NIOS Class 10 Home Science Chapter 10 तन्तु तथा कपड़ा

NIOS Class 10 Home Science Chapter 10 तन्तु तथा कपड़ा

NIOS Class 10 Home Science Chapter 10. तन्तु तथा कपड़ा – ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 10 गृह विज्ञान विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10 गृह विज्ञान अध्याय 10 (तन्तु तथा कपड़ा) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 10 Home Science Chapter 10 Fibre To Fabric दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10 Home Science Chapter 10. तन्तु तथा कपड़ा के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

NIOS Class 10 Home Science Chapter10 Solution – तन्तु तथा कपड़ा

प्रश्न 1. मलमल कपड़े के गुण हैं-
(क) भार में हलका तथा ढीली बनाई
(ख) पारदर्शी और कड़क
(ग) भारी वजन एवं मोटा
(घ) मध्यम भार तथा साधारण
उत्तर- (क) भार में हलका तथा ढीली बुनाई ।

प्रश्न 2. डैनिम कपड़े के गुण हैं-
(क) भार में हल्का तथा ढीली बुनाई
(ख) पारदर्शी और कड़क
(ग) भारी वजन एवं मोटा
(घ) मध्यम भार तथा साधारण
उत्तर – (ग) भारी वजन एवं मोटा |

प्रश्न 3. ऑरगेंडी कपड़े के गुण हैं-
(क) भार में हल्का तथा ढीली बुनाई
(ख) पारदर्शी और कड़क
(ग) भारी वजन एवं मोटा
(घ) मध्यम भार तथा साधारण
उत्तर- (ख) पारदर्शी और कड़क ।

प्रश्न 4. पॉपलीन कपड़े के गुण हैं-
(क) भार में हल्का तथा ढीली बनाई
(ख) पारदर्शी और कड़क
(ग) भारी वजन एवं मोटा
(घ) मध्यम भार तथा साधारण
उत्तर- (घ) मध्यम भार तथा साधारण।

प्रश्न 1. निम्नलिखित के बीच एक अंतर बताएँ-
(i) खुरदरा और महीन सूत
(ii) S तथा Z एंठन
(iii) चार प्लाई तथा कॉर्ड सूत
(iv) स्पन तथा फिलामेंट सूत

उत्तर- (i) खुरदरा और महीन सूत – तंतुओं के रेशों से सूत बनाए जाते हैं। मोटाई के अनुसार सूत मोटा तथा महीन होता है। जूट से तैयार होने वाले सूत मोटे तथा खुरदरे होते हैं, जिनका प्रयोग रस्सी, बोरी, सोफा कपड़े आदि बनाने के लिए किया जाता है। जब तंतुओं के रेशों से महीन यानी बारीक सूत बनाए जाते हैं, तो उनका प्रयोग पोशाकों के लिए किया जाता है।

(ii) S तथा Z ऐंठन – तंतुओं के रेशों को सूत बनाने के लिए S आकार ( घड़ी की सुइयों की दिशा में ) या Z आकार (घड़ी सुइयों की विपरीत दिशा में ऐंठा जाता है। इस प्रकार सूत बनाने के लिए ऐंठनों की दिशा S या Z रखी जाती है।

(iii) चार प्लाई तथा कॉर्ड सूत – दो या दो से अधिक सूतों को गूँथकर जब बनाया जाता है, तो उसे प्लाई सूत कहते हैं। चार प्लाई सूत को दो प्लाई सूत के दो तंतुओं को एक साथ गूँथकर बनाया जाता है, जबकि कॉर्ड सूत एक बहु-तंतु सूत है। कॉर्ड सूत तैयार करने के लिए 3/4/5 प्लाई वाले सूत को एक साथ लेकर ऐंठ दिया जाता है। इस प्रकार के सूत का प्रयोग रस्सियाँ बनाने के लिए किया जाता है।

(iv) स्पन तथा फिलामेंट सूत – तंतुओं का वर्गीकरण करके उन्हें अलग किया जाता है। लंबे तंतुओं को फिलामेंट कहते हैं। फिलामेंट को नापने के लिए गज / मीटरों का प्रयोग किया जाता है, जैसे रेशम तथा सभी मानव निर्मित तंतु । फिलामेंट तंतुओं को छोटे आकारों में काटकर उनसे सूत का निर्माण किया जाता है, जिसे स्पन सूत कहते हैं।

