NIOS Class 10 Arthashastra Chapter 13. कीमत और मात्रा के निर्धारण में सरकार की भूमिका
NIOS Class 10 Economics Chapter 13 कीमत और मात्रा के निर्धारण में सरकार की भूमिका –ऐसे छात्र जो NIOS कक्षा 10 अर्थशास्त्र विषय की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते है उनके लिए यहां पर एनआईओएस कक्षा 10 अर्थशास्त्र अध्याय 13 (कीमत और मात्रा के निर्धारण में सरकार की भूमिका) के लिए सलूशन दिया गया है. यह जो NIOS Class 10 Economics Chapter 13 Role of Government in Determination of Price and Quality दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है . ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए. इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप NIOSClass 10 Economics Chapter 13 कीमत और मात्रा के निर्धारण में सरकार की भूमिका के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.
NIOS Class 10 Economics Chapter13 Solution – कीमत और मात्रा के निर्धारण में सरकार की भूमिका
प्रश्न 1. नियन्त्रित कीमत क्या है? यह उपभोक्ताओं को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर – नियंत्रित कीमतें उत्पादकों और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा निर्धारित की जाती हैं, जो संतुलन कीमत से कम या अधिक है। जब कुछ उत्पादों का उत्पादन मांग से कम होता है, तो उनकी मांग अत्यधिक बढ़ जाती है, जिससे कमजोर और गरीब लोग इन उत्पादों को नहीं खरीद सकते। विशेष रूप से चीनी, गेहूँ और चावल जैसे खाद्यान्नों की कीमतों में सामान्य से अधिक वृद्धि से कमजोर और निर्धन वर्ग अधिक प्रभावित होते हैं। अतः सरकार रांशनिंग का उपयोग करके वस्तुओं की आधिक्य मांग पर नियंत्रण रखने के लिए उनकी उच्चतम कीमतों का निर्धारण करती है ।
परन्तु कभी-कभी वस्तु की मांग में अत्यधिक वृद्धि से कालाबाजारी की समस्या भी पैदा होती है, जिसके अन्तर्गत विक्रेता या उत्पादक भविष्य में अधिकतम लाभ के उद्देश्य से वस्तुओं के स्टॉक रखना आरम्भ कर देते हैं और बाजार में वस्तुओं की आपूर्ति में कमी होने से वस्तुओं की कीमतों में अधिक वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके बावजूद, सरकार कालाबाजारी को दूर करने के लिए दोहरी कीमत प्रणाली का उपयोग करती है।
प्रश्न 2. समर्थन कीमत क्या है ? इसका उत्पादकों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – कभी-कभी सरकार संतुलन कीमत से अधिक कीमत निर्धारित करके उत्पादकों, खासकर किसानों के हितों की रक्षा करती है। सरकार द्वारा किसानों (उत्पादकों) की सुरक्षा के लिए निर्धारित कीमतें समर्थन कीमतें कहलाती हैं। आम तौर पर: देश में कृषि उत्पादन में कई अनिश्चितताएँ हैं। साल भर अच्छी वर्षा होती है, तो उपज भी अच्छी होती है, कीमतें भी कम होती हैं और किसानों को कम लाभ मिलता है। इस स्थिति से बचने के लिए बाजार को भी समान कीमतें स्वीकार करनी पड़ती हैं और सरकार कृषि उत्पाद खरीदती है।
सरकार समर्थित मूल्य पर खरीदे गए अनाज और कृषि उत्पादों को राशन की दुकानों पर बेचती है, जिससे गरीबों और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को राहत मिलती है। यह आम तौर पर अनाज, तिलहन, चीनी, आदि की कीमतों को नियंत्रित करता है। सरकारी समर्थन कीमतें किसानों को बाजार कीमतों की अनिश्चितताओं से बचाती हैं। सरल शब्दों में, पूर्ति आधिक्य की स्थिति में सरकार निर्धन किसानों और उत्पादकों को बचाती है।
प्रश्न 3. सांकेतिक कीमत क्या है ? किसी वस्तु की सांकेतिक कीमत रखने के पीछे क्या उद्देश्य होता है?
