NIOS Class 10 Arthashastra Chapter 19 भारतीय अर्थव्यवस्था एक विहंगम दृष्टि
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NIOS Class 10 Economics Chapter 19 Solution – भारतीय अर्थव्यवस्था एक विहंगम दृष्टि
प्रश्न 1. अस्थायी बन्दोबस्त से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर- भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यहां की अधिकांश जनसंख्या का लगभग 70% कृषि पर निर्भर है। भारतीयों का मुख्य व्यवसाय भी अंग्रेजी शासन के दौरान कृषि था। अंग्रेजों ने स्थायी और अस्थायी बंदोबस्त नामक दो प्रकार की भूमि व्यवस्था बनाईं। स्थायी बंदोबस्त में लगान की राशि निर्धारित थी और २५ से ३० वर्ष की अवधि के बाद जमीन के लगान में बदलाव किया जाता था।
प्रश्न 2. अंग्रेज नकदी फसलों की खेती क्यों कराना चाहते थे?
उत्तर- इंग्लैंड में औद्योगिक क्रान्ति के कारण उद्योगों की तेज वृद्धि ने कच्चे माल की जरूरत महसूस की, जैसे कपड़ा उद्योग के लिए कपास। इसी तरह कपड़ों की छपाई में नील की मांग बढ़ी। इंग्लैंड में मूंगफली, जूट, गन्ना आदि की मांग भी बढ़ी। नतीजतन, अंग्रेजों ने भारत के गरीब किसानों को अधिक धन का लालच देकर इन नकदी फसलों को उगाने के लिए प्रेरित किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश फैक्ट्रियों के लिए था।
प्रश्न 3. भारत में अकाल पड़ने के दो कारण दो ।
उत्तर- (क) कृषि की मानसून पर अत्यधिक निर्भरता । कच्चे माल की व्यवस्था करना था।
(ख) नकदी फसलों का उत्पादन और खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट ।
प्रश्न 4. भारतीय जनसंख्या का एक सकारात्मक पहलू बताओ।
उत्तर- भारत में कुल जनसंख्या के अनुपात में युवा लोगों की संख्या अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है, जो एक अच्छी बात है भारतीय जनसंख्या के बारे में। 0-25 वर्ष की आयु वर्ग की लगभग आधी जनसंख्या है। 121 करोड़ लोगों में से लगभग 78.5 करोड़ यानी 35 वर्ष से कम आयु के हैं; इसका मतलब यह है कि युवा लोग ऊर्जा और शक्ति से भरपूर हैं और उनसे बेहतर काम करने की उम्मीद भी अधिक है। संक्षेप में, मानवीय संसाधन के युवा वर्ग का कुल अनुपात किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि और विकास पर निर्भर करता है।
प्रश्न 5. प्रति व्यक्ति आय की परिभाषा से क्या आप इसमें धीमी वृद्धि का एक कारण बता सकते हो ?
उत्तर- प्रति व्यक्ति आय का अर्थ है एक व्यक्ति को उनकी सेवाओं या उत्पादित क्षमता के आधार पर मिलने वाली मासिक या साप्ताहिक आय, अर्थात प्रतिव्यक्ति आय = राष्ट्रीय आय/जनसंख्या. हालांकि, जनाधिक्य प्रति व्यक्ति आय में धीमी वृद्धि का एकमात्र कारक है, जिससे वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ती हैं और रुपये का मूल्य गिरता है।
प्रश्न 6. अंग्रेजी शासन काल में पड़े अकालों का एक संक्षिप्त विवरण दो। इन अकालों के पड़ने के क्या कारण थे?
