NIOS Class 10 Home Science Chapter 14 संसाधनों का परिचय
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NIOS Class 10 Home Science Chapter14 Solution – संसाधनों का परिचय
प्रश्न 1. लक्ष्यों और संसाधनों के बीच क्या संबंध है?
उत्तर – जीवन में किसी ध्येय के लिए मेहनत करन या प्रयास करना उसका लक्ष्य कहलाता है तथा उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जिन साधनों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें संसाधन कहते हैं। बिना संसाधनों के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता तथा बिना किसी लक्ष्य के संसाधनों का प्रयोग निरर्थक होगा अर्थात लक्ष्य का संसाधनों के अभाव में पूरा करना नामुमकिन होता है ।
प्रश्न 2. मानवीय तथा गैर – मानवीय संसाधनों के बीच अंतर को बताने के लिए कोई चार उदाहरण प्रस्तुत करें।
उत्तर- मानवीय संसाधन व्यक्ति के अपने पास होते हैं और दूसरों को नहीं दे सकते हैं। एक दिन में 24 घंटे होते हैं, जैसे उसमें से कोई भी व्यक्ति दूसरे को दो घंटे देने में सक्षम नहीं है। इसी तरह, कोई व्यक्ति अपने ज्ञान को दूसरों को नहीं दे सकता। रानी बहुत सुंदर रंगोली बनाती है, लेकिन वह अपनी कला को किसी को नहीं दे सकती। लेकिन गैर-मानवीय संसाधन हम आसानी से दूसरों को दे सकते हैं। हरी को भी एक स्कूटर चाहिए था। उसके पास थोड़ा सा धन था। उसने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने दोस्त कृष्ण से धन लिया। इस तरह गैरमानवीय संसाधन व्यक्तिगत या सार्वजनिक रूप से उपयोग किए जा सकते हैं; पार्क में बैठने या खेलने के लिए सभी जा सकते हैं।
प्रश्न 3. नियोजन का क्या महत्त्व है? आप अपने चचेरे भाई की शादी में शामिल हुए। वहाँ सब कुछ ठीक हुआ, लेकिन निम्नलिखित क्षेत्रों में कुछ गड़बड़ हुई-
अंतिम समय तक रेलगाड़ी का आरक्षण पक्का नहीं हो पाया।
वहाँ पहुँचने पर आपने पाया कि आपके परिधान की फिटिंग ठीक नहीं है।
दूल्हे के लिए खरीदे गए उपहारों में से एक उपहार घर में ही रह गया था।
इस पाठ में सीखे गए गुणों के आधार पर कम से कम एक उपाय बताएँ जिससे कि उपर्युक्त प्रत्येक समस्या से निपटा जा सके।
उत्तर- नियोजन प्रबंधन प्रक्रिया का पहला चरण है। यह चरण सबसे महत्वपूर्ण है। बाद के सारे चरण नियोजन पर निर्भर करते हैं। नियोजन अपने लक्ष्य के लिए सही योजना बनाना है। नियोजन में आपके कर्तव्यों की सूची बनाकर उन्हें क्रमानुसार संजोया जाता है, जिससे आपको पता चलता है कि कौन-सा काम पहले करना चाहिए और कौन-सा काम बाद में करना चाहिए। उपर्युक्त तीनों समस्याओं का संबंध मूल्यांकन से है, यानी योजना बनाने के बाद काम तो किये गए, लेकिन उनका मूल्यांकन नहीं किया गया।
यदि सब कुछ उसी समय जाँच लिया जाता, तो कोई समस्या नहीं होती। यदि पहले परीक्षण में पता चलता कि आरक्षण वैध नहीं था, तो शादी करने के लिए कुछ उपाय कर सकते थे। और यदि कपड़े बाजार से लाने के बाद पहनकर देखे होते, तो उनकी फिटिंग का पता चलता था और किसी भी परेशानी को दूर किया जा सकता था। इसी तरह, पैक किए गए सामान की जांच करने से पता चल सकता है कि सूची में बताया गया सब कुछ रख लिया गया है या नहीं।
प्रश्न 4. प्रबंधन की प्रक्रिया में मूल्यांकन के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर – योजना बनाना प्रबंधन की प्रक्रिया में पहला कार्य है। योजना के लिए धन जुटाने और कार्यों को वितरित करने का दूसरा काम है, और तीसरा काम योजना पर काम करना है। सबसे अंत में, सभी कामों का मूल्यांकन किया जाता है, जिससे पता चलता है कि योजना का पालन किया गया है या नहीं। योजना की सफलता का मुख्य हिस्सा मूल्यांकन है, क्योंकि इससे कार्यों में कोई कमी पाई जा सकती है और उसे तुरंत सुधार दिया जा सकता है। कार्ययोजना बनाना पर्याप्त नहीं है; प्रत्येक योजना सफल होती है जब सभी काम सही ढंग से किए जाते हैं। इसलिए योजना का मूल्यांकन करना बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 5. स्वस्थ वातावरण के लिए घर के आस-पास का क्षेत्र साफ-सुथरा होना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए प्रयोग होने वाले संसाधनों की सूची तैयार करें। आप अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को सुंदर बनाने के लिए क्या योजना बनाएँगे?
