NEET 2017 Physics Question Paper with Solutions PDF

NEET 2017 Physics Question Paper with Solutions PDF

एनईईटी भौतिक विज्ञान क्वेश्चन पेपर पीडीएफ – NEET की परीक्षा में विज्ञान की तीनों शाखाओं से प्रश्न पूछे जाते हैं. जिसमें सबसे अहम विषय भौतिक विज्ञान है .क्योंकि नीट की परीक्षा भौतिक विज्ञान के प्रश्न काफी पूछे जाते हैं. तो जो विद्यार्थी NEET परीक्षा की तैयारी कर रहा है .उसके लिए इस पोस्ट में एनईईटी भौतिक विज्ञान प्रश्नोत्तरी भौतिक विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर NEET 2017 Physics Question Paper दिए गए हैं जिससे कि वह अपनी तैयारी ज्यादा अच्छे से कर सके .जो भी विद्यार्थी एनईईटी की तैयारी कर रहे है. उसके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत फायदेमंद है उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें .

[su_note] एक स्प्रिंग (कमानी) का कमानी स्थिरांक k है। इसको तीन भागों में काट दिया गया है जिनकी लम्बाइयों का अनुपात 1: 2:3 है। इन तीनों भागों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर, संयोजन का कमानी स्थिरांक k’ तथा समान्तर क्रम में जोड़ने पर k” है तो, अनुपात k’ : k” होगा:
[/su_note](a) 1:9
(b) 1:11
(c) 1:14
(d) 1:6
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 1:11

[su_note] प्रकाश की तरंगदैर्घ्यं, λ1 = 4000 A और λ2 = 6000 A के लिये, प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमताओं का अनुपात है :
[/su_note](a) 9:4
(b) 3:2
(c) 16:81
(d) 8:27
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 3:2

[su_note] एक नलिका का एक सिरा बन्द है और दूसरा सिरा खुला है। इसके दो निकटस्थ संनादी स्वरों की आवृत्तियाँ क्रमश: 220 Hz तथा 260 Hz हैं, तो इस निकाय की मूल आवृत्ति कितनी होगी?
[/su_note](a) 20 Hz
(b) 30 Hz
(c) 40 Hz
(d) 10Hz
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 20 Hz

[su_note] किसी संधारित्र को एक बैटरी से आवेशित किया जाता है। फिर बैटरी को हटाकर, इस संधारित्र से, समान्तर क्रम में ठीक ऐसा ही एक अन्य अनावेशित संधारित्र जोड़ दिया जाता है। तो, इस प्रकार बने परिणामी निकाय की कुल स्थिर वैद्युत ऊर्जा ( पहले संधारित्र की तुलना में ) :
[/su_note](a) आधी हो जायेगी
(b) वही रहेगी
(c) 2 गुना बढ़ जायेगी
(d) 4 गुना बढ़ जायेगी
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 20 Hz

[su_note] किसी उभयनिष्ठ उत्सर्जक ट्रांजिस्टर प्रवर्धक में, संग्राहक के सिरों के बीच श्रव्य-संकेत वोल्टता 3 V है। संग्राहक का प्रतिरोध 3kΩ है। यदि धारा-लब्धि 100 तथा आधार का प्रतिरोध 2kΩ है तो, प्रवर्धक की वोल्टता – लब्धि तथा शक्ति-लब्धि के मान क्रमशः होंगे :
[/su_note](a) 15 और 200
(b) 150 और 15000
(c) 20 और 2000
(d) 200 और 1000
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 150 और 15000

[su_note] कल्पना कीजिये कि एक प्रोटॉन और एक इलेक्ट्रान के आवेश में अल्प अन्तर होता है। इनमें से एक है और दूसरा (e + ∆e) है। यदि एक दूसरे से ‘d’ दूरी पर रखे हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच (जहाँ d परमाणु के साइज से बहुत अधिक है) स्थिर वैद्युत बल और गुरूत्वीय बल का परिणामी (नेट) शून्य है तो, ∆e की कोटि होगी : ( दिया है, हाइड्रोजन का द्रव्यमान m = 1.67 x 10-27 kg)
[/su_note](a) 10-23 C
(b) 10-37C
(c) 10-47 C
(d) 10-20 C
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 10-37C

[su_note] किसी तार का प्रतिरोध ‘R’ ओम है। इस तार को पिघलाया जाता है और फिर खींचकर मूल तार से ‘n’ गुना लम्बाई का एक तार बना दिया जाता है। इस नये तार का प्रतिरोध होगा : R
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d) nR
Ans .