उत्तर- भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान लगभग ३३ बार अकाल पड़ा। 1943 में बंगाल में हुआ अकाल सबसे बुरा था। भोजन की कमी ने 15 लाख से अधिक लोगों को मार डाला। अकाल पड़ने के कुछ कारणों में शामिल थे:
1. कृषि की मानसून पर अत्यधिक निर्भरता
2. सिंचाईं सुविधाओं का अभाव
3. खाद्यान्नों का दूसरे देशों में निर्यात 4. निर्धनता और गरीबी ।
प्रश्न 7. मध्यस्थ कौन थे? उनके द्वारा अदा की गई भूमिका का वर्णन कीजिये ।
उत्तर – स्थायी और अस्थायी लगान व्यवस्थाएं भारत में अंग्रेजों ने शुरू कीं। लगान को एकत्रित करने के लिए अंग्रेजी सरकार ने पूर्वी भारत में जमींदार, पश्चिमी भारत में महलवारी और दक्षिणी भारत में रैयतवारी नियुक्त किए। क्योंकि ये लोग जनसाधारण और अंग्रेज सरकार के बीच काम करते थे, इन्हें मध्यस्थ कहते थे। उनका काम लगान, कर आदि के माध्यम से गांव वालों, किसानों और अन्य परिवारों से धन जुटाना था और उसे सरकार के पास जमा करना था। धीरे-धीरे ये लोग लोगों से लगान वसूल करते थे, बिना उनकी गरीबी को देखते हुए, इसलिए वे जनता के शोषणकर्त्ता बन गए। ये मध्यस्थ गांव वालों से मिलने वाली कुल आय का एक भाग अंग्रेज सरकार को देने से पहले अपने पास रखते थे। इस तरह, जमींदार, महलवारी और रैयतवारी क्रमशः अपने-अपने इलाकों में छोटे-छोटे शासक बन गए। जो लोग भूमि का लगान नहीं दे पाते थे, उनकी संपत्ति बलपूर्वक लूटी जाती थी। ये मध्यस्थों, अंग्रेज सरकार के आशीर्वाद और जनता की लागत पर धनी और शक्तिशाली होते गए।
प्रश्न 8. भारत सरकार ने नियोजन क्यों अपनाया ?
उत्तर- भारत सरकार द्वारा आर्थिक नियोजन की प्रक्रिया ने स्वतंत्रता के बाद देश की अर्थव्यवस्था में भारी वृद्धि और विकास को जन्म दिया। 1951 में भारत सरकार ने पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की। अब तक ग्यारह पंचवर्षीय योजनाओं को पूरा किया गया है। लेकिन पहली योजना से ग्यारहवीं योजना में खर्च बहुत अधिक था।
प्रश्न 9. क्या आपके विचार में भारत एक गरीब देश है ? अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिये ।
उत्तर- भारत, स्वतंत्रता के बाद विश्व के लगभग एक तिहाई गरीब लोगों का घर था। कस्बों और शहरों में मलिनावास, बच्चों का खेतों या फैक्ट्रियों में काम करना आदि किसी देश की गरीबी के चिह्न हैं। हालाँकि, पंचवर्षीय योजनाओं और योजनाबद्ध आर्थिक रणनीतियों से भारत की आर्थिक स्थिति में काफी बदलाव हुआ है। भारत आज विकसित होने की ओर निरंतर बढ़ता जा रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था एक विहंगम दृष्टि के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. भारतीय अर्थव्यवस्था की मूलभूत विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर- भारतीय अर्थव्यवस्था की मूलभूत विशेषताएं हैं-
1. प्रतिव्यक्ति निम्न आय और निम्न जीवन-स्तर
2. जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर
3. बेरोजगारी तथा गरीबी
4. जीवन की गुणवत्ता से जुड़ी सामाजिक ऊपरी संरचना (विशेषकर ग्रामीण जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने में) की अपर्याप्तता ।
प्रश्न 2. अंग्रेजों ने भारत का उपनिवेश की भांति कैसे प्रयोग किया?