उत्तर – जीवन के लिए कुछ वस्तुएं और सेवाएं आवश्यक हैं; जैसे चिकित्सा, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि। लेकिन प्रचालित बाजार कीमतों पर इन सेवाओं का उपभोग गरीब और कमजोर वर्ग कर सकता है। इसलिए सरकार और गैर-लाभकारी संस्थाएँ इन सुविधाओं को प्रदान करने में लगी हुई हैं। यह भी लोगों का कल्याण करना चाहते हैं। ये एजेन्सियाँ सस्ती सेवा देती हैं। ऐसा किया जाता है ताकि इन सुविधाओं का दुरुपयोग न हो सके। इनकी कीमतें प्रति इकाई उत्पादन खर्च से बहुत कम हैं। भारत में सरकारी अस्पतालों को सांकेतिक भुगतान के रूप में कुछ रुपये मिलते हैं, साथ ही चिकित्सा और भोजन भी मिलते हैं। गैर-लाभकारी संस्थाओं (जैसे सरकारी स्कूलों) में भी सांकेतिक भुगतान किया जाता है।
प्रश्न 4. दोहरी कीमत नीति की पद्धति की व्याख्या कीजिए | यह गरीबों की सहायता कैसे करती है?
उत्तर- सरकारी कीमत नियंत्रण प्रणाली के कारण कई बार विक्रेता बाजार में उत्पादों की आपूर्ति करने के इच्छुक नहीं होते, जिससे बाजार में उत्पादों की कमी होती है और कालाबाजारी भी होती है। ऐसी स्थिति में सरकार दोहरी कीमत प्रणाली की मदद करती है। दोहरी कीमत तब होती है जब एक वस्तु का एक हिस्सा सरकार द्वारा निर्धारित कीमत पर बेचा जाता है और दूसरा हिस्सा बाजार की कीमतों पर बेचा जाता है। इसके तहत उत्पादक सरकार को उत्पादन का एक हिस्सा निर्धारित कीमतों पर अनिवार्य रूप से देना होगा।
सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से इस भाग को गरीबों में बाँटती है। चीनी मिट्टी का तेल, चावल और अनाज दोहरी कीमत प्रणाली में शामिल हैं। इसका लक्ष्य ग्राहकों को उचित कीमत पर सामान उपलब्ध कराना है। यह व्यवस्था समाज के गरीब वर्गों को सहायता देती है। सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा से अधिक कुछ खरीदना चाहने वाले को बाजार से खरीदना होगा। ये चीजें सस्ती की दुकानों पर उपलब्ध हैं।
प्रश्न 5. कर और आर्थिक सहायता किसी वस्तु की बाजार कीमत को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर – करों और आर्थिक सहायता, या सब्सिडी, किसी वस्तु की बाजार कीमतों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं। विक्रेताओं का मुख्य लक्ष्य अधिकतम लाभ कमाना है, इसलिए बाजार में विक्रेताओं द्वारा निर्धारित कीमतों को बाजार कीमतें कहते हैं / 85। लेकिन सरकारी करों और सब्सिडी की आर्थिक नीतियों से बाजार कीमतें प्रभावित होती हैं। सरकार उत्पादन, बिक्री और आयात शुल्क सहित कई शुल्क लगाती है, जो उत्पादन, बिक्री और आयात में शामिल हैं। ये कर सरकार की आय का एक बड़ा स्रोत हैं। लेकिन इन करों से वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं, जिससे उनकी मांग प्रभावित होती है।
इसके विपरीत, वस्तुओं और सेवाओं पर सब्सिडी, या आर्थिक सहायता, दी जाती है, जिससे वस्तुओं की बाजार कीमतें कम होती हैं। सरलता से, सरकार ऐश्वर्यपूर्ण और विलासितापूर्ण वस्तुओं पर अधिक कर लगाती है क्योंकि इन वस्तुओं का उपभोग समाज के उच्च वर्ग करता है। इसके अलावा, शराब, सिगरेट, तम्बाकू जैसे नशीले पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार समाज को नुकसान पहुंचाने वाले सामान पर अधिक कर लगाती है। जनोपयोगी वस्तुओं (जैसे खाद्य पदार्थ, मिट्टी का तेल, खाना पकाने की गैस) पर सरकार सब्सिडी (आर्थिक सहायता) देती है और उत्पादकों को भी पैसे देती है। यह करों और आर्थिक सहायता से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बाजार कीमतों पर प्रभाव डालता है।
प्रश्न 6 सार्वजनिक वितरण प्रणाली से क्या अभिप्राय है? इसके आवश्यक तत्त्वों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए |
