वतः नष्ट हो जाते हैं या पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

प्रश्न 4. वनों से होने वाले चार लाभ लिखें। वनों की कटाई के चार दुष्परिणाम भी लिखो ।
उत्तर – लाभ – वृक्षों से प्राप्त होने वाले लाभ निम्न प्रकार हैं-

1. जिस कुर्सी पर आप बैठते हैं या पलंग पर सोते हैं, वे वृक्षों से प्राप्त लकड़ी से बनाए गए हैं।

2. पौधों और वृक्षों से हमें अन्य सामग्री भी मिलती है, जैसे भोजन, दवा, रबर, गोंद और कागज।

3। हमारे पशुओं को चारा और वनस्पति को रहने के लिए जगह मिलती है।

4. वन बाढ़ को रोकते हैं और वर्षा लाते हैं ।

5. वृक्षों की जड़ें और मिट्टी की उर्वरता नष्ट नहीं हो सकती।

6. पौधे और वृक्ष कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को वायु में ग्रहण करके ऑक्सजीन बनाते हैं। अंततः, यह वायु प्रदूषण को कम करता है।

दुष्परिणाम
वनों की कटाई के दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-
1. वन्य प्राणियों को क्षति
2. वायु प्रदूषण में वृद्धि
3. मृदा अपरदन, मिट्टी की ऊपरी उर्वर सतह का बह जाना
4. सूखा और बाढ़ ।
वन- अपरोपण के दीर्घकालीन प्रभाव विनाशकारी और गंभीर होते हैं । एक बार यह विनाश प्रक्रिया आरंभ हो गई, तो फिर इससे बचना मुश्किल हो जाएगा ।

समाधान

  1. जंगल वनारोपण या अधिक वन लगाना अपरोपण की समस्या का हल है। वृक्ष काटने की जगह लगाइए।
  2. अगर आप सिर्फ एक वृक्ष को काटना चाहते हैं, तो केवल उसकी ऊपर वाली शाखाएं काटिए, तना नहीं। वृक्ष इस प्रकार सूखेगा नहीं; मौसम आने पर फिर से बढ़ने लगेगा।
  3. आग से वनों को बचाइए। इसके लिए गिरी हुई पत्तियों या सूखे वृक्षों के आसपास आग नहीं जलाइए।

प्रश्न 5. शोर प्रदूषण के तीन स्रोत व इस पर नियंत्रण के आठ उपाय लिखें।
उत्तर– कुछ आवाजें सुंदर हैं, तो कुछ अप्रिय हैं। आप संगीत सुनना और अपने मित्रों के साथ गप्पें मारना पसंद करते हैं, लेकिन मशीनरी की तेज आवाज आपको बिल्कुल पसंद नहीं है। शोर किसी भी अवांछित आवाज को कहते हैं।
स्रोत शोर प्रदूषण के कुछ कारण निम्नलिखित हैं:

(i) गाड़ी, रेलगाड़ी और हवाई जहाज
(ii) ऊँची आवाज वाले लाउडस्पीकर, रेडियो और टेलीविजन।
(iii) उद्योग और उपकरण

प्रभावीता: तेज आवाजें सिरदर्द पैदा करती हैं और हमारी नसों पर दबाव डालती हैं। धीरे-धीरे इससे हमारी श्रवण क्षमता प्रभावित हो सकती है। फैक्टरियों में काम करने वाले लोग, ड्राइवर, पायलट आदि अक्सर धीमी आवाज में बोली गई बातों को सुनने की क्षमता खो बैठते हैं। उनके कान का परदा टूट जाता है और कभी-कभी वे बहरे हो जाते हैं।

नियंत्रण— निम्नलिखित शोर प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ सुझाव हैं:

  1. धीमी आवाज में रेडियो और टीवी चलायें।
  2. लाउडस्पीकर का उपयोग न करें।
  3. धीमी आवाज में बोलें।
  4. हॉर्न सिर्फ आवश्यक होने पर प्रयोग करें।
  5. वाहनों के इंजनों में साइलैंसर स्थापित करें।
  6. फैक्टरियों को ग्रामीण क्षेत्रों से दूर रखें।
  7. हवाई अड्डे को शहर से दूर बनाएं।

प्रश्न 6. हम अपने आस-पास के वातावरण को किस प्रकार हरा-भरा बना सकते हैं?