उत्तर – 1757 से पहले, भारत की अर्थव्यवस्था स्वतंत्र थी। इसे अंग्रेजी शासन ने लूटा और खोखला कर दिया। भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ। उन्हें भारत की अर्थव्यवस्था को कच्चे माल की आपूर्ति और अंग्रेजी उत्पादों की खपत का बाजार बनाया गया। उसने भारत को ब्रिटेन के आर्थिक हितों के लिए उपनिवेश की तरह प्रयोग किया।
प्रश्न 3. वर्णन करें कि भारत स्वतंत्रता के समय एक जीर्ण-शीर्ण अर्थव्यवस्था थी।
उत्तर- 1920 के दशक में अंग्रेजों ने दो विश्व युद्धों में भाग लिया। भारत परतंत्र था, इसलिए अंग्रेजों ने इस महायुद्ध में भारतीय सेना और हथियारों का इस्तेमाल किया। दूसरे शब्दों में, भारत को इन विश्व युद्धों से कोई संबंध नहीं था। यहां उपलब्ध पूंजीगत साधनों का व्यापक प्रयोग किया गया था। इस दौरान भारतीय मशीनें खराब हो गईं। यहां की अर्थव्यवस्था को होने वाली हानि की परवाह न करते हुए, अंग्रेजों ने कोयले और लोहे के भंडारों का जमकर दोहन किया। स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत खराब थी।
प्रश्न 4. पंचवर्षीय योजनाओं के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर – अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों और उद्देश्यों को पंचवर्षीय योजनाएं निर्धारित करती हैं, और योजना आयोग सुनिश्चित करता है कि इन उद्देश्यों को निर्धारित अवधि में साधनों के उचित प्रयोग द्वारा प्राप्त किया जाए।
प्रश्न 5. प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर में कमी का क्या कारण है?
उत्तर – जनसंख्या प्रतिवर्ष बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसके कारण प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर कम रह जाती है।
प्रश्न 6. स्वतंत्रता (1947) से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था को औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- भारत की अर्थव्यवस्था 1757 से 1947 के बीच अंग्रेजी शासन के अधीन थी। 1757 से पहले, भारत की अर्थव्यवस्था स्वतंत्र रूप से चलती थी। 1757 से 1947 तक अंग्रेजी शासन ने इसे बहुत नुकसान पहुंचाया। उन्होंने इस बड़ी अर्थव्यवस्था को सिर्फ कच्चे माल की आपूर्ति और अंग्रेजी माल की खपत के बाजार में बदल दिया। इसलिए भारत को औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
प्रश्न 7. भारत में ब्रिटिश शासन के रचनात्मक (सकारात्मक) पक्षों का उल्लेख करें।
उत्तर – भारत में ब्रिटिश शासन के रचनात्मक पक्ष निम्नलिखित थे-
1. आर्थिक विकास के लिए अंग्रेजों ने देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बनाई।
2. उन्होंने जाति प्रथा की रूढ़ियों को कम किया।
3. परिवहन के आधुनिक साधन, रेलवे आदि का संपूर्ण देश में जाल बिछाया गया ।
4. संचार के आधुनिक साधन, यथा-तार तथा टेलीफोन आदि की व्यवस्था की।
5. भारत का राजनीतिक तथा आर्थिक एकीकरण किया।
6. कानून और न्याय की व्यवस्था की ।
7. आधुनिक तथा अंग्रेजी शिक्षा का विकास किया।
प्रश्न 8. स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति कैसी थी ?
