NCERT Solutions For Class 9 Hindi Chapter 4 – साँवले सपनों की याद
NCERT Solutions For Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 4 साँवले सपनों की याद – नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 9th क्षितिज भाग-1 हिंदी अध्याय 4 (साँवले सपनों की याद) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4. Sawle sapno ki yaad की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. अगर आपको यह समाधान फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे . हमारी वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के सलूशन दिए गए है .
Class | 9 |
Subject | Hindi |
Book | क्षितिज |
Chapter Number | 4 |
Chapter Name | साँवले सपनों की याद |
NCERT Solutions For Class 9 हिंदी (क्षितिज) Chapter 4 साँवले सपनों की याद
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
उत्तर- बचपन में सालिम अली एयरगन से खेला करते थे। एक दिन उनकी एयरगन से निकली गोली से एक नीले कंठ वाली गौरैया घायल हो कर गिर पड़ी। इस घायल गोरैया की दयनीय दशा देखकर सालिम अली को बहुत दु:ख हुआ। उन्होंने एयरगन न चलाने का फैसला किया और पक्षियों की सेवा करने का निश्चय किया। इस प्रकार एक घायल गौरैया ने उनके जीवन की दिशा को बदल दिया और वे पक्षी-प्रेमी बन गए।
उत्तर- सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री को बताया होगा कि यदि हम ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से नहीं बचाएँगे तो यहाँ का समस्त पर्यावरण दूषित हो जाएगा। पेड़-पौधे सूख जाएँगे। वर्षा नहीं होगी। हरियाली नष्ट हो जाएगी। पक्षियों का चहचहाना सुनाई नहीं देगा। पक्षी किसी दूसरे स्थान पर चले जाएँगे। पशुओं की भी हानि होगी। इस प्रकार से यह सुंदर वैली उजाड़ हो जाएगी। यह सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी।
उत्तर- लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि लॉरेंस को प्रकृति से गहरा लगाव था। वे एक अच्छे ‘बर्ड वाचर’ थे। वे पक्षियों के कलरव से प्रेरणा प्राप्त कर कविताएँ लिखते थे। उनकी प्रकृति संबंधी कविताएँ विशेष प्रसिद्ध हैं। वे अपनी छत पर बैठी हुई गौरैया को अक्सर देखा करते थे। इसी कारण उनकी पत्नी ने यह कहा कि मेरी छत पर बैठी गौरैया लॉरेंस के बारे में अधिक बता सकती है।
(क) वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
उत्तर- लेखक को लगता है कि जिस प्रकार सुप्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कवि डी० एच० लॉरेंस प्रकृति से गहरा लगाव रखते थे और मानते थे कि ‘मानव जाति एक उखड़े हुए महान् वृक्ष की भाँति है, जिसकी जड़े हवा में फैली हुई हैं। इसलिए हमारा प्रकृति की ओर लौटना जरूरी है। उसी प्रकार सालिम अली भी प्रकृति से बहुत लगाव रखते थे। वे प्रकृति की दुनिया में अथाह सागर बन कर उभरे थे। इसलिए वे प्राकृतिक जीवन के प्रतिनिधि बन गए थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा ?
उत्तर- लेखक का कथन है कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस मरे हुए व्यक्ति को यदि कोई अन्य व्यक्ति अपने शरीर की गर्मी और अपने दिल की धड़कनें देकर जीवित करना चाहे तो यह संभव नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपनी साँसें देकर किसी मरे हुए व्यक्ति को जीवित नहीं कर सकता। जो पक्षी मर जाता है उसे फिर से जीवित नहीं किया जा सकता। वह फिर से अपना कलरव नहीं कर सकता।
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर- लेखक का मानना है कि सालिम अली को प्रकृति से बहुत प्रेम था। उन्होंने प्रकृति का बहुत सूक्ष्मता से निरीक्षण किया था। वे दूरबीन से प्रकृति के प्रत्येक हृदय का आनंद लेते थे। एकांत के क्षणों में भी वे प्रकृति को अपनी दूरबीन रहित आँखों से निहारते रहते थे। इसी प्रकृति प्रेम ने उन्हें पक्षियों का प्रेमी भी बना दिया था। जैसे सागर बहुत गहरा होता है उसी प्रकार सालिम अली का प्रकृति प्रेम भी बहुत गहरा था।
उत्तर- (i) सरल भाषा-इस पाठ में लेखक ने बोलचाल की सरल भाषा का प्रयोग किया है, जैसे-‘आज सालिम अली नहीं हैं। चौधरी साहब भी नहीं हैं। कौन बचा है जो अब सोंधी माटी पर उगी फसलों के बीच एक नए भारत की नींव रखने का संकल्प लेगा।’ |
(ii) शब्द प्रयोग-इस पाठ में लेखक ने तत्सम, तद्भव, देशज तथा विदेशी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है। जैसे-अग्रसर, अंतहीन, पलायन, नैसर्गिक, परिंदे, हुजूम, वादी, सफ़र, एहसास, तलाश, साइलेंट वैली, आबशारों आदि। इन शब्दों के द्वारा लेखक ने दृश्यों के शब्द-चित्र भी उपस्थित कर दिए हैं जैसे ‘‘सुनहरे परिंदों के खूबसूरत पंखों पर सवार साँवले सपनों का एक हुजूम मौत की खामोश वादी की तरफ अग्रसर है।’
(iii) काव्यात्मकता- इस पाठ में लेखक की भाषा-शैली काव्यात्मक भी हो गई है, जैसे-‘एहसास की ऐसी ही एक ऊबड़-खाबड़ जमीन पर जन्मे मिथक का नाम है, सालिम अली’।
(iv) रोचकता-इस पाठ में लेखक की भाषा-शैली अत्यंत रोचक है। वृंदावन में श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रसंग भाषा-शैली की रोचकता का सुंदर उदाहरण हैं, जैसे-‘पता नहीं इतिहास में कब कृष्ण ने वृंदावन में रासलीला रची थी और शोख गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था। कब माखन भरे भांडे फोड़े थे।’ इस प्रकार इस पाठ में लेखक की भाषा-शैली सहज, चित्रात्मक तथा रोचक है।
उत्तर- इस पाठ में लेखक ने सालिम अली को एक सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक तथा समर्पित ‘बर्ड वाचर’ के रूप में प्रस्तुत किया है। बचपन में उनकी एयरगन से एक गोरैया घायल हो गई थी, जिसका दर्द देखकर उनके मन में पक्षीप्रेम उत्पन्न हो गया था। उसके बाद वे जीवन भर दूरबीन लेकर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की खोज करते रहे और ‘एक गौरैया का गिरना’ शीर्षक पुस्तक में पक्षियों से संबंधित अपने अनुभवों को लिखा। वे प्रकृति-प्रेमी भी थे। उन्हें प्रकृति का सूक्ष्म निरीक्षण करने में अपार आनंद आता था। उन्हें पर्यावरण को सुरक्षित रखने की बहुत चिंता रहती थी। इसलिए उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को केरल की ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवा से बचाने का डी० एच० लॉरेंस (1885-1930) 20वीं सदी के अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध उपन्यासकार। उन्होंने कविताएँ भी लिखी हैं, विशेषकर प्रकृति संबंधी कविताएँ उल्लेखनीय हैं। प्रकृति से डी०एच० लॉरेंस का गहरा लगाव था और सघन संबंध भी। वे मानते थे कि मानव जाति एक उखड़े हुए महान वृक्ष की भाँति है, जिसकी जड़े हवा में फैली हुई हैं। वे यह भी मानते थे कि हमारा प्रकृति की ओर लौटना जरूरी है।