प्रश्न 2. नायलॉन, पॉलियेस्टर तथा एक्रेलिक आसानी से आग क्यों पकड़े लेते हैं ?
उत्तर– नायलॉन, पॉलियेस्टर तथा एक्रेलिक आसानी से आग पकड़ लेते हैं क्योंकि ये कृत्रिम तंतु होते हैं जिनका निर्माण पैट्रोलियम उत्पादों से किया जाता है।

प्रश्न 3. नीचे दिए गए मामले का अध्ययन करें और अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें-
गिन्नी बहुत दुखी थी क्योंकि उसके पूरे शरीर पर लाल चकत्ते फैल गए थे और उसे बहुत दर्द हो रहा था। इसने इससे निपटने के लिए अनेक स्थानीय उपचारों का सहारा लिया किन्तु आराम नहीं आया। इन चकत्तों में उसे खुजली हो रही थी और वह बेचैन हो रही थी ।
उसने अपनी मित्र श्यामा से अपनी समस्या पर चर्चा की तो श्यामा ने उसे गाँव के चिकित्सालय में डॉक्टर के पास
जाने की सलाह दी। चिकित्सालय में डॉक्टर ने उसकी जाँच की और उसकी पोशाक के कपड़े को देखा। डॉक्टर ने उससे पूछा कि क्या वह प्रायः इस पोशाक को पहनती है ? गिन्नी ने कहा कि हाँ वह इस पोशाक को बहुत पसंद करती है, इसलिए इसे बार-बार पहनती है। यह एक नए फैशन की पोशाक है और इसे पहनना व इसका रख-रखाव आसान है।
डॉक्टर ने गिन्नी को सलाह दी कि वह इस पोशाक को कुछ दिनों के लिए न पहने। गर्मियों के मौसम में इस पोशाक के कारण त्वचा को स्वच्छ वायु प्राप्त नहीं हो पाती है जिसके कारण पसीना आता है और त्वचा में खुजली हो जाती है तथा लाल चकत्ते पड़ जाते हैं ।
किन्तु गिन्नी को यह बात समझ नहीं आई। उसने सोचा कि हर कोई इस कपड़े से बनी पोशाकों को पहनता है और उन्हें कोई समस्या नहीं होती है। जब अन्य लोगों को ऐसे वस्त्रों को पहनने से कोई समस्या नहीं होती है तो उसे इससे क्या समस्या हो सकती है। निश्चित रूप से उसने सोचा कि उसकी चकत्तों की समस्या किसी और कारण से है। इसलिए उसने अपनी सबसे पसंदीदा पोशाक को पहनना नहीं छोड़ा | कुछ प्रश्नों के उत्तर दें (यदि संभव हो अपने मित्रों या घर के लोगों से चर्चा करें )

यदि आप गिन्नी के मित्र होते हो आप गिन्नी को क्या सलाह देते? आप उसे किस प्रकार समझाते ?

उत्तर- यदि मैं गिन्नी की मित्र होती, तो उसे समझाती कि कपड़ा कितना भी सुंदर क्यों न हो, यदि तुम्हारी त्वचा या शरीर को नुकसान पहुँचा रहा है, तो उसे नहीं पहनना चाहिए। हमारे शरीर के लिए सूती कपड़े सबसे उत्तम होते हैं। वे हमारे शरीर से निकलने वाली गर्मी को अवशोषित कर लेते हैं तथा पसीना सोखते हैं। यदि फिर भी गिन्नी इस वस्त्र को पहनना चाहती है, तो मैं उसे सलाह दूँगी कि वह इस परिधान के नीचे सूती स्लिप पहने, जिससे इसका प्रभाव उसकी त्वचा पर न पड़े।

प्रश्न 4. तंतु अथवा सूत्र से क्या अभिप्राय है ? इसका निर्माण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर- सूत्र छोटे-छोटे बारीक धागों या रेशों से बनाया जाता है। सूत्र या धागा कई रेशों को मिलाकर बनाया जाता है रेशों की कमी के कारण हम सीधे उनसे कपड़ा नहीं बुन सकते। इन रेशों को पहले सूत्र में बदलते हैं। रेशों की तुलना में यह सूत्र मोटा, लंबा और मजबूत है। कपड़ा सूत्र से ही बनाया जाता है। विभिन्न रेशों को ऐंठने से बना अखंड तार यह है ।