उत्तर – स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति इस प्रकार थी-
1. हस्तकला उद्योग का पतन- भारतीय कलाकृतियां अंग्रेजों के शासनकाल से विश्वभर में प्रचलित थीं। विशेषकर राजाओ के दरबार में स्थानीय दस्तकारों द्वारा निर्मित मूर्तियों और सजावट की वस्तुओं की अधिक मांग थी, परन्तु इंगलैण्ड में प्रौद्योगिकी के विकास ने भारतीय हस्तकला उद्योग को अधिक नुकसान पहुँचाया क्योंकि अंग्रेज अपनी मशीनों द्वारा निर्मित कपड़ों तथा अन्य वस्तुओं को कम कीमत पर बेचते थे।
2. अर्द्धसामंती अर्थव्यवस्था – अंग्रेजों ने 200 वर्ष की शासन अवधि में जमींदारों और सामंतों का पालन-पोषण किया था। ये अंग्रेज अफसरों और भारतीय किसानों के बीच मध्यस्थ माने जाते थे। इनकी सारी समृद्धि गरीब किसानों के दमन से ही संभव हो पाई थी। देश की औद्योगिक संरचना बड़ी विद्रूप और विकृत थी। यहां कुछ ही उद्योगों को विकसित होने दिया गया था।
3. पिछड़ी और गतिहीन अर्थव्यवस्था – भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण अंग्रेजों ने स्वार्थपूर्ण ढंग से किया। उनकी उपार्जन क्षमता को विकसित करने का कोई प्रयास नहीं हुआ। उन्हें अपने पारंपरिक कलाओं और कलाकृतियों को छोड़कर भूमिहीन किसान बनना पड़ा। औद्योगिक विकास दर इतनी कम थी कि 80 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर रहे। राष्ट्रीय उत्पाद की संवृद्धि दर प्रति वर्ष केवल 0.5 प्रतिशत थी। गरीबी का जाल देश भर में फैला हुआ था।
4. आवश्यक आर्थिक शोषण– बीसवीं शताब्दी में अंग्रेजों ने दो विश्वयुद्धों में भाग लिया। इसके लिए उन्होंने भारतीय सेना और हथियारों का इस्तेमाल किया। दूसरे शब्दों में, भारत ने इन विश्वयुद्धों का पूरा बोझ उठाया। भारत को इन युद्धों से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने यहां के पूंजीगत साधनों की मरम्मत करना भूल गया और इसका पूरी तरह से उपयोग किया। इसलिए यहां मशीनें बहुत खराब स्थिति में थीं। यहां के लोहे और कोयले के खनिज भंडारों के अत्यधिक शोषण से प्राकृतिक पर्यावरण और स्थानीय लोगों को होने वाली क्षति की भी विदेशी शासकों को कोई चिंता नहीं थी। भारत ने इससे भारी आर्थिक हानि उठाई।
5. पराश्रित अर्थव्यवस्था – भारत विदेशी आयात पर निर्भर था। भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था भी अन्य देशों से अनाज आयात करती थी।
6. बिखरी हुई अर्थव्यवस्था – स्वतंत्रता के बाद देश भारत और पाकिस्तान में विभाजित हो गया। इससे कच्चे माल की कमी, बाजार की हानि और आम लोगों को बहुत परेशानियां हुईं। देश को शरणार्थियों की बड़ी आबादी का पुनर्वास भी करना पड़ा।
प्रश्न 9. स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति की विस्तृत व्याख्या कीजिए ।
उत्तर- स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था की आर्थिक स्थिति इस प्रकार थी-
1. प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर – प्रति व्यक्ति आय की गणना राष्ट्रीय आय को जनसंख्या से भाग देकर की जाती है । एक व्यक्ति की आय उसके रहन सहन के स्तर का मुख्य सूचक है। प्रति व्यक्ति आय अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में, एक व्यक्ति द्वारा अर्जित औसत आय का बोध कराती है। भारत की वर्ष 2009-10 की प्रति व्यक्ति आय 33731 रु. थी । यह लगभग 2811 रु. मासिक आती हैं अर्थात 33731/12 = 2811 रू.। यह राशि एक अच्छा जीवन बिताने के लिए बहुत कम है।