[su_note] एक न्यूट्रॉन का द्रव्यमान m है तथा यह T (कैल्विन) ताप पर गुरू जल के साथ ऊष्मीय संतुलन में है। इसकी दे – बाग्ली तरंगदैर्घ्य होगी : h
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] किसी लम्बी परिनालिका का व्यास 0.1m है। इसमें तार के फेरों की संख्या 2 × 104 प्रति मीटर है। इसके केन्द्र पर 0.01 m त्रिज्या तथा 100 फेरों वाली एक कुंडली इस प्रकार रखी है कि दोनों की अक्ष संपाती है । परिनालिका से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का मान एक स्थिर दर से कम होता जाता है और 0.05s 4 A से शून्य हो जाता है । यदि, कुंडली का प्रतिरोध 10 ????2 Ω है तो, इस अन्तराल में कुंडली से प्रवाहित कुल आवेश होगा :
[/su_note](a) 16 μC
(b) 32 μc
(c) 16 πμc
(d) 32πμc
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 32 μc

[su_note] एक दिन मैट्रो स्टेशन पर एस्कलेटर (चलती सीढ़ी) के न चलने पर प्रीति, उसकी सीढ़ियों पर पैदल ऊपर चढ़ती है। इसमें उसे t1 समय लगता है। अन्य दिनों में जब एस्कलेटर चल रहा होता है तब वह उस पर खड़ी रह कर, t2 समय में ऊपर पहुँच जाती है तो, उसके द्वारा हुए एस्कलेटर पर चलकर ऊपर चढ़ने में लिया गया समय होगा:
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] यंग के द्वि झिरी प्रयोग को पहले वायु में और फिर किसी अन्य माध्यम में किया जाता है। यह पाया जाता है कि, इस माध्यम में 8वीं दीप्त फ्रिंज तथा वायु में 5वीं अदीप्त फ्रिंज एक ही स्थान पर बनते हैं तो, इस माध्यम का अपवर्तनांक होगा लगभग :
[/su_note](a) 1.59
(b) 1.69
(c) 1.78
(d) 1.25
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 1.78

[su_note] किसी प्रकाश स्त्रोत, L से, प्रकाश का एक किरणपुंज, उससे दूरी पर X स्थित एक समतल दर्पण पर लम्बवत् पड़ता है। इस किरणपुंज के वापस परावर्तन से, स्त्रोत L के ठीक ऊपर स्थित एक पैमाने (स्केल) पर प्रकाश का एक बिन्दु बनता है। दर्पण को किसी अल्प कोण, से घुमाने पर, यह प्रकाश बिन्दु उस पैमाने पर दूरी से विचलित हो जाता है तो, 0 का मान होगा :
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] यदि एक दूसरे से लम्बवत्, दो ऊर्ध्वाधर समतलों में प्रेक्षित आभासी नमन (नति) कोण 01 तथा 02 हैं तो, वास्तविक नमन कोण 0 का मान किस समीकरण से प्राप्त होगा?
[/su_note](a) tan2 0 = tan2 01 + tan2 02
(b) cot2 0 = cot2 01 – cot2 02
(c) tan2 0 = tan2 01 – tan2 02
(d) cot2 0 = cot2 01 + cot2 02
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] cot2 0 = cot2 01 + cot2 02

[su_note] दो कारों की चाल क्रमश: 22 m/s तथा 16.5m/s हैं। ये दोनों विपरीत दिशाओं में एक दूसरे की ओर जा रही हैं। पहली कार का चालक हॉर्न बजाता है, जिसकी आवृत्ति 400 Hz है। यदि, ध्वनि का वेग 340 m/s है तो, दूसरी कार के चालक को इस हॉर्न की ध्वनि कितनी आवृत्ति की सुनाई देगी?
[/su_note](a) 361 Hz
(b) 411 Hz
(c) 448Hz
(d) 350 Hz
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 448Hz

[su_note] 1.42 अपवर्तनांक के काँच से बने, एक पतले प्रिज्म का अपवर्तक कोण 10° है। इस प्रिज्म को अपवर्तनांक के काँच से बने एक अन्य पतले प्रिज्म से जोड़ दिया जाता है। इस संयोजन से विचलनरहित परिक्षेपण प्राप्त होता है। तो, दूसरे प्रिज्म का अपवर्तक कोण होना चाहिये :
[/su_note](a) 6°
(b) 8°
(c) 10°
(d) 4°
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 6°