उत्तर – वास्तव में, स्वस्थ और सही होने के लिए एक सुखद वातावरण की जरूरत होती है। हम स्वच्छता का संरक्षण कर सकते हैं। गंदगी कभी नहीं फैलेगी अगर सभी लोग अपने आस-पास का वातावरण स्वच्छ और सुंदर बनाए रखेंगे। इसके लिए घर में एक बड़ा कूड़ेदान रखना आवश्यक है और सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सड़क पर या किसी अन्य स्थान पर कूड़ा नहीं फेंके। यदि आपका घर किसी खुले स्थान पर है जहाँ पेड़-पौधे लगाए जा सकते हैं, तो सभी को मिलकर पेड़ लगाना चाहिए। पौधे सुंदर लगते हैं और हवा को स्वच्छ बनाते हैं।
संसाधनों का परिचय के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 2. अवधि के अनुसार लक्ष्य कितने के होते प्रकार दो हैं?
उत्तर – अवधि के अनुसार लक्ष्य दो प्रकार के होते हैं-
1. दीर्घकालिक लक्ष्य – ऐसे लक्ष्य जिन्हें लम्बे समय में प्राप्त किया जा सकता है, दीर्घकालिक लक्ष्य कहलाते हैं, जैसे- राम सेना का अधिकारी बनना चाहता है, जिसमें लगभग 10 वर्ष लगेंगे ।
2. अल्पकालिक लक्ष्य – ऐसे लक्ष्य जिन्हें कम समय में प्राप्त किया जा सकता है, अल्पकालिक लक्ष्य कहलाते हैं । जैसे- अशोक जल्दी से जल्दी टी.वी. खरीदना चाहता है । यह काम अगले सप्ताह या अगले महीने हो सकता है ।
प्रश्न 3. स्वरूप के अनुसार लक्ष्य के दो प्रकार लिखें।
उत्तर – स्वरूप के अनुसार लक्ष्य के दो प्रकार निम्नवत् हैं-
1. पारिवारिक लक्ष्य – जिस लक्ष्य को एक परिवार के समस्त सदस्य परस्पर मिलकर प्राप्त करना चाहते हैं, उसे पारिवारिक लक्ष्य कहते हैं । जैसे-मकान बनाना, बच्चों की शादी करना, शिक्षा के लिए बचत करना आदि ।
2. व्यक्तिगत लक्ष्य – परिवार के अलग-अलग सदस्यों के लक्ष्य व्यक्तिगत लक्ष्य कहलाते हैं ।
प्रश्न 4. संसाधानों की परिभाषा कीजिये। दो प्रकार के संसाधानों की सूची बनाइये ।
उत्तर – लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले साधन को ‘संसाधन’ कहते हैं । संसाधनों के दो प्रकार होते हैं – मानवीय तथा मानवेतर । इनकी सूची निम्न प्रकार है-
प्रश्न 5. प्रबन्धा व्यवस्था की परिभाषा करो।
उत्तर—उपलब्ध साधनों को नियन्त्रित करके, इच्छित लक्ष्यों की प्राप्ति की प्रक्रिया ही प्रबन्ध – व्यवस्था कहलाती है ।
प्रश्न 6. आयोजन की परिभाषा कीजिए ।
उत्तर – आयोजन प्रबन्ध-व्यवस्था का प्रथम चरण है ।
कार्य का निष्पादन करने के लिए आयोजन आवश्यक है । आयोजन का सरलतम ढंग है – किए जाने वाले कार्यों की सूची बनाना। कुछ कार्य पहले करने होंगे, कुछ बाद में, इसलिए उन्हें क्रमबद्ध करना चाहिए । इसके अतिरिक्त योजना लचीली हो, जिससे आवश्यकता पड़ने पर अन्तिम समय में भी उसमें यथोचित परिवर्तन किया जा सके । अतः आयोजन के मुख्य अंग निम्न प्रकार हैं-
1. क्रियाओं को सूचीबद्ध करना;
2. क्रियाओं को क्रमबद्ध करना; और
3. लचीलापन प्रदान करना ।
प्रश्न 7. क्रियान्वयन की परिभाषा कीजिये ।
उत्तर– वे सभी गतिविधियाँ जो योजना को पूरा करने में सहायता करती हैं, क्रियान्वयन के अन्तर्गत आती हैं । किसी योजना को लागू करना ही क्रियान्वयन कहलाता है । उदाहरण के लिए, आपने विशेष भोजन किस प्रकार तैयार किया तथा परोसा ? आपके पिताजी के यात्रा पर जाने से पूर्व क्या हुआ ?
