NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 – मेरे संग की औरतें
NCERT Solutions Class 9 Hindi (Kritika) Chapter 2 मेरे संग की औरतें – आज हम आपको कक्षा 9 पाठ-2 मेरे संग की औरतें के प्रश्न-उत्तर (Mere Sang Ki Auraten Question Answer)के बारे में बताने जा रहे है जो कि मृदुला गर्गद्वारा लिखित है। जो विद्यार्थी 9th कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यह प्रश्न उत्तर बहुत उपयोगी है . यहाँएनसीईआरटी कक्षा 9 कृतिका भाग-1 हिंदी अध्याय 2 (मेरे संग की औरतें) का सलूशन दिया गया है. जिसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप Class 9th Hindi Chapter 2 मेरे संग की औरतें के प्रश्न उत्तरों को ध्यान से पढिए ,यह आपकी परीक्षा के लिए फायदेमंद होंगे.
Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | कृतिका |
Chapter Number | 2 |
Chapter Name | मेरे संग की औरतें |
NCERT Solutions For Class 9 हिंदी (कृतिका) Chapter 2 मेरे संग की औरतें
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
उत्तर- लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था परंतु अपनी नानी के व्यक्तित्व के संबंध में उसने जो कुछ भी सुना था उससे वह अपनी नानी के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुई थी। उसकी नानी ने पारंपरिक, अनपढ़ और परदे में रहने वाली स्त्री होते हुए भी अपने विलायती ढंग से जीवन व्यतीत करने वाले बैरिस्टर पति के साथ जीवन बिना किसी शिकवे-शिकायत के व्यतीत किया था। मरने से पूर्व उन्होंने परदे का लिहाज़ छोड़कर पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा से वचन लिया था कि वे उनकी पुत्री का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से ही करवाएंगे। उनके इन्हीं क्रांतिकारी कदमों ने लेखिका को प्रभावित किया था।
उत्तर- लेखिका की नानी ने जब स्वयं को मौत के करीब पाया तो उन्हें अपनी पंद्रह वर्षीय इकलौती पुत्री के विवाह की चिंता होने लगी। वे अपने पति के अनुसार किसी साहबों के फ़रमा बरदार के साथ अपनी बेटी का विवाह नहीं होने देना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने अपने पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा जी से वचन ले लिया कि वे उनकी बेटी का विवाह किसी स्वतंत्रता सेनानी से करवाएँगे। इस प्रकार अपनी बेटी का विवाह स्वतंत्रता सेनानी के साथ करवा कर उन्होंने आजादी के आंदोलन में योगदान दिया था।
(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर- (क) लेखिका की माँ बहुत सुंदर, कोमल, अव्यवहारिक, ईमानदार तथा निष्पक्ष स्वभाव की महिला थीं। लेखिका की दादी के अनुसार ‘हमारी बहू तो ऐसी है कि धोई, पोंछी और छींके पर टाँग दी। पति के गांधीवादी होने के कारण उन्हें खद्दर की साड़ी पहननी पड़ती थी। वे बच्चों से लाड़-प्यार नहीं करती थीं तथा उनके लिए खाना भी नहीं पकाती थीं। वे अपना अधिकांश समय पुस्तकें पढ़ने, साहित्य चर्चा तथा संगीत सुनने में व्यतीत करती थीं। वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं और एक की गोपनीय बात दूसरे को नहीं बताती थीं। उन्हें घर वालों से आदर तथा बाहर वालों से स्नेह मिलता था।
(ख) लेखिका की दादी के घर का माहौल गांधीवादी था। उसके पिता की जेब में पुश्तैनी पैसा-धेला एक नहीं था पर वे होनहार थे। उनके घर में खादी के वस्त्र पहने जाते थे। लेखिका की माँ को खादी की साड़ी इतनी भारी लगती थी कि उनकी कमर चनका खा जाती थी। उसकी दादी का परिवार उसके नाना के विलायती रहन-सहन से बहुत प्रभावित था। इसलिए लेखिका की माँ से कोई ठोस काम नहीं करवाया जाता था परंतु उनकी राय माँग कर उसे पूरी तरह निभाया जाता था। लेखिका की माँ को दादी के घर में पूरा सम्मान मिलता था। बच्चों की देखभाल भी लेखिका की माँ के अतिरिक्त दादी, जिठानियाँ, पिता जी आदि करते थे। घर में सबको पूरी आजादी थी। कोई किसी के पत्र के आने पर उससे उस विषय में कुछ नहीं पूछता था। प्रत्येक व्यक्ति को अपना निजत्व बनाए रखने की पूरी छूट थी। घर में परदादी भी थी।
उत्तर- परदादी को सदा लीक से हटकर चलने की आदत थी। परिवार में परदादी के पुत्र तथा पोते की भी बहनें थीं, इसलिए कोई ऐसा कारण नहीं था कि परदादी पतोहू के लिए पहली संतान के रूप में लड़के के स्थान पर लड़की की मन्नत मानती। परदादी ने समाज में प्रचलित इस परंपरा को तोड़ने के लिए पतोहू की पहली संतान लड़की होने की मन्नत माँगी थी क्योंकि आम लोग पहली संतान के रूप में लड़का माँगते हैं। वह संसार में प्रचलित परंपराओं के विरुद्ध चलना चाहती हैं। इसलिए वे लड़की के जन्म की मन्नत माँगती हैं।