उत्तर – आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली में शामिल है। इस प्रक्रिया के माध्यम से सरकार गरीबों और कमजोर वर्गों को अनिवार्य वस्तुएं, जैसे गेहूँ, चावल और चीनी, सस्ते दरों पर उपलब्ध कराती है, जो राशन की दुकानों में प्रचलित हैं। राशन कार्ड इन आवश्यक वस्तुओं को बेचते हैं। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिससे उपभोक्ता और उत्पादक दोनों को लाभ होता है, क्योंकि उपलब्ध खाद्य पदार्थों की खरीद से विभिन्न फसलों के समर्थन मूल्यों में वृद्धि हो जाती है, जिससे देश भर में एक समान मूल्य निर्धारित करना आसान हो जाता है। अनिवार्य वस्तुओं को राज्य भर में सार्वजनिक विभागों, नागरिक आपूर्ति, आवश्यक वस्तु निगम आदि द्वारा वितरित किया जाता है। अंततः, राशनिंग इन आवश्यक वस्तुओं को उचित मूल्य पर ग्राहकों को देता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यक विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
(1) आर्थिक सहायता प्राप्त कम कीमतें – इन दुकानों में मूल्य कम हैं। सरकार कीमतों का अंतर भुगतान करती है। विभिन्न आवश्यक वस्तुओं पर सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से धन देती है।
(2) नियत मात्रा – सरकार द्वारा व्यक्ति की न्यूनतम आवश्यकता का अनुमान लगाया जाता है और यह भी निर्धारित किया जाता है कि कौन राशनकार्डधारी किन वस्तुओं को उचित मूल्य पर खरीद सकता है। कार्ड में परिवार के प्रत्येक सदस्य की संख्या, नाम और आयु का विवरण भी होता है। किस कार्ड पर कितनी सामग्री मिल सकती है, यह निर्णय इन जानकारियों (संख्या, आयु) के आधार पर किया जाता है।
(3) उचित दर की दुकानें- इस प्रकार देश भर में वस्तुओं की बिक्री के लिए उचित दर दुकानों का जाल बिछाया गया है। प्रत्येक दुकान पर पंजीकृत कार्डों की संख्या उन्हें सामान देती है। इन राशन की दुकानों के संचालकों को कुल बिक्री मूल्य के अनुपात में कुछ कमीशन दिया जाता है।
कीमत और मात्रा के निर्धारण में सरकार की भूमिका के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1. निर्देशित कीमतों के विभिन्न प्रकार लिखिए ।
उत्तर – नियंत्रित कीमत, समर्थन कीमत, सांकेतिक कीमत, दोहरी कीमत |
प्रश्न 2. सामान्यतः समर्थन कीमत किन चीजों की रखी जाती है ?
उत्तर- कृषि उत्पादों; जैसे-गेहूँ, चावल, तिलहन आदि ।
प्रश्न 3. सांकेतिक कीमतों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर- धर्मार्थ औषधालय, शिक्षा, अस्पताल आदि ।
प्रश्न 4. बाजार कीमतें किसके द्वारा निर्धारित की जातीहै?
उत्तर – बाजार कीमतें विक्रेता द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
प्रश्न 5. निर्देशित कीमत क्या होती है?
उत्तर- जब उत्पादन माँग से बहुत कम होता है, तो सरकार गरीबों के हितों की रक्षा के लिए स्वयं कीमत निश्चित करके कीमत वृद्धि को रोकती है। ये निर्देशित कीमतें कहलाती हैं।
प्रश्न 6. सांकेतिक कीमत का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर – सांकेतिक कीमत का उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं का दुरुपयोग रोकना है।
प्रश्न 7. लाभ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – वस्तु की बिक्री से कुल प्राप्तियों और उसकी कुल उत्पादन लागत का अंतर लाभ कहलाता है।
प्रश्न 8. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर – सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं-
(i) सस्ती कीमतों पर उपभोक्ताओं खासकर कमजोर वर्गों को आवश्यक उपभोक्ता वस्तुएँ उपलब्ध कराना, ताकि उन्हें इनकी बढ़ती हुई कीमतों से बचाया जा सके।
(ii) कीमतों में उतार-चढ़ाव कम करना ।
(iii) जरूरी उपभोग्य वस्तुओं के समान वितरण द्वारा लोगों को संतुलित भोजन उपलब्ध कराना ।
प्रश्न 9. कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों का निर्धारण सरकार द्वारा क्यों किया जाता है?