क्रियान्वयन का अर्थ है किसी भी सुनियोजित योजना को कार्य रूप देना । योजना पर कार्य करते समय हमें उसके विकास पर भी ध्यान देना चाहिए। ऐसा करने पर सम्भव है कि हमें बदली हुई परिस्थितियों में कुछ नए निर्णय भी लेने पड़ें ।
प्रश्न 8. मूल्यांकन की परिभाषा कीजिये।
उत्तर- मूल्यांकन द्वारा हम अपनी योजना के गुण-दोषों को समझ सकते हैं, जिससे भविष्य में आवश्यक सुधार हो सके । यह आवश्यक नहीं है कि मूल्यांकन कार्य समाप्ति पर ही किया जाए। जब कार्य चल रहा हो, उस समय भी मूल्यांकन किया जाता है । निरन्तर अपने कार्य का मूल्यांकन करते रहने का लाभ का यह होता है कि हम अपनी योजना के गुण दोषों से अवगत रहते हैं और भविष्य में बेहतर आयोजन कर सकते हैं । मूल्यांकन प्रबंध – व्यवस्था के सभी चरणों का सजग निरीक्षण है, जिससे योजना के गुण-दोषों का पता चल सके ।
प्रश्न 9. किस प्रकार प्रबन्ध व्यवस्था के विभिन्न चरण परस्पर सम्बन्धित हैं ? स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर- प्रबंध-व्यवस्था के विभिन्न चरण परस्पर सम्बन्धित हैं तथा इच्छित लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं । एक के बिना दूसरा अस्तित्वहीन है । आयोजन के पश्चात संसाधनों का संगठन योजना के क्रियान्वयन के लिये आवश्यक है । योजना के क्रियान्वयन के साथ ही मूल्यांकन प्रारम्भ हो जाता है तथा यह योजना की समाप्ति तक चलता है ।
प्रश्न 10. निर्णय प्रक्रिया के चार चरण क्या हैं ?
उत्तर – निर्णय प्रक्रिया में मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों का अनुसरण करना पड़ता है –
1. सर्वप्रथम लक्ष्य का निर्धारण करना है ।
2. फिर लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न विकल्पों को सूचीबद्ध करना पड़ता है ।
3. प्रत्येक विकल्प के गुण-दोषों पर विचार करना पड़ता है ।
4. अन्त में उचित विकल्प का चयन करना पड़ता है ।
प्रश्न 11. चार मानवीय संसाधन लिखें।
उत्तर “मानवीय संसाधन व्यक्तियों की व्यक्तिगत क्षमतायें व विशिष्टतायें होती हैं । ” चार मानवीय संसाधन इस प्रकार हैं-
1. ऊर्जा – प्रत्येक काम को करने के लिए ऊर्जा चाहिए। ऊर्जा की कमी हमें कोई काम नहीं करने देगी। जब हम काम करते हुए थक जाते हैं, तो हमारी ऊर्जा का भंडार खत्म हो जाता है। थोड़ी देर आराम करने के बाद हमारी ऊर्जा का पुनः संचार होता है, जिससे हम कुछ और करने के लिए प्रेरित होते हैं। ऊर्जा बचा नहीं जा सकती।
2. समय – हम सभी को एक दिन में चौबीस घंटे मिलते हैं, जिसमें हमें जो भी करना है, उसे पूरा करना है। हम दिन में कितना काम करते हैं, इस पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, एक घरेलू महिला सुबह काम पर जाने से पहले घर का सारा काम निपटा देती है। लेकिन घर पर रहने वाली गृहिणी दोपहर तक घर का काम करती रहती है। समय, ऊर्जा की तरह, एक ऐसा संसाधन है जिसे हम अगले दिन के लिए सुरक्षित नहीं रख सकते।
3. ज्ञान – जीवन में बहुत कुछ जानना आवश्यक है। ज्ञान हमें बहुत से काम करने में सक्षम बनाता है। ज्ञान एक ऐसा साधन है जिसे हम दूसरों से साझा कर सकते हैं, लेकिन हम ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। जैसे, हमारे पिताजी हमें पढ़ाई में मदद कर सकते हैं, लेकिन जब तक हम उनसे सीख नहीं लेते, हम परीक्षा में सफल नहीं हो सकते।