उत्तर- लेखिका की बहन रेणु बी० ए० की परीक्षा न देने पर अड़ गई थी। वह बार-बार यह कहती थी कि पहले मुझे समझाओ कि बी० ए० करना क्यों जरूरी है तो मैं बी० ए० करूंगी। सबने अनेक तर्क दिए पर वह नहीं समझी। पिता जी ने उसे समझाया कि बी० ए० करके उसे नौकरी मिल सकती है, अच्छी शादी हो जाएगी, समाज में सम्मान मिलेगा आदि। यह सब तर्क रेणु और स्वयं पिता जी को भी ठीक नहीं लगे। तब पिता जी ने उसे कहा कि बी० ए० करो क्योंकि मैं कह रहा हूँ। इस प्रकार से सहज भाव से कहने पर रेणु ने बी० ए० पास कर लिया। अतः स्पष्ट है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की अपेक्षा सहजता से किसी से भी कोई कार्य कराया जा सकता है।
उत्तर- लेखिका जब कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट पहुँची तो उसके दो बच्चे हो चुके थे, जो स्कूल जाने योग्य थे। बागलकोट में कोई स्कूल नहीं था। उसने पास के कैथोलिक बिशप से मिशन और वहाँ की सीमेंट कारखाने की आर्थिक सहायता से बागलकोट में प्राइमरी स्कूल खोलने का अनुरोध किया। क्योंकि वहां क्रिश्चियनों की संख्या कम थी इसलिए उन्होंने वहां स्कूल खोलने में असमर्थता व्यक्त की। तब लेखिका ने वहाँ के अपने जैसे विचार वाले लोगों की सहायता से वहाँ अंग्रेज़ी-कन्नड़-हिंदी भाषाएँ पढ़ाने वाला प्राइमरी स्कूल खोला और बाद में उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता भी दिलवाई। लेखिका के इस प्रयास से सिद्ध होता है कि शिक्षा बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है।
उत्तर- इस पाठ में लोग अपनी-अपनी पसंद के अनुसार किसी-किसी को अधिक श्रद्धा-भाव से देखते हैं। लेखिका की नानी परंपरावादी होते हुए भी मरने से पहले अपनी इकलौती बेटी का विवाह अंग्रेज सरकार के गुलामों से न करके किसी स्वतंत्रता सेनानी से करवाने का वायदा अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल शर्मा से लेती है। अपने पति से नहीं क्योंकि उसका पति विलायती रंग-ढंग में रंगा है। इस प्रकार आजादी की लड़ाई में किसी भी रूप से सहयोग देने के कारण वह श्रद्धा की पात्र है। लेखिका की परदादी चोर को खेतीहर बनाकर श्रद्धा योग्य है। लेखिका के पिता के प्रति लेखिका की माँ का ससुराल पक्ष श्रद्धावान है क्योंकि उनका साहबी दबदबा है। हम लेखिका के प्रति श्रद्धावान हैं क्योंकि उसने विषम परिस्थितियों में भी जीवन जिया है तथा औरों को भी जीना सिखाया है। डालमिया नगर में नाटक मंडली बनाना तथा बागलकोट में प्राइमरी स्कूल खुलवाना लेखिका के प्रति हमें नतमस्तक कर देता है।
उत्तर- लेखिका व उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। लेखिका व उनकी बहन के व्यक्तित्व का सबसे खूबसूरत पहलू था – वे दोनों ही जिद्दी स्वभाव की थीं परन्तु इस जिद्द से वे हमेशा सही कार्य को ही अंजाम दिया करती थे। लेखिका कि जिद्द ने ही कर्नाटक में स्कूल खोलने के लिए प्रेरित किया था। वे दोनों स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्तित्व की स्वामिनी थीं और इसी कारण जीवन में अपने उद्देश्यों को पाने में सदा आगे रहीं।
मेरे संग की औरतें के बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर
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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Bhag 1 क्षितिज भाग 1
गद्य – खंड
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- Class 9 Hindi Chapter 7 मेरे बचपन के दिन
- Class 9 Hindi Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना
काव्य – खंड
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- Class 9 Hindi Chapter 10 वाख
- Class 9 Hindi Chapter 11 सवैये
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- Class 9 Hindi Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर
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- Class 9 Hindi Chapter 16 यमराज की दिशा
- Class 9 Hindi Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Bhag 1 कृतिका भाग 1
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- Class 9 Hindi Chapter 2 मेरे संग की औरतें
- Class 9 Hindi Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
- Class 9 Hindi Chapter 4 माटी वाली
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