2. प्रति व्यक्ति आय में धीमी वृद्धि – भारत में प्रति व्यक्ति आय कम है और धीमी गति से बढ़ रही है। हमारी मांगें निरंतर बढ़ती जा रही हैं। इसलिए हमें अधिक आय चाहिए। हम बाजार से खरीदने वाले सामान की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। इसलिए, उन वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए अधिक धन खर्च करना पड़ेगा। हाल ही में डीजल और पेट्रोल की लागत बढ़ी है। हम कुछ और खरीदने के लिए भी पैसे खर्च करने के कारण हमारी आय भी तेजी से बढ़नी चाहिए। किंतु दुर्भाग्यवश, भारत में प्रति व्यक्ति आय पर्याप्त रूप से नहीं बढ़ी है।
(3) जनसंख्या का दबाव – भारत की जनसंख्या वृद्धि की वार्षिक दर 1.9% है । अतः जीवन स्तर को उठाने के लिए उच्च आर्थिक संवृद्धि की आवश्यकता होगी। तेजी से बढ़ती जनसंख्या को अधिक रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल, अस्पताल, स्कूल तथा अनेक अन्य वस्तुएं व सेवाएं भी चाहिए। हमारे अधिकांश विकास के प्रयास इन जरूरतों की पूर्ति में खर्च हो जाते हैं। वृद्धिमान जनसंख्या के कारण श्रम शक्ति लिए नए रोजगार के अवसरों की पर्याप्त कमी
(4) प्रौद्योगिकी का निम्न स्तर– भारत में अधिकांश प्रौद्योगिकी बहुत पुरानी है। कृषि क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है। उद्योगों में भी धन और मशीनरी का उपयोग बहुत कम है। पुरानी तकनीक के साथ आधुनिक प्रौद्योगिकी है। पूंजी की कमी से बहुत सी औद्योगिक इकाइयां विकसित नहीं हो पा रही हैं। श्रमशक्ति का भी अभाव है। इसलिए श्रम उत्पादकता उद्योग और कृषि दोनों में कम है।
(5) प्राकृतिक संसाधनों का कम विदोहन – प्राकृतिक संसाधन आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनमें वन संसाधन, खनिज तेल, जल, समुद्र और भूमि शामिल हैं। भारत में इन प्राकृतिक संसाधनों की बहुतायत है। लेकिन अभी भी उनका पर्याप्त प्रयोग नहीं हो रहा है। इसकी दो वजह हैं: एक तो प्रौद्योगिकी कमजोर है। दूसरे, संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी नहीं है।
(6) श्रम शक्ति की निम्न गुणवत्ता – श्रम शक्ति जितनी प्रशिक्षित और कुशल होगी उतनी अधिक उत्पादकता होगी, इसलिए यह देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण साधन है। इसलिए श्रम देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। विकास के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना होगा। निरक्षरता दर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों से भी अधिक है। भारत, एक विकासशील देश होने के नाते, शिक्षा और जन-स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करने में असमर्थ है। इसलिए स्थानीय कर्मचारियों की उत्पादकता कम है।
प्रश्न 10. भारत में गरीबी के अस्तित्व के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर- संसार के लगभग एक-तिहाई गरीब लोग भारत में रहते हैं तथा भारत में गरीबी के अस्तित्व के मूल कारण इस प्रकार हैं-
1. गरीबी से ग्रस्त व्यक्ति या तो बेराजगार हैं या अपने वर्तमान व्यवसाय से बहुत कम आय प्राप्त करता है, जो उसकी मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
2. उस व्यक्ति का दूसरों के द्वारा, जाति, धर्म या लिंग के आधार पर शोषण किया जा रहा है।
3. व्यक्ति गरीब इसलिए हो गया है कि उसके पास, भूमि या मकान आदि के रूप में कोई सम्पत्ति नहीं है। जिन लोगों को उत्तराधिकार में अपने पूर्वजों से सम्पत्ति मिली है, उन्हें दूसरे लोगों की अपेक्षा, जिनके पास सम्पत्ति नहीं है, कुछ लाभ प्राप्त हैं।
4. शायद सरकार के प्रयास प्रभावपूर्ण नहीं रहे हैं। भ्रष्टाचार, निर्णय लेने में विलम्ब आदि सरकार द्वारा गरीबी दूर करने में रुकावट रहे हैं। तथापि, गरीबी का अस्तित्व केवल सरकार की ही असफलता नहीं है अपितु व्यक्तियों और समाज की भी असफलता है।
