NIOS Class 10 Business Studies Chapter 2 उद्योग और वाणिज्य

NIOS Class 10 Business Studies Chapter 2 उद्योग और वाणिज्य

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NIOS Class 10 Business Studies Chapter 2 Solution – उद्योग और वाणिज्य

प्रश्न 1. व्यवसाय से आपका क्या अभिप्राय है? व्यावसायिक क्रियाओं के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – व्यवसाय से अभिप्राय उन आर्थिक क्रियाओं से हैं, जिन्हें लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जाता है। व्यावसायिक क्रियाओं को दो श्रेणियों में बाँटा जाता है-उद्योग तथा वाणिज्य |

उद्योग – उद्योग उन व्यावसायिक क्रियाओं से संबंधित है। जिसमें बनाया जाता है, यानी कच्चे माल को बनाया जाता है उद्योगों में वस्तुओं का निष्कर्षण, उत्पादन, प्रक्रिया, निर्माण और संविरचन शामिल हैं। उद्योगों को आम तौर पर तीन श्रेणियों में बांटा जाता है: प्राथमिक उद्योग, द्वितीयक उद्योग और तृतीयक उद्योग। निष्कर्षण और जननिक दो प्राथमिक उद्योग हैं। द्वितीयक उद्योग निर्माण तथा विनिर्माण करते हैं, जबकि तृतीयक उद्योग सेवा क्षेत्रों (मनोरंजन, पर्यटन, होटल आदि) से जुड़े होते हैं।

वाणिज्य- व्यापार में उत्पादित वस्तुओं का वितरण शामिल है। व्यापार क्षेत्र उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाता है। वाणिज्य में व्यापार और व्यापार से संबंधित अतिरिक्त क्रियाएँ शामिल हैं। व्यापार में वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है। व्यापार जल्दी या जल्दी हो सकता है। एक व्यापारी उपभोक्ता और उत्पादक के बीच एक मध्यस्थ का काम करता है। व्यापार की सहायक क्रियाओं में परिवहन, भंडारण, बीमा प्रचार और बैंकिंग शामिल हैं।

प्रश्न 2. ई-वाणिज्य को परिभाषित कीजिए। इसके गुणों का विवेचन कीजिए।
उत्तर – ई-वाणिज्य से तात्पर्य इंटरनेट द्वारा व्यापार से है। आज के युग में तकनीकी ने बहुत तरक्की की है और सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर का आधिपत्य है। इसी प्रकार व्यापार प्रणाली में भी कम्प्यूटर तथा इंटरनेट ने अहम भूमिका निभाई है। आज बहुत-सी ई – वाणिज्य वेबसाइट हैं, जहां से उपभोक्ता अपने उत्पाद का चयन कर सकते हैं। ई-वाणिज्य के अंतर्गत इंटरनेट के माध्यम से वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है। ई-वाणिज्य के गुण निम्नलिखित हैं-

ई-कॉमर्स के लाभ -‘ई-कॉमर्स’ में निरन्तर विकास का क्रम अभी जारी है। इसके निम्नलिखित लाभ हैं-

(i) विस्तृत क्षेत्र – आजकल बेहतर कंप्यूटर नेटवर्किंग की सुविधा उपलब्ध होने के कारण व्यावसायिक फर्मों अपने देश तथा देश के बाहर भी अपने व्यवसाय को बहुत आसानी से चला पाने में सक्षम होती हैं। व्यवसायियों को भी उत्पाद तथा सेवाओं के लिए व्यापाक बाजार मिल जाता है।

(ii) बेहतर उपभोक्ता सेवाएं – वस्तुओं तथा सेवाओं के वितरक उपभोक्ताओं को सेवाओं अथवा वस्तुओं की बिक्री से पहले तथा बाद की सेवाएं प्रदान करते हैं। ये हैं प्रयोग करने के तरीकों, उपभोक्ता की गुणवत्ता, उपयोगिता आदि के सम्बन्ध में पूछे गये प्रश्नों के उत्तर आदि।

