NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 – माटी वाली

NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 – माटी वाली

NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kritika) Chapter 4 माटी वाली – नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 9th कृतिका भाग-1 हिंदी अध्याय 4 (माटी वाली) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 4. Mati Waliकी मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. अगर आपको यह समाधान फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे . हमारी वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के सलूशन दिए गए है .

Class9
SubjectHindi
Bookकृतिका
Chapter Number4
Chapter Nameमाटी वाली

NCERT Solutions For Class 9 हिंदी (कृतिका) Chapter 4 माटी वाली

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1. ‘शहर वासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं, आपकी समझ में वे कौन-से कारण रहे होंगे जिन के रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे ?’

उत्तर- भागीरथी और भीलांगना नामक दो नदियों के तटों पर बसे टिहरी शहर की मिट्टी पूरी तरह रेतीली है जिससे चूल्हों पर लिपाई का नाम नहीं हो सकता। शहर के हर घर में सुबह-दोपहर शाम चूल्हा जलता है और हर बार उसकी लिपाई-पुताई के लिए लाल मिट्टी की आवश्यकता होती है। कभी-कभी घरों के कमरों, दीवारों की गोबरी लिपाई में भी लाल मिट्टी की आवश्यकता अनुभव होती थी। सारे शहर में ‘माटी वाली’ ही एक ऐसी औरत है जो हर घर जाकर लाल मिट्टी का कंटर अपने सिर से उतार वहाँ उड़ेल आती है। शहर का हर वासी उसे और उसके कंटर लगभग रोज़ देखता है। वर्षों से लगातार प्रतिदिन माटी वाली और उसके ढक्कन कटे कंटर को देखने के कारण सारे शहर वासी उन दोनों को भली-भांति पहचानते हैं।

प्रश्न 2. माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था ?

उत्तर- माटी वाली का गाँव टिहरी नगर से इतना दूर था कि उसे वहाँ पहुँचने के लिए कम-से-कम एक घंटा अवश्य लगता था। इतना ही समय उसे घर वापिस आने में लगता था। वह सारा दिन माटाखान से खोद-खोद कर लाल मिट्टी अपने कनस्तर में भरती और फिर उसे अपने सिर पर रखकर घर-घर बेचती। उसे अच्छे या बुरे भाग्य के बारे सोचने का समय ही नहीं था। वैसे भी उसके पास न कोई ज़मीन थी और न झोंपड़ी। सारे टिहरी नगर में वह अकेली ही थी जो लाल मिट्टी पहुँचाती थी। अति व्यस्तता और अपने विशिष्ट स्वभाव के कारण उसके पास ज्यादा सोचने का समय ही नहीं था।

प्रश्न 3. ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर- भूख किसी स्वाद को नहीं पहचानती। जब कोई व्यक्ति वास्तव में ही भूखा हो, उसका पेट पूरी तरह लंबे समय से खाली हो तो वह उसे भरने के लिए स्वाद नहीं माँगता। वह किसी भी तरह भरना चाहता है। उसे रूखी-सूखी रोटी भी अच्छी लगती है। उसे तब किसी दाल-सब्ज़ी की आवश्यकता नहीं होती। जब पेट भरा हो तो व्यक्ति को स्वाद सूझता है और वह स्वाद को अच्छा या बुरा बताता है। ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से यही तात्पर्य है कि जब भूख सता रही हो तो हर प्रकार का रूखा-सूखा भी मीठा लगता है।

प्रश्न 4. पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता’-मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर- मध्यवर्गीय या निम्नवर्गीय परिवारों में धन कमाने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ता है। एक-एक पैसा जोड़कर घर के लिए उपयोगी और आवश्यक सामान खरीदा जाता है। उसे ठोक-बजा कर खरीदा जाता है कि वह लंबे समय तक टिकाऊ बना रहे। घर की मालकिन ने घर में पीतल और काँसे के बर्तनों को सहेज कर रखा हुआ था क्योंकि वह पुरखों की मेहनत से कमाई हुई संपत्ति के महत्त्व को भली-भांति समझती थी। पता नहीं उन्होंने कितनी कठिनाई से उन बर्तनों को खरीदा होगा। वह अपने पुरखों की मेहनत की कमाई को मिट्टी के भाव नहीं बेचना चाहती थी।
विरासत में प्राप्त धन-संपत्ति का उपयोग मानव के द्वारा सोच-समझ कर किया जाना चाहिए। उसके साथ पूर्वजों का स्नेह, यादें और मान भी जुड़ा होता है। वे उनके परिश्रम, पसंद और भविष्य के प्रति लगाव के प्रतीक होते हैं। उसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। नएपन के मोह में अपनों की स्मृतियों को नहीं भुलाया जाना चाहिए।

प्रश्न 5. माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगानी उस की किस मजबूरी को प्रकट करता है ?