4. कौशल तथा योग्यताएं – व्यक्ति के पास भी कौशल और योग्यताएं हैं । हम ही उन्हें उपयोग कर सकते हैं। हम किसी भी क्षमता को सीख सकते हैं और निरंतर अभ्यास करके उनमें सुधार कर सकते हैं। पर कौशल हासिल करने के बाद हम ही इसका उपयोग कर सकते हैं। धन कौशल से बचता है, जैसे कि हमारी माता और भाई का बुनाई और बागवानी का कौशल धन बचाता है। इस तरह, हम एक संसाधन का उपयोग करके दूसरा संसाधन, अर्थात् पैसा, सुरक्षित रख सकते हैं।
प्रश्न 12. चार मानवेतर साधानों की सूची बनाइये ।
उत्तर – चार मानवेतर संसाधन निम्न प्रकार हैं-
1. धन- धन एक ऐसा संसाधन है जिसे हम खरीदने का लक्ष्य प्राप्त करते हैं। हम अपना पैसा किसी दूसरे को भी दे सकते हैं। धन संसाधन के रूप में सीमित है। सीमित धन से असीमित आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है; उदाहरण के लिए, अगर हमारे परिवार की आय 3 हजार रुपये है, तो हम एक महीने में इससे अधिक नहीं खर्च कर सकते।
2. भूमि – भूमि का प्रयोग अनेक प्रकार से कर सकते हैं, जैसे-हम मकान बनवा सकते हैं, सब्जियाँ उगा सकते हैं, आवश्यकता अनुभव होने पर इसे बेचकर धन प्राप्त कर सकते हैं । भूमि की कीमत सबके लिए समान होती है । प्रत्येक व्यक्ति को जमीन खरीदने के लिए समान दाम देना पड़ेगा, तथा बेचने पर, खरीदने वाला चाहे जो हो, वह जमीन एक ही दाम पर बिकेगी ।
3. भौतिक वस्तुएं- हमारे दैनिक जीवन में हम मेज-कुर्सी, पढ़ाई के लिए कुर्सी, सोने के लिए चारपाई, खाना पकाने के बर्तन, मनोरंजन के लिए टीवी आदि का उपयोग करते हैं। इन सब चीजों का उपयोग करने से हमारा काम आसानी से होगा।
4. सामुदायिक सुविधाएं – अनेक सुविधाएं हमारे समुदाय या हमारी सरकार द्वारा सार्वजनिक प्रयोग के लिए प्रदान की जाती हैं। इन्हें प्रत्येक व्यक्ति प्रयोग कर सकता है तथा ये सामुदायिक सुविधाएं कहलाती हैं, जैसे-पार्क, बाग, स्कूल, अस्पताल, खेल का मैदान,परिवहन प्रणाली आदि ।
प्रश्न 13. संसाधनों की विशेषतायें लिखिये ।
उत्तर – संसाधनों के स्वरूप के अन्तर्गत सभी संसाधनों में निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-
1. सभी संसाधन उपयोगी होते हैं – संसाधन वे चीजें होती हैं जिन्हें हम अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रयोग करते हैं । इस प्रकार सभी संसाधन उपयोगी होते हैं । वे हमें अपने लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक होते हैं ।
2. सभी संसाधन सीमित होते हैं – आवश्यकताओं क पूरा करने के लिए उपलब्ध संसाधन सीमित होते हैं । सीमित संसाधनों से असीमित आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है ।
3. सभी संसाधनों का आपस में परस्पर सम्बन्ध होता है – सभी संसाधन एक दूसरे से संबंधित हैं और परस्पर सम्बन्धित हैं. उदाहरण के लिए, जब माता-पिता परिवार के लिए भोजन बनाते हैं, वे धन, कौशल, समय और ऊर्जा का प्रयोग करती हैं, लेकिन अगर उनके पास समय नहीं है, तो वे अपना कौशल नहीं प्रयोग कर सकती हैं। सभी संसाधन इतना एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं कि एक के बिना दूसरा अस्तित्वहीन है।