(iii) समय की बचत – ई – कॉमर्स में सामान्य क्रय-विक्रय की अपेक्षा काफी कम समय लगता है, क्योंकि इस माध्यम से उत्पादक वस्तुओं के वितरण के लिए कई रास्तों से न जाकर उपभोक्ता तक सीधे पहुंच सकता है।

(iv) लागत में कमी एवं मूल्य में कमी – ई-कॉमर्स में उत्पादों को शो-रूमों में प्रदर्शित करने या स्टॉक रखने की आवश्यकता नहीं होती। इससे व्यवसाय की प्रशासनिक लागत स्वयं कम होती है। इसका परिणाम यह होगा कि लोगों को कम कीमत पर सामान मिल सकता है।

(vi) बाजार संबंधी सूचना- इसमें बाजार संबंधी सूचनाएं इंटरनेट पर उपलब्ध होती हैं, जिससे उत्पादक को उपभोक्ता की जरूरतों को जानने तथा उसके अनुरूप उत्पाद तथा बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद मिलती है।

प्रश्न 3. उद्योग का क्या अर्थ है ? उद्योगों के विभिन्न प्रकारों की चर्चा कीजिए।
उत्तर- उत्पादन प्रक्रिया द्वारा कच्चे माल को उपभोग योग्य बनाने की प्रक्रिया को उद्योग कहते हैं। यह व्यावसायिक क्रिया उत्पादों को बढ़ाना, बनाना, प्रक्रिया करना या बनाना है। उद्योग उत्पादों और उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करता है। निर्माताओं द्वारा अन्य वस्तुओं के उत्पादन में उपयोग की गई वस्तुएँ, जैसे उपकरण, मशीनें और औजार, उत्पादक वस्तुएँ कहलाती हैं। जिन वस्तुओं का प्रत्यक्ष उपभोगकर्ता करता है, वे उपभोक्ता वस्तुएं कहलाते हैं, जैसे- अनाज कपड़ा आदि । उद्योगों के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं-

(i) प्राथमिक उद्योग– वे उद्योग जो प्रकृति उन्मुखी हैं तथा जिनके लिए बहुत कम मानवीय प्रयासों की आवश्यकता होती है, प्राथमिक उद्योग कहलाते हैं, जैसे- मछली पकड़ना, उद्यान विज्ञान, कृषि, वन विज्ञान आदि ।
(ii) जननिक उद्योग – जननिक उद्योग वे होते हैं जो निश्चित प्रजाति के पौधों तथा जन्तुओं के प्रजनन तथा वृद्धि में संलग्न होते हैं, जैसे – मुर्गीपालन, पौधों की नर्सरी, पशुपालन।

(iii) निष्कर्षण उद्योग – निष्कर्षण उद्योगों के अंतर्गत वस्तुओं को भूमि वायु या जल से कच्चे रूप में निकालकर उसे निर्माण एवं रचनात्मक उद्योगों द्वारा उपभोग योग्य बनाना है, जैसे- खनन उद्योग, कोयला, खनिज, तेल, लौह अयस्क आदि।
(iv) निर्माण उद्योग- निर्माण उद्योग में मानव शक्ति व मशीनों की सहायता से कच्चे माल को तैयार माल में परिवर्तित किया जाता
है, जैसे- चीनी उद्योग, कागज उद्योग आदि ।

(v) संरचनात्मक उद्योग – भवनों, सेतुओं, सड़कों, बाँधों आदि का निर्माण करना संरचनात्मक उद्योगों के अन्तर्गत आता है।
(vi) सेवा उद्योग– सेवा उद्योगों से तात्पर्य, होटल उद्योग, पर्यटन उद्योग व मनोरंजन उद्योगों से है। ये उद्योग आज के युग में राष्ट्र के विकास में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।