प्रश्न 11. भारत के आर्थिक विकास में पंचवर्षीय योजनाओं के महत्त्व एवं भूमिका की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – स्वतंत्रता के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में व्यापक विकास और वृद्धि का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए नियोजन और कई योजनाओं का उपयोग किया गया। भविष्य के लक्ष्यों के लिए वर्तमान नीतियों का कार्यान्वयन करना नियोजन है। अब तक हमने ग्यारह पंचवर्षीय योजनाओं को पूरा किया है। बारहवीं योजना जारी है, लेकिन 1966 से 1969 तक केवल वार्षिक योजनाएं थीं, कोई पंचवर्षीय योजना नहीं थी। पंचवर्षीय योजना को लागू करने के लिए आवश्यक मौद्रिक और अन्य संसाधनों की कमी इसका कारण बन गई। क्योंकि भारत ने 1962 और 1965 में चीन और पाकिस्तान से युद्ध लड़ा, इसलिए सरकार को अपनी पूरी संपत्ति को इन युद्धों में लगाना पड़ा। उस समय भी भारत को सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा, जो कृषि उत्पादन को कम कर दिया।
इसलिए पंचवर्षीय कार्यक्रम बनाना मुश्किल था और भारत को वार्षिक कार्यक्रम बनाने पड़े। स्थिति सुधरने पर 1969 में चौथी पंचवर्षीय योजना दोबारा शुरू की गई। किसी भी निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नियोजन बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार प्रत्येक योजना में विद्यमान संसाधनों को कृषि, उद्योग, शिक्षा और परिवहन क्षेत्रों में समान रूप से बाँटने की कोशिश करती है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का बजट 36,44,716 करोड़ रुपये था, जबकि पहली पंचवर्षीय योजना 1951 से 1956 तक चली, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 2070 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। सालाना योजनाओं पर व्यय की जाने वाली राशि में वृद्धि हुई है, कई कारणों से, जैसे कीमतों में वृद्धि और जनसंख्या में वृद्धि, लेकिन व्यवहारिक रूप से आर्थिक नियोजन और पंचवर्षीय योजनाओं ने भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रश्न 12. इनमें संगत जोड़े तय करें-
1. 1857-1947 (क) भारत का विभाजन
2. जमींदार (ख) बिचौलिए
3. भारत और पाकिस्तान (ग) ब्रिटिश शासन
4. आय की धीमी संवृद्धि (घ) संसाधनों की समाप्ति
5. घिसीपिटी मशीनें (च) गतिहीन
उत्तर- 1. ( ग ) ; 2. (ख); 3. (क); 4. (च) ; 5. (घ ) ।
प्रश्न 13. निम्नलिखित कथनों के सामने सत्य और असत्य लिखें –
1. भारत कभी भी एक औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था नहीं रहा।
2. अंग्रेजों ने भारतीयों की आय सृजन क्षमता को विकसित नहीं किया।
3. स्वतंत्रता के समय भारत खाद्यान्न के आयात के लिए किसी देश पर निर्भर नहीं था।
4. अंग्रेजी शासन ही भारतीयों को शिक्षित करने के लिए उत्तरदायी था ।
उत्तर- 1. असत्य; 2. सत्य; 3. असत्य; 4. सत्य ।
प्रश्न 15. सही उत्तर चुनें-
(i) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि
(क) इसका घरेलू उत्पाद में योगदान सबसे अधिक है।
(ख) इसमें बहुतों को रोजगार मिलता है।
(ग) यह उत्पादनों का एक बड़ा बाजार है।
(घ) उपर्युक्त सभी कथन ठीक हैं।
(ii) भारतीय अर्थव्यवस्था में है-
(क) बचत की उच्च दर
(ख) बेरोजगारी की निम्न दर
(ग) जनसंख्या वृद्धि की उच्च दर
(घ) उपर्युक्त में से कुछ भी नहीं
(iii) भारतीय अर्थव्यवस्था की कुछ मूलभूत विशेषताएं
(क) श्रम की निम्न वृद्धि दर
(ख) गरीबों की विशाल संख्या
(ग) उच्च प्रौद्योगिकी स्तर
(घ) शिक्षा और चिकित्सा की अच्छी सुविधाएं
उत्तर- (i) (घ), (ii) (ग), (iii) (ख)।
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