पर्यावरण तथा धारणीय विकास के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. लिए कैसे उत्तरदायी है?
उत्तर – तेजी से बढ़ती जनसंख्या की मांगों को पूरा करने के लिए औद्योगीकरण तेजी से फैल रहा है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। औद्योगीकरण ने हर चीज पर बुरा प्रभाव डाला है, जैसे जल, वायु, थल, मानव, वन और जीव-जन्तु। पर्यावरण प्रदूषण ने प्राकृतिक, भौतिक, संसाधन और जीवन के मूल्यों, जैसे सांस्कृतिक और सौन्दर्य के मूल्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है। कारखानों की चिमनियों से निकलने वाली गैसें, मोटर वाहनों के धुएं, कोयले और तेल से चलने वाले शक्ति संयंत्रों आदि वातावरण को खराब करते हैं। इनसे निकलने वाले धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा शरीर पर बुरा प्रभाव डालती है। प्रदूषण का मुख्य स्रोत मोटर वाहनों में एक्जॉस्ट पाइप, ब्रेक केस, कारब्यूरेटर और ईंधन की टंकी है। दिल्ली में मोटर वाहनों द्वारा छोड़े जाने वाले धुएं और मथुरा में तेल शोधक कारखाने से निकलने वाले हानिकारक गैसों से निरंतर पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
प्रतिवर्ष समुद्री जहाजों द्वारा भारी मात्रा में तेल समुद्री पानी में छोड़ा जाता है, जिससे हजारों समुद्री जीव मर जाते हैं। पौधों पर छिड़का जाने वाला डीडीटी पाउडर भी वर्षा जल के साथ नदियों में जाता है, जो अंततः समुद्री जल को प्रदूषित करता है। खेतों में मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण कीटाणुनाशक दवा है। ध्वनि-विस्तारक यंत्रों, उद्योग-धन्धों की मशीनों, स्थल व वायु परिवहन साधनों तथा मनोरंजन के साधनों (ध्वनि-विस्तारक यंत्रों आदि) के कारण भी ध्वनि प्रदूषण तेजी से बढ़ा है, जिससे सिरदर्द, बेहोशी, बहरेपन आदि की घटनाएं बढ़ रही हैं। परमाणु बमों और परमाणु ईंधन के परीक्षण भी रेडियोधर्मिता को बढ़ा रहे हैं। सांस द्वारा मानव शरीर में रेडियोधर्मी धूल प्रवेश कर सकती है, जो अगली पीढ़ी को विकलांग या रोगी बना सकती है। इसलिए आज प्रदूषण से बचने के लिए अत्याधुनिक तकनीक की सबसे अधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है।
प्रश्न 2. जंगलों के पतन के लिए जिम्मेदार कारकों का विस्तार से उल्लेख करें।
उत्तर- भारत में ग्रामीण बेरोजगारी और गरीबी, विशेषकर जनजातीय क्षेत्रों में, गरीब परिवारों की संख्या बढ़ रही है जो जंगलों का अत्यधिक शोषण करते हैं।
जनसंख्या में वृद्धि – लोगों की बढ़ती संख्या से जंगल उत्पादों की मांग बढ़ी है। लकड़ी, फर्नीचर व निर्माण उद्योग, कागज उद्योग और दवा उद्योग में चिकित्सीय वनस्पतियों की मांग बढ़ रही है
अत्यधिक चराई – भारत विश्व में सबसे बड़ी मवेशी संख्या है। इसमें से अधिकांश जानवर जंगलों पर निर्भर हैं। बकरी और भेड़ जैसे छोटे जानवर जंगलों और चरागाहों में पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।
ईंधन-लकड़ी की मांग- जंगलों के आसपास रहने वाले गरीब परिवार घरेलू उपयोग या आय के लिए ईंधन-लकड़ी इकट्ठा करते हैं। ईंधन-लकड़ी बनाने के लिए पेड़ों की कटाई जंगलों को बर्बाद करती है।
प्रश्न 3. जंगलों के पतन के हानिकारक प्रभाव बताइए ।
उत्तर- 1. पत्थर तथा चट्टानें ढीली पड़ जाती हैं और वर्षा ऋतु में घाटी तथा पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन होता है ।
2. वर्षा भूगर्भ में पानी की कमी को पूरा करती है और जमीन में नमी को बढ़ाती है। लेकिन बिना वर्षा के जमीन की आर्द्रता बहुत कम हो जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों में तो पेड़ों की कटाई से अधिकांश पानी नीचे बहता है। और बहुत कम पानी जमीन में घुल जाता है, इसलिए जमीन आर्द्र हो जाती है।
3. भूमण्डलीय उष्णता – विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटनाक्रम का कारण जंगलों का विनाश है। नाइट्रोजन ऑक्साइड, मीथेन और कार्बन डाईऑक्साइड, वातावरण में सौर उष्मा को धारण करने वाली कुछ गैसें हैं। इससे ध्रुवों में बर्फ पिघलती है, जिससे समुद्रों में पानी का स्तर बढ़ता है। समुद्री जलस्तर बढ़ने से कई स्थानों में बाढ़ हो रही है।
4. जंगलों में बहुत सारे पेड़-पौधे होते हैं। यह जनशक्ति का भंडार है। जंगलों की मृत्यु से जीवन के कई रूप लुप्त हो जाते हैं। इससे जीव-जंतु विविधता खत्म होती है।
प्रश्न 4. पर्यावरणीय समस्याओं पर नियंत्रण हेतु क्या उपाय अपनाए जाने चाहिए?