प्रश्न 4. ई-वाणिज्य के प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर- ई-वाणिज्य आज के युग का आधुनिक वाणिज्य है जो
कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है। ई-वाणिज्य के निम्न प्रकार हैं-
(i) B 2 B (व्यवसाय से व्यवसाय ) – इसमें एक कंपनी दूसरी कंपनी के साथ व्यवसाय करती है, जैसे- उत्पादक वितरक के साथ, थोक व्यापारी फुटकर व्यापारी के साथ ।
(ii) B2 C (व्यवसाय से उपभोक्ता ) – इसमें सूची पत्र का उपभोग करके प्रतिनिधिक रूप से शापिंग कार्ट सॉफ्टवेयर के द्वारा जनता को माल का विक्रय किया जाता है।

(iii) C2B ( उपभोक्ता से व्यवसाय ) – इसके अंतर्गत उपभोक्ता अपना तय बजट अपनी परियोजना के साथ ऑनलाइन भेजता है तथा कंपनियाँ उसकी परियोजना के अनुसार अपने प्रस्ताव भेजती हैं तथा उपभोक्ता अपनी जरूरत के अनुसार उसमें से चयन करता है।
(iv) C2C (उपभोक्ता से उपभोक्ता ) – इसमें कई वेबसाइटें नि:शुल्क वर्गीकृत, नीलामी करती हैं, और लोग ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के माध्यम से वस्तुओं को खरीद-विक्रय कर सकते हैं। जैसे “Pay Bill”, जहाँ लोग आसानी से धन प्राप्त कर सकते हैं और कर सकते हैं

इसके अतिरिक्त सरकार के साथ लेन-देन जैसे कर प्राप्ति, कर की रिटर्न जमा करना, व्यवसाय पंजीकरण तथा लाइसेंस नवीनीकरण ई – वाणिज्य का अन्य रूप है।

प्रश्न 5. व्यापार की सहायक क्रियाओं का क्या अर्थ है ? व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- वाणिज्य में केवल वस्तुओं का खरीद-विक्रय ही नहीं होता, बल्कि वस्तुओं अथवा सेवाओं को वितरित करने वाली सेवाएं भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी को किसी उत्पादक से सामान खरीदने के लिए बाजार से सामान ढोकर लाना होगा। इसके लिए निश्चित रूप से भाड़े पर गाड़ी, ट्रक या कोई अन्य वाहन लेना होगा। जब सामान ढोकर लाया गया है, तो उसे किसी सुरक्षित स्थान पर भंडारण करना होगा ताकि कोई नुकसान या टूट-फूट न हो। इसके अलावा, उसे आग या चोरी से बचने के लिए कोई सुरक्षा उपाय भी करना होगा। वह इसके लिए बीमा खरीद सकता है। इसके अलावा, वस्तुओं को बेचने से पहले धन की भी आवश्यकता होगी। वह बैंक से ऋण ले सकता है। उसे कई लोगों से फोन, फैक्स या किसी अन्य संचार माध्यम से संपर्क करना पड़ सकता है जब वस्तुओं की खरीद-विक्रय की प्रक्रिया चल रही है। व्यवसायी परिवहन, भंडारण, बीमा, बैंकिंग, संचार आदि कर सकते हैं। इसलिए, इन चीजों को व्यापार की सहायक चीजें कहा जाता है।

प्रश्न 6. एक व्यवसायी के रूप में अपने व्यवसाय के दैनिक लेन-देनों में आप किन-किन सहायकों का प्रयोग करेंगे? टिप्पणी कीजिए |
उत्तर- लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से किए गए आर्थिक कार्य को व्यवसाय कहते हैं। एक व्यवसाय को करने वाले व्यवसायी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुत से सहायकों की सहायता लेनी होती है। एक व्यवसायी के रूप में माल उत्पादक केंद्रों से मँगवाने के लिए परिवहन की जरूरत पड़ती है। इसी प्रकार अपने माल को अन्य वितरकों तक पहुँचाने के लिए या ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए परिवहन की जरूरत पड़ती है। अपने माल का भुगतान करने के लिए तथा अपने ग्राहकों से भुगतान प्राप्त करने के लिए उचित बैंकिंग की भी जरूरत होती है। अपने माल को सुरक्षित रखने हेतु भंडारण व बीमा की जरूरत पड़ती है । इस प्रकार एक व्यवसायी के रूप में हमें परिवहन, भंडारण, बैंकिंग आदि की जरूरत अपने सहायक के रूप में होती है।

