NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 – रीढ़ की हड्डी
NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kritika) Chapter 3 रीढ़ की हड्डी – जो उम्मीदवार 9th कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें रीढ़ की हड्डी के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है .इसके बारे में 9th कक्षा के एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 9 कृतिका भाग-1 हिंदी अध्याय 3 (रीढ़ की हड्डी) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 3 Reedh ki Haddi की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.3 रीढ़ की हड्डी के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे. इसलिए नीचे आपको एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 कृतिका भाग-1 हिंदी अध्याय 3 रीढ़ की हड्डी दिया गया है ।
Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | कृतिका |
Chapter Number | 3 |
Chapter Name | रीढ़ की हड्डी |
NCERT Solutions For Class 9 हिंदी (कृतिका) Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
उत्तर- मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह अपने अतीत से चिपका रहना चाहता है। सभी को उनका अतीत सदैव सुखदायी लगता है। अपने अतीत की बातों को याद करके वह मन ही मन प्रसन्न होता रहता है। रामस्वरूप और गोपालप्रसाद भी अपने अतीत को याद करते हैं। किंतु उनका अपने अतीत की तुलना वर्तमान से करना उचित नहीं है। समय सदा एक-सा नहीं रहता। उसमें परिवर्तन आता रहता है। यह आवश्यक नहीं कि जो पहले था वह आज भी रहे। इसी प्रकार अतीत में भी सभी चीजें अच्छी नहीं होतीं। कुछ चीजें अतीत में अच्छी रही होंगी तो कुछ चीजें वर्तमान में भी अच्छी होती हैं। केवल अतीत से चिपके रहकर वर्तमान की बुराई करना तर्कसंगत नहीं है। अतीत और वर्तमान में सदा सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए।
उत्तर- रामस्वरूप अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाता है। वह मानता है कि लड़कियों के लिए भी शिक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी लड़कों के लिए होती है। वह नारी-शिक्षा का पक्षधर हैं किंतु जब उसे गोपालप्रसाद के लड़के के साथ अपनी बेटी का रिश्ता करना होता है तो वह अपनी बेटी की शिक्षा छिपाता है। एक लड़की का पिता होने की विवशता उससे ऐसा करवाती है। रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी का विवाह गोपालप्रसाद के लड़के शंकर से हो जाए परंतु गोपालप्रसाद चाहते हैं कि उनकी बहू अधिक पढ़ी-लिखी न हो, अतः रामस्वरूप को विवश होकर अपनी लड़की की उच्च शिक्षा को छिपाना पड़ता है।
उत्तर- रामस्वरूप अपनी बेटी का रिश्ता गोपालप्रसाद के बेटे शंकर से तय करना चाहते हैं। गोपालप्रसाद उनकी बेटी से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं रामस्वरूप चाहता है कि उसकी बेटी उमा उनके सभी सवालों का उत्तर बड़े सहज भाव से दे। वह यह भी चाहता है कि गोपालप्रसाद के द्वारा पूछे गए बेहूदा प्रश्नों के भी वह चुपचाप उत्तर देती जाए और उनके द्वारा किए गए अपने अपमान को चुपचाप सहन कर ले क्योंकि वे लड़के वाले हैं। रामस्वरूप का अपनी बेटी से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करना बिल्कुल ग़लत है। आजकल लड़का और लड़की में किसी प्रकार का कोई भेद नहीं रह गया है। दोनों ही बराबर की शिक्षा के अधिकारी हैं और विवाह के समय केवल लड़की होने के कारण उसे चुपचाप अपमान सहना पड़े, यह उचित नहीं है। लड़का और लड़की बराबर सम्मान के अधिकारी हैं।