प्रश्न 14. संसाधनों का प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर – कभी-कभी जब हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमें यह ज्ञात होता है कि इसके लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं या नहीं । उदाहरण के लिए, मान लीजिए, किसी दिन आप अपने मित्र के घर जाना चाहती हैं, अपनी छोटी बहन को पढ़ाना चाहती हैं, अपने लिए कपड़े सिलना चाहती हैं और शाम का भोजन भी पकाना चाहती हैं । यह सब काम करने के लिए
1. आपके पास और अधिक समय होना चाहिए, या
2. आपको अपना समय प्रभावपूर्ण ढंग से प्रयोग करना चाहिए, या
3. किए जाने वाले काम की मात्रा घटा देनी चाहिए ।
इन तीनों विकल्पों को हम निम्न प्रकार से देखते हैं-
1. समय बढ़ा नहीं सकते, क्योंकि समय सीमित होता है ।
2. हम काम की मात्रा नहीं घटा सकते, क्योंकि आपका लक्ष्य इन सब कार्यों को एक ही दिन में करना है । अतः समस्या का सर्वश्रेष्ठ समाधान यही है कि समय का सर्वोत्तम उपयोग करें, ताकि आप वे सब कर सकें, जो आप करना चाहते हैं ।
3. यह बात सभी संसाधनों के लिए सही है, क्योंकि संसाधन सीमित होते हैं | हमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी संसाधन बेकार न जाए और आप अपने संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग कर पाएं।
प्रश्न 15. प्रबन्ध व्यवस्था के चरणों की सूची बनायें ।
उत्तर- प्रबन्ध व्यवस्था के निम्नलिखित चरण होते हैं-
1. आयोजन 3. क्रियान्वयन
2. संगठन 4. मूल्यांकन
इनका विवरण निम्न प्रकार है-
1. प्रबन्ध व्यवस्था के अन्तर्गत सर्वप्रथम हम विचार करते हैं कि हमें क्या करना है अर्थात हम लक्ष्य निर्धारण और आयोजन करते हैं ।
2. उसके बाद हम देखते हैं कि हमारे पास सभी आवश्यक हैं अथवा नहीं । साथ ही हम यह भी निर्णय लेते हैं कि कौन-सा कार्य हमें पहले करना है और कौन-सा बाद में । दूसरे शब्दों में, हम योजना का संगठन करते हैं ।
3. तत्पश्चात हम योजना को व्यवहार में लाते हैं । इसे योजना का क्रियान्वयन कहते हैं ।
4. काम पूरा हो जाने के बाद हम अपने आयोजन के गुण-दोषों पर विचार करते हैं, इसे हम आयोजन का मूल्यांकन कहते हैं । वस्तुतः यही प्रबन्ध व्यवस्था है ।
प्रश्न 16. संगठन का अर्थ स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर- संगठन का अर्थ है दायित्व निर्धारित करना तथा योजना की पूर्ति के लिए साधन सँजोना । दूसरे शब्दों में, संगठन का अर्थ है दायित्व निर्धारित करने तथा साधन एकत्र करने की समस्त गतिविधियाँ । दूसरों को कार्य सौंपते समय हमें यह निश्चित कर लेना चाहिए कि क्या
1. वे कार्य करने को तत्पर हैं ?
2. उनमें कार्य करने की क्षमता है ?
3. उनके पास कार्य करने का समय है ?
यदि कोई कार्य किसी ऐसे व्यक्ति को सौंपा जाये, जो उसे नहीं करना चाहता, जो उस कार्य को करने में सक्षम नहीं है या उसके पास समय नहीं है, तो वह कार्य या तो पूरा ही नहीं हो पाएगा या उचित संपन्न नहीं होगा । ऐसी स्थिति में हमारी योजना सफल नहीं ढंग से हो पाएगी संगठन निश्चित करता है कि
1. कार्य पूर्ण रूप से हो,
2. कार्य-विभाजन उचित रूप से हो,
3. कार्य यथासमय हो,
4. समय की यथोचित बचत हो ।
अर्थात यदि कोई कार्य दो या अधिक व्यक्तियों में बंटा हो, तो इससे समय की बचत होती है । कार्य क्योंकि एक से अधिक व्यक्ति करते हैं, अतएव किसी एक पर काम का अनुचित भार नहीं पड़ता अर्थात कार्य का उचित विभाजन होता है ।
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