[su_note] पृथ्वी के पृष्ठ से 1 km ऊँचाई पर गुरूत्वीय त्वरण का मान वही है जो पृथ्वी के भीतर d गहराई पर है, तो :
[/su_note](a) d = 1km
(b)
(c) d = 2km
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] d = 2km

[su_note] विद्युत वाहक बल की वैद्युत माप के लिये विभवमापी एक यथार्थ तथा बहुमुखी युक्ति है, क्योंकि, इस विधि में शामिल होता है :
[/su_note](a) विभव प्रवणता
(b) गैल्वेनोमीटर से धारा के प्रवाहित न होने की स्थिति
(c) सेलों, गैल्वेनोमीटर तथा प्रतिरोधों का संयोजन
(d) सेलों का उपयोग
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] गैल्वेनोमीटर से धारा के प्रवाहित न होने की स्थिति

[su_note] एक गोलीय कृष्णिका की त्रिज्या 12 cm है। यह 500K पर 450 वाट शक्ति का उत्सर्जन करती है। यदि इसकी त्रिज्या को आधा (1/2) तथा ताप को दो गुना कर दिया जाए तो उत्सर्जित शक्ति का मान वाट में होगा :
[/su_note](a) 450
(b) 1000
(c) 1800
(d) 225
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 1800

[su_note] दो रेडियोएक्टिव पदार्थों, ‘A’ तथा ‘B’ के क्षयांक क्रमशः ‘8λ ‘ तथा ‘λ ‘ हैं। प्रारंभ में दोनों के नाभिकों की संख्या समान कितने समय के पश्चात् पदार्थ ‘B’ में नाभिकों की संख्या का ‘A’ में नाभिकों की संख्या से अनुपात होगा?
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] दो अन्तरिक्ष यात्रियों का सम्पर्क अपने अन्तरिक्ष यान से टूट जाता है और वे दोनों गुरूत्वाकर्षण विहीन अन्तरिक्ष में तैरने लगते हैं, तो ये दोनों :
[/su_note](a) एक-दूसरे की ओर गति करेंगे
(b) एक दूसरे से दूर जायेंगे
(c) अचल रहेंगे
(d) तैरते हुए . उनके बीच की दूरी वही बनी रहेगी
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] एक-दूसरे की ओर गति करेंगे

[su_note] यदि किसी समय पर, किसी कण के x तथा निर्देशांक, क्रमश: x = y y t 5t – 2t2 तथा y = 10t हैं (जहाँ x तथा मीटर में और 1 सेकंड में हैं)। तो, t = 2s पर उस कण का त्वरण होगा :
[/su_note](a) 5m/s2
(b) -4 m/s2
(c) x -8 m/s2
(d) 0
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] -4 m/s2

[su_note] / लम्बाई की एक डोरी के एक सिरे से ‘m’ द्रव्यमान का एक कण जुड़ा है और इसका दूसरा सिरा एक चिकने समतल मेज पर लगी छोटी सी खूँटी से जुड़ा है। यदि यह कण वृत्ताकार पथ पर, चाल से घूर्णन करता है तो, उस पर लगने वाला नेट बल (केन्द्र की ओर) होगा : ( T – रस्सी पर तनाव है ) mv2 mv2
[/su_note](a)
(b)
(c) शून्य
(d) T
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] T

[su_note] किसी कण की रेखीय सरल आवर्त गति का आयाम 3 cm है। जब यह कण अपनी माध्य स्थिति से 2 cm दूरी पर होती है तो उस समय इसके वेग का परिणाम, इसके त्वरण के बराबर होता है। इस कण का आवर्तकाल (सेंकड में ) है :
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] दो पोलेरॉइड P1 तथा P2 को इस प्रकार रखा गया है कि, इनकी अक्ष है। आपस में लम्बवत् हैं। P पर आपतित अधुवित प्रकाश की तीव्रता I है P1 और P2 के बीच में एक अन्य पोलेरॉइड P3 को इस प्रकार रखा जाता है कि इसकी अक्ष P2 की अक्ष से 45° का कोण बनाती है तो, P2 से पारगत प्रकाश की तीव्रता है:
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] किसी गोलीय पिंड का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक ‘B’ हैं। इस पर एकसमान दाब ‘p’, लगाया जाता है तो, इसकी त्रिज्या में भित्रात्मक कमी होगी :
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] मुक्त दिक्स्थान (आकाश) में, किसी विद्युत चुम्बकीय तरंग में विद्युत क्षेत्र का वर्ग- माध्य-मूल मान, E Prms Q = 6V/m है, तो चुम्बकीय क्षेत्र का शिखर मान है :
[/su_note](a) 2.83 × 108 T
(b) 0.70× 108 T
(c) 4.23 × 108 T
(d) 1.41 x 108 T
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 2.83 × 108 T