उत्तर- पर्यावरण समस्याओं के सुधार के लिए किए जाने वाले उपाय निम्नलिखित हैं-
1. शिक्षा तथा प्रचार पर्यावरण समस्याओं का कारण उसके बारे में जागरूकता की कमी है। स्कूलों व विश्वविद्यालयों में पर्यावरण के विभिन्न पक्षों के बारे में छात्रों को ज्ञान दिया जाता है, जिससे वे अपने जीवन में उनका मूल्य समझ सकें। जनता को पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार भी राष्ट्रीय समाचारपत्रों, टेलीविजन तथा रेडियो में नियमित विज्ञापन देती है.
2. पर्यावरण कानून-पर्यावरण की रक्षा के लिए अनेक कानून बनाये गए हैं। इन कानूनों पर अमल करने सेसे प्रदूषण पर नियंत्रण रखने में कुछ हद तक मदद मिली है।
3. सरकारी प्रयत्न – सरकार पर्यावरण की सफाई पर बहुत ध्यान देती है। अनुसंधान, पर्यावरण समस्याओं पर सूचनाओं का विस्तार करना, बीमारियों की रोकथाम व पीने साफ पानी की व्यवस्था जैसे पर्यावरण की सुरक्षा के प्रयत्नों में सरकार उल्लेखनीय योगदान दे रही है।
4. कर व अनुदान – सरकार पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली कुछ वस्तुओं व सेवाओं पर कर लगाती है। कर जनता को पर्यावरण को प्रदूषित करने से रोकता है। सरकार द्वारा अनुदान व्यवस्था से जनता को पर्यावरण मित्र उत्पादों का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
5. पुनर्चक्रीकरण – इसके तहत सरकार उपयोग किए गए संसाधनों के पुनः उपयोग को प्रोत्साहन देती है।
6. प्रतिस्थापन – इसके तहत सरकार ने दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों की जगह अनेक वैकल्पिक वस्तुओं के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया है। जैसे- पेट्रोल व डीजल की जगह सी. एन. जी. तथा लकड़ी व कोयले के स्थान पर एल. पी. जी. को प्रोत्साहन आदि।
7. संरक्षण- सरकार ने दुर्लभ प्राकृतिक साधनों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए सरकार ने वन्यजीव अभयारण्य बनाकर जंगली जीवों को सुरक्षा प्रदान की है।
प्रश्न 5. जल प्रदूषण को रोकने हेतु महत्त्वपूर्ण उपायों के सुझाव दीजिए।
उत्तर- जल प्रदूषण को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं-
1. जहां तक हो सके किसी भी प्रकार का कूड़ा-करकट, अपशिष्ट पदार्थ, मल-मूत्र आदि जल स्रोतों में नहीं मिलने चाहिए।
2. गांवों तथा शहरों में मल-मूत्र मिश्रित जल को पहले शोधन यंत्रों में लाकर ही जल स्रोतों से मिलाना चाहिए।
3. जहां तक सम्भव हो नदियों, तालाबों, जलाशयों कुओं, झरनों आदि में प्रदूषित जल का विलय नहीं करना चाहिए। इसके लिए बांध व दीवार बनानी चाहिए।
4. जल स्रोतों में स्नान करना, कपड़े धोना, क्रीड़ा करना | तथा साबुन के प्रयोग को वर्जित करना चाहिए।
5. औद्योगिक इकाइयों को जल स्रोतों के समीप नहीं लगाना चाहिए।
6. जल प्रदूषण को रोकने के लिए शहरों को विभिन्न भागों में बाटकर सफाई करनी चाहिए।
7. जनसाधारण को जल प्रदूषण तथा उसे रोकने के उपायों से रेडियो, टी.वी. तथा समाचारपत्रों के माध्यम से अवगत कराना चाहिए।
8. तालाबों एवं नदियों में जल शुद्ध करने वाले रसायन डालने चाहिए।
9. अधिकांश विषैले कीटनाशकों पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। उपर्युक्त सभी उपायों से हम जल प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते हैं।
प्रश्न 6. पेट्रोल तथा डीजल के संरक्षण हेतु सरकार द्वारा क्या विज्ञापन किया जाता है?