उद्योग और वाणिज्य के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. उद्योगों के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर – प्राथमिक उद्योग, जननिक उद्योग, निष्कर्षण उद्योग निर्माण उद्योग, संरचनात्मक उद्योग, सेवा उद्योग आदि ।

प्रश्न 2. व्यापार की सहायक क्रियाओं से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – उत्पाद केन्द्रों से माल को अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचाने को संभव बनाने वाली सभी क्रियाओं को व्यापार की सहायक क्रियाएं कहा जाता है।

प्रश्न 3. विज्ञापन का व्यापार में क्या महत्त्व है ?
उत्तर- विज्ञापन उत्पाद बेचने का एक प्रभावी व महत्त्वपूर्ण माध्यम है। विज्ञान द्वारा उत्पाद की पूरी जानकारी दी जाती है, जो उपभोक्ता को उत्पाद की ओर आकर्षित करता है तथा वह उस उत्पाद को खरीदने के लिए विवश हो जाता है।

प्रश्न 4. बैंकिंग के बिना व्यवसाय का संचालन मुमकिन नहीं है, क्या आप इस बात से सहमत हैं?
उत्तर- आज के युग में बैंकिंग के बिना व्यवसाय मुमकिन नहीं है, यह बिल्कुल सच है। बैंक व्यवसाय में होने वाले मुद्रा के लेन-देन को सुगम बनाता है। बैंक द्वारा व्यवसायी को इतनी सुविधाएं दी जाती हैं जिससे वह आसानी से घर बैठे अपने लेन-देन पूरे करते हैं ।

प्रश्न 5. जननिक उद्योगों का अर्थ बताइए ।
उत्तर- ऐसे उद्योग जो पशु एवं पक्षियों के प्रजनन एवं पालन में लगे हैं या विक्रय के लिए पौधे या फूल उगाते हैं, जननिक उद्योग कहलाते हैं।

प्रश्न 6. निष्कर्षण तथा जननिक उद्योग में अंतर्भेद कीजिए ।
उत्तर – प्राथमिक उद्योगों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है-
(i) निकर्षण उद्योग, तथा (ii) जननिक उद्योग |

(i) निकर्षण उद्योग (Extractive Industries) – विभिन्न पदार्थों को भूगर्भ या समुद्रतल से निकालने वाले उद्योग इसमें शामिल हैं। इसमें मुख्य रूप से भूगर्भ से विभिन्न खनिज पदार्थों (कोयला, लोहा, तांबा) और समुद्रतल से मछली पकड़ने और तेल निकालने से जुड़े उद्योग शामिल हैं।

(ii) जननिक उद्योग (Genetic Industries) – जब भूमि या प्रकृति से उत्पादन किया जाता है तो उन्हें जननिक उद्योग कहते हैं, जैसे – कृषि, पशु-पालन, मछली उद्योग, वन उद्योग आदि । इन्हें प्रारम्भिक उद्योग (Primary Industry) भी कहते हैं ।

प्रश्न 7. प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक उद्योगों का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – उद्योग को व्यापक स्तर पर तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
(क) प्राथमिक उद्योग
(ख) द्वितीयक उद्योग तथा
(ग) तृतीयक उद्योग।