उत्तर- गोपालप्रसाद अपने लड़के शंकर का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप के घर आते हैं। वे विवाह की बातचीत आरंभ करते हुए विवाह को ‘बिजनेस’ कहते हैं। बिजनेस’ का अर्थ होता है—व्यापार। व्यापार में निर्जीव वस्तुओं को खरीदा-बेचा जाता है। अतः उनके द्वारा विवाह जैसे पवित्र बंधन को ‘बिजनेस’ कहना सरासर अनुचित है। दूसरी ओर रामस्वरूप गोपालप्रसाद के पुत्र के साथ रिश्ता जोड़ने के लिए अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाते हैं। गोपालप्रसाद अपने बेटे के लिए कम पढ़ी-लिखी लड़की चाहते हैं अत: रामस्वरूप अपनी बेटी की शिक्षा मैट्रिक तक बताकर जैसे-तैसे इस रिश्ते को जोड़ने का प्रयास करते हैं। रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी की पसंद और नापसंद का ध्यान न रखना और जबरन उसका विवाह करना भी उचित नहीं है। अतः गोपालप्रसाद और रामस्वरूप दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं।
उत्तर- गोपालप्रसाद अपने बेटे शंकर का रिश्ता तय करने से पहले उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उमा स्वयं को अपमानित अनुभव करती है। वह शंकर को भी पहचान लेती है। शंकर का चरित्र ठीक नहीं था। वह लड़कियों के छात्रवास में आस-पास घूमता रहता था और कई बार वहां से भगाया भी गया था। इसके साथ-साथ सबसे बड़ी बात यह थी कि जिस लड़के लिए गोपालप्रसाद हर प्रकार से परिपूर्ण लड़की चाहते थे, वह उनका अपना लड़का शंकर स्वयं रीढ़ की हड्डी से रहित था तथा झुककर-चलता था। शंकर अपने लिए अत्यंत सुंदर लड़की की तलाश में था जबकि उसमें अपने में बहुत सारी कमियां थीं। उसकी रीढ़ की हड्डी न होना और ठीक प्रकार से खड़ा न हो पाना, उसकी सबसे बड़ी कमी थी। उमा ने यहां उसकी इसी कमी की ओर संकेत किया है।
उत्तर- आज समाज को उमा जैसी लड़की की आवश्यकता है। शंकर जैसे लड़के समाज को किसी भी रूप में ऊंचा उठाने में योगदान नहीं दे सकते। वह पढ़ा-लिखा तो अवश्य है किंतु वह चारित्रिक एवं मानसिक रूप से इतना दृढ़ नहीं है कि समाज को एक नई दिशा दे सके। दूसरी ओर उमा वर्तमान नारी की साक्षात् प्रतिमूर्ति है। वह अन्याय का डटकर विरोध करने वाली है। उसमें रूढ़ियों और कुरीतियों से लड़ने का साहस है। वह अन्याय को चुपचाप सहन करके उसे बढ़ावा देने वाली नहीं है। वह लड़का और लड़की के भेदभाव को समाप्त कर देना चाहती है। वह स्पष्ट करती है कि रिश्ता तय करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल पूछकर उसे अपमानित करना उचित नहीं है। उमा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम हैं। अतः आज समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है।
उत्तर- ‘रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इस एकांकी में लेखक ने समाज की रूढ़ियों पर प्रहार किया है। गोपालप्रसाद अपने बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी-लिखी किंतु अत्यंत सुंदर बहू चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि लड़की प्रत्येक कार्य में निपुण हो। उसे गाना-बजाना, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई और अन्य सभी कार्य आते हों। वे उमा से तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। उनमें लड़के का पिता होने की ऐंठ है। वे चाहते हैं कि लड़की सर्वगुण संपन्न हो किंतु एकांकी के अंत में पता चलता है कि उनका अपना लड़का शंकर तो किसी प्रकार भी पूर्ण नहीं है। वह चरित्रहीन तो है ही साथ ही शारीरिक दृष्टि से अपंग भी है। वह ठीक प्रकार से खड़ा नहीं हो पाता क्योंकि उसकी रीढ़ की हड्डी ही नहीं है। इस प्रकार इस एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ अत्यंत सार्थक है।