उत्तर- माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी निर्धनता अभावग्रस्तता और असहायता को प्रकट करता है। उसका पति बहुत कमजोर और बुड्ढा था। अशक्त होने के कारण वह काम नहीं कर सकता था इसीलिए माटी वाली को जी तोड़ शारीरिक मेहनत करनी पड़ती थी पर फिर भी वह पेट भर रोटी नहीं कमा पाती थी।

प्रश्न 6. आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- माटी वाली आर्थिक दृष्टि से असहाय थी। वह अति निर्धन थी और चाह कर भी अपने बुड्ढे के लिए ठीक से रोटी नहीं कमा पाती थी। बुड्ढा अति कमजोर था और इस कारण वह डेढ़ से अधिक रोटी नहीं खा सकता थ बुढ़िया के पास तीन रोटियां थीं। उसके पास मिट्टी बेचने से प्राप्त कुछ पैसे भी थे। वह आज गठरी में बदल गए अपने बुड्ढे को केवल सूखी रोटियां नहीं खिलाएगी। उसने एक पाव प्याज खरीदे और सोच लिया कि वह उन्हें कूट कर जल्दी-जल्दी तल लेगी। वह पहले उसे रोटियाँ दिखाएगी ही नहीं। सब्ज़ी तैयार होते ही दो रोटियाँ उसे परोस देगी। माटी वाली के हृदय में अपने पति के प्रति गहरा लगाव था। वह उसकी पीड़ा से पीड़ित थी पर चाह कर भी उसकी भूख और पीड़ा को दूर नहीं कर पाती थी। उसका इस दुनिया में सिवाय बुड्ढे के कोई भी नहीं था।

प्रश्न 7. ‘गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- गरीब आदमी के पास रहने और सिर छिपाने के लिए अपना कोई सहारा नहीं होता। कुछ भी तो नहीं होता उसके पास जिसे वह अपना कह सके। शमशान ही एक ऐसी जगह है जहाँ मरने के बाद उसे जगह अवश्य मिलती हैचाहे अपने वहाँ छोड़ आएं या पराए। ऐसा नहीं होता कि गरीब की लाश सदा के लिए वहीं पड़ी रहे जहाँ वह मरा हो। माटी वाली का बुड्ढा मरा और उसे शमशान में जगह मिली चाहे माटी वाली के पास पैसे नहीं थे पर अब जब टिहरी में पानी भरने लगा तो सबसे पहले पानी में शमशान डूब गई। माटी वाली को लगा कि अब तो उसे वहाँ भी स्थान नहीं मिल पाएगा इसीलिए उसने अपने हृदय की व्यथा को प्रकट करते हुए कहा कि ‘ग़रीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।’

प्रश्न 8. ‘विस्थापन की समस्या पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर- नागरिकों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर बसना विस्थापन कहलाता है| यह लोगों पर विपत्ति आने के कारण होता है| जैसे भूकंप के कारण, बाढ़ के कारण, बांध के लिए, बिजली परियोजना के लिए| आज के समय में विस्थापन एक प्रमुख समस्या है| यह लोगों के विकास को अवरुद्ध करने के साथ देश के विकास को भी काफी हद तक रोकती है| यह लोगों से उनका कमाने का जरिया, उनका घर-जमीन छीन लेती है| उनके बच्चों का विकास को यह बहुत ज्यादा प्रभावित करती है| हमारे सामने विस्थापन के कारण हुए विरोधों के उदाहरण हैं जैसे नर्मदा आंदोलन| हमें इस विषय ध्यानपूर्वक सोचना चाहिए कि क्या हमारा विकास उन गरीबों और असहाय वर्ग के घरों-मकानों पर होगा

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