उत्तर- सरकार कुछ वस्तुओं तथा सेवाओं की लागत निर्धारित करती है। सरकार न केवल अपने उत्पादों का मूल्य निर्धारित करती है, बल्कि निजी उत्पादकों का भी मूल्य निर्धारित करती है। सरकार आवश्यक वस्तुओं का मूल्य तय करती है, जिनकी माँग पूर्ति से अधिक है। यदि सरकार इन वस्तुओं की कीमतें नहीं तय करती, तो इन वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की आशंका है, जिससे गरीब लोगों की हालत खराब होगी। इसलिए सरकार अक्सर सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उपयोग करके आवश्यक वस्तुओं को बेचती है। ये चीजें भारत में सुपर बाजार से भी बेची जाती हैं।
प्रश्न 10. सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सफलता हेतु आवश्यक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सफलता के लिए आवश्यक तत्त्व हैं-
(i) समानता-सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दूर-दराज के पिछड़े इलाकों में भी बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि गरीबों को खरीदने की क्षमता नहीं है।
(ii) स्थिरता – खाद्य पदार्थों के उत्पादन में कमी या उतार-चढ़ाव नहीं होने चाहिए ।
(iii) खाद्य सुरक्षा – वितरण के लिए वस्तुओं का पर्याप्त भंडार होना चाहिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार को आयात में देरी नहीं करनी चाहिए। ऐसी स्थिति अक्सर आती रहती है, जब घेरलू आपूर्ति आंतरिक मांग के लिए अपर्याप्त सिद्ध होती है।
(iv) संचार – उत्पादन, वसूली, परिवहन, संचयन और विशेष वस्तुओं के वितरण के बीच सीधा संपर्क होना चाहिए ।
प्रश्न 11. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दोषों का उल्लेख करें। होते हैं-
उत्तर – सार्वजनिक वितरण प्रणाली के निम्नलिखित दोष
(i) व्यापकता – भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली बहुत अनुदानित है, इसलिए जब सभी को खाद्य पदार्थ आसानी से मिलते हैं, तो सरकारी अनुदान काफी भार उठाता है।
(ii) गरीबों के प्रति भेदभाव – लेकिन मोटे अनाज जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा आदि का उपभोग गरीब लोगों को नहीं मिलता।
(iii) शहरों तक सीमित रहना – वास्तव में सार्वजनिक वितरण प्रणाली काफी समय तक अधिकतर शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित रही। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसके प्रसार से कुछ हद तक इस दोष को सुधार लिया गया है।
(iv) गरीबों को कम लाभ – सार्वजनिक वितरण प्रणाली के खरीद आंकड़ों से पता चलता है कि इससे गरीब लोगों को बहुत कम लाभ हुआ है। इतना ही नहीं, राशनकार्ड केवल उपयुक्त पता वाले परिवारों को दिए जाते हैं। अर्थात जिनके पास एक उचित रहने की व्यवस्था है। इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कमजोरी का पता चलता है जो राज्य निर्धनता के प्रभाव में हैं। यही नहीं, गरीब लोग या फिर खुले बाजार में वस्तुएँ खरीदते हैं, खाद्य पदार्थों का बड़ा हिस्सा खरीदते हैं।
(v) उचित मूल्य की दुकानों के मालिकों के आय स्तर में कमी – इन दुकान मालिकों की कम आय के कारण वे अनैतिक और भ्रष्ट कार्यों में लिप्त हो जाते हैं।
(vi) भ्रष्टाचार – इस प्रणाली में खराब देख-रेख और संचालन के कारण कई कमियाँ सामने आई हैं और भ्रष्टाचार बढ़ा है।
प्रश्न 12. उन कारकों को बताइए जो विक्रेता अपनी वस्तुओं की कीमतें निश्चित करते समय ध्यान में रखते हैं।
उत्तर – वस्तु को किस कीमत पर बेचना है? यह निर्णय विक्रेता करते हैं। इसे ही बाजार कीमत की संज्ञा दी जाती है। विक्रेता अपनी वस्तु बेचते समय अधिकतम लाभ के उद्देश्य को ध्यान में रखते हैं। इसके अलावा निम्नलिखित बातें भी ध्यान में रखनी पड़ती हैं-
(i) वस्तु की उत्पादन लागत – विक्रेता अक्सर ऐसी कीमत रखने की कोशिश करते हैं, जो उत्पादन लागत से अधिक हो, क्योंकि कम कीमत रखने पर वे हानि करेंगे। दूसरे, उत्पादक उत्पाद उपलब्ध नहीं होगा। वह उस वस्तु की बिक्री को कुछ समय के लिए स्थगित कर देगा अगर परिस्थितियां उसके खिलाफ हों।