उत्तर- कथावस्तु के आधार पर एकांकी की मुख्य पात्र उमा है। कोई भी लेखक जिस पात्र के माध्यम से अपने उद्देश्य की पूर्ति करता है, वही कथावस्तु का मुख्य पात्र होता है। इस एकांकी में भी लेखक ने अपने उद्देश्य की पूर्ति उमा के माध्यम से की है। उमा ही स्पष्ट करती है कि वर्तमान समाज में लड़का और लड़की का भेदभाव करना उचित नहीं है। दोनों को समान अधिकार और बराबर सम्मान मिलना चाहिए। अब वह समय नहीं रहा जब लड़की घर की चारदीवारी में बंद रहती थी। रिश्ता करते समय लड़की से तरह-तरह के सवाल करके उसे अपमानित करना भी उचित नहीं है। इस प्रकार लेखक ने उमा के माध्यम से हमारे समाज के कुछ लोगों की दकियानूसी विचारधारा पर चोट की है। अत: उमा ही इस एकांकी की मुख्य पात्र है।
उत्तर- एकांकी में रामस्वरूप एक लड़की का पिता है और गोपालप्रसाद एक लड़के का पिता है। रामस्वरूप में जहां एक ओर लड़की का पिता होने के कारण एक अनावश्यक विवशता है वहीं गोपालप्रसाद में लड़के का पिता होने की ऐंठ है। रामस्वरूप अधेड़ उम्र का व्यक्ति है। वह किसी भी प्रकार अपनी बेटी का रिश्ता गोपालप्रसाद के बेटे से कर देना चाहता है इसी कारण वह अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को भी छिपाती है। वह ज़रा-जरा सी बात पर झुंझलाने वाला व्यक्ति है। उसके नौकर और उसके बीच हुई बातचीत में उसकी झुंझलाहट को देखा जा सकता है। वह नारी शिक्षा का पक्षधर तो है किंतु नारी को पूर्ण अधिकार देने के पक्ष में नहीं है। इसी कारण वह उमा द्वारा गोपालप्रसाद को खरी-खोटी सुनाने पर परेशान हो उठता है। दूसरी ओर गोपालप्रसाद तो नारी का शत्रु ही दिखाई देता है। वह नारी की शिक्षा का प्रबल विरोधी है। वह आज भी नारी को घर की चारदीवारी में बंद करके रखना चाहता है। वह अत्यंत दकियानूसी और अपने अतीत से चिपका रहने वाला व्यक्ति है। उसके मत में इस संसार में समस्त सम्मान और अधिकारों का एकमात्र हकदार पुरुष है। गोपालप्रसाद एक आत्मप्रशंसक व्यक्ति भी है। उसे अपनी प्रशंसा स्वयं करके आनंद की अनुभूति होती है।
उत्तर-इस एकांकी का उद्देश्य समाज में औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना है। यह एकांकी उन लोगों की तरफ़ अँगुली उठाती है जो समाज में स्त्रियों को जानवरों या सामान से ज़्यादा कुछ नहीं समझते। जिनके लिए वह घर में सजाने से ज़्यादा कुछ नहीं है यह औरत को उसके व्यक्तित्व की रक्षा करने का संदेश देती है और कई सीमा तक इस उद्देश्य में सफल भी होती है।
उत्तर-‘हम उनको गरिमा दिलाने हेतु निम्नलिखित प्रयास कर सकते हैं –
(1) उनकी शिक्षा के हेतु कार्य कर सकते हैं ताकि समाज में वह सर उठा कर अपना जीवन व्यतीत कर सकें।
(2) उनको, उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करा सकते हैं ताकि वह अपना शोषण होने से स्वयं को बचा सकें।
(3) समाज में महिला को समान भागीदारी दिलवाने के लिए प्रयत्न कर सकते हैं।
(4) लड़कियों का विवाह बिना दहेज लिए व दिए हो इस विषय पर कार्य कर सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Bhag 1 क्षितिज भाग 1
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