उत्तर – पेट्रोल तथा डीजल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा विज्ञापन में निम्नलिखित बातों की चर्चा की जाती है-
1. कार पुल अर्थात एक ही जगह से जाने वाले लोग एक ही कार पर जाएं।
2. लाल बत्तियों पर गाड़ी का इंजन बंद कर दें।
3. टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव हो ।
4. क्लच तथा ब्रेक का कम से कम उपयोग हो ।
5. 40-50 किलोमीटर की औसत गति रखी जाये।
प्रश्न 7. पुनर्चक्रीकरण क्या है?
उत्तर – पुनर्चक्रीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा उपयोग किये जा चुके एक संसाधन का अनेक बार उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए समाचारपत्रों तथा कार्डबोर्ड उद्योग में प्रयोग होने वाला कागज पुनर्चक्रीकृत कागज होता है।
प्रश्न 8. जल प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों की चर्चा कीजिए ।
उत्तर- वैसे तो जल प्रदूषण विभिन्न प्रकार का होता है, परन्तु अध्ययन की सुविधा के लिए इसे निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है-
(क) भौतिक प्रदूषण – इसमें भौतिक कारकों से जुड़े कारण शामिल हैं। तापीय प्रदूषण, स्वाद, गन्ध, रंग, झाग, कोलायडी अपद्रव्य और निलम्बित अपद्रव्य शामिल हैं।
(ख) रासायनिक प्रदूषण – प्राकृतिक जल को विभिन्न स्थानों से बहते हुए कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन प्रदूषित करते हैं। क्षार, अम्ल, प्रोटीन, फिनॉयल और कार्बन मोनोऑक्साइड अकार्बनिक रसायन हैं, जबकि पारा, तांबा, प्रोटीन, फिनॉयल और कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बनिक रसायन हैं। ये सभी जल को नुकसान पहुंचाते हैं। जैविक प्रदूषकों में सूक्ष्म जीवाणु, वायरस और अन्य जीव-जन्तु शामिल हैं। ये जल में ही पनपते हैं, बड़े होते हैं और फिर मर जाते हैं, इससे जल प्रदूषित होता है। ऐसा जल पीने से कई बीमारियां होती हैं।
प्रश्न 9 आर्थिक विकास से पर्यावरणीय समस्याओं में वृद्धि होती है। स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- औद्योगिक विकास, जो लोगों की आय को बढ़ाता है, विकास का अर्थ है। परन्तु इस औद्योगिक प्रगति के साथ कुछ कमियां भी आती हैं; जैसे, लोगों की सामाजिक और नैतिक कमियां और पर्यावरणीय कमियां। इनसे पर्यावरणीय कमियां स्पष्ट होती हैं। विकास से भौतिक तथा सामाजिक पर्यावरण दोनों खराब होते हैं, जिसका भूमि पर रहने वाले जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों तथा व्यक्तियों के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। विकास और पर्यावरण में इस प्रकार विपरीत संबंध है, लेकिन कुछ उच्च प्रदूषण नियंत्रण तकनीक इसे सुधार सकती हैं।
प्रश्न 10. प्राकृतिक संसाधनों से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- हम प्राकृतिक संसाधन कहते हैं जो प्रकृति से मनुष्य को निःशुल्क और उपहारस्वरूप मिलते हैं। भूमि, वन-संपदा, जल संसाधन, खनिज पदार्थ, शक्ति के साधन, पशुधन और अन्य प्राकृतिक संसाधन किसी भी देश की भौगोलिक स्थिति तथा जलवायु से जुड़े होते हैं।