(क) प्राथमिक उद्योग – इन उद्योगों में खनिज, तेल, कृषि पौधे, पशु तथा पशु उत्पादकों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का निष्कर्षण, उत्पादन तथा प्रक्रमण किया जाता है। ये उद्योग प्राकृतिक संसाधनों को कच्चे माल के रूप में उपयोग करते हैं तथा उपभोक्ताओं के
उपयोग के लायक तैयार माल का उत्पादन करते हैं। उद्योगों को दो भागों में बांटा जा सकता है-
(i) निष्कर्षण उद्योग तथा
(ii) जननिक उद्योग

(ख) द्वितीयक उद्योग- प्राथमिक उद्योग में तैयार माल से उत्पादन या प्रक्रमण करने वाले उद्योग द्वितीयक उद्योग कहलाते हैं। प्राथमिक उद्योग में तैयार माल को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इससे हमारे उपयोग के लिए विभिन्न वस्तुएं बनाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, प्राथमिक उद्योग पृथ्वी से कच्चा लोहा निकालता है, लेकिन दूसरा उद्योग इसे कच्चे माल के रूप में प्रयोग करके हमें स्टील या लोहा बनाने के लिए उपयोग करता है। इस तरह, स्टील या लोहा तैयार करना द्वितीयक उद्योग है और लौह अयस्क उत्पादन पहला है। द्वितीयक उद्योग को दो भागों में बांटा जा सकता है-
(i) निर्माण उद्योग तथा
(ii) विनिर्माण उद्योग |

(ग) तृतीयक उद्योग- जो उद्योग उपभोक्ता के लिए सेवाएं उपलब्ध कराते हैं उन्हें तृतीयक उद्योग कहते हैं। इनकी गतिविधियों में या तो व्यक्तिगत सेवाएं होती हैं, जैसे- चिकित्सा सेवा, नर्सिंग, शिक्षण आदि ।

प्रश्न 8. व्यावसायिक क्रियाओं को वर्गीकृत कीजिये ।
उत्तर – व्यावसायिक क्रियाओं को दो भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं- ‘उद्योग’ तथा ‘वाणिज्य’ ।
उद्योग – उद्योग के अन्तर्गत वे सभी व्यावसायिक क्रियाएँ शामिल हैं, जिनमें वस्तुओं का उत्पादन या निर्माण किया जाता है अर्थात प्रकृति प्रदत्त भौतिक पदार्थों की उपयोगिता को उद्योग द्वारा बढ़ाकर उपभोग योग्य या विक्रय योग्य बनाया जाता है। इसमें कच्चे माल या अर्द्धनिर्मित माल का पूर्ण रूप से निर्माण करके विक्रय योग्य बनाया जाता है। इसके अन्तर्गत फसल उगाना, जमीन से कच्चे माल का खनन, मछलीपालन, फूलों की खेती करना आदि आता है।

वाणिज्य- उत्पादित वस्तुओं के क्रय-विक्रय के लिये उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने-ले जाने के कार्य वाणिज्य के अन्तर्गत आते हैं। इसमें कच्चे माल को उत्पादकों तक पहुँचाना व तैयार माल को उपभोक्ताओं तक पहुँचाना, वस्तुओं के मूल्य का बीमा कराना, मूल्य के भुगतान के उचित साधन, उत्पादित माल को उचित स्थान पर संगृहीत करना, उत्पाद की पैकेजिंग आदि सभी क्रियाएँ आती हैं। अतः वाणिज्य द्वारा उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं की वस्तु-विनिमय संबंधी सभी कठिनाइयों को दूर किया जाता है।