उत्तर-हम अपने आस-पास के वातावरण को हरा-भरा बनाये रखने के लिए निम्नलिखित काम कर सकते हैं:
1. हर कोई एक पौधा लगाए – हममें से हर एक को अपने घर के आस-पास कम से कम एक वृक्ष लगाना चाहिए और उसकी देखभाल करनी चाहिए।

2. हर कोई एक पौधे की देखभाल करे – यदि हमारे घर के आसपास सूख रहे वृक्ष हैं, तो उन्हें नियमित रूप से पानी दें और उनकी रक्षा करें।

3. किसी को भी वृक्ष काटने या नुकसान पहुँचाने नहीं दें – अब वृक्ष काटने के खिलाफ कानून है। इस कानून को तोड़ने वाले को सजा मिल सकती है। उन्हें लगाकर और उनकी देखभाल करके एक ‘हरित पट्टी’ बनानी चाहिए।

यदि संभव हो, तो हम अपने क्षेत्र में पर्याप्त वृक्ष लगाने के लिए स्थानीय अधिकारियों से भी सहयोग ले सकते हैं।

प्रश्न 7. जल प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय बताइए।
उत्तर—हम निम्नलिखित तरीकों से जल प्रदूषण को रोक सकते हैं-

1. यह सुनिश्चित करके कि जल के स्रोत में रसायन द्वारा शुद्ध न किया गया गंदा जल नहीं मिल रहा है।

2.रसायन द्वारा साफ किए बिना उद्योगों को नदियों या तालाबों में अपशिष्ट जल डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

3. जल स्रोत के निकट शौच नहीं करना चाहिए। इसके लिए सही शौचालयों का उपयोग करना आवश्यक है।

4. जल स्रोतों से दूर होने चाहिए शौचालय, सोकपिट, कूड़ेदान और निम्नस्तरीय स्थान जहाँ कूड़ा डाला जाता है। कपड़े धोना, जल-स्रोत में या उसके आसपास नहाना या

5. पशुओं को नहलाना वर्जित है।

कूड़ा:नदियों और समुद्रों में कचरा नहीं फेंकना चाहिए।

7. क्या आप जलाशय या कुएं का उपयोग करते हैं? हाँ, यह निश्चित होना चाहिए। इसके आसपास पक्का फर्श और मुंडेर होना चाहिए।

8. साफ बर्तनों में जल भरकर ढक कर रखें। पानी निकालने के लिए हाथों को पानी में नहीं डालना चाहिए।

प्रश्न 8. जल को पीने योग्य बनाने के पाँच तरीके लिखें।
उत्तर- 1. छाना:पानी भरने से पहले बर्तन के मुँह पर मलमल का एक साफ कपड़ा रखें, लेकिन इससे केवल ठोस कण अलग होते हैं।

2. पकाना: उबला हुआ जल पीना सुरक्षित है। कुछ मिनटों तक उबालने से पानी में मौजूद जीवाणु मर जाते हैं। पानी को तेज आंच पर १० मिनट तक उबालना चाहिए। पानी को उबालने के बाद ठंडा कर लीजिए और साफ बर्तनों में भरकर रख लीजिए।

3. विष्णु: एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच ब्लीचिंग पाउडर या विरंजक चूर्ण डाल दीजिए। रोगाणु जल में मरते हैं जब विरंजक चूर्ण से क्लोरीन बनाया जाता है। 15-20 लीटर पानी में घोल के तीन चम्मच डालकर आधा घण्टा तक एक तरफ रख दीजिए. ब्लीचिंग पाउडर से रोगाणुओं को मारने में समय लगता है।

4. क्लोरीन की टिकिया या ड्रॉप्स: इन दोनों में से किसी को जल साफ करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। खरीदने से पहले उनकी गुणवत्ता को देखें। टिकिया या घोल (ड्रॉप्स) को जल में डालकर आधा घंटे तक एक तरफ रखना चाहिए, ताकि वे काम कर सकें।

5. फ़िल्टर: आजकल बाजार में ऐसे वाटर फिल्टर मिलते हैं जो घर में पानी को पीने योग्य बनाते हैं।

प्रश्न 9. ‘वाटर – फिल्टर’ कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर- ‘वाटर- फिल्टर’ दो प्रकार के होते हैं-

(i) ऐसे फिल्टर जिन्हें सीधे टोंटी पर लगा दिया जाता है ।
(ii) स्टोरेज फिल्टर

(i) टोंटी पर लगाने वाले फिल्टर: जल फिल्टर के माध्यम से बाहर आने लगता है जब नल खुलता है। इस तरह के कुछ फिल्टरों द्वारा जल में ठोस कणों को अलग किया जा सकता है।

(ii) स्टोरेज फिल्टर: यह दो भागों से बना है, एक दूसरे के ऊपर फिट होता है। पानी ऊपर से गिरकर निचले हिस्से में मिलता है। पानी में अनावश्यक पदार्थों को रोकने के लिए ऊपर वाले भाग में सिरेमिक से बने दो कैण्डिल लगे हैं। फिल्टर के निचले भाग में स्वच्छ जल धीरे-धीरे इकट्ठा होता है।

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