(ii) अन्य विक्रेताओं द्वारा वस्तु की निश्चित की गई कीमतें – अन्य विक्रेताओं द्वारा किसी वस्तु की क्या कीमत निर्धारित की गई है – इस बात को भी ध्यान में रखना पड़ता है। यदि बाजार में प्रवेश करने वाला विक्रेता अपनी वस्तु की कीमत अन्य विक्रेताओं द्वारा निश्चित कीमत से अधिक रखता है, तब वह अपनी वस्तु नहीं बेच सकेगा। अतः विक्रेता ऐसी कीमत रखेगा, जो अन्य विक्रेताओं द्वारा निर्धारित कीमत के बराबर अथवा लगभग उसके आसपास हो ।
(iii) विभिन्न कीमतों पर सम्भावित बिक्री– विक्रेता कीमत निर्धारित करते समय इस बात का ध्यान रखता है कि वस्तु कितनी मात्रा में विभिन्न कीमतों पर बिक सकती है। वे अपनी वस्तु की कीमत को विभिन्न कीमतों पर सम्भावित बिक्री को ध्यान में रखते हैं। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि विक्रेता इन बातों को ध्यान में रखते हुए अपनी वस्तु की कीमत निर्धारित करते हैं।
प्रश्न 13. ‘उत्पादन लागत के आधार पर कीमत निश्चित की जाती है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – उत्पादक या विक्रेता एक वस्तु की प्रति इकाई लागत से अधिक की कीमत निर्धारित करते हैं। विक्रेता को वस्तु की कीमत से अधिक लाभ मिलेगा। विक्रेता को हमेशा उतना ही अधिक मूल्य देना चाहिए, जितना उसे लाभ होता है। कभी-कभी हानि भी होती है। वह उत्पादन रोक सकता है या धीमी गति से कर सकता है अगर हालात उसके अनुकूल नहीं हैं।
प्रश्न 14. निर्देशित कीमतों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर – सरकार कुछ वस्तुओं की लागत निर्धारित करती है। यह तब किया जाता है जब एक वस्तु की माँग अधिक होती है और इसकी पूर्ति कम होती है, या जब वह आवश्यक आवश्यकता की वस्तु है। इसमें निजी तथा सरकारी उत्पादों का मूल्य निर्धारित किया जाता है। उत्पादक, चाहे लाभ हो या हानि, उस कीमत से अधिक नहीं बेच सकते। स्मरण रहे कि ऐसा सरकार गरीबों को सुविधा देने के लिए करती है।
प्रश्न 15. सरकारी अनुदान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- सरकारी अनुदान तब होता है जब सरकार लोगों को आवश्यक वस्तुओं का उपभोग बढ़ाने के लिए एक निश्चित मात्रा को एक निश्चित कीमत पर देती है और कीमत के इस अंतर को भरती है।
प्रश्न 16. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दो लाभ बताइए ।
उत्तर- (i) उचित कीमतों पर आवश्यक चीजें मिलना।
(ii) देश के सभी स्थानों पर वस्तु की उपलब्धता ।
प्रश्न 17. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही और कौन-सा कथन गलत है ?
1. सरकार द्वारा उत्पादित वस्तुओं की कीमतें बाजार कीमत कहलाती हैं।
2. सरकार द्वारा कीमतें निश्चित करने का मुख्य उद्देश्य केवल उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।
3. भारत में समर्थन कीमत प्रणाली सभी वस्तुओं पर लागू की गई है।
4. समर्थन कीमतें किसानों के उत्पाद की बाजार कीमतों की अनिश्चितताओं से होने वाली संभावित हानि से रक्षा करती है।
उत्तर- 1. गलत, 2. गलत, 3. गलत, 4. सही ।
प्रश्न 18. निम्नलिखित में से किन वस्तुओं की कीमतें भारत सरकार द्वारा निश्चित की जाती हैं?
1. रेल यात्रा भाड़ा
2. पेट्रोल
3. माचिस
4. ऊनी कपड़े
5. उचित दर की दुकानों पर बेची जाने वाली चीनी
6. साबुन
उत्तर – 1. रेल यात्रा भाड़ा
2. पेट्रोल
5. उचित दर की दुकानों पर बेची जाने वाली चीनी
प्रश्न 19. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही और कौन-सा कथन गलत है ?
1. सांकेतिक कीमत उत्पाद की प्रति इकाई उत्पादन लागत के बराबर होती है।
2. सांकेतिक कीमत वस्तुओं और सेवाओं का दुरुपयोग रोकने के लिए की जाती है।
3. सरकारी स्कूलों में ली जाने वाली फीस सांकेतिक कीमत का एक उदाहरण है।
4. दोहरी कीमत प्रणाली के अन्तर्गत उत्पादक को अपने उत्पादन का एक भाग सरकार को निश्चित कीमत पर बेचना होता है और शेष भाग को वह बाजार कीमत पर बेच सकता हं ।
उत्तर- (क) 1. गलत 2. सही, 3. सही, 4. सही ।
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