प्रश्न 9. वाणिज्य’ शब्द की परिभाषा दीजिये । वाणिज्य से संबंधित विभिन्न क्रियाओं का वर्णन कीजिये ।
उत्तर – वाणिज्य में वस्तुओं की खरीद-विक्रय, यातायात, संग्रह, बैंकिंग, बीमा तथा विनिमय से जुड़े सभी कार्य शामिल हैं। वाणिज्य में वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाना-लेना, वस्तुओं का बीमा कराना, मूल्य भुगतान के उचित साधन, कच्चे को उत्पादकों तक पहुंचाना तथा तैयार माल को उपभोक्ता तक पहुंचाना शामिल हैं। व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच एक पुल का काम करता है। यह उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच वस्तु-विनिमय संबंधी सभी समस्याओं को हल करता है। व्यापार दुनिया को एक बाजार में बदलता है, दूरी कम करके। वाणिज्यिक क्रियाएँ दो भागों में विभाजित हो सकती हैं। एक वस्तुओं का क्रय-विक्रय करना, दूसरी, उपभोक्ताओं को वस्तुओं व सेवाओं को ठीक से देना पहली क्रिया व्यापार है, और दूसरी क्रिया व्यापार की सहायक या पूरक क्रियाएँ है।

1. व्यापार- व्यापार में उत्पादित वस्तुओं का क्रय-विक्रय शामिल है, यानी वस्तुओं के क्रय-विक्रय से संबंधित सभी क्रियाएँ। व्यापारी उत्पादकों से सामान खरीदता है और फिर उन्हें उपभोक्ताओं को बेचता है, इसमें व्यापारी का लाभ निहित है। व्यापार को दो श्रेणियों में बाँट सकते हैं: आंतरिक व्यापार और बाह्य व्यापार। आंतरिक व्यापार एक देश के बाहर होता है। व्यापारी बड़ी मात्रा में उत्पादों को खरीदकर उन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में विक्रेताओं को बेच सकता है, जो थोक व्यापार में होता है। फुटकर व्यापार वह है जब एक व्यापारी एक थोक व्यापारी से सामान खरीदकर उसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ग्राहकों को बेचता है। बाह्य व्यापार कई देशों के बीच होता है। इस प्रकार, व्यापारी किसी अन्य देश से सामान खरीदकर अपने देश में बेचता है, जिसे “आयात व्यापार” कहते हैं। यही कारण है कि जब एक देश अपने उत्पादों को दूसरे देशों को बेचता है, तो इसे “निर्यात व्यापार” कहते हैं। व्यापारी कभी-कभी दूसरे देश से माल खरीदकर उसे दूसरे देश में बेचता है; यह व्यापार “पुनः निर्यात व्यापार” कहलाता है।

2. व्यापार की सहायक क्रियाएँ – व्यापार को सुचारु रूप से चलाने में सहायता करने वाली क्रियाएँ व्यापार की सहायक क्रियाएँ कहलाती हैं। इसमें निम्न क्रियाओं को शामिल किया जाता है-

(i) यातायात – व्यवसाय की उन्नति में अत्यधिक योगदान यातायात के साधनों का होता है। इन्हीं के द्वारा देश के अलग-अलग कोनों से तथा एक देश का दूसरे देश के साथ व्यापार संभव हो पाता है।
(ii) बैंक – बैंक व्यापारिक भुगतान की समस्या का समाधान करता है।
(iii) बीमा – इसके द्वारा व्यापारिक जोखिम को कम किया जाता है। व्यापारी अपने माल का बीमा करवाकर हानि या दुर्घटना से होनी वाली हानि से निश्चित हो जाता है।

(iv) भंडारण – उत्पादित माल को विक्रय तक सुरक्षित रखना आवश्यक होता है। माल गोदाम इन वस्तुओं को विक्रय के समय तक सुरक्षित रखने का कार्य करते हैं।
(v) संप्रेषण – सूचनाओं के आदान-प्रदान करने की सुविधा संप्रेषण कहलाती है, जो पूरे देश या विश्व को एक साथ जोड़कर रखती है। इसकी सहायता से व्यापार का संचालन दूर-दूर तक किया जा सकता है।
(vi) विज्ञापन एवं प्रचार– अपने माल की बिक्री के लिए उसकी जानकारी लोगों को देना व इसका प्रचार करना अत्यंत आवश्यक क्रिया है, जिसके द्वारा वस्तुओं को बेचना आसान ह जाता है।

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