1. प्राकृतिक उपहार – प्राकृतिक संसाधन मनुष्य को प्रकृति से निःशुल्क प्राप्त होते हैं। इन संसाधनों के लिए किसी अन्य को मूल्य के रूप में कुछ भी चुकाना नहीं पड़ता।
2. निष्क्रियता – प्राकृतिक सामग्री अपने आप में निष्क्रिय हैं। इनका विदोहन या प्रयोग करने से वे सक्रिय होकर देश के आर्थिक विकास में योगदान देते हैं।
3. विविधता – इइन संसाधनों में प्राकृतिक विविधता है। प्राकृतिक संसाधन न तो सभी जगह पाये जाते हैं, न ही उनका रूप, गुण और मात्रा समान होता है। कहीं जलवायु नम है, तो कहीं शुष्क है, कहीं अत्यधिक शीत प्रदेश है, कहीं मिट्टी बहुत उपजाऊ है, तो कहीं पूरी तरह बंजर है, कहीं पहाड़ हैं, तो कहीं पठार हैं, और कहीं रेगिस्तान है।
4. आर्थिक विकास में सहायक– प्राकृतिक संसाधन किसी भी देश के आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न देश इनका विवेकपूर्ण उपयोग करके तेजी से आर्थिक विकास कर सकते हैं।
5. सीमितता – प्राय: प्रकृति प्रदत्त संसाधन सीमित व निश्चित होते हैं। मानवीय प्रयत्नों से उन्हें खोजा तो जा सकता है, परन्तु उनका निर्माण नही किया जा सकता।
6. उचित विदोहन– प्राकृतिक संसाधनों के उचित व विवेकसम्मत विदोहन से ही सन्तुलित आर्थिक विकास सम्भव होता है। प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित व अत्यधिक विदोहन घातक सिद्ध होता है।
प्रश्न 11. संरक्षण के उपायों की चर्चा कीजिए।
उत्तर- जल को प्रदूषण तथा बर्बादी से बचाने के लिए तथा उसके परिरक्षण के लिए निम्नलिखित पद्धतियों का प्रयोग किया जाना चाहिए-
1. वर्षा जल को इकट्ठा करना।
2. छतों एवं टैंकों से पानी का रिसाव रोकना।
3. प्रयुक्त पानी का पुनर्चक्रीकरण।
4. जल की बर्बादी रोकने के लिए उसकी कीमत अथवा प्रयोग शुल्क बढ़ाना।
प्रश्न 12. पर्यावरण का हमारे जीवन में क्या महत्त्व एवं योगदान है?
उत्तर- पर्यावरण उन सभी उपयुक्त दशाओं का योग है, जो निश्चित समय में, निश्चित स्थान पर मनुष्य को स्वतंत्र रूप से
प्रकृति द्वारा प्राप्त होते हैं तथा मानव विकास हेतु महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान करते हैं।
पर्यावरण का महत्त्व इस प्रकार है-
1. पर्यावरण हमें नवीकरणीय तथा गैर-नवीकरणीय दोनों संसाधन प्रदान करता है।
2. पर्यावरण विभिन्न खतरनाक अवशेषों और औद्योगिक स्राव (उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट) को अपनाने और पुनर्चक्रीकरण करने में बहुत अच्छा है।
3. पर्यावरण जैव-विविधता के लिए महत्त्वपूर्ण आधार प्रदान करता है, क्योंकि पर्यावरण अनुवांशिक विभिन्नता तथा अनुकूलन के लिए उपयोगी है।
4. पर्यावरण का अध्ययन अनेक जैविक (पक्षी, जन्तु, पौधे, वन) तथा अजैविक (वायु, जल, सूर्य, चट्टान) घटकों के अन्तर्सम्बन्ध तथा अन्त: क्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है।
5. सौंदर्य कला भी पर्यावरण को महत्व देती है। प्राकृतिक सुन्दरता के कारण मानव संस्कृति विश्वव्यापी है।
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