कातना : प्रक्रिया – रेशों का सूत्र बनाना कातना कहलाता है। इसमें न केवल रेशों की कटाई की जाती है, बल्कि उन्हें खींचकर सीधा और लंबा बनाया जाता है। हम कातकर तंतु बना सकते हैं। एक रूई का गोला लेकर कुछ रेशे निकालकर उन्हें खींचकर बटना शुरू करें। इस प्रकार सूत बनाना शुरू होता है। कताई विधि रेशों को एकत्रित करती है। यह सूत्र को मजबूत बनाने के अलावा चिकना और बारीक बनाता है।

सम्मिश्रित धागा – कांटसंकुल का कपड़ा कपास और ऊन के मिश्रण से बनता है । टेरीकॉट टेरीलीन और कपास को मिलाकर बनता है । टेरीवूल टेरीन और ऊन को मिलाकर बनता है । सम्मिश्रित धागा दो या उससे अधिक धागों के मिश्रण से बनता है ।

प्रश्न 5. यद्यपि नायलॉन और रेयॉन दोनों ही मानव-निर्मित रेशे हैं, परंतु उनमें क्या अंतर होता है ?
उत्तर- नायलॉन तथा रेयॉन में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-

रेयॉननायलॉन
(i) सूत्री वस्त्र की भांति पसीना सोखता है, किन्तु शीघ्र ही सूख भी जाता है (i) यह पसीना नहीं सोखता है ।
(ii) यह ऊष्मा का अच्छा संवाहक है । (ii) यह ऊष्मा का संवाहक नही है ।
(iii) भीगने पर इसकी दृढ़ता कम हो जाती है ।(iii) भीगने पर भी इसकी दृढ़ता कम नहीं होती अतः यह एक मजबूत रेशा है ।

प्रश्न 6. एक रुई क े गोले से आप सूत कैसे प्राप्त करते हैं ? चित्र द्वारा उसके विविध चरण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- (i) रुई के गोले को हाथ की तकली अथवा चरखे की मदद से काता जाता है ।
(ii) आधुनिक युग में यह कार्य मशीन के द्वारा भी किया जाता है ।
(iii) इस प्रकार कातने से रूई से सूत प्राप्त किया जाता है ।

प्रश्न 7. कपड़े का निर्माण आप कैसे करते हैं तथा उस पर विभिन्न प्रकार के डिजाइन किस प्रकार बनाए जाते हैं ?
उत्तर- कपड़े का निर्माण बुनाई के द्वारा किया जाता है तथा एक या अनेक धागों को आपस में बांधकर वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया बुनाई कहलाती है । बुनाइयां तीन प्रकार की होती हैं-

(i) सादा बुनाई – यह बुनाई का सबसे साधारण व सस्ता तरीका है । इसमें ताने और बाने के तंतु एकांतर होते हैं। अर्थात हर बाने का तंतु एक ताने के ऊपर जाता है और फिर दूसरे ताने के नीचे आता है ।

(ii) ट्वील बुनाई – नाना प्रकार के डिजाइन बनाने के लिए हम तंतुओं के गुंथाव के तरीके को बदल सकते हैं । अगर कपड़े पर कर्ण या तिरछी रेखाएं दिखाई दें, तो इसे हम ‘ट्वील बुनाई’ कहते हैं । इस बुनाई से बने वस्त्र मजबूत होते हैं । डेनिम, खाकी (Khaki), ड्रिल (Drill), जीन (Jean) इत्यादि वस्त्र ट्वील बुनाई द्वारा बनते हैं ।

(iii) सैटिन बुनाई – सैटिन बुनाई के कपड़े, बाने के लंबे तंतुओं के बीच ताने के लंबे तंतुओं के कारण ट्वील बुनाई की अपेक्षा अलग प्रकार के दिखाई देते हैं। इसलिए कपड़े की सतह पर अधिक ताने दिखाई देते हैं।
इन तंतुओं से बना कपड़ा रोशनी में अधिक चमक देता है। इस बुनाई में प्रयोग किए गए तंतुओं में कम ऐंठन होती है। इससे कपड़ा नरम, चिकना और चमकदार लगता है।

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