[su_note] एक खोखले सिलिन्डर का द्रव्यमान 3 kg तथा त्रिज्या 40 cm है। इस पर एक डोरी लपेट दी गई है। यदि, इस डोरी को 30N के बल द्वारा खींचा जाय तो, सिलिन्डर का कोणीय त्वरण कितना होगा ?
[/su_note](a) 25m/s2
(b) 25 rad/s2
(c) 0.25 rad/s2
(d) 25m/s2
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 25 rad/s2

[su_note] दो डिस्कों (चक्रिकायों) के जड़त्व आघूर्ण आपस में बराबर हैं। ये अपनी-अपनी नियमित अक्ष, जो इनके समतल के लम्बवत् है और चक्रिका के केन्द्र से होकर गुजरती है के परित: क्रमश: 01 तथा 02 कोणीय वेग से घूर्णन कर रही है। इनको एक दूसरे के सम्मुख इस प्रकार सम्पर्क में लाया जाता है कि, इनकी घूर्णन अक्ष संपाती हो जाती हैं। तो, इस प्रक्रम में ऊर्जा क्षय के लिये व्यंजक होगा:
[/su_note](a)
(b)
(c)
(d)
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label]

[su_note] चाँदी के लिये प्रकाश विद्युत देहली तरंगदैर्घ्य 3250 x 10-10 m है, तो 2536 × 10-10- m तरंगदैर्घ्य के पराबैंगनी प्रकाश द्वारा चाँदी के पृष्ठ निष्काषित इलेक्ट्रॉनों को वेग होगा : (दिया है, h = 4. 14 x 10-15 eVs तथा c = 3 x 108 ms-1)
[/su_note](a) ~ 0.6 × 106 ms-1
(b) 261 x 103 ms-1
(c) ~ 0.3 × 106 ms-1
(d) ~ 6×105 ms-1
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] ~ 6×105 ms-1

[su_note] 250 फेरों वाली एक आयताकार कुंडली की लम्बाई 2.1 cm तथा चौड़ाई 1.25 cm है। इससे 85 A की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इस पर 0.85 T तीव्रता का एक चुम्बकीय क्षेत्र आरोपित किया जाता हैं। तो, बल आघूर्ण के विरुद्ध इस कुंडली के 180° से घुमाने के लिये आवश्यक कार्य का मान होगा:
[/su_note](a) 4.55 μJ
(b) 2.3 μJ
(c) 1.15 μJ
(d) 9.1 μJ
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 9.1 μJ

[su_note] बामर श्रेणी की अन्तिम लाइन तथा लाइमन श्रेणी की अन्तिम लाइन की तरंगदैयों का अनुपात है :
[/su_note](a) 1
(b) 4
(c) 0.5
(d) 2
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 4

[su_note] ऊष्मा इंजन के रूप में किसी कार्नो इंजन की दक्षता है। इसका उपयोग एक रेफ्रिजरेटर की भाँति किया जाता है। यदि इस तन्त्र (निकाय) पर किया गया कार्य 10J हो तो, निम्न ताप पर कुंड से अवशोषित ऊर्जा का मान होगा:
[/su_note](a) 90 J
(b) 99 J
(c) 100 J
(d) 1J
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 90 J

[su_note] गैसों के एक मिश्रण में T ताप पर 2 मोल ऑक्सीजन तथा 4 मोल आर्गन गैस हैं। कम्पन के सभी विन्यासों को नगण्य मानते हुए इस निकाय की कुल आन्तरिक ऊर्जा होगी:
[/su_note](a) 15RT
(b) 9RT
(c) 11 RT
(d) 4RT
[su_label type=”black”]उत्तर.[/su